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राज्यसभा उपसभापति चुनाव: 2019 के 'राजतिलक' का ट्रेलर साबित हो सकता है

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 09 अगस्त, 2018 11:09 AM
  • 09 अगस्त, 2018 11:09 AM
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राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव जारी है और इस चुनाव को जितना जरूरी भाजपा के लिए माना जा रहा है ये उतना ही जरूरी कांग्रेस सके लिए है. ये चुनाव 2019 की रूप रेखा का निर्धारण करेगा.

आज राज्यसभा के उपसभापति के लिए चुनाव हो रहा है और आज ही उच्च सदन को नया उपसभापति भी मिल जाएगा.लेकिन इस चुनाव परिणाम की गूंज अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों तक सुनाई पड़ने की आशंका है. राज्यसभा के नए उपसभापति का चुनाव दोनों प्रमुख राजनीतिक घटक-एनडीए और यूपीए के लिए इज्जत का सवाल बन गया है क्योंकि इन दोनों के पास जीत के लिए जरूरी संख्या नहीं है. और उसी संख्या को अपने पाले में करने के लिए ये दोनों खेमे दूसरे दलों के सहारे हैं. वर्तमान में राज्यसभा में 244 सांसद हैं ऐसे में किसी भी दल को जीतने के लिए 123 वोटों का पाना ज़रूरी है. एक सीट खाली है.

उपसभापति का चुनाव दोनों के लिए अहम है. विपक्ष के लिए अहम इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद होने का एक और मौका मिलेगा और इसे आने वाले चुनावों खासकर 2019 के लोकसभा में एनडीए के खिलाफ आक्रामक रूख अपना सकता है. अगर इसमें इन्हें सफलता नहीं मिलती है तो विपक्षी एकजुटता के प्रयासों में बहुत बड़ा झटका होगा और इसका असर साफ़ तौर पर अगले चुनावों में दिखेगा.

उपसभापति का चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव् है

जहां तक एनडीए का सवाल है तो यह चुनाव इनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि इनके कुछ सहयोगी दल इन्हें छोड़कर चले गए और कुछ के साथ रिश्तों में कड़वाहट जारी है. ऐसे में इसे कुछ ऐसे दलों का साथ मिलने के आसार हैं जो अभी किसी के साथ नहीं हैं. मसलन एआईएडीएमके, बीजेडी और टीआरएस जिनके पास राज्यसभा में 28 सदस्य हैं इनके पक्ष में आ सकते हैं. इसका फायदा एनडीए को न सिर्फ इस उपसभापति के चुनाव में जीत को पक्का करेगा बल्कि आने वाले लोकसभा के चुनावों में इनका सहयोगी बन कर सीटों में इजाफा करेंगे.

अब बात उम्मीदवारों की. बीजेपी ने अपनी सहयोगी जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश को...

आज राज्यसभा के उपसभापति के लिए चुनाव हो रहा है और आज ही उच्च सदन को नया उपसभापति भी मिल जाएगा.लेकिन इस चुनाव परिणाम की गूंज अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों तक सुनाई पड़ने की आशंका है. राज्यसभा के नए उपसभापति का चुनाव दोनों प्रमुख राजनीतिक घटक-एनडीए और यूपीए के लिए इज्जत का सवाल बन गया है क्योंकि इन दोनों के पास जीत के लिए जरूरी संख्या नहीं है. और उसी संख्या को अपने पाले में करने के लिए ये दोनों खेमे दूसरे दलों के सहारे हैं. वर्तमान में राज्यसभा में 244 सांसद हैं ऐसे में किसी भी दल को जीतने के लिए 123 वोटों का पाना ज़रूरी है. एक सीट खाली है.

उपसभापति का चुनाव दोनों के लिए अहम है. विपक्ष के लिए अहम इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद होने का एक और मौका मिलेगा और इसे आने वाले चुनावों खासकर 2019 के लोकसभा में एनडीए के खिलाफ आक्रामक रूख अपना सकता है. अगर इसमें इन्हें सफलता नहीं मिलती है तो विपक्षी एकजुटता के प्रयासों में बहुत बड़ा झटका होगा और इसका असर साफ़ तौर पर अगले चुनावों में दिखेगा.

उपसभापति का चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव् है

जहां तक एनडीए का सवाल है तो यह चुनाव इनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि इनके कुछ सहयोगी दल इन्हें छोड़कर चले गए और कुछ के साथ रिश्तों में कड़वाहट जारी है. ऐसे में इसे कुछ ऐसे दलों का साथ मिलने के आसार हैं जो अभी किसी के साथ नहीं हैं. मसलन एआईएडीएमके, बीजेडी और टीआरएस जिनके पास राज्यसभा में 28 सदस्य हैं इनके पक्ष में आ सकते हैं. इसका फायदा एनडीए को न सिर्फ इस उपसभापति के चुनाव में जीत को पक्का करेगा बल्कि आने वाले लोकसभा के चुनावों में इनका सहयोगी बन कर सीटों में इजाफा करेंगे.

अब बात उम्मीदवारों की. बीजेपी ने अपनी सहयोगी जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश को अपना उम्मीदवार बनाया है. ये सीनियर पत्रकार भी रह चुके हैं. ये जेडीयू से सांसद हैं ऐसे में इनको दूसरे दलों के सदस्यों से वोट मिलना तय माना जा रहा हैं. ऐसा माना जा रहा हैं कि इनको करीब 125 वोट मिल सकते हैं जो कि जीत के आंकड़े से 2 ज़्यादा होंगे.

यूपीए के तरफ से बीके हरिप्रसाद मैदान में हैं जिनकी जीतने की संभावना एनडीए प्रत्याशी हरिवंश से कम दिखती है. बीके हरिप्रसाद कांग्रेस के सीनियर नेता हैं जिनके पक्ष में मात्र 115 वोटों का हासिल करना मालूम पड़ता हैं. इनका जन्म 29 जुलाई 1954 को कर्नाटक में हुआ था. 41 साल में यह पहला मौका होगा जब राज्यसभा में उपसभापति का पद कांग्रेस पार्टी के खाते से जा सकता है. जब साल 1977 में कांग्रेस पार्टी के रामनिवास मिर्धा राज्यसभा में उपसभापति चुने गए थे तब से यह पद कांग्रेस के पास रही है.

फिलहाल सबकी नजरें बीजेडी पर टिकी हैं. दोनों घटकों एनडीए और यूपीए को फिलहाल करीब करीब बराबर सीटें हैं यानि बीजेडी जिसको भी समर्थन देगा उसकी जीत पक्की. या फिर यों कहें कि इस चुनाव का चाबी बीजेडी के पास है. खैर, समय बहुत ही कम है ये जानने के लिए कि कौन इस चुनाव का विजेता होगा. लेकिन इस चुनाव के सहारे ही अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव का दरवाज़ा भी खुलने वाला है. यही चुनाव लोकसभा 2019 का दशा और दिशा दोनों घटक दलों के लिए तय करेगा और सुनिश्चित करेगा कि अगला प्रधानमंत्री दिल्ली के सिहांसन पर किसका होगा?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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