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Raj Thackeray को उद्धव 'बीजेपी का लाउडस्पीकर' न समझें, घाटे में रहेंगे

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 04 मई, 2022 09:35 PM
  • 04 मई, 2022 09:35 PM
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उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को टारगेट करने का जो तरीका राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने अपनाया है, वो बीजेपी (BJP) से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है - और बाला साहेब ठाकरे की याद दिला कर शिवसेना ऐसा दबाव बनाने की कोशिश है कि वो अपनी रणनीति पर फिर से विचार करे.

राज ठाकरे (Raj Thackeray) पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है - हालांकि, मुंबई पुलिस के अफसर कह रहे हैं कि ऐसा कोई एक्शन राजनीतिक फैसले से ही तय होगा. 3 मई की डेडलाइन खत्म होने के बाद राज ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेंस कर उद्धव ठाकरे सरकार को चेतावनी तो दी है, लेकिन तेवर दिखाने की जगह एक राजनीतिक बयान दिया है.

राज ठाकरे ने अपनी डेडलाइन को भी राजनीतिक तौर पर परिभाषित किया है. राज ठाकरे की बातों से ये तो लगता है कि वो टकराव टालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ये संकेत भी मिल रहे हैं कि वो थोड़े संयम के साथ अपनी राजनीति को मजबूती से आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं.

राज ठाकरे की लंबे आंदोलन की तैयारी है: राज ठाकरे ने साफ साफ कहा है कि डेडलाइन का मतलब सिर्फ एक तारीख नहीं है, 4 मई से आगे भी ये आंदोलन चलता रहेगा. वो अपनी बात पर कायम हैं लेकिन ये भी कहते हैं कि इसे लेकर राज्य में दंगे नहीं होने चाहिये.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता ये बार बार दोहराते हैं कि लाउडस्पीकर से अजान बंद होनी चाहिये. ये भी बताते हैं कि लाउडस्पीकर पर अजान जारी रही तो हनुमान चालीसा चलता रहेगा - लेकिन लगे हाथ ये भी याद दिलाना नहीं भूलते कि ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश और हर हाल में अदालत के आदेश का पालन होना ही चाहिये.

जहां तक सुप्रीम कोर्ट की बात है, राज ठाकरे और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (उद्धव ठाकरे) सरकार दोनों का ही जो इस बात पर है कि अदालत के आदेश का पालन होना चाहिये, लेकिन फिर भी टकराव के मौके ढूंढ लिये जाते हैं. जैसे ही राज ठाकरे की तरफ से उद्धव सरकार को चैलेंज किया जाता है, शिवसेना प्रवक्ता मोर्चा संभाल लेते हैं - महाराष्ट्र में कानून का राज चलता है अल्टीमेटम नहीं चलेगा.

राज ठाकरे की तरफ से साफ तौर पर बोल दिया गया है कि ये एक दिन का आंदोलन नहीं है, ये अब चलता रहेगा - और साथ में वो हिंदू समुदाय से अपील भी करते हैं. अपील का कुछ कुछ असर भी देखा जा रहा है.

अगर राज ठाकरे की अपील का असर मनसे कार्यकर्ताओं से आगे भी होता है,...

राज ठाकरे (Raj Thackeray) पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है - हालांकि, मुंबई पुलिस के अफसर कह रहे हैं कि ऐसा कोई एक्शन राजनीतिक फैसले से ही तय होगा. 3 मई की डेडलाइन खत्म होने के बाद राज ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेंस कर उद्धव ठाकरे सरकार को चेतावनी तो दी है, लेकिन तेवर दिखाने की जगह एक राजनीतिक बयान दिया है.

राज ठाकरे ने अपनी डेडलाइन को भी राजनीतिक तौर पर परिभाषित किया है. राज ठाकरे की बातों से ये तो लगता है कि वो टकराव टालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ये संकेत भी मिल रहे हैं कि वो थोड़े संयम के साथ अपनी राजनीति को मजबूती से आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं.

राज ठाकरे की लंबे आंदोलन की तैयारी है: राज ठाकरे ने साफ साफ कहा है कि डेडलाइन का मतलब सिर्फ एक तारीख नहीं है, 4 मई से आगे भी ये आंदोलन चलता रहेगा. वो अपनी बात पर कायम हैं लेकिन ये भी कहते हैं कि इसे लेकर राज्य में दंगे नहीं होने चाहिये.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता ये बार बार दोहराते हैं कि लाउडस्पीकर से अजान बंद होनी चाहिये. ये भी बताते हैं कि लाउडस्पीकर पर अजान जारी रही तो हनुमान चालीसा चलता रहेगा - लेकिन लगे हाथ ये भी याद दिलाना नहीं भूलते कि ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश और हर हाल में अदालत के आदेश का पालन होना ही चाहिये.

जहां तक सुप्रीम कोर्ट की बात है, राज ठाकरे और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (उद्धव ठाकरे) सरकार दोनों का ही जो इस बात पर है कि अदालत के आदेश का पालन होना चाहिये, लेकिन फिर भी टकराव के मौके ढूंढ लिये जाते हैं. जैसे ही राज ठाकरे की तरफ से उद्धव सरकार को चैलेंज किया जाता है, शिवसेना प्रवक्ता मोर्चा संभाल लेते हैं - महाराष्ट्र में कानून का राज चलता है अल्टीमेटम नहीं चलेगा.

राज ठाकरे की तरफ से साफ तौर पर बोल दिया गया है कि ये एक दिन का आंदोलन नहीं है, ये अब चलता रहेगा - और साथ में वो हिंदू समुदाय से अपील भी करते हैं. अपील का कुछ कुछ असर भी देखा जा रहा है.

अगर राज ठाकरे की अपील का असर मनसे कार्यकर्ताओं से आगे भी होता है, तो ये उद्धव ठाकरे के लिए सबसे बड़ी फिक्र की बात है. राज ठाकरे अभी अंगड़ाई ले रहे हैं और आगे की लड़ाई से शिवसेना को कितना डैमेज करेंगे, उद्धव ठाकरे देखना होगा.

राज ठाकरे की ताजा अंगड़ाई उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनकी लंबी लड़ाई की तरफ इशारा कर रही है.

अब तो लगता है, लाउडस्पीकर तो बस बहाना है, राज ठाकरे की मंजिल कहीं और है - और अयोध्या में लगे बैनर-पोस्टर ये कहीं बेहतर तरीके से समझा रहे हैं. राज ठाकरे हाल फिलहाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी तारीफ करते रहे हैं. तारीफ भी ऐसी कि यूपी की योगी सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्र में भोगी सरकार बता चुके हैं.

बीजेपी (BJP) सिर्फ परदे के पीछे सपोर्ट नहीं कर रही है, बल्कि देश भर में हिंदुत्व की राजनीति के लिए माहौल तैयार कर चुकी है - अगर उद्धव ठाकरे सेक्युलर बने रहे तो एनसीपी क्या कांग्रेस का हाल हो जाएगा.

राज ठाकरे पर कानूनी शिकंजा

अमरावती सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को भी अब जमानत मिल गयी है, लेकिन बीएमसी के अफसर भी एक्टिव हो गये हैं. बीएमसी ने राणा दंपत्ति के फ्लैट में अवैध निर्माण का नोटिस दिया है - ये राणा दंपत्ति को मुश्किलों में उलझाये रखने की रणनीति लगती है.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके सलाहकारों को ये तो मालूम होगा ही कि राज ठाकरे को नवनीत राणा की तरह हैंडल नहीं कर सकते. अगर नवनीत राणा और राज ठाकरे दोनों के पीछे बीजेपी का सपोर्ट है, तो भी दोनों की राजनीतिक हैसियत में बहुत बड़ा फर्क है. राणा दंपत्ति के खिलाफ पुलिस या बीएमसी के एक्शन के जरिये गठबंधन सरकार किसी के दबाव में न झुकने का मैसेज तो दे सकती है, लेकिन राज ठाकरे की तरफ से जो चैलेंज पेश किया गया है वो काफी अलग है.

1. औरंगाबाद पुलिस ने 1 मई के राज ठाकरे के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने को लेकर केस दर्ज किया है. पुलिस का कहना है कि जांच के बाद जरूरी एक्शन लिया जाएगा.

2. मुंबई पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 149 के तहत राज ठाकरे को नोटिस जारी किया है. ऐसे नोटिस संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए एहतियाती तौर पर जारी किये जाते हैं.

3. महाराष्ट्र के सांगली जिले की एक अदालत की तरफ से 14 साल पुराने एक केस में राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया है. ये नोटिस राज ठाकरे के साथ एक और मनसे नेता शिरीष पारकर के खिलाफ है, जिसमें पुलिस को कोर्ट की हिदायत है कि 8 जून से पहले वारंट की तामील कर दोनों नेताओं को अदालत में पेश किया जाये.

4. नासिक में नमाज के दौरान हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर 7 महिला मनसे कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है. ऐसे ही बांद्रा, भिवंडी और नागपुर में भी अजान के दौरान हनुमान चालीसा पाठ किये जाने की खबर है.

महाराष्ट्र में पुलिसवालों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं और कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है - बड़ी बात ये है कि महाराष्ट्र सरकार ने लाउडस्पीकर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करने के वादे के साथ केंद्र सरकार से लाउडस्पीकर पर गाइडलाइन जारी करने का भी आग्रह किया है.

राज ठाकरे की हिंदुओं से अपील और उसका असर

पहले तो राज ठाकरे सिर्फ अपने अल्टीमेटम की याद दिलाते रहे, अब उनकी रणनीति बदली हुई लग रही है - मनसे नेता लोगों से लाउडस्पीकर के खिलाफ पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज कराने की अपील कर रहे हैं.

ये भी राज ठाकरे की अपील का ही असर है कि मुंबई लोकल ट्रेन में लोग लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया है. बताते हैं कि दादर जा रही लोकल ट्रेन में सुबह सात बजे लोगों ने हनुमान चालीसा पढ़ी है - वैसे ये नहीं पता चल पाया कि ऐसा करने वाले राज ठाकरे की पार्टी के कार्यकर्ता थे या उनकी अपील से प्रभावित आम लोग.

अलग से उद्धव ठाकरे पर दबाव बढ़ाने के लिए राज ठाकरे ने अपने चाचा और शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का लाउडस्पीकर को लेकर दिया गया भाषण शेयर किया है. राज ठाकरे का कहना है, 'मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से अपील करता हूं... बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि सभी लाउडस्पीकरों को बंद करने की जरूरत है... क्या आप इसका पालन करने जा रहे हैं? या आप गैर-धार्मिक शरद पवार का अनुसरण करने जा रहे हैं, जो आपको सत्ता में बनाये रखने के लिए जिम्मेदार हैं? महाराष्ट्र के लोगों को बताएं कि क्या होने वाला है?'

अपनी अपील के साथ राज ठाकरे एक नारा भी देते हैं, 'अभी नहीं तो कभी नहीं.'

100 नंबर पर शिकायत और हस्ताक्षर अभियान: लाउडस्पीकर बंद कराने के लिए राज ठाकरे लोगों से मुखातिब होते हैं. कहते हैं - अगर आप अजान की आवाज से परेशान हों तो 100 नंबर डायल करके पुलिस में शिकायत करें. राज ठाकरे की सलाह है कि ऐसी शिकायत रोजाना होनी चाहिये.

राज ठाकरे की तरफ से समझाने की कोशिश हो रही है कि पुलिस में शिकायत के साथ ही हिंदू समुदाय के लोग लाउडस्पीकर से अजान के खिलाफ अपने स्तर पर हस्ताक्षर अभियान शुरू करें. अगर वो अपने इलाके में मस्जिद से लाउडस्पीकर के जरिये अजान सुनें तो हस्ताक्षर के साथ स्थानीय पुलिस के पास अपील पत्र जमा करायें.

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने राज ठाकरे के आंदोलन को नौटंकी करार दिया है. बाला साहेब ठाकरे के लाउडस्पीकर पर भाषण को लेकर संजय राउत कहते हैं, 'राज ठाकरे को बाला साहेब को समझने की जरूरत है... लाउडस्पीकर को लेकर कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है... यहां कानून का राज चलता है और किसी का अल्टीमेटम नहीं चलेगा.'

संजय राउत का कहना है, 'शिवसेना को हिंदुत्व सिखाने की जरूरत नहीं है... हमारी सांसे आज भी बाला साहेब के विचारों पर चलती हैं... बाला साहेब का साथ छोड़ने वाले शिवसेना को हिंदुत्व न सिखायें.'

ये तो है कि जब राज ठाकरे की राजनीति नहीं चल पायी तो लाउडस्पीकर पर बाला साहेब ठाकरे के भाषण की याद दिला रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि ये सब इतने साल बाद ही क्यों? पहले ऐसा क्यों नहीं किया? अगर इतनी ही फिक्र रही तो पहले भी ऐसी अपील की जा सकती थी जब महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार रही या कांग्रेस शासन रहा.

अयोध्या की तैयारी है: महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर के खिलाफ मुहिम चलाने के बाद राज ठाकरे 5 जून को पूरे परिवार के साथ रामलला और हनुमानगढ़ी में दर्शन की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही लोगों से अयोध्या यात्रा में शामिल होने की अपील कर रहे हैं.

अभी तक बीजेपी अकेले उद्धव ठाकरे के हिंदुत्व पर सवाल उठाती रही, लेकिन अब राज ठाकरे के जरिये इसे नये जन आंदोलन की शक्ल दी जा रही है. राज ठाकरे और योगी आदित्यनाथ की मुलाकात की भी खबर है. महत्वपूर्ण ये है कि ये मुलाकात कहां और कैसे होती है. अगर राज ठाकरे लखनऊ में ही योगी आदित्यनाथ से मिलते हैं तब तो नहीं, लेकिन अगर दोनों का एक साथ अयोध्या को लेकर कोई कार्यक्रम बनता है तो वो उद्धव ठाकरे के खिलाफ बीजेपी के अभियान को ज्यादा मजबूत करेगा.

उद्धव ठाकरे के लिए बीजेपी से ज्यादा राज ठाकरे के चैलेंस से डील करना मुश्किल होगा. बीजेपी तो बस बाला साहेब ठाकरे की याद दिलाकर उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व से पीछे हट जाने का आरोप लगाती रही है, राज ठाकरे बिलकुल बाला साहेब ठाकरे की तरह भगवाधारी बन कर उद्धव ठाकरे को ललकार रहे हैं - फिर तो उद्धव ठाकरे को नये सिरे से सोचना पड़ेगा कि वो शिवसेना के पुराने अंजाज में लौटते हैं या कांग्रेस और एनसीपी के साथ सेक्युलरिज्म के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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