• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

चूहा घोटाला: जुर्म किया बिहार में और सजा मिली महाराष्ट्र में!

    • बिजय कुमार
    • Updated: 25 मार्च, 2018 06:41 PM
  • 25 मार्च, 2018 06:41 PM
offline
चारा घोटाला, जमीन घोटाला या बैंक घोटाला जैसे शब्द तो आप आए दिन सुनते ही रहते हैं, लेकिन इस बार चूहा घोटाला सामने आया है, जिसे लेकर मामला गाफी गरम हो गया है. आप भी जानिए इसके बारे में.

महाराष्ट्र में एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल ये घोटाला मंत्रालय में चूहे को मारने से जुड़ा हुआ है. बता दें कि मंत्रालय में चूहे मारने का काम एक कंपनी को ठेके पर दिया गया था, जिसकी मानें तो महज 7 दिनों के भीतर राज्य सचिवालय में तीन लाख से अधिक चूहों को मारा जा चुका है. इस खबर को सुनकर ऐसा ख्याल आना लाजमी है कि आखिर इसको अंजाम कैसे दिया गया या कहें कि उनको मारने के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया गया, उनको फेंकने के लिए क्या ट्रक मंगाया गया और उन्हें कहां फेंका गया?

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने इसे घोटाला बताकर जांच की मांग की है. उन्होंने विधानसभा में बजट मांगों पर चर्चा के दौरान कहा है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में चूहों को इतने कम समय में कैसे मारा जा सका, जबकि कंपनी को इस कम के लिए छह महीने का समय दिया गया था. खड़से ने आगे कहा कि जब इतने कम समय में इतने चूहों को मारा गया तो इसका मतलब है हर दिन करीब 45 हजार से ज्यादा चूहों को मारा गया होगा और उनको फेंकने के लिए ट्रक का भी इस्तेमाल किया गया होगा साथ ही उन्होंने मजाकिया लहजे में ये भी कहा कि उसमें कुछ तो नवजात भी रहे होंगे, लेकिन यह नहीं पता कि उन्हें कहां फेंका गया.

हाल ही में कुछ इसी तरह की अजीबो गरीब और सोचने पर मजबूर करने वाली खबर बिहार से भी आई थी, जिसमें ऐसा अंदेशा जताया गया था कि कहीं फिर से चूहे शराब ना पी जाएं. बता दें कि होली के दौरान छापेमारी में बरामद हुई शराब की जानकारी थानों ने समय पर नहीं दी थी और ना ही अवैध शराब को नष्ट करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके चलते ऐसी ख़बरें मीडिया में आई थीं.

ऐसा इसलिए हुआ था कि पिछले वर्ष जांच में सामने आया था कि कई थानों से छापेमारी के दौरान बरामद शराब और नष्ट करने के दौरान...

महाराष्ट्र में एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल ये घोटाला मंत्रालय में चूहे को मारने से जुड़ा हुआ है. बता दें कि मंत्रालय में चूहे मारने का काम एक कंपनी को ठेके पर दिया गया था, जिसकी मानें तो महज 7 दिनों के भीतर राज्य सचिवालय में तीन लाख से अधिक चूहों को मारा जा चुका है. इस खबर को सुनकर ऐसा ख्याल आना लाजमी है कि आखिर इसको अंजाम कैसे दिया गया या कहें कि उनको मारने के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया गया, उनको फेंकने के लिए क्या ट्रक मंगाया गया और उन्हें कहां फेंका गया?

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने इसे घोटाला बताकर जांच की मांग की है. उन्होंने विधानसभा में बजट मांगों पर चर्चा के दौरान कहा है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में चूहों को इतने कम समय में कैसे मारा जा सका, जबकि कंपनी को इस कम के लिए छह महीने का समय दिया गया था. खड़से ने आगे कहा कि जब इतने कम समय में इतने चूहों को मारा गया तो इसका मतलब है हर दिन करीब 45 हजार से ज्यादा चूहों को मारा गया होगा और उनको फेंकने के लिए ट्रक का भी इस्तेमाल किया गया होगा साथ ही उन्होंने मजाकिया लहजे में ये भी कहा कि उसमें कुछ तो नवजात भी रहे होंगे, लेकिन यह नहीं पता कि उन्हें कहां फेंका गया.

हाल ही में कुछ इसी तरह की अजीबो गरीब और सोचने पर मजबूर करने वाली खबर बिहार से भी आई थी, जिसमें ऐसा अंदेशा जताया गया था कि कहीं फिर से चूहे शराब ना पी जाएं. बता दें कि होली के दौरान छापेमारी में बरामद हुई शराब की जानकारी थानों ने समय पर नहीं दी थी और ना ही अवैध शराब को नष्ट करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके चलते ऐसी ख़बरें मीडिया में आई थीं.

ऐसा इसलिए हुआ था कि पिछले वर्ष जांच में सामने आया था कि कई थानों से छापेमारी के दौरान बरामद शराब और नष्ट करने के दौरान थानों से भेजी गई शराब की बोतलों की संख्या में कमी देखने को मिली थी. जांच के दौरान थानों ने ये तर्क दिया था कि बोतलों से चूहों ने शराब पी ली है. बता दें कि 5 अप्रैल, 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है.

बिहार में चूहों का जुर्म सिर्फ शराब पीना ही नहीं था, बल्कि ये पिछले साल आई भयावह बाढ़ के लिए भी जिम्मेदार थे. बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन ने राज्य में आई बाढ़ के लिए चूहों को ज़िम्मेदार बताया था. उनका कहना था कि बाढ़ को रोकने के लिए जो तटबंध बनाए गए थे, वहां जो लोग रहते थे, उनके खाने के भंडारों ने चूहों को दावत दी और इन चूहों ने तटबंधों में सुराख बना दिए जिसकी वजह से वो कमज़ोर हो गए और उनमें बाढ़ का पानी दाखिल हो गया.

ये भी पढ़ें-

मायावती का फिर से जीरो पर आउट हो जाना उनके लिए आखिरी अलर्ट है

कैराना उपचुनाव: कौन होगा संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार?

लालू को खतरा है तो मीडिया से पहले तेजस्वी को कोर्ट को बताना चाहिये


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲