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महाराष्ट्र में Shiv Sena NCP Congress govt के लिए सबक है BJP-PDP सरकार का हश्र

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 11 नवम्बर, 2019 02:53 PM
  • 11 नवम्बर, 2019 02:41 PM
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जम्मू-कश्मीर की सत्ता में आने के लिए भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन (BJP-PDP Alliance) किया था, लेकिन वो बेमेल दोस्ती 40 महीने ही चल सकी. अब शिवसेना (Shiv Sena) भी महाराष्ट्र (Maharashtra government formation) में उसी राह पर चल पड़ी है.

भाजपा की ओर से साफ किया जा चुका है कि अब वह महाराष्ट्र (Maharashtra Assembly Election) में सरकार नहीं बनाएंगे. इसकी जानकारी पार्टी ने राज्यपाल को दे दी है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री (Maharashtra CM Candidate) पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में कोई सहमति नहीं बन सकी है. अब सरकार बनाने (Maharashtra government formation) का सिर्फ एक रास्ता बचा है कि शिवसेना (Shiv Sena) अपनी विरोधी पार्टियों कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन (Congress-NCP Alliance) के साथ मिलकर सरकार बना ले. इसकी कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. शिवसेना की ओर से एनसीपी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) से तो मुलाकातों का दौर पहले से ही जारी था, अब कांग्रेस के भी अधिकतर विधायकों ने शिवेसना को समर्थन देते हुए उसके साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार (Maharashtra government formation) बनाए जाने की मंशा जताई है. यहां सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर ये सरकार कैसे चलेगी? कितने दिन चलेगी? शिवसेना पिछले 30 सालों से भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाती रही है, लेकिन हर कार्यकाल में शिवसेना ही भाजपा के खिलाफ भी बोलती दिखी, जबकि दोनों की विचारधारा एक ही है. यहां तो दो विचारधाराओं वाली पार्टियों का गठबंधन होने की बात हो रही है, तो सरकार कैसे चलेगी? क्या शिवसेना भूल गई कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में भाजपा-पीडीपी गठबंधन (BJP-PDP Alliance) का क्या हाल हुआ था?

अब महाराष्ट्र में शिवसेना के सामने सिर्फ कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर ही सरकार बनाने का विकल्प बचा है.

पीडीपी-भाजपा गठबंधन जैसा हो सकता है हाल

जम्मू-कश्मीर की सत्ता में आने के लिए भाजपा ने भी विरोधी विचारधारा की पार्टी पीडीपी के साथ गठबंधन (BJP-PDP Alliance) किया था. दोनों ने मिलकर सरकार (Maharashtra government formation) भी...

भाजपा की ओर से साफ किया जा चुका है कि अब वह महाराष्ट्र (Maharashtra Assembly Election) में सरकार नहीं बनाएंगे. इसकी जानकारी पार्टी ने राज्यपाल को दे दी है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री (Maharashtra CM Candidate) पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में कोई सहमति नहीं बन सकी है. अब सरकार बनाने (Maharashtra government formation) का सिर्फ एक रास्ता बचा है कि शिवसेना (Shiv Sena) अपनी विरोधी पार्टियों कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन (Congress-NCP Alliance) के साथ मिलकर सरकार बना ले. इसकी कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. शिवसेना की ओर से एनसीपी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) से तो मुलाकातों का दौर पहले से ही जारी था, अब कांग्रेस के भी अधिकतर विधायकों ने शिवेसना को समर्थन देते हुए उसके साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार (Maharashtra government formation) बनाए जाने की मंशा जताई है. यहां सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर ये सरकार कैसे चलेगी? कितने दिन चलेगी? शिवसेना पिछले 30 सालों से भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाती रही है, लेकिन हर कार्यकाल में शिवसेना ही भाजपा के खिलाफ भी बोलती दिखी, जबकि दोनों की विचारधारा एक ही है. यहां तो दो विचारधाराओं वाली पार्टियों का गठबंधन होने की बात हो रही है, तो सरकार कैसे चलेगी? क्या शिवसेना भूल गई कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में भाजपा-पीडीपी गठबंधन (BJP-PDP Alliance) का क्या हाल हुआ था?

अब महाराष्ट्र में शिवसेना के सामने सिर्फ कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर ही सरकार बनाने का विकल्प बचा है.

पीडीपी-भाजपा गठबंधन जैसा हो सकता है हाल

जम्मू-कश्मीर की सत्ता में आने के लिए भाजपा ने भी विरोधी विचारधारा की पार्टी पीडीपी के साथ गठबंधन (BJP-PDP Alliance) किया था. दोनों ने मिलकर सरकार (Maharashtra government formation) भी चलानी चाही, लेकिन वही विचारधारा की लड़ाई आड़े आते रही. आखिरकार हुआ ये कि दोनों ही पार्टियों को एक दूसरे से अलग होना पड़ा और सरकार गिर गई. अब महाराष्ट्र में भी दो विपरीत विचारधाराओं की पार्टियों के बीच गठबंधन होने वाला है और सरकार बनने वाली है. ये बात तय ही समझिए कि जो रिश्ता जुड़ने वाला है, इसकी उम्र 5 साल तो नहीं ही होगी. आखिर जब शिवसेना समान विचारधारा वाली भाजपा के साथ पूरे समय उलझती रही, तो फिर अब तो उसे अपने विरोधियों के साथ आना है. वो कहते हैं ना, आदतें बदलती हैं एटिट्यूड नहीं और शिवसेना का एटिट्यूड कैसा है, ये भाजपा अच्छे से समझ चुकी है, तभी उसकी मांगों पर हामी नहीं भर रही है.

संजय राउत ने भी यही इशारा किया है !

शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने भी इसी बात की ओर इशारा किया है. उन्होंने कहा है कि अगर जम्मू-कश्मीर में भाजपा पीडीपी के साथ गठबंधन कर सकती है तो फिर वैसा ही शिवसेना महाराष्ट्र (Maharashtra government formation) में क्यों नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि भाजपा ने 50-50 फॉर्मूले के वादे को तोड़कर जनादेश का अपमान किया है. राउत ने पीडीपी का उदाहरण तो गिना दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि पीडीपी-भाजपा के गठबंधन के साथ क्या हुआ था. ये देखना दिलचस्प रहेगा कि अब जब महाराष्ट्र में कश्मीर जैसी सरकार बनने वाली है, तो इसका अंत कैसा होगा, कश्मीर जैसा या किसी और तरह का?

क्या हुआ था कश्मीर में, ये भी जान लीजिए

2015 में जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुआ तो भाजपा ने सत्ता में आने के चक्कर में पड़कर पीडीपी के साथ गठबंधन कर लिया. 1 मार्च 2015 को मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू-कश्मीर के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. 7 जनवरी 2016 को उनका निधन हो गया, जिसके बाद राज्य में संवैधानिक संकट पैदा हो गया. सरकार बनाने के लेकर खींचतान शुरू हो गई और आखिरकार महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति बनी. इस तरह महबूबा मुफ्ती 4 अप्रैल 2016 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. ये दोस्ती बेमेल थी, सभी जानते थे, भाजपा भी और एक दिन सबने इसे खुलकर स्वीकार भी कर लिया. जून 2018 में भाजपा ने पीडीपी को दिया अपना समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई. इस बेमेल दोस्ती को 40 महीने का वक्त तो मिला, लेकिन पूरे समय दोनों में खटपट होती रही.

शिवसेना और भाजपा का 30 साल पुराना गठबंधन टूटा

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना का रिश्ता 30 साल पुराना है. 30 सालों से दोनों गठबंधन के जरिए एनडीए का हिस्सा हैं. पिछली बार 2014 में भी दोनों ने ब्रेकअप किया था और अलग-अलग चुनाव लड़ा, लेकिन सीटों की कमी होने के चलते सत्ता में काबिज रहने के लिए फिर से पैचअप कर लिया था. इस बार दोनों ने चुनाव तो साथ लड़ा, लेकिन मुख्यमंत्री पद (Maharashtra CM Candidate) पर दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाने की वजह से फिर से ब्रेकअप हो गया है. वैसे भी, भाजपा को पिछले कार्यकाल में शिवसेना के साथ होने का बहुत बड़ा फायदा नहीं मिला था, क्योंकि पूरे समय शिवसेना भाजपा को लेकर हमलावर ही रही. इस बार चुनाव में भी भाजपा के साथ गठबंधन की वजह से ही भाजपा की सीटें कम हुईं. देखा जाए तो जनता भी इन दोनों को एक साथ नहीं देखना चाह रही है, लेकिन किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, तो ऐसी स्थिति में सरकार आखिर कैसे बनेगी? सबसे अच्छा विकल्प तो भाजपा-शिवसेना का गठबंधन ही था, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चक्कर में महाराष्ट्र में अब तक किसी की भी सरकार नहीं बन सकी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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