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शिव सेना की चिकन पॉलिटिक्स !

    • अरिंदम डे
    • Updated: 23 सितम्बर, 2017 04:20 PM
  • 23 सितम्बर, 2017 04:20 PM
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दादर समेत मुंबई की कई जगहों पर अपनी चिकन की दुकान तक खोल दी थी. शिवसेना र्कायकर्ताओं ने तो मुंबई में चार दिन 10, 13, 17 और 18 सितंबर को प्रतिबंध के लिए निकाय संस्था के नोटिस को फाड़ दिया था.

शिव सैनिकों ने गुरुग्राम के कुछ हिस्सों में आस्था का हवाला देते हुए कुछ मीट की दुकानें और होटल बंद करा दिए. वैसे तो प्रधानमंत्री जी देश में धर्म के नाम पर गुंडागर्दी ना करने की अपील कर चुके हैं. लेकिन शिव सैनिकों को कौन रोकेगा? दुकानदारों का कहना है कि करीब 100 शिव सैनिकों ने अगले नौ दिनों तक दुकानें बंद रखने की चेतावनी दी है. हालांकि शिव सेना का कहना है कि दुकानदारों से सिर्फ दुकानें बंद रखने का आग्रह किया गया है. खैर, यह हम सबको पता है कि शिव सैनिकों के 'आग्रह' का मतलब क्या होता है.

उद्धव ठाकरेइस साल उत्तर प्रदेश में जब अवैध बूचडख़ानों पर रोक लगा दी गयी थी. उससे प्रेरित होकर गुरुग्राम में शिव सैनिकों ने मीट और चिकन की दुकानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उनके आग्रह के बाद सदर बाजार में जामा मस्जिद के पास मीट व नॉनवेज बेचने वाली दुकानों और होटलों को शटर डाउन करना पड़ा था. इस अपील को कोई नजरअंदाज ना कर दे इसलिए ही शायद सारे दुकानों के बाहर 28 सितंबर तक उसे बंद रखने का पोस्टर भी चिपका दिया गया है.

आपको शायद याद हो कि पिछले साल सितंबर में शिवसेना से अलग हुई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दादर समेत मुंबई की कई जगहों पर अपनी चिकन की दुकान खोली थी. वहीं शिवसेना र्कायकर्ताओं ने तो मुंबई में चार दिन 10, 13, 17 और 18 सितंबर तक लगाए गए मीट पर प्रतिबंध के लिए निकाले गए निकाय संस्था की नोटिस तक को फाड़ दिया था. यह मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन की उस आदेश के खिलाफ विरोध में था जिसमे जैन धर्म के 'पर्युषण' पर्व के दौरान मीट और चिकन की दुकाने बंद रखने के लिए जारी हुआ था. 2015 में भी ठीक ऐसी ही स्थिति थी.

भारतीय राजनीति में शायद यह पहली बार हुआ है कि चिकन को मुद्दा बनाया गया है. गौर करने वाली बात तो यह है कि दो जगह में दो...

शिव सैनिकों ने गुरुग्राम के कुछ हिस्सों में आस्था का हवाला देते हुए कुछ मीट की दुकानें और होटल बंद करा दिए. वैसे तो प्रधानमंत्री जी देश में धर्म के नाम पर गुंडागर्दी ना करने की अपील कर चुके हैं. लेकिन शिव सैनिकों को कौन रोकेगा? दुकानदारों का कहना है कि करीब 100 शिव सैनिकों ने अगले नौ दिनों तक दुकानें बंद रखने की चेतावनी दी है. हालांकि शिव सेना का कहना है कि दुकानदारों से सिर्फ दुकानें बंद रखने का आग्रह किया गया है. खैर, यह हम सबको पता है कि शिव सैनिकों के 'आग्रह' का मतलब क्या होता है.

उद्धव ठाकरेइस साल उत्तर प्रदेश में जब अवैध बूचडख़ानों पर रोक लगा दी गयी थी. उससे प्रेरित होकर गुरुग्राम में शिव सैनिकों ने मीट और चिकन की दुकानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उनके आग्रह के बाद सदर बाजार में जामा मस्जिद के पास मीट व नॉनवेज बेचने वाली दुकानों और होटलों को शटर डाउन करना पड़ा था. इस अपील को कोई नजरअंदाज ना कर दे इसलिए ही शायद सारे दुकानों के बाहर 28 सितंबर तक उसे बंद रखने का पोस्टर भी चिपका दिया गया है.

आपको शायद याद हो कि पिछले साल सितंबर में शिवसेना से अलग हुई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दादर समेत मुंबई की कई जगहों पर अपनी चिकन की दुकान खोली थी. वहीं शिवसेना र्कायकर्ताओं ने तो मुंबई में चार दिन 10, 13, 17 और 18 सितंबर तक लगाए गए मीट पर प्रतिबंध के लिए निकाले गए निकाय संस्था की नोटिस तक को फाड़ दिया था. यह मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन की उस आदेश के खिलाफ विरोध में था जिसमे जैन धर्म के 'पर्युषण' पर्व के दौरान मीट और चिकन की दुकाने बंद रखने के लिए जारी हुआ था. 2015 में भी ठीक ऐसी ही स्थिति थी.

भारतीय राजनीति में शायद यह पहली बार हुआ है कि चिकन को मुद्दा बनाया गया है. गौर करने वाली बात तो यह है कि दो जगह में दो अलग-अलग समय पर एक ही पार्टी का स्टैंड कैसे बदल गया. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. लेकिन इस तरह की राजनीति से देश में गलत संदेश जाता है. यह घातक हो या न हो केंद्र और राज्य सरकारों को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए. वैसे भी लोगों को क्या खाना है और क्या पहनना है यह तय करना सरकार का काम नहीं है. ऐसी हरकतों से वे अपनी पार्टी समेत एक बेहद लोकप्रिय और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की भी देशभर में छवि ख़राब कर रहे है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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