• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

टोटके का सहारा लेकर मिथक तोड़ने में लगे सीएम योगी!

    • अनुराग तिवारी
    • Updated: 19 जनवरी, 2018 04:44 PM
  • 19 जनवरी, 2018 04:43 PM
offline
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक ऐसे व्यक्ति है जो सभी काम विधि-विधान और शकुन-अपशकुन के अनुसार ही करते हैं. साथ ही वो एक ऐसे मुख्यमंत्री भी हैं जिन्होंने बीते दिनों कई मिथकों को तोड़ा है.

विधान सभा चुनावों में बीजेपी के बहुमत में आने के बाद शपथग्रहण के समय योगी आदित्यनाथ ने अपना नाम उलटा पढ़ा था. उन्होंने 'आदित्यनाथ योगी' के नाम से शपथ ली थी. यही नाम उनके सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग स्थित मेन गेट पर भी लिखा गया था. तब ऐसा करने के पीछे माना गया था कि खरमास की अवधि होने के चलते योगी अदित्यानाथ ने यह टोटका किया था. माना जा रहा था कि महंत होने के चलते वे विधि-विधान और शकुन-अपशकुन के अनुसार ही काम करेंगे. लेकिन अब वही योगी अदित्यानाथ इन सभी मिथकों को तोड़ते नजर आ रहे हैं. पहले उन्होंने नोएडा जाकर 29 साल पुराना अपशकुन का मिथक तोड़ने की कोशिश की तो वहीं इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की आगरा दौरे पर भी उन्होंने एक मिथक तोड़ दिया वह था यहां के सर्किट हाउस में रुकने का.

योगी आदित्यनाथ लगातार कई अंधविश्वासों को तोड़ते नजर आ रहे हैं

सीएम योगी लगभग 16 साल बाद आगरा के सर्किट हाउस में रुकने वाले पहले मुख्यमंत्री बने. इससे पहले आखिरी बार राजनाथ सिंह यहां रुके थे. इस सर्किट हाउस के बारे में भी नोएडा की तरह मान्यता चली आ रही थी कि जो मुख्यमंत्री यहां रुकेगा, उसे कुर्सी से हाथ धोना पड़ेगा. इसी का नतीजा था कि चाहे वो अखिलेश यादव रहे हों या फिर मायावती, मुख्यमंत्री के रूप में जब भी आगरा पहुंचे हमेशा 5-स्टार होटल में रुके. अखिलेश यादव के बारे में तो कहा जाता है कि वे सर्किट हाउस की जगह जेपी होटल, मुगल शेरेटन, ओबराय या अमर विलास होटल जैसे होटलों में रुकना पसंद करते थे.

आगरा के सर्किट हाउस में रखकर योगी ने एक अन्य अंधविश्वास को तोड़ा है

इसके...

विधान सभा चुनावों में बीजेपी के बहुमत में आने के बाद शपथग्रहण के समय योगी आदित्यनाथ ने अपना नाम उलटा पढ़ा था. उन्होंने 'आदित्यनाथ योगी' के नाम से शपथ ली थी. यही नाम उनके सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग स्थित मेन गेट पर भी लिखा गया था. तब ऐसा करने के पीछे माना गया था कि खरमास की अवधि होने के चलते योगी अदित्यानाथ ने यह टोटका किया था. माना जा रहा था कि महंत होने के चलते वे विधि-विधान और शकुन-अपशकुन के अनुसार ही काम करेंगे. लेकिन अब वही योगी अदित्यानाथ इन सभी मिथकों को तोड़ते नजर आ रहे हैं. पहले उन्होंने नोएडा जाकर 29 साल पुराना अपशकुन का मिथक तोड़ने की कोशिश की तो वहीं इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की आगरा दौरे पर भी उन्होंने एक मिथक तोड़ दिया वह था यहां के सर्किट हाउस में रुकने का.

योगी आदित्यनाथ लगातार कई अंधविश्वासों को तोड़ते नजर आ रहे हैं

सीएम योगी लगभग 16 साल बाद आगरा के सर्किट हाउस में रुकने वाले पहले मुख्यमंत्री बने. इससे पहले आखिरी बार राजनाथ सिंह यहां रुके थे. इस सर्किट हाउस के बारे में भी नोएडा की तरह मान्यता चली आ रही थी कि जो मुख्यमंत्री यहां रुकेगा, उसे कुर्सी से हाथ धोना पड़ेगा. इसी का नतीजा था कि चाहे वो अखिलेश यादव रहे हों या फिर मायावती, मुख्यमंत्री के रूप में जब भी आगरा पहुंचे हमेशा 5-स्टार होटल में रुके. अखिलेश यादव के बारे में तो कहा जाता है कि वे सर्किट हाउस की जगह जेपी होटल, मुगल शेरेटन, ओबराय या अमर विलास होटल जैसे होटलों में रुकना पसंद करते थे.

आगरा के सर्किट हाउस में रखकर योगी ने एक अन्य अंधविश्वास को तोड़ा है

इसके उलट योगी ने आगरा पहुंच सरकारी सर्किट गेस्ट हाउस में रुकना पसंद किया और उस मिथक को भी तोड़ने की कोशिश की कि यहां रुकने वाली की कुर्सी चली जाती है. योगी सर्किट हाउस के वीवीआईपी सुइट न. 1 में रुके. यह सुइट सर्किट हाउस का सबसे बड़ा कमरा है और लगभग 70 गज के एरिया में बना हुआ है. इससे पहले 25 दिसम्बर को दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन के उद्घाटन के मौके पर भी पहुंच कर योगी ने मुख्यमंत्रियों के नोएडा आकर कुर्सी गंवाने का मिथक तोड़ने की कोशिश की थी. इससे पहले साल 2011 में मायावती ने इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया था तो उन्हें 2012 में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. अखिलेश यादव इस मिथक से इतना डरे कि उन्होंने नोएडा की सारी योजनाओं का उदघाटन और शिलान्यास लखनऊ में 5 कालिदास मार्ग स्थित सीएम आवास में बैठे-बैठे ही कर दिया था.

योगी के इन मिथकों और अंधविश्वासों को तोड़ते देख भाजपा इसे एक अच्छा सन्देश मान रही है

योगी का इन मिथकों को तोड़ने का प्रयास इसलिए भी अनूठा है क्योंकि वे खुद खरमास में गृह प्रवेश न करने और शपथ ग्रहण में अपना नाम उलटा पढ़ने का टोटका कर चुके हैं. इस साल 19 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उन्होंने आदित्यनाथ योगी के नाम से शपथ ली और यही नाम उनके सरकारी आवास पर भी लिखा गया.

योगी विधि-विधान और शकुन-अपशकुन के अनुसार ही काम करते हैं

लेकिन इसके ठीक दस दिन बाद जब खरमास खत्म हुआ और नवरात्रि शुरू हुई तो योगी ने बाकायदा विधि-विधान के साथ गृह-प्रवेश किया और उसी दिन उनकी नेम प्लेट पर लिखा नाम भी सीधा होकर योगी आदित्यनाथ हो गया था. बता दें कि इस गृह प्रवेश से पहले 5 कालिदास मार्ग स्थित आवास के शुद्धिकरण के लिए गोरखपुर के गोरक्षमठ की देशी गायों के 11 लीटर दूध से रुद्राभिषेक और हवन-पूजन हुआ था.

ये भी पढ़ें -

नेतन्याहू की 'ताकतवर' होने वाली बात तोगड़िया पर कहां तक लागू होती है?

अविवाहित योगी पर अखिलेश का शेर मजाक है या गंभीर कमेंट

फर्क कहां - गोरखपुर महोत्सव में मासूमों की चीख की गूंज है, तो सैफई में दंगों के जख्म


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲