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Delhi की 7 सीटें कौन जीत रहा है? राजदीप सरदेसाई का अनुमान

    • राजदीप सरदेसाई
    • Updated: 11 मई, 2019 02:56 PM
  • 11 मई, 2019 02:56 PM
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Delhi के लोकसभा चुनाव से पहले सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर दिल्ली की 7 सीटों पर कौन जीतेगा? किस पार्टी के पास कितनी सीटें आएंगी और किसे खाली हाथ रहकर ही संतोष करना पड़ेगा? वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई का अनुमान.

लोकसभा चुनाव के 5 चरणों का मतदान हो चुका है और 12 मई को इसके छठे चरण की वोटिंग होगी. इसी दिन देश की राजधानी Delhi 7 Seats पर भी मतदान होगा. Lok Sabha Election 2019 से पहले तक कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा को हराने के उद्देश्य से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन हो सकता है. बार-बार केजरीवाल की तरफ से गठबंधन की बात भी की गई, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा सिरे नहीं चढ़ सका. आखिरकार धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती चली गई और दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया.

अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर दिल्ली की 7 सीटों पर कौन जीतेगा. किस पार्टी के पास कितनी सीटें आएंगी और किसे खाली हाथ रहकर ही संतोष करना पड़ेगा. यहां देखा जाए तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन ना होने से दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव तिकोण बन चुका है. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के अनुसार अगर गठबंधन होता तो निश्चित की गठबंधन के खाते में 4-5 सीटें आतीं. यहां तक कि अगर ये गठबंधन 2014 में ही हो जाता तो शायद 7 में से 6 सीटें गठबंधन जीत जाता. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हो पाने की वजह से वोट बंटेंगे और फायदा बेशक भाजपा को ही मिलेगा.

दिल्ली में अगर वोटिंग पीएम के चेहर पर हुआ तो भाजपा सबसे अधिक सीटें जीतेगी.

तो अगर वोट बंट रहे हैं तो दिल्ली की कौन सी सीट किसके खाते में जाएगी? चलिए देखते हैं दिल्ली की अलग-अलग सीटों पर कैसे आ सकते हैं नतीजे-

1- पूर्वी दिल्ली

भाजपा ने यहां से गौतम गंभीर को मैदान में उतारा है. इस सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई रहने की संभावना है. यहां से आम आदमी पार्टी ने आतिशी सिंह को टिकट दिया है और कांग्रेस ने अरविंदर सिंह लवली को...

लोकसभा चुनाव के 5 चरणों का मतदान हो चुका है और 12 मई को इसके छठे चरण की वोटिंग होगी. इसी दिन देश की राजधानी Delhi 7 Seats पर भी मतदान होगा. Lok Sabha Election 2019 से पहले तक कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा को हराने के उद्देश्य से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन हो सकता है. बार-बार केजरीवाल की तरफ से गठबंधन की बात भी की गई, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा सिरे नहीं चढ़ सका. आखिरकार धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती चली गई और दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया.

अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर दिल्ली की 7 सीटों पर कौन जीतेगा. किस पार्टी के पास कितनी सीटें आएंगी और किसे खाली हाथ रहकर ही संतोष करना पड़ेगा. यहां देखा जाए तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन ना होने से दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव तिकोण बन चुका है. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के अनुसार अगर गठबंधन होता तो निश्चित की गठबंधन के खाते में 4-5 सीटें आतीं. यहां तक कि अगर ये गठबंधन 2014 में ही हो जाता तो शायद 7 में से 6 सीटें गठबंधन जीत जाता. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हो पाने की वजह से वोट बंटेंगे और फायदा बेशक भाजपा को ही मिलेगा.

दिल्ली में अगर वोटिंग पीएम के चेहर पर हुआ तो भाजपा सबसे अधिक सीटें जीतेगी.

तो अगर वोट बंट रहे हैं तो दिल्ली की कौन सी सीट किसके खाते में जाएगी? चलिए देखते हैं दिल्ली की अलग-अलग सीटों पर कैसे आ सकते हैं नतीजे-

1- पूर्वी दिल्ली

भाजपा ने यहां से गौतम गंभीर को मैदान में उतारा है. इस सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई रहने की संभावना है. यहां से आम आदमी पार्टी ने आतिशी सिंह को टिकट दिया है और कांग्रेस ने अरविंदर सिंह लवली को मैदान में उतारा है. लवली उन नेताओं में से हैं, जिन्हें गांधीनगर में काफी सफलता मिली है, लेकिन आतिशी भी कम नहीं हैं. उन्होंने खूब काम किया है. दोनों की टक्कर की वजह से वोटों का बंटना स्वाभाविक है, जिसका सीधा फायदा गंभीर को होगा.

2- उत्तर पूर्वी दिल्ली

यहां से कांग्रेस ने शीला दीक्षित को टिकट दिया है. इस निर्वाचन क्षेत्र में गरीबी काफी अधिक है, माइनोरिटी काफी अधिक हैं और स्लम भी बहुत सारे हैं. इसमें सीलमपुर जैसे इलाके आते हैं. अगर लोगों को लगा कि शीला दीक्षित भाजपा प्रत्याशी मनोज तिवारी को तगड़ी टक्कर दे सकती हैं तो गेंद कांग्रेस के पाले में आ सकती है. वैसे भी मनोज तिवारी को लेकर ये सवाल तो उठते ही रहे हैं कि उन्होंने इलाके के लिए क्या काम किया है. खैर, दिलीप पांड़े जैसे युवा और शीला दीक्षित जैसी अनुभवी उम्मीदवारों के बीच की लड़ाई के चलते भाजपा को फायदा होना लाजमी है.

3- दक्षिणी दिल्ली

कांग्रेस ने यहां से बॉक्सर विजेंद्र सिंह को खड़ा किया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने युवा चेहरे राघव चड्ढा पर दाव खेला है. यहां से मौजूदा सांसद रमेश बिधूड़ी हैं, जो इस बार फिर से भाजपा की ओर से उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. देखा जाए तो कांग्रेस के प्रत्याशी विजेंद्र सिंह की कोई पकड़ नहीं है, लेकिन वह एक जाना माना चेहरा हैं. वहीं दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राघव चड्ढा ने अच्छा काम किया है और वह काफी एक्टिव हैं. लेकिन इन दोनों की लड़ाई होने के चलते यहां भी वोट बंटेंगे. अगर लोगों ने चुनाव अपने कैंडिडेट के बजाय पीएम के चेहरे पर दिया, तो भाजपा को ही फायदा होगा.

4- चांदनी चौक

इस सीट पर कांग्रेस सबसे तगड़ी टक्कर देगी. कांग्रेस ने यहां से जेपी अग्रवाल को खड़ा किया गया है, जबकि उनके खिलाफ भाजपा के हर्षवर्धन सिंह खड़े हैं. अगर यहां से कांग्रेस को 80 फीसदी माइनोरिसी वोट भी मिल गए, तो कांग्रेस का पलड़ा भारी हो जाएगा. हालांकि, हर्षवर्धन भी कोई मामूली नेता नहीं हैं. ऐसे में उन्हें हराना भी आसान नहीं होगा. आपको बता दें कि यहां से आम आदमी पार्टी ने पंकज कुमार गुप्ता को मैदान में उतारा है.

5- पश्चिमी दिल्ली

यहां से प्रवेश वर्मा मैदान में है. यहां पहले ही भाजपा का दबदबा है और उसका तगड़ा वोटबैंक हैं. ये सीट प्रवेश वर्मा के पिता की विरासत के तौर पर भी देखी जा सकती है. इन सबके ऊपर पीएम मोदी का चेहरा. यानी एक नहीं, बल्कि भाजपा को जिताने के कई बहाने हैं इस सीट पर. आपको बता दें कि यहां से कांग्रेस ने महाबल मिश्रा को मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी की ओर से बरबीर सिंह जाखड़ को टिकट दिया गया है.

6- उत्तर पश्चिम दिल्ली

इस सीट पर भाजपा ने काफी देर से अपना फैसला लिया है. काफी समय तक उदित राज को लेकर असमंजस रहा कि उन्हें टिकट मिलेगी या उनकी टिकट कटेगी. खैर, आखिरकार उन्हें टिकट नहीं दिया गया और हंसराज हंस को मैदान में उतारा गया. इस सीट पर आम आदमी पार्टी की ओर से गुग्गन सिंह को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस की ओर से राजेश लिलोथिया चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस इस सीट पर पूरा जोर लगा रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी भी पीछे नहीं है. अगर यहां से लोगों ने अपने कैंडिडेट के आधार पर वो दिया तो कांग्रेस इस सीट पर जीत जाएगी, लेकिन अगर वोट पीएम मोदी के चेहरे पर पड़े तो भाजपा की जीत पक्की है.

7- नई दिल्ली

शुरुआत में खबरें थीं कि यहां से गौतम गंभीर को चुनावी मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन बाद में मीनाक्षी लेखी को टिकट दे दिया गया. पार्टी के कुछ पुराने नेता मीनाक्षी लेखी को टिकट मिलने से नाराज भी हैं. दरअसल, राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए चौकीदार चोर है कहा था, जिस पर मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज करा दिया. अब इस केस को लेकर राहुल गांधी बुरे फंस गए हैं. इसकी वजह से भाजपा नेताओं में लेखी का कद भी थोड़ बढ़ गया है. माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों के चलते भाजपा ने उन्हें टिकट दे दिया. खैर, इस सीट पर कांग्रेस की ओर से अजय माकन हैं, जिन्हें कम नहीं आंका जा सकता है. आम आदमी पार्टी ने भी यहां पर बृजेश गोयल को मैदान में उतारा है. एक बार फिर यहां भी अगर वोट पीएम के चेहरे पर दिया गया तो भाजपा की जीत पक्की है, वरना अजय माकन भी बाजी मार सकते हैं.

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने पुराने खिलाड़ियों पर भरोसा कर रही है. शीला दीक्षित, जेपी अग्रवाल, महाबल मिश्रा और अरविंदर सिंह लवली जैसे खिलाड़ी कांग्रेस की ओर से मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी ने आतिशी, दिलीप पांडे और राघव चड्ढा जैसे युवा चेहरों को टिकट दिया है. शुरुआत में खबर थी कि भाजपा अपने सारे मौजूदा सांसदों को बदलेगी, लेकिन चुनाव आते-आते अधिकतर पुराने ही खिलाड़ियों पर दाव खेल लिया.

कांग्रेस का लक्ष्य होना चाहिए था कि भाजपा को हराना है, लेकिन वह अपनी ताकत बढ़ाने के चक्कर में चुनाव हारने को तैयार हो गई. शीला दीक्षित की लॉबी ने भी लोकसभा चुनावों से अधिक अहमियत विधानसभा चुनावों के दे दी. ऐसे में अगर भाजपा दिल्ली की सातों सीटों से साथ 200 से अधिक सीटें जीत जाती है, तो विपक्ष के लिए दिक्कत वाली बात होगी. आम आदमी पार्टी भी किसी सीट पर उनती स्ट्रॉन्ग नहीं है, क्योंकि लोग लोकसभा चुनाव में अपने कैंडिडेट नहीं, बल्कि पीएम के चेहरे पर वोट देते हैं. ऐसे में पीएम मोदी के चेहरे पर पड़ा हर वोट भाजपा को फायदा पहुंचाएगा. ये देखना दिलचस्प होगा कि नंबर-2 कौन होगा, क्योंकि विधानसभा चुनावों में वह पार्टी उभर कर सामने आ सकती है. नंबर-2 की पार्टी के कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में मनोबल भी बढ़ा रहता है. जो भी नबंर-2 रहेगी, वो विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है.

(राजदीप सरदेसाई का ये आकलन 'दिल्ली तक' यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है.)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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