• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

गांधी परिवार के लिए पहली बार पहेली बन गई है रायबरेली

    • संतोष चौबे
    • Updated: 27 अक्टूबर, 2018 02:17 PM
  • 27 अक्टूबर, 2018 02:17 PM
offline
पोस्टर्स को हम राजनीतिक कहकर पूरे विवाद को ख़त्म कर सकते हैं लेकिन जब हम ये पाते हैं कि सोनिया और प्रियंका को तो रायबरेली गए हुए लगभग डेढ़ साल हो गया है, तो हम ये कह सकते हैं कि हमें इनके पीछे का सामाजिक मतलब भी देखना चाहिए.

लग रहा है कि कांग्रेस ने प्रियंका गाँधी वाड्रा के रायबरेली से लापता होने के पोस्टर को काफी गंभीरता से लिया है क्योंकि खबर आ रही है कि सोनिया और राहुल गाँधी 1 या 2 नवंबर को सोनिया गाँधी के लोक सभा क्षेत्र रायबरेली में होंगे.

लेकिन क्या सोनिया और राहुल का वहां होना काफी है?

अमेठी और रायबरेली दोनों ही कांग्रेस के गाँधी खानदान का गढ़ माने जाते रहे हैं. दोनों ही जगहों से या तो गाँधी खानदान का कोई या करीबी ही जीतता रहा है. पर इसके बाद भी दोनों इलाकों में विकास ना होने की रिपोर्ट्स आती रहती हैं. कहा जाता है कि दोनों शहरों को देखकर लगता ही नहीं है कि ये नेहरू-गाँधी के लोक सभा क्षेत्र हैं.

राहुल सोनिया नवंबर में रायबरेली जा रहे हैं

राहुल गाँधी तो फिर भी अमेठी जाते रहते हैं क्योंकि कहा जाता है कि पिछले लोक सभा चुनावों में स्मृति ईरानी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी और इस बार राहुल के वहां से हारने की भी सम्भावना है. कहा ये भी जाता है कि शायद इसीलिए राहुल इस बार रायबरेली शिफ्ट कर सकते हैं. अब ये तो भविष्य ही बताएगा कि राहुल वहां शिफ्ट करते हैं या नहीं. कहने को तो ये भी कहा जाता है कि रायबरेली से सोनिया की उत्तराधिकारी प्रियंका गाँधी ही हैं. हालाँकि प्रियंका ने कहा है कि 2019 में रायबरेली से सोनिया ही चुनाव लड़ेंगीं. लेकिन क्या रायबरेली जाना और भविष्य में वहां से चुनाव जीतना इतना आसान है?

रायबरेली में जगह जगह लगे पोस्टर प्रियंका को इमोशनल ब्लैकमेलर बताते हुए कहते हैं कि जब शहर पर बड़ी बड़ी विपदाएं- हरचंपुर रेल हादसा, ऊंचाहार दुर्घटना और रालपुर हादसा जैसी विपदाएं आईं तो प्रियंका वहां थीं ही नहीं और क्या वो शहर में अब ईद के समय आएंगी?

लग रहा है कि कांग्रेस ने प्रियंका गाँधी वाड्रा के रायबरेली से लापता होने के पोस्टर को काफी गंभीरता से लिया है क्योंकि खबर आ रही है कि सोनिया और राहुल गाँधी 1 या 2 नवंबर को सोनिया गाँधी के लोक सभा क्षेत्र रायबरेली में होंगे.

लेकिन क्या सोनिया और राहुल का वहां होना काफी है?

अमेठी और रायबरेली दोनों ही कांग्रेस के गाँधी खानदान का गढ़ माने जाते रहे हैं. दोनों ही जगहों से या तो गाँधी खानदान का कोई या करीबी ही जीतता रहा है. पर इसके बाद भी दोनों इलाकों में विकास ना होने की रिपोर्ट्स आती रहती हैं. कहा जाता है कि दोनों शहरों को देखकर लगता ही नहीं है कि ये नेहरू-गाँधी के लोक सभा क्षेत्र हैं.

राहुल सोनिया नवंबर में रायबरेली जा रहे हैं

राहुल गाँधी तो फिर भी अमेठी जाते रहते हैं क्योंकि कहा जाता है कि पिछले लोक सभा चुनावों में स्मृति ईरानी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी और इस बार राहुल के वहां से हारने की भी सम्भावना है. कहा ये भी जाता है कि शायद इसीलिए राहुल इस बार रायबरेली शिफ्ट कर सकते हैं. अब ये तो भविष्य ही बताएगा कि राहुल वहां शिफ्ट करते हैं या नहीं. कहने को तो ये भी कहा जाता है कि रायबरेली से सोनिया की उत्तराधिकारी प्रियंका गाँधी ही हैं. हालाँकि प्रियंका ने कहा है कि 2019 में रायबरेली से सोनिया ही चुनाव लड़ेंगीं. लेकिन क्या रायबरेली जाना और भविष्य में वहां से चुनाव जीतना इतना आसान है?

रायबरेली में जगह जगह लगे पोस्टर प्रियंका को इमोशनल ब्लैकमेलर बताते हुए कहते हैं कि जब शहर पर बड़ी बड़ी विपदाएं- हरचंपुर रेल हादसा, ऊंचाहार दुर्घटना और रालपुर हादसा जैसी विपदाएं आईं तो प्रियंका वहां थीं ही नहीं और क्या वो शहर में अब ईद के समय आएंगी?

प्रियंका के ये पोस्टर्स लगाए गए थे

हालाँकि पोस्टर्स को हम राजनीतिक ही कहकर पूरे विवाद को ख़त्म कर सकते हैं लेकिन जब हम ये पाते हैं कि सोनिया और प्रियंका को तो रायबरेली गए हुए लगभग डेढ़ साल हो गया है, तो हम ये कह सकते हैं कि हमें इनके पीछे का सामाजिक मतलब भी देखना चाहिए.

इसका सामाजिक मतलब होना ये बताता है के शहर के लोगों को ये कतई पसंद नहीं है के उन्हें बस चुनावों के वक़्त ही याद रखा जाये वो भी तब जब इलाके में विकास के नाम पर कुछ ख़ास नहीं होता है. गाँधी परिवार के लिए चिंता की ये बात भी है कि बीजेपी अमेठी के बाद अब रायबरेली में भी पांव पसार रही है और क्षेत्र में विकास का ना होना बीजेपी को आगे बढ़ने में काफी मदद देगा.

और शायद कांग्रेस के लोकल नेता भी यही देख रहे हैं तभी तो सोनिया गाँधी के विश्वासपात्र रहे पूर्व एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर कर ली है और उनका कहना है जिले के कई और कांग्रेस नेता बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं. कांग्रेस का आरोप है कि दिनेश प्रताप सिंह जैसे लोगों ने ही प्रियंका के पोस्टर लगवाए हैं.

इसके आलावा देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी घोषणा की है कि उनकी सांसद निधि का पूरा उपयोग रायबरेली के विकास के लिए किया जायेगा. इसके साथ ही साथ रायबरेली में एक विश्वविद्यालय, एक राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम और मसाला मार्किट की स्थापना भी अरुण जेटली की पहल पर केंद्र सरकार करने जा रही है.

अब प्रियंका के पोस्टर्स के बाद सोनिया और राहुल गाँधी के वहां जाने को हम एक डैमेज कण्ट्रोल एक्सरसाइज कह सकते हैं लेकिन क्या सोनिया का वहां डेढ़ साल बाद एक मीटिंग कर लेना और जैसा कांग्रेस कहती है कि प्रियंका दिल्ली में रायबरेली के लोगों से मिलती रहती हैं, काफी है?

ये भी पढ़ें-

प्रियंका वाड्रा की पोस्टर लगाकर इमोशनल 'बेइज्‍जती'

2019 में PM मोदी की मुश्किलें बढ़ा सकता है शरद पवार का राजनीतिक पावर

प्रधानमंत्री पद की रेस में ममता बनर्जी को मायावती पीछे छोड़ सकती हैं


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲