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रामविलास पासवान के निधन से बिहार चुनाव को लेकर BJP का स्टैंड बदला है

    • आईचौक
    • Updated: 09 अक्टूबर, 2020 05:50 PM
  • 09 अक्टूबर, 2020 05:50 PM
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रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan death) को लेकर अमित शाह (Amit Shah) के ताजा बयान में एलजेपी के प्रति बीजेपी के स्टैंड को समझने की कोशिश हो रही है - लेकिन सही तस्वीर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी (Narendra Modi) की चुनावी रैली तक इंतजार करना होगा.

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बिहार के लोगों ने अपने दो नेताओं को खो दिया है - अभी अभी रामविलास पासवान और कुछ दिन पहले RJD के रघुवंश प्रसाद सिंह. ये दोनों ही नेता अलग अलग राजनीतिक दलों में रहे, लेकिन इनके चले जाने का दुख निजी तौर पर सभी दलों के नेताओं को हुआ है - और अपने अपने तरीके से सभी ने इसका इजहार भी किया है. रामविलास पासवान का निधन ऐसे वक्त हुआ है जब उनकी पार्टी एलजेपी को लेकर बीजेपी का रूख सवालों के घेरे में है - बिहार बीजेपी के नेताओं की तरफ से काफी कुछ साफ करने की कोशिश हुई है, लेकिन सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाये हैं.

पासवान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा है, "मोदी सरकार उनके बिहार के विकास के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगी." अमित शाह के ताजा बयान में पासवान के प्रति बीजेपी के स्टैंड का इशारा समझने की कोशिश तो हो रही है, लेकिन पूरी तस्वीर तो तभी साफ हो पाएगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की चुनावी रैली उस इलाके में होगी जहां जेडीयू उम्मीदवार को चिराग पासवान के प्रत्याशी से चुनौती मिल रही होगी.

शाह के इशारे को कैसे समझा जाये

बिहार चुनाव 2020 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीब दो दर्जन चुनावी रैलियों के संबोधित करने की संभावना है. 20 अक्टूबर के बाद शुरू होने जा रही ये सभी रैलियां दो हफ्ते के भीतर ही हो सकती हैं.

मान कर चलना होगा कुछ रैलियों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पर होंगे ही - और कुछ रैलियां ऐसी भी होंगी जिनमें स्थानीय प्रत्याशी के साथ साथ आस-पास के उम्मीदवार भी होंगे.

प्रधानमंत्री मोदी की इन रैलियों में ही उन सवालों का जवाब मिल सकेगा जो बिहार चुनाव से जुड़े और उसमें दिलचस्पी रखने वाले ज्यादातर लोगों के मन में है - लोक जनशक्ति पार्टी के एनडीए छोड़ कर विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर बीजेपी का आधिकारिक स्टैंड क्या है?

सीटों के बंटवारे को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी नेता सुशील मोदी की...

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बिहार के लोगों ने अपने दो नेताओं को खो दिया है - अभी अभी रामविलास पासवान और कुछ दिन पहले RJD के रघुवंश प्रसाद सिंह. ये दोनों ही नेता अलग अलग राजनीतिक दलों में रहे, लेकिन इनके चले जाने का दुख निजी तौर पर सभी दलों के नेताओं को हुआ है - और अपने अपने तरीके से सभी ने इसका इजहार भी किया है. रामविलास पासवान का निधन ऐसे वक्त हुआ है जब उनकी पार्टी एलजेपी को लेकर बीजेपी का रूख सवालों के घेरे में है - बिहार बीजेपी के नेताओं की तरफ से काफी कुछ साफ करने की कोशिश हुई है, लेकिन सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाये हैं.

पासवान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा है, "मोदी सरकार उनके बिहार के विकास के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगी." अमित शाह के ताजा बयान में पासवान के प्रति बीजेपी के स्टैंड का इशारा समझने की कोशिश तो हो रही है, लेकिन पूरी तस्वीर तो तभी साफ हो पाएगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की चुनावी रैली उस इलाके में होगी जहां जेडीयू उम्मीदवार को चिराग पासवान के प्रत्याशी से चुनौती मिल रही होगी.

शाह के इशारे को कैसे समझा जाये

बिहार चुनाव 2020 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीब दो दर्जन चुनावी रैलियों के संबोधित करने की संभावना है. 20 अक्टूबर के बाद शुरू होने जा रही ये सभी रैलियां दो हफ्ते के भीतर ही हो सकती हैं.

मान कर चलना होगा कुछ रैलियों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पर होंगे ही - और कुछ रैलियां ऐसी भी होंगी जिनमें स्थानीय प्रत्याशी के साथ साथ आस-पास के उम्मीदवार भी होंगे.

प्रधानमंत्री मोदी की इन रैलियों में ही उन सवालों का जवाब मिल सकेगा जो बिहार चुनाव से जुड़े और उसमें दिलचस्पी रखने वाले ज्यादातर लोगों के मन में है - लोक जनशक्ति पार्टी के एनडीए छोड़ कर विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर बीजेपी का आधिकारिक स्टैंड क्या है?

सीटों के बंटवारे को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी नेता सुशील मोदी की प्रेस कांफ्रेंस में भी ये सवाल पूछे गये, लेकिन वहां मौजूद किसी भी नेता ने साफ साफ कुछ भी नहीं कहा. प्रेस कांफ्रेंस में बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल भी मौजूद थे और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव भी.

पासवान के प्रति बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या रूख है, ये जानने के लिए सबसे ज्यादा इंतजार नीतीश कुमार को ही होगा

अब जाकर रामविलास पासवान को लेकर अमित शाह का एक बयान आया है और उसके जरिये बीजेपी के स्टैंड को समझने की कोशिश हो रही है. इस बीच जो भी बीजेपी छोड़ कर एलजेपी ज्वाइन कर रहा है, चिराग पासवान उसका टिकट पक्का कर दे रहे हैं. राजेंद्र सिंह को दिनारा से उम्मीदवार बनाने के बाद, चिराग पासवान ने उषा विद्यार्थी को पालीगंज और रामेश्वर चौरसिया को सासाराम से प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने शोक संदेश में बिहार को लेकर रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करने की बात कही है - और यही वो खास बात है जिसके सियासी मायने समझने की कोशिश की जा रही है. माना जा रहा है कि इस बयान में नीतीश कुमार के लिए मैसेज हो सकता है. वैसे आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद प्रधानमंत्री उनकी चिट्ठियों का जिक्र किया था जो बिहार को लेकर लिखी गयी थीं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - "बिहार के लोगों की चिंता वह उस चिट्ठी में प्रकट होती है. मैं नीतीश कुमार से जरूर आग्रह करूंगा कि रघुवंश बाबू ने अपनी आखिरी चिट्ठी में जो भावनाएं प्रकट की है उसे परिपूर्ण करने के लिए आप और हम मिलकर पूरा प्रयास करें - क्योंकि उन्होंने पूरी तरह विकास की ही बातें की थी, उसे जरूर करें." रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे सत्यप्रकाश सिंह अब जेडीयू ज्वाइन कर चुके हैं. हालांकि, उनका कहना था कि राजनीति में आने की कोई योजना नहीं थी क्योंकि रघुवंश प्रसाद सिंह का मानना था कि किसी भी परिवार का कोई एक सदस्य ही राजनीति में होना चाहिये - और अब वो अपने पिता के अधूरे बचे काम को पूरा करना चाहते हैं.

रामविलास पासवान को लेकर अमित शाह ने कहा है, 'भारतीय राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया है और उनकी कमी भारतीय राजनीति में सदैव खलेगी... मोदी सरकार उनके बिहार के विकास के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगी.'

ये बिहार के विकास को लेकर रामविलास पासवान के सपने को पूरा करने का मोदी सरकार की तरफ से वादा ही वो खास बात है जो आम दिनों में सामान्य बात हो सकती थी, लेकिन ऐसे में जबकि चिराग पासवान एनडीए छोड़ कर अकेले चुनाव मैदान में उतरे हैं ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. चूंकि चिराग पासवान बीजेपी के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतार रहे हैं और जेडीयू के खिलाफ बीजेपी के ही बागियों को टिकट दे रहे हैं - और पहले से बता चुके हैं कि एलजेपी चुनाव बाद बीजेपी को ही सपोर्ट करेगी, इसलिए संदेह पैदा हो रहा है.

नीतीश कुमार का मोदी-शाह के साथ राजनीतिक गठबंधन जरूर है, लेकिन पुरानी सियासी रंजिश तो अपनी जगह बनी हुयी है ही. अब भले ही नीतीश कुमार 'मोदी जैसा कोई नहीं' कहते फिरें, लेकिन 2010 के चुनाव में मोदी को बिहार में चुनाव प्रचार से मना कर देना, 2013 में एनडीए छोड़ देना और 2014 में आम चुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ देना - ये सब मोदी-शाह भला भूल सकते हैं क्या? और वो 2015 के विधानसभा चुनाव में भारी शिकस्त?

चिराग पासवान के लिए भी स्पेस इन्हीं वजहों से पैदा भी हुआ है. चिराग पासवान ने तो अपनी तरफ से सब कुछ साफ साफ बता दिया है, लेकिन बीजेपी उतना ही बता रही है जितना बहुत जरूरी हो रहा है.

बीजेपी की तरफ से अब तक ये समझाने की कोशिश हो रही थी कि रामविलास पासवान की तबीयत खराब होने की वजह से चिराग पासवान जो कर रहे हैं वो अपने स्तर पर कर रहे हैं, लेकिन ये बात तो रामविलास पासवान ने अस्पताल जाने से पहले ही ट्विटर पर साफ कर दिया था.

अस्पताल जाने से पहले ही रामविलास पासवान ने सार्वजनिक घोषणा कर दी थी कि चिराग पासवान के हर फैसले को उनका समर्थन रहेगा

मोदी के दौरे से तस्वीर साफ होगी

एनडीए में अब वीआईपी यानी विकासशील इंसान पार्टी की भी एंट्री हो चुकी है. चिराग पासवान के हट जाने के बाद एनडीए में अब बीजेपी के साथ जेडीयू, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और VIP हो गये हैं. वीआईपी नेता मुकेश साहनी के एनडीए ज्वाइन करने के मौके पर भी बिहार बीजेपी के नेताओं ने चिराग पासवान को चेतावनी दी कि चारों के अलावा और कोई भी स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं करेगा. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों में सबसे ऊपर प्रधानमंत्री मोदी का नाम है.

बीजेपी नेताओं की तरफ से चिराग पासवान को ये बताने की कोशिश हो रही है कि एनडीए के चार दलों के अलावा किसी और ने स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया तो चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करायी जाएगी. दरअसल, बीजेपी को नीतीश कुमार के दबाव में ऐसा बार बार इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि एलजेपी ने बोल दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी के हैं, जबकि बीजेपी की दलील है कि मोदी नेता तो बीजेपी के ही हैं.

एनडीए की चेतावनी पर आपत्ति जताते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री पर किसी एक पार्टी का हक नहीं है. संजय सिंह कहते हैं, 'हम उनकी तस्वीर और उनके कामों को लेकर जनता के बीच जाएंगे - और आयोग का जो निर्णय आएगा उस पर अमल किया जाएगा.' एलजेपी प्रवक्ता का कहना है कि पार्टी का वैचारिक मतभेद जेडीयू से है और बीजेपी के साथ मजबूत गठबंधन है और चुनाव के बाद भी ये गठबंधन बना रहेगा. कहते हैं - 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के रोल मॉडल हैं. वो विकास के मॉडल हैं - उनके विचारों को हम देश और दुनिया में ले जाएंगे.'

अमित शाह ने तो अपनी तरफ से नीतीश कुमार को संकेत दे दिया है - बीजेपी रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करने को लेकर दृढ़ निश्चय है. मतलब, बीजेपी के मन में बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की हिस्सेदारी को लेकर कोई दो राय नहीं है. ऐसे में रामविलास पासवान की राजनीति विरासत संभालने वाले चिराग पासवान को भी बीजेपी का समर्थन समझ लेना चाहिये. थोड़ा पीछे लौट कर सोचें तो जैसे रामविलास पासवान ने चिराग पासवान के फैसलों को लेकर पहले से ही ट्विटर पर अपनी सहमति की 'पॉवर ऑफ अटॉर्नी' जारी कर दी थी, बीजेपी नेतृत्व की भी सहमति मान लेनी चाहिये. मतलब, चिराग पासवान बिहार चुनाव में जो भी कर रहे हैं, बीजेपी उसके विरोध में तो कतई नजर नहीं आ रही है. मतलब, चिराग पासवान को बीजेपी नेतृत्व की मंजूरी मिली हुई है, भले ही वो तटस्थ भाव में प्रकट हो रहा हो, लेकिन पलड़ा तो पासवान की तरफ ही झुका हुआ लगता है.

बावजूद इन सारी बातों के असली तस्वीर तो तभी सामने आ पाएगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में चुनावी रैली करने पहुंचेंगे - और वो भी उस इलाके में जहां जेडीयू उम्मीदवार को एलजेपी का कोई उम्मीदवार चुनौती दे रहा होगा. ऐसे में ये देखना और सुनना महत्वपूर्ण होगा कि प्रधानमंत्री जेडीयू उम्मीदवार के लिए क्या बोल कर वोट मांगते हैं - और उस भाषण में चिराग पासवान के लिए भी कोई मैसेज होता है क्या?

ये भी तो हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐसे किसी चुनाव क्षेत्र में या उसके आस पास रैली हो ही नहीं जहां जेडीयू प्रत्याशी को एलजेपी के अपने आय बीजेपी से बगावत कर चुनाव लड़ रहा उम्मीदरवार चैलेंज कर रहा हो - अगर ऐसा होता है तो नीतीश कुमार को थोड़े में ही ज्यादा समझने की कोशिश करनी होगी!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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