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सिवान में एक बाहुबली डॉन की लव स्टोरी जीत गई

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 24 मई, 2019 10:02 AM
  • 24 मई, 2019 09:55 AM
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तमाम कयासों के बीच नतीजे आ चुके हैं और अब सब कुछ शीशे की तरह साफ हो गया है. ये साफ हो गया है कि जनता ने दो डॉन की पत्नियों में से किसे चुना है.

इस लोकसभा चुनाव में बिहार की सीवान सीट बेहद अहम रही. दरअसल, इस सीट से दो डॉन की पत्नियां चुनावी मैदान में हैं. जेडीयू के टिकट पर अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह चुनाव लड़ रही हैं, जबकि आरजेडी के टिकट पर महागठबंधन की ओर से तिहाड़ जेल में सजा काट रहे शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब मैदान में हैं. 12 मई को जब इस सीट पर चुनाव हुआ उसके बाद से तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे थे. कुछ का मानना था कि इस बार हिना शहाब बाजी मारेंगी, तो कई मान रहे थे कि कविता सिंह की जीत होगी.

तमाम कयासों के बीच नतीजे आ चुके हैं और अब सब कुछ शीशे की तरह साफ हो गया है. ये साफ हो गया है कि जनता ने दो डॉन की पत्नियों में से किसे चुना है. गठबंधन की ओर से मैदान में उतरीं हिना शहाब को लगातार तीसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा है. इस पर जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं डॉन अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह ने जीत दर्ज करती दिख रही हैं. कविता सिंह को शाम 5 बजे तक करीब 4.47 लाख वोट मिले, जबकि हिना शहाब को महज 3.30 लाख वोट हासिल हुए.

ये साफ हो गया है कि जनता ने दो डॉन की पत्नियों में से किसे चुना है.

कविता की तो शादी ही चुनाव लड़ने के लिए हुई

अजय सिंह और कविता सिंह की शादी का एक दिलचस्प किस्सा भी है. सितंबर 2011 में जब अजय सिंह की मां जगमतो देवी की मौत हुई तो अजय सिंह ने बिहार के दरौंधा से चुनाव लड़ना चाहा. जब अजय सिंह ने नितीश कुमार से इसकी बात की तो उन्होंने अजय सिंह के क्रिमिनल बैकग्राउंड को देखते हुए टिकट देने से मना कर दिया. हालांकि, ये जरूर कहा कि अगर वह शादी कर लें तो उनकी पत्नी को टिकट दिया जा सकता है. बस फिर क्या था, अजय सिंह ने शादी के लिए इस्तेहार दे दिया, जिसमें ये भी बताया कि कैसी पत्नी चाहिए. लड़की का नाम वोटर्स लिस्ट में होना चाहिए, वोटर आइडेंटिटी...

इस लोकसभा चुनाव में बिहार की सीवान सीट बेहद अहम रही. दरअसल, इस सीट से दो डॉन की पत्नियां चुनावी मैदान में हैं. जेडीयू के टिकट पर अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह चुनाव लड़ रही हैं, जबकि आरजेडी के टिकट पर महागठबंधन की ओर से तिहाड़ जेल में सजा काट रहे शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब मैदान में हैं. 12 मई को जब इस सीट पर चुनाव हुआ उसके बाद से तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे थे. कुछ का मानना था कि इस बार हिना शहाब बाजी मारेंगी, तो कई मान रहे थे कि कविता सिंह की जीत होगी.

तमाम कयासों के बीच नतीजे आ चुके हैं और अब सब कुछ शीशे की तरह साफ हो गया है. ये साफ हो गया है कि जनता ने दो डॉन की पत्नियों में से किसे चुना है. गठबंधन की ओर से मैदान में उतरीं हिना शहाब को लगातार तीसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा है. इस पर जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं डॉन अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह ने जीत दर्ज करती दिख रही हैं. कविता सिंह को शाम 5 बजे तक करीब 4.47 लाख वोट मिले, जबकि हिना शहाब को महज 3.30 लाख वोट हासिल हुए.

ये साफ हो गया है कि जनता ने दो डॉन की पत्नियों में से किसे चुना है.

कविता की तो शादी ही चुनाव लड़ने के लिए हुई

अजय सिंह और कविता सिंह की शादी का एक दिलचस्प किस्सा भी है. सितंबर 2011 में जब अजय सिंह की मां जगमतो देवी की मौत हुई तो अजय सिंह ने बिहार के दरौंधा से चुनाव लड़ना चाहा. जब अजय सिंह ने नितीश कुमार से इसकी बात की तो उन्होंने अजय सिंह के क्रिमिनल बैकग्राउंड को देखते हुए टिकट देने से मना कर दिया. हालांकि, ये जरूर कहा कि अगर वह शादी कर लें तो उनकी पत्नी को टिकट दिया जा सकता है. बस फिर क्या था, अजय सिंह ने शादी के लिए इस्तेहार दे दिया, जिसमें ये भी बताया कि कैसी पत्नी चाहिए. लड़की का नाम वोटर्स लिस्ट में होना चाहिए, वोटर आइडेंटिटी कार्ड बना होना चाहिए, राजनीतिक परिवार से हो तो बेहतर है. आखिरकार, एक मुखिया की बेटी (कविता) का रिश्ता मेल खा गया और उन्होंने कविता से शादी कर ली.

मुकाबला बराबरी का ना सही, लेकिन टक्कर का जरूर था

शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब तो इस सीट से पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुकी थीं, लेकिन दोनों ही बार हार गईं. इससे पहले इस सीट से भाजपा की ओर से ओम प्रकाश यादव सांसद थे, लेकिन इस बार भाजपा ने ये सीट अपनी सहयोगी पार्टी जेडीयू के लिए खाली कर दी. इस सीट पर दो डॉन की पत्नियों के बीच सीधी लड़ाई होने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया था.

कविता सिंह यूं तो दरौंधा सीट की मौजूदा विधायक हैं, लेकिन शहाबुद्दीन की पत्नी को भी कम नहीं आंका जा सकता था. शहाबुद्दीन को जेल होने से पहले उन्हें सिवान का सुल्तान कहा जाता था. वह एक-दो नहीं बल्कि 4 बार लोकसभा का चुनाव जीते थे. इस तरह एक तरफ हिना थीं, जो लगातार दो बार हार चुकी थीं, वहीं दूसरी ओर कविता थीं जो मौजूदा विधायक हैं. ऊपर से दोनों ही डॉन की पत्नियां. बस यहीं पर मामला टक्कर देने वाला हो गया.

सिवान सीट पर मुकाबला बेहद कड़ा रहा, क्योंकि यहां पर दो डॉन की पत्नियां थीं. इससे पहले के दो चुनाव में तो सिर्फ हिना शहाब थीं और उनके खिलाफ भाजपा के ओम प्रकाश थे. ऐसे में साफ छवि वाले ओम प्रकाश यादव को चुनना आसान था, लेकिन जब दोनों ही प्रत्याशी के पति अपराधी हों, तो किसे चुनें, किसे नहीं, ये वाकई चिंता का विषय था. खैर, 12 मई को चुनाव होने तक लोगों ने अपना मन बना लिया था कि उन्हें सिवान की सत्ता किसे सौंपनी है. अब नतीजों ने भी ये साफ कर दिया है कि सिवान की जनता चाहती क्या थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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