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राजस्थान कांग्रेस संकट के बीच मध्यप्रदेश के कांग्रेसी विधायक भाजपाई बनने पर उतारू

    • रवीश पाल सिंह
    • Updated: 21 जुलाई, 2020 09:48 PM
  • 21 जुलाई, 2020 09:48 PM
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राजस्थान (राजस्थान ) में कांग्रेस (Congress) की परेशानियां अभी थमी नहीं हैं ऐसे में पड़ोसी राज्य राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस के विधायक लगातार पार्टी छोड़कर भाजपा (BJP) में जा रहे हैं. ताजा मामला प्रद्युम्न लोधी और सावित्री देवी का है जिन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है.

राजस्थान (Rajasthan ) के सियासी घमासान के बीच पड़ोसी मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) का संकट बढ़ता जा रहा है. 15 सालों के बाद बड़ी मुश्किल से सत्ता मिली लेकिन डेढ़ साल में सरकार गिर गयी और अब एक के बाद एक विधायक भी कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं. कांग्रेस ने इसके पीछे बीजेपी को ज़िम्मेदार बताया है तो वहीं बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस में दम घुटने के कारण ही उनके विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं. भाजपा (BJP) तो ये दावा तक कर रही है कि अभी और विधायक कतार में हैं. मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से जब कांग्रेस में मची उठापटक से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'अभी सरकार को और मजबूत करेंगे. उपचुनाव जीतने के बाद सरकार साढ़े तीन साल पूरे करेगी. अभी तो तीन और विधायक लाइन में हैं'.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के विधायकों के भाजपा में जाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है

तो क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस को अभी और झटके लगने वाले हैं? क्या मध्यप्रदेश कांग्रेस के और विधायक पार्टी छोड़ने के लिए कतार में लगे हैं? दरअसल, ये सवाल उठ रहा है शिवराज सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के उस बयान के बाद जिसमे वो दावा कर रहे हैं कि अभी कांग्रेस के तीन और विधायक भाजपा में आने के लिए लाइन में लगे हैं. ये बयान देने वाले गोविंद सिंह राजपूत खुद कुछ महीने पहले तक कांग्रेस में थे.

10 मार्च को सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत ने 21 अन्य विधायकों के साथ विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कमलनाथ सरकार गिर गयी थी. कमोबेश यही स्थिति इन दिनों पड़ोसी राज्य राजस्थान की बनी हुई है जहां कांग्रेस के युवा नेता और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस की नाक में दम कर रखा है.

देश भर...

राजस्थान (Rajasthan ) के सियासी घमासान के बीच पड़ोसी मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) का संकट बढ़ता जा रहा है. 15 सालों के बाद बड़ी मुश्किल से सत्ता मिली लेकिन डेढ़ साल में सरकार गिर गयी और अब एक के बाद एक विधायक भी कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं. कांग्रेस ने इसके पीछे बीजेपी को ज़िम्मेदार बताया है तो वहीं बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस में दम घुटने के कारण ही उनके विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं. भाजपा (BJP) तो ये दावा तक कर रही है कि अभी और विधायक कतार में हैं. मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से जब कांग्रेस में मची उठापटक से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'अभी सरकार को और मजबूत करेंगे. उपचुनाव जीतने के बाद सरकार साढ़े तीन साल पूरे करेगी. अभी तो तीन और विधायक लाइन में हैं'.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के विधायकों के भाजपा में जाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है

तो क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस को अभी और झटके लगने वाले हैं? क्या मध्यप्रदेश कांग्रेस के और विधायक पार्टी छोड़ने के लिए कतार में लगे हैं? दरअसल, ये सवाल उठ रहा है शिवराज सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के उस बयान के बाद जिसमे वो दावा कर रहे हैं कि अभी कांग्रेस के तीन और विधायक भाजपा में आने के लिए लाइन में लगे हैं. ये बयान देने वाले गोविंद सिंह राजपूत खुद कुछ महीने पहले तक कांग्रेस में थे.

10 मार्च को सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत ने 21 अन्य विधायकों के साथ विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कमलनाथ सरकार गिर गयी थी. कमोबेश यही स्थिति इन दिनों पड़ोसी राज्य राजस्थान की बनी हुई है जहां कांग्रेस के युवा नेता और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस की नाक में दम कर रखा है.

देश भर की नजरें बीते करीब एक हफ्ते से राजस्थान के सियासी उठापटक पर लगी हुई है लेकिन राजस्थान में उठे सियासी बवंडर के बीच मध्यप्रदेश में कांग्रेस को झटके पर झटका लग रहा है जहां बीते एक हफ्ते में कांग्रेस के दो और विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. पहले 12 जुलाई को बड़ा मलहरा सीट से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न लोधी ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा जॉइन कर ली. तो वहीं 17 जुलाई को नेपानगर सीट से कांग्रेस विधायक सावित्री देवी ने विधायकी से इस्तीफा दिया और फिर भाजपा की सदस्यता ले ली.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के खेमे से निकल कर भाजपा के पाले में गयीं सावित्री देवी

हैरानी की बात ये है कि महज एक हफ्ते पहले तक दोनों विधायक संतुष्ट थे लेकिन राजस्थान में हुई सियासी उठापटक के बीच अचानक से दोनों ने पाला बदल लिया और बहाना बनाया क्षेत्र के विकास का. प्रद्युम्न लोधी और सावित्री देवी दोनों ने भाजपा की सदस्यता लेने के बाद आरोप लगाया कि डेढ़ साल की कमलनाथ सरकार में उनके इलाके में विकास कार्यों को गति नहीं मिल रही थी जिसके बाद उन्हें ये फैसला करना पड़ा.

दरअसल, कांग्रेस से विधायकों का मोहभंग होना मार्च से शुरू हुआ जब एक साथ 22 विधायकों ने सामुहिक इस्तीफा दे दिया. इनमे से ज्यादातर विधायक सिंधिया समर्थक थे. इस घटना ने इतना बड़ा सियासी तूफान खड़ा हुआ कि उसमे कमलनाथ सरकार ही उड़ गई. इसके बाद अभी महज़ सात दिनों के अंतराल पर कांग्रेस के दो विधायकों ने पाला बदल भाजपा जॉइन कर ली.

लगातार अपने विधायकों के भाजपा में जाने से कांग्रेस परेशान भी है और आगबबूला भी. कांग्रेस ने इसके पीछे बीजेपी को ज़िम्मेदार बताया है और उसकी तुलना कोरोना वायरस से करते हुए कहा है कि कांग्रेस के पास भाजपा के इस वायरस का जनता रूपी वैक्सीन से इलाज करने का माद्दा है और उपचुनाव में ये दिख जाएगा.

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने आजतक से बात करते हुए कहा कि 'भाजपा ने कोरोना की तरह ही विधायकों की खरीद फरोख्त का वायरस देश भर में फैला दिया है लेकिन कांग्रेस के पास इस वायरस का वैक्सीन है जो देश और मध्यप्रदेश की जनता है और इसलिए जब कांग्रेस उपचुनाव में उतरेगी तो जनता भाजपा को ऐसा वैक्सीन लगाएगी कि वायरस फैलाना भूल जाएगी'.

हालांकि बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि 'जब आलाकमान ही पार्टी को संभालने में नाकाम है तो फिर विधायक पार्टी में खुद को फिट नहीं बैठा पा रहे इसलिए नाराज़ होकर पार्टी छोड़ रहे हैं. कांग्रेस के लिए दरअसल ये आत्मचिंतन का समय है ऐसे में उन्हें हम पर आरोप लगाने की जगह खुद की पार्टी को संभालना चाहिए'

आपको बता दें कि मार्च से लेकर अबतक कांग्रेस के 24 विधायक इस्तीफ़ा दे चुके हैं और 2 विधायकों का निधन हो चुका है ऐसे में 26 सीटों पर उपचुनाव तो तय है. अब देखना ये है कि कांग्रेस विधायकों के टूटने के इस सिलसिले को रोक आने में कामयाब होती है या नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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