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प्याज ने सिर्फ भारत ही नहीं, बांग्लादेश की पीएम की भी आंखें नम कर दी हैं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 05 अक्टूबर, 2019 12:23 PM
  • 05 अक्टूबर, 2019 12:23 PM
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ऐसा नहीं है कि कीमतें बढ़ने के बाद प्याज सिर्फ भारतीयों को रुला रहा है. भारत द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद प्याज ने बांग्लादेश, श्रीलंका और मलेशिया के लोगों तक की आंखों में आंसू लाने शुरू कर दिए हैं.

प्याज की बढ़ी हुई कीमतों के कारण सरकार की नींद उड़ी है. प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों ने न सिर्फ विपक्ष को सरकार के खिलाफ लामबंध किया है बल्कि अब गुस्सा आम जनता में भी दिखने लगा है. बाजार से प्याज गायब हैऔर क्योंकि इस मुद्दे पर बार बार सरकार को घेरा जा रहा है. सरकार ने इस समस्या से खुद को बचाने के लिए प्लान तैयार कर लिया है. एक तरह जहां सरकार ने प्याज के लिए स्टॉक सीमा तय की है तो वहीं दूसरी तरह इसके एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी गई है. अपनी इस योजना पर केंद्र सरकार का तर्क कुछ यूं है कि इससे न सिर्फ लोगों को बाजार में प्याज आसानी से उपलब्ध होगी बल्कि इसके लिए उन्हें कम दाम भी चुकाने होंगे. प्याज की समाधान के इस प्लान से भारत को फायदा हुआ हो या न हुआ हो मगर भारत द्वारा प्याज का एक्सपोर्ट बंद करने से पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश अलबत्ता परेशान है.

बांग्लादेश के घरों में बन रही बिरयानी और कोरमे में अब प्याज नहीं पड़ पा रहा है. देश के लोग कितना परेशान हैं इसका अंदाजा हम बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की उन बातों से लगा सकते हैं जिनमें उन्होंने बताया है कि अब उन्होंने अपने घर में प्याज के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है. साथ ही उन्होंने भारत से ये भी कहा है कि यदि भारत की सरकार ऐसा कोई फैसला लेने वाली थी तो इस बारे में उसे बांग्लादेश के साथ राय मशवरा कर लेना चाहिए था ताकि बांग्लादेश प्याज खरीदकर अपना स्टॉक पहले ही भर लेता और बांग्लादेशी घरों में कम से कम प्याज की समस्या तो हरगिज न होती.

भारत में प्याज के दाम बढ़ने का सीधा असर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी दिखने को मिल रहा है

प्याज के निर्यात पर रोक के बाद पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश परेशान है. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना इन दिनों भारत दौरे पर हैं. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये...

प्याज की बढ़ी हुई कीमतों के कारण सरकार की नींद उड़ी है. प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों ने न सिर्फ विपक्ष को सरकार के खिलाफ लामबंध किया है बल्कि अब गुस्सा आम जनता में भी दिखने लगा है. बाजार से प्याज गायब हैऔर क्योंकि इस मुद्दे पर बार बार सरकार को घेरा जा रहा है. सरकार ने इस समस्या से खुद को बचाने के लिए प्लान तैयार कर लिया है. एक तरह जहां सरकार ने प्याज के लिए स्टॉक सीमा तय की है तो वहीं दूसरी तरह इसके एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी गई है. अपनी इस योजना पर केंद्र सरकार का तर्क कुछ यूं है कि इससे न सिर्फ लोगों को बाजार में प्याज आसानी से उपलब्ध होगी बल्कि इसके लिए उन्हें कम दाम भी चुकाने होंगे. प्याज की समाधान के इस प्लान से भारत को फायदा हुआ हो या न हुआ हो मगर भारत द्वारा प्याज का एक्सपोर्ट बंद करने से पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश अलबत्ता परेशान है.

बांग्लादेश के घरों में बन रही बिरयानी और कोरमे में अब प्याज नहीं पड़ पा रहा है. देश के लोग कितना परेशान हैं इसका अंदाजा हम बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की उन बातों से लगा सकते हैं जिनमें उन्होंने बताया है कि अब उन्होंने अपने घर में प्याज के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है. साथ ही उन्होंने भारत से ये भी कहा है कि यदि भारत की सरकार ऐसा कोई फैसला लेने वाली थी तो इस बारे में उसे बांग्लादेश के साथ राय मशवरा कर लेना चाहिए था ताकि बांग्लादेश प्याज खरीदकर अपना स्टॉक पहले ही भर लेता और बांग्लादेशी घरों में कम से कम प्याज की समस्या तो हरगिज न होती.

भारत में प्याज के दाम बढ़ने का सीधा असर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी दिखने को मिल रहा है

प्याज के निर्यात पर रोक के बाद पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश परेशान है. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना इन दिनों भारत दौरे पर हैं. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये कहकर लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया कि, 'हमारे लिए प्याज मिलना मुश्किल हो गया है।. मुझे नहीं पता कि आपके इसकी सप्लाई क्यों बंद की. मुझे अपने बावरची को कहना पड़ा कि वो बिना प्याज के खाना बनाए.'

शेख हसीना ने हलके फुल्के अंदाज में ये भी कहा कि, 'पता नहीं केंद्र सरकार ने निर्यात रोके जाने के बारे में मुझे कोई सूचना क्यों नहीं दी. अगर इस बारे में थोड़ी जानकारी मिली होती तो अच्छा होता. अगली बार जब आप ऐसा कुछ करने की सोचें, तो पहले से सूचना दे देना अच्छा रहेगा.

गौरतलब है कि देश में प्याज की कीमतों में बढोत्तरी के बाद आलोचना का शिकार हुई केंद्र सरकार ने फ़ौरन ही इस मामले को गंभीरता से लिया और 29 सितंबर से ही प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी. ज्ञात हो कि भारत प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक देश है और यहां से 60 से अधिक देशों में प्याज का निर्यात किया जाता है. केंद्र सरकार द्वारा एकदम से लिए गए इस फैसले का सीधा असर उन मुल्कों पर देखने को मिल रहा है जिन्हें भारत प्याज निर्यात करता था.

ध्यान रहे कि वर्तमान में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्याज की कीमत प्रति 100किलो 10 हजार रुपये से ज्यादा पहुंच चुकी है. प्याज के चलते बांग्लादेश के हालात कितने बदतर हैं इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अब बांग्लादेश  म्यांमार, तुर्की और चीन से आयात बढ़ाने पर जोर दे रहा है. बाकी इसका असर आम जनता पर न पड़े इसके लिए बांग्लादेश ने सब्सिडी देकर प्याज बेचना शुरू कर दिया है. बांग्लादेश की ही तरह मलेशिया भी अपनी थाली से भारतीय प्याज के गायब होने के कारण परेशान हैं. मलयेशिया, भारत से प्याज खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है और वहां भी प्याज की अचानक बढ़ी हुई कीमतों ने आम लोगों को रुलाना शुरू कर दिया है.

बता दें कि भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, 2018/19 के वित्तीय वर्ष में भारत ने 2.2 मिलियन टन ताजा प्याज का निर्यात किया.व्यापर जगत से जुड़े लोगों का अनुमान है कि यह एशियाई देशों के सभी आयातों के आधे से अधिक है. प्याज भारत में महंगी हुई है इसका सीधा असर श्रीलंका और नेपाल  में भी देखने को मिला है जहां प्याज के दाम आसमन छू रहे हैं.

सरकारी सूत्रों के हवाले से ये भी माना जा रहा है कि प्याज के इस निर्यात पर रोक नवम्बर के बाद ही हटेगी. क्योंकि बात भारत और प्याज के सन्दर्भ में चल रही है तो बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब प्याज ने भारत की सियासत को प्रभावित किया है. इससे पहले प्याज भारत में सरकार तक गिरवा चुकी है.बात बाजार की चल रही है तो कहा ये जा रहा है कि भारत के निर्यात रोकने का बड़ा फायदा तुर्की और ईरान और चीन जैसे देशों को मिलेगा जिनकी प्याज के बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है.

बहरहाल भविष्य में प्याज की कीमतें घटती है या फिर बढ़ती है इसका फैसला वक़्त करेगा. मगर जिस अंदाज में बांग्लादेश की पीएम ने प्याज के मुद्दे पर अपने मन की बात रखी है तो साफ़ हो गया है कि प्याज का मुद्दा बड़ी दूर तक गया है और उसने दूर के उन देशों की सियासत को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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