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पाकिस्तान को 20 बिलियन डॉलर की मदद करने वाला अरब भारत का कितना अपना ?

    • आईचौक
    • Updated: 20 फरवरी, 2019 07:40 PM
  • 20 फरवरी, 2019 07:40 PM
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सऊदी अरब पाकिस्तान को आर्थिक रूप से मदद कर रहा है. भले ही ये मदद निवेश के रूप में हो रही हो, लेकिन इसे केवल बेलआउट पैकेज के रूप में ही देखा जा रहा है. वहीं भारत में सऊदी को आर्थिक निवेश की उम्मीदें नजर आती हैं.

पाकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का काफिला रियाद गया और वहां से भारत पहुंचा. पीएम मोदी के साथ मोहम्मद बिन सलमान ने द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान सऊदी अरब और भारत के बीच 5 अहम समझौते हुए. इनमें नेशनल इन्वेस्टर फंड में निवेश, टूरिज्म, हाउसिंग कॉर्पोरेशन, ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में समझौता हुआ. इसके बाद पीएम मोदी और प्रिंस सलमान ने सयुंक्त रूप से प्रेस को संबोधित करते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा की.

पाकिस्तान के लिए कितना अहम है सऊदी अरब

पाकिस्तान के लिए ये समय बेहद बुरे आर्थिक संकट का है. पाकिस्तान का फॉरेन रिज़र्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो रहा है. चालू खाता बदहाल है और वित्तीय भविष्य संकट में है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश की सेंट्रल बैंक का फॉरेन रिज़र्व घट कर सिर्फ 8.2 अरब डॉलर ही रह गया है और पाकिस्तान को कामकाज जारी रखने के लिए पैसों की ज़रूरत है. इमरान खान अलग अलग देशों में जाकर मदद मांग रहे हैं.

ऐसे में सऊदी प्रिंस का पाकिस्तान जाना भगवान के घर आने जैसा था. साऊदी क्राउन प्रिंस जब पाकिस्तान पहुंचे तो उनका स्वागत खुद प्रधानमंत्री इमरान खान ने किया. इमरान अपनी कार में प्रिंस को बैठाकर कार खुद ड्राइव करके प्रधानमंत्री निवास तक लेकर गए. जबरदस्त तरीके से मेहमान नवाज़ी की गई और प्रिंस दो दिन उन्हीं के घर पर रुके भी. इन दोनों देशों के संबंध तो पहले से अच्छे ही थे, और जो कसर थी भी वो इमरान खान ने हाथ जोड़कर पूरी कर दी.

क्राउन प्रिंस की मेहमाननवाजी में इमरान ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी

इसके बाद प्रिंस सलमान ने पाकिस्तान के साथ 20 अरब डॉलर के समझौतों का ऐलान किया. इनमें ग्वादर के नज़दीक एक तेल...

पाकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का काफिला रियाद गया और वहां से भारत पहुंचा. पीएम मोदी के साथ मोहम्मद बिन सलमान ने द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान सऊदी अरब और भारत के बीच 5 अहम समझौते हुए. इनमें नेशनल इन्वेस्टर फंड में निवेश, टूरिज्म, हाउसिंग कॉर्पोरेशन, ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में समझौता हुआ. इसके बाद पीएम मोदी और प्रिंस सलमान ने सयुंक्त रूप से प्रेस को संबोधित करते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा की.

पाकिस्तान के लिए कितना अहम है सऊदी अरब

पाकिस्तान के लिए ये समय बेहद बुरे आर्थिक संकट का है. पाकिस्तान का फॉरेन रिज़र्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो रहा है. चालू खाता बदहाल है और वित्तीय भविष्य संकट में है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश की सेंट्रल बैंक का फॉरेन रिज़र्व घट कर सिर्फ 8.2 अरब डॉलर ही रह गया है और पाकिस्तान को कामकाज जारी रखने के लिए पैसों की ज़रूरत है. इमरान खान अलग अलग देशों में जाकर मदद मांग रहे हैं.

ऐसे में सऊदी प्रिंस का पाकिस्तान जाना भगवान के घर आने जैसा था. साऊदी क्राउन प्रिंस जब पाकिस्तान पहुंचे तो उनका स्वागत खुद प्रधानमंत्री इमरान खान ने किया. इमरान अपनी कार में प्रिंस को बैठाकर कार खुद ड्राइव करके प्रधानमंत्री निवास तक लेकर गए. जबरदस्त तरीके से मेहमान नवाज़ी की गई और प्रिंस दो दिन उन्हीं के घर पर रुके भी. इन दोनों देशों के संबंध तो पहले से अच्छे ही थे, और जो कसर थी भी वो इमरान खान ने हाथ जोड़कर पूरी कर दी.

क्राउन प्रिंस की मेहमाननवाजी में इमरान ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी

इसके बाद प्रिंस सलमान ने पाकिस्तान के साथ 20 अरब डॉलर के समझौतों का ऐलान किया. इनमें ग्वादर के नज़दीक एक तेल रिफ़ायनरी में 8 अरब डॉलर का निवेश भी शामिल है. ऐसे में सऊदी अरब पाकिस्तान को आर्थिक रूप से मदद कर रहा है. भले ही ये मदद निवेश के रूप में हो रही हो, लेकिन इसे केवल बेलआउट पैकेज के रूप में ही देखा जा रहा है.

यही नहीं सऊदी अरब कट्टरपंथी ताक़तों का समर्थन करता है. वो मदरसों को या रूढ़िवादी विचारधारा का प्रोत्साहित करता है. पाकिस्तान में मदरसे खोलने के लिए फंडिंग सऊदी अरब करता है.

सऊदी के लिए कितना अहम है पाकिस्तान

सऊदी के साथ पाकिस्तान के रक्षा संबंध अच्छे हैं. मिडिल ईस्ट में ईरान और इज़रायल के साथ सऊदी अरब के संबंध खराब हैं. ऐसे में पाकिस्तान सऊदी को सुरक्षा मुहिया कराता है. मिडिल ईस्ट में अगर टकराव होता है तो पाकिस्तान सऊदी अरब का साथ देगा. जबकि भारत के संबंध ईरान और इज़रायल के साथ अच्छे हैं. सऊदी अरब में सेना बहुत कमज़ोर है. सऊदी अरब में पाकिस्तान के सैनिक तैनात हैं. ये सैनिक उन इलाको में बड़ी तादाद में तैनात हैं जहां शिया समुदाय के लोग ज़्यादा रहते हैं.

सऊदी के लिए कितना अहम है भारत

अगर सऊदी से पाकिस्तान के रक्षा संबंध हैं तो भारत के साथ उसके आर्थिक संबंध. पाकिस्तान भले हो सऊदी अरब का करीबी दोस्त हो लेकिन भारत का द्विपक्षीय व्यापार पाकिस्तान से 15 गुना ज्यादा है. भारत की अर्थव्यवस्था के देखते हुए भारत भी सऊदी के लिए काफी अहमियत रखता है.

सऊदी अरब के लिए भारत तेल का बड़ा बाज़ार है, भारत 20 फ़ीसदी तेल सऊदी अरब से लेता है. लेकिन अब सऊदी सिर्फ तेल के भरोसे नहीं रहना चाहता. 2017 में सऊदी की सत्ता पर नियंत्रण हासिल करने वाले मोहम्मद बिन सलमान अब अरब को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो कई स्तरों पर बेहद रूढ़िवादी रहा है. क्राउन प्रिंस चाहते हैं कि सऊदी की अर्थव्यवस्था की निर्भरता पेट्रोलियम से कम किया जाए. वो चाहते हैं कि सऊदी में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिले. और इस लिहाज से भारत में उन्हें काफी संभावनाएं नजर आती हैं.

अगले दो साल में भारत में 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा निवेश कर सकता है सऊदी अरब

गौरतलब है कि 2017-18 सऊदी अरब के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 27.48 अरब डॉलर का रहा, जबकि पाकिस्तान के साथ 1.87 अरब डॉलर का. भारत आने पर क्राउन प्रिंस का कहना है कि भारत में उन्हें 100 बिलियन डॉलर के निवेश की संभावनाएं नजर आती हैं. 2016 में भी महाराष्ट्र में रिफाइनरी स्थापित करने के लिए सऊदी ने भारत में 44 बिलियन डॉलर का निवेश किया था. ये प्रोजेक्ट अभी शुरू नहीं हुआ है, इसपर रिलायंस से अभी बातचीत चल रही है. प्रिंस का कहना है कि पिछले 50 सालों में भारत के साथ हमारे संबंधों में काफी सुधार हुआ है. हम अपने संबंधों का विस्तार कर रहे हैं.

पुलवामा पर न बोलकर सऊदी ने अपना रुख साफ किया है

हालांकि कश्मीर मामले पर सऊदी हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करते दिखता है. 2016 में प्रधानमंत्री मोदी जब सऊदी अरब गए थे तब सऊदी ने कहा था कि कश्मीर मामले का हल कश्मीरियों को करना चाहिए. आतंकवाद के मुद्दे पर सऊदी ने भारत का साथ देने की बात की है. लेकिन उम्मीद की जा रही थी कि सऊदी प्रिंस पुलवामा में हुए आतंकी हमले के साथ-साथ पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकवाद का भी जिक्र करेंगे लेकिन वो इसपर कुछ नहीं बोले. उन्होंने इस संबंध में कोई बात न करके अपना रूख पूरी तरह से साफ किया है कि सऊदी भारत के साथ आर्थिक संबंध ही रखना चाहता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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