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सुप्रीम कोर्ट के जज का ये निजी अनुभव ही आधार पर भारी न पड़ जाए

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 10 मई, 2018 09:50 PM
  • 10 मई, 2018 09:50 PM
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आधार के मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच में से एक जज ने आधार से जुड़ा अपना ऐसा कड़वा अनुभव सबके सामने रखा है, जो आधार की स्वीकार्यता पर सवाल उठाता है.

आधार की वजह से आम जनता को तरह-तरह की परेशानियां होने की खबरें अक्सर आती रहती हैं. इन परेशानियों से न सिर्फ गरीब जनता दो-चार होती है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी इससे अछूते नहीं हैं. आधार के मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट बेंच के एक जज ने आधार से जुड़ा अपना ऐसा कड़वा अनुभव सबके सामने रखा है, जो आधार की स्वीकार्यता पर सवाल उठा रहा है. मोदी सरकार की कोशिश थी कि एक दिन सारी सेवाओं को आधार से जोड़ दिया जाए और हर काम सिर्फ आधार से ही हो जाए. भले ही इसके पीछे मोदी सरकार की मंशा सही रही हो या फिर कोई लालच छुपा हो, लेकिन जैसा अनुभव सुप्रीम कोर्ट के जज ने सुनाया है, वो आधार पर भारी पड़ सकता है.

बीमार मां को हुईं दिक्कतें

दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच आधार कार्ड को चुनौती देने वाले केस की सुनवाई कर रही है. इसी में से एक हैं जस्टिस डी वाई चंद्रचूढ़ जो पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज स्वर्गीय वाई वी चंद्रचूढ़ के बेटे हैं. जस्टिस चंद्रचूढ़ ने आधार की वजह से उनकी मां को हुई परेशानी बयां की है, जिन्हें आधार ऑथेंटिकेशन के चलते पेंशन मिलने में दिक्कत हुई.

अल्जाइमर से पीड़ित हैं उनकी मां

जस्टिस चंद्रचूढ़ ने बताया कि उनकी मां अल्जाइमर से पीड़ित थीं. वह हर महीने बैंक के मैनेजर या उनके किसी प्रतिनिधि को घर बुलाते थे और कई सारे दस्तावेजों पर अपनी मां के अंगूठे के छाप उन्हें देते थे, तब जाकर उन्हें पेंशन मिलती थी. उन्होंने कहा कि ऑथेंटिकेशन में आने वाली दिक्कतें बहुत ही बड़ी हैं, जिनका कोई समाधान ढूंढ़ना जरूरी है. वह बोले कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो ऑथेंटिकेशन फेल होने की वजह से सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाते.

बैंक खाता बंद करने की धमकी

अपनी मां के दर्द के बारे में जस्टिस चंद्रचूढ़ ने वरिष्ठ वकील...

आधार की वजह से आम जनता को तरह-तरह की परेशानियां होने की खबरें अक्सर आती रहती हैं. इन परेशानियों से न सिर्फ गरीब जनता दो-चार होती है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी इससे अछूते नहीं हैं. आधार के मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट बेंच के एक जज ने आधार से जुड़ा अपना ऐसा कड़वा अनुभव सबके सामने रखा है, जो आधार की स्वीकार्यता पर सवाल उठा रहा है. मोदी सरकार की कोशिश थी कि एक दिन सारी सेवाओं को आधार से जोड़ दिया जाए और हर काम सिर्फ आधार से ही हो जाए. भले ही इसके पीछे मोदी सरकार की मंशा सही रही हो या फिर कोई लालच छुपा हो, लेकिन जैसा अनुभव सुप्रीम कोर्ट के जज ने सुनाया है, वो आधार पर भारी पड़ सकता है.

बीमार मां को हुईं दिक्कतें

दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच आधार कार्ड को चुनौती देने वाले केस की सुनवाई कर रही है. इसी में से एक हैं जस्टिस डी वाई चंद्रचूढ़ जो पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज स्वर्गीय वाई वी चंद्रचूढ़ के बेटे हैं. जस्टिस चंद्रचूढ़ ने आधार की वजह से उनकी मां को हुई परेशानी बयां की है, जिन्हें आधार ऑथेंटिकेशन के चलते पेंशन मिलने में दिक्कत हुई.

अल्जाइमर से पीड़ित हैं उनकी मां

जस्टिस चंद्रचूढ़ ने बताया कि उनकी मां अल्जाइमर से पीड़ित थीं. वह हर महीने बैंक के मैनेजर या उनके किसी प्रतिनिधि को घर बुलाते थे और कई सारे दस्तावेजों पर अपनी मां के अंगूठे के छाप उन्हें देते थे, तब जाकर उन्हें पेंशन मिलती थी. उन्होंने कहा कि ऑथेंटिकेशन में आने वाली दिक्कतें बहुत ही बड़ी हैं, जिनका कोई समाधान ढूंढ़ना जरूरी है. वह बोले कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो ऑथेंटिकेशन फेल होने की वजह से सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाते.

बैंक खाता बंद करने की धमकी

अपनी मां के दर्द के बारे में जस्टिस चंद्रचूढ़ ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की दलील के जवाब में बताया. श्याम दीवान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज केएस पुत्तस्वामी की ओर से बहस कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड न होने की वजह से एक 90 साल की महिला का बैंक खाता बंद करने की धमकी दी गई, जबकि इस बैंक खाते की वजह से ही उन्हें पेंशन मिलती है, जिससे वह बुढ़ापे में गुजारा कर रही हैं. वह उसी पैसों से अपनी इलाज करवाती हैं, क्योंकि उनकी देखभाल के लिए और कोई नहीं है. श्याम दीवान ने कहा आधार ऑथेंटिकेशन फेल होने की वजह से बहुत से लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं.

पहले भी मुंह की खानी पड़ी थी मोदी सरकार को

पिछले ही महीने के आखिरी सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मोबाइल से लिंक कराने का आदेश दिया ही नहीं तो फिर सर्कुलर में सुप्रीम कोर्ट का नाम कैसे दिख दिया गया. आपको बता दें कि मोदी सरकार की तरफ से बैंक खातों, मोबाइल नंबर से आधार को लिंक कराने के लिए लोगों पर काफी दबाव बनाया जा रहा था और यहां तक कहा जा रहा था कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. लोगों को यह कह कर भी डराया जा रहा था कि अगर वह अपने आधार से बैंक खाता और मोबाइल नंबर लिंक नहीं कराएंगे तो ये बंद हो जाएंगे.

पहले सुप्रीम कोर्ट ने खुद मोदी सरकार को फटकार लगाई और अब आधार की सुनवाई जो 5 जजों की बेंच कर रही है, उन्हीं में से एक का आधार के साथ खराब अनुभव रहा है. यहां पर मोदी सरकार की आधार को हर चीज से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना खतरे में पड़ सकती है. कहीं ऐसा ना हो कि एक जज की आप बीती आधार को लेकर देखे गए मोदी सरकार के सभी सपनों पर पानी फेर दे.

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आधार का इससे बड़ा नुकसान कोई और हो ही नहीं सकता!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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