• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
इकोनॉमी

ये बातें इशारा कर रही हैं कि इस त्योहार के सीजन में रुलाएगा प्याज !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 23 सितम्बर, 2019 08:30 PM
  • 23 सितम्बर, 2019 08:30 PM
offline
प्याज की कीमतें फिलहाल 70-80 किलो तक जा पहुंची हैं और आने वाले कम से कम एक-डेढ़ महीने तक इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है, जबकि सप्ताह भर पहले यही प्याज 50-60 रुपए प्रति किलो के भाव बिक रहा था.

प्याज, जो न सिर्फ काटने वाले को रुलाता है, बल्कि खरीदने वाले की भी आंखें भर देता है. कभी-कभी तो प्याज की वजह से लोग खून के आंसू रोते हैं. कुछ वैसा ही इस त्योहारी सीजन में भी होता दिख रहा है. प्याज की कीमतें फिलहाल 70-80 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची हैं और आने वाले कम से कम एक-डेढ़ महीने तक इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है, जबकि सप्ताह भर पहले यही प्याज 50-60 रुपए प्रति किलो के भाव बिक रहा था. वैसे ये पहली बार नहीं है जब प्याज लोगों को इस कदर रुला रहा है, बल्कि इससे पहले भी कई बार प्याज ने अपना रंग दिखाया है. लेकिन ध्यान देने की बात ये है कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद प्याज को खूब अहमियत दी. वो कहते हैं ना, इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है. ये प्याज ही है, जिसने अटल बिहारी जैसे दिग्गज की भी कुर्सी हिला दी थी. पीएम मोदी की कुर्सी सही सलामत रहे, इसलिए मोदी सरकार ने सत्ता में आने के महज साल भर में ही प्याज पर पकड़ बना ली. लेकिन अब 4 सालों बाद दोबारा से प्याज अपना विकराल रूप दिखा रहा है.

प्याज की कीमतें फिलहाल 70-80 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची हैं.

4 साल बाद महंगी हुई प्याज

देश के सबसे बड़े प्याज के बाजार लासलगांव (महाराष्ट्र) में इस समय प्याज पिछले 4 साल में सबसे महंगी हो गई है. मौजूदा समय में होलसेल में प्याज की कीमत 4500 रुपए प्रति क्विंटल है. यहां ध्यान देने वाली बात है कि पिछली बार 16 सितंबर 2015 को प्याज 4300 रुपए प्रति क्विंटल हुई थी और 22 अगस्त 2015 को प्याज ने 5700 रुपए प्रति क्विंकल का ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया था. आपको बता दें कि होलसेल मार्केट में जब कीमतें इस लेवल पर पहुंच गई थीं, तो रिटेल बाजार में प्याज की कीमतें 80 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची थीं. एक बार फिर से रिटेल बाजार में प्याज की कीमतें...

प्याज, जो न सिर्फ काटने वाले को रुलाता है, बल्कि खरीदने वाले की भी आंखें भर देता है. कभी-कभी तो प्याज की वजह से लोग खून के आंसू रोते हैं. कुछ वैसा ही इस त्योहारी सीजन में भी होता दिख रहा है. प्याज की कीमतें फिलहाल 70-80 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची हैं और आने वाले कम से कम एक-डेढ़ महीने तक इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है, जबकि सप्ताह भर पहले यही प्याज 50-60 रुपए प्रति किलो के भाव बिक रहा था. वैसे ये पहली बार नहीं है जब प्याज लोगों को इस कदर रुला रहा है, बल्कि इससे पहले भी कई बार प्याज ने अपना रंग दिखाया है. लेकिन ध्यान देने की बात ये है कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद प्याज को खूब अहमियत दी. वो कहते हैं ना, इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है. ये प्याज ही है, जिसने अटल बिहारी जैसे दिग्गज की भी कुर्सी हिला दी थी. पीएम मोदी की कुर्सी सही सलामत रहे, इसलिए मोदी सरकार ने सत्ता में आने के महज साल भर में ही प्याज पर पकड़ बना ली. लेकिन अब 4 सालों बाद दोबारा से प्याज अपना विकराल रूप दिखा रहा है.

प्याज की कीमतें फिलहाल 70-80 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची हैं.

4 साल बाद महंगी हुई प्याज

देश के सबसे बड़े प्याज के बाजार लासलगांव (महाराष्ट्र) में इस समय प्याज पिछले 4 साल में सबसे महंगी हो गई है. मौजूदा समय में होलसेल में प्याज की कीमत 4500 रुपए प्रति क्विंटल है. यहां ध्यान देने वाली बात है कि पिछली बार 16 सितंबर 2015 को प्याज 4300 रुपए प्रति क्विंटल हुई थी और 22 अगस्त 2015 को प्याज ने 5700 रुपए प्रति क्विंकल का ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया था. आपको बता दें कि होलसेल मार्केट में जब कीमतें इस लेवल पर पहुंच गई थीं, तो रिटेल बाजार में प्याज की कीमतें 80 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची थीं. एक बार फिर से रिटेल बाजार में प्याज की कीमतें 70-80 रुपए प्रति किलो हो गई हैं.

नवंबर तक मिलेगी राहत !

मोदी सरकार ने पिछले कई सालों तक प्याज की कीमतों के बढ़ने नहीं दिया. बल्कि देखा जाए तो मोदी सरकार ने खाने की हर सभी चीजों को अधिक महंगा नहीं होने दिया और महंगाई पर लगाम कसे रखी. लेकिन अब यूं लग रहा है कि महंगाई का घोड़ा लगाम तोड़ने को बेचैन है. पिछले चंद दिनों में प्याज की कीमतें बहुत ही तेजी से बढ़ी हैं. इसकी वजह भी बेहद अहम है, बारिश. मौसम विभाग के अनुसार प्याज उत्पादन वाले अहम राज्यों खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश की वजह से प्याज की सप्लाई पर असर पड़ा है, जिसकी वजह से कीमतें बढ़ गई हैं. अगर अगले 2-3 दिनों में प्याज की कीमतों में गिरावट नहीं आती है तो सरकार को कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा. मुमकिन है कि सरकार प्याज का स्टॉक रखने वालों पर स्टॉक की कुछ सीमा निर्धारित कर दे, ताकि कालाबाजारी पर रोक लग सके. आपको बता दें कि अभी तो स्टॉक किया हुआ प्याज बाजारों में बिक रहा है. ऐसे में प्याज की कीमतें सामान्य होने में नवंबर तक का समय लग सकता है.

केंद्र कैसे कस रहा है प्याज की कीमतों पर शिकंजा?

दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में प्याज की कीमतों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार सस्ते प्याज मुहैया करा रही है. इसके लिए नाफेड और NCCF जैसी एजेंसियों के जरिए 22 रुपए प्रति किलो और मदर डेयरी के जरिए 23.90 रुपए प्रति किलो के भाव पर प्याज बेची जा रही है. आपको बता दें कि केंद्र के पास करीब 56 हजार टन का स्टॉक है, जिसमें से 16 हजार टन बिक चुका है. सिर्फ दिल्ली में ही रोजाना करीब 200 टन प्याज सरकारी स्टॉक से खत्म हो जाता है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कीमतों को बढ़ने से सरकार कैसे रोकती है.

राजनीति और प्याज का रिश्ता

प्याज की कीमतें बढ़ने से ना सिर्फ गृहणी के किचन का बजट गड़बड़ हो जाता है, बल्कि सियासी गलियारे में भी हलचल पैदा हो जाती है. वैसे भी, प्याज के दाम ने कई बार सियासी तूफान खड़े किए हैं. जब-जब इसके भाव बढ़े हैं, तब-तब किसी न किसी की कुर्सी तो हिली ही है. कई बार तो सरकारें तक गिर गईं. आपातकाल के बुरे दौर के बाद देश में जनता पार्टी की सरकार बनी तो इंदिरा गांधी ने उस समय प्याज की कीमतों को मुद्दा बनाया. अगला चुनाव इंदिरा गांधी ने प्याज के दम पर ही जीत लिया. 1998 में जब प्याज की कीमतें बढ़ीं तो कांग्रेस की शीला दीक्षित ने इसे अहम मुद्दा बनाकर उठाया. नतीजा ये हुआ कि दिल्ली के चुनाव में सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाली भाजपा हार गई और कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित ने मैदान मार लिया. 15 साल बात इतिहास फिर दोहराया और प्याज की बढ़ी कीमतों ने शीला दीक्षित को कुर्सी से गिरा दिया. एक बार फिर प्याज विकराल रूप दिखाने को बेकाबू है. देखते हैं इस बार किस-किस की कुर्सी हिलती है.

ये भी पढ़ें-

ममता बनर्जी के लिए नीतीश कुमार की तरह आखिरी विकल्प NDA ही है!

मोदी अमेरिका की बिज़नेस ट्रिप पर हैं, जबकि इमरान खान लोन/अनुदान लेने की

देवेंद्र फडणवीस तो चुनाव तारीखों से पहले ही नतीजे आने जैसे खुश हो गये!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    Union Budget 2024: बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय
  • offline
    Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!
  • offline
    कॉफी से अच्छी तो चाय निकली, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग दोनों से एडजस्ट कर लिया!
  • offline
    राहुल का 51 मिनट का भाषण, 51 घंटे से पहले ही अडानी ने लगाई छलांग; 1 दिन में मस्क से दोगुना कमाया
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲