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सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 29 सितम्बर, 2018 06:17 PM
  • 29 सितम्बर, 2018 06:17 PM
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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जो ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं वो भाजपा को इस चुनावी माहौल में काफी राहत दे सकते हैं. खासकर तब जब अनुसूचित जाति के लोग इस सरकार से नाराज़ चल रहे थे.

जब कांग्रेस राफेल विमान सौदे के जरिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'रॉकेट' दागकर, साल के अंत में होने वाले विधानसभा और अगले साल के आरम्भ में होने वाले लोकसभा चुनावों में अपनी नैया पार लगाने की कोशिश में थी, ठीक उसी वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने फटाफट कई महत्वपूर्ण फैसले सुना दिए. और ये फैसले भाजपा को इस चुनावी माहौल में काफी राहत भरे साबित हो सकते हैं. खासकर तब जब अनुसूचित जाति के लोग इस सरकार से नाराज़ चल रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं

जानते हैं उन फैसलों के बारे में जो सुप्रीम कोर्ट ने एक के बाद एक सुनाए- 

SC/ST प्रमोशन में आरक्षण:

देश के अनुसूचित जातियों में भाजपा के खिलाफ कुछ समय से नाराज़गी चल रही थी जिसे भाजपा अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही थी. मार्च 2018 में एससी-एसटी उत्पीड़न कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस वर्ग की नाराजगी को भी भाजपा को झेलना पड़ा था. हालांकि बाद में सरकार ने फैसले को पलटने के लिए संसद से संशोधन कानून पारित करवा लिया था. ठीक इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी नौकरियां कर रहे अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण मिलेगा. महत्वपूर्ण चुनावों से पहले आया यह फैसला भाजपा के लिए बड़ी राहत लेकर आया.

अयोध्या मामला:

भाजपा के लिए अयोध्या मामला शुरू से ही महत्वपूर्ण रहा है. इसी राम मंदिर के निर्माण को लेकर भाजपा राजनीतिक फायदा उठाती रही है. अपने पिछले घोषणापत्र में भी भाजपा ने इसका ज़िक्र किया था. और अब जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है यह मामला चुनावी माहौल में भी जोर पकड़ रहा था. भाजपा की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी भाजपा पर इसे...

जब कांग्रेस राफेल विमान सौदे के जरिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'रॉकेट' दागकर, साल के अंत में होने वाले विधानसभा और अगले साल के आरम्भ में होने वाले लोकसभा चुनावों में अपनी नैया पार लगाने की कोशिश में थी, ठीक उसी वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने फटाफट कई महत्वपूर्ण फैसले सुना दिए. और ये फैसले भाजपा को इस चुनावी माहौल में काफी राहत भरे साबित हो सकते हैं. खासकर तब जब अनुसूचित जाति के लोग इस सरकार से नाराज़ चल रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं

जानते हैं उन फैसलों के बारे में जो सुप्रीम कोर्ट ने एक के बाद एक सुनाए- 

SC/ST प्रमोशन में आरक्षण:

देश के अनुसूचित जातियों में भाजपा के खिलाफ कुछ समय से नाराज़गी चल रही थी जिसे भाजपा अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही थी. मार्च 2018 में एससी-एसटी उत्पीड़न कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस वर्ग की नाराजगी को भी भाजपा को झेलना पड़ा था. हालांकि बाद में सरकार ने फैसले को पलटने के लिए संसद से संशोधन कानून पारित करवा लिया था. ठीक इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी नौकरियां कर रहे अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण मिलेगा. महत्वपूर्ण चुनावों से पहले आया यह फैसला भाजपा के लिए बड़ी राहत लेकर आया.

अयोध्या मामला:

भाजपा के लिए अयोध्या मामला शुरू से ही महत्वपूर्ण रहा है. इसी राम मंदिर के निर्माण को लेकर भाजपा राजनीतिक फायदा उठाती रही है. अपने पिछले घोषणापत्र में भी भाजपा ने इसका ज़िक्र किया था. और अब जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है यह मामला चुनावी माहौल में भी जोर पकड़ रहा था. भाजपा की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी भाजपा पर इसे मात्र एक चुनावी जुमला बता रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसके अनुसार नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद का होना जरूरी नहीं माना गया और इस फैसले को बड़ी बेंच को नहीं भेजा गया. मतलब साफ़ था - अब राम मंदिर विवाद के मूल विवाद पर जल्द अंतिम फैसला आने की उम्मीद है. और इस फैसले से भाजपा के राम मंदिर बनाने का सपना पूरा होता दिखने लगा. ज़ाहिर है इसका लाभ वो आने वाले चुनावों में उठाने की भरपूर कोशिश करेगी.

आधार कार्ड का मामला:

आधार कार्ड के प्रयोग को लेकर विपक्षी पार्टियां भाजपा को लगातार निशाना बना रही थीं. इनके अनुसार व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन हो रहा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आधार कार्ड को संवैधानिक करार दिया और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार को जरूरी माना. इस प्रकार भाजपा को पूर्णतः तो नहीं लेकिन आंशिक रूप से इसमें सफलता मिल ही गई.

भीमा कोरेगांव हिंसा:

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सल कनेक्शन के आरोप में कुछ एक्टिविस्ट को पहले गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में कोर्ट के आदेश पर उन्हें नजरबंद रखा गया था. भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने पांच लोगों को नक्सल लिंक के आरोप में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इस मामले में भाजपा को विपक्षी पार्टियों ने कठघरे में खड़ा कर दिया था. यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की थी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इन एक्टिविस्ट को बड़ा झटका देते हुए कहा कि ये गिरफ्तारियां राजनीतिक असहमति की वजह से नहीं हुई हैं तथा पुणे पुलिस को आगे जांच जारी रखने को भी कहा. सुप्रीम कोर्ट ने SIT जांच की मांग को भी खारिज कर दिया. इस फैसले से भाजपा जहां सियासी फायदे लेने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस बैकफुट पर होगी.

इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जो दो अक्तूबर को रिटायर हो रहे हैं कुछ अहम फैसले जाते-जाते दे गए, जिसका सियासी फायदा आने वाले महत्वपूर्ण चुनावों में भाजपा को मिलना तय है.

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