• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

सावरकर का नाम लेकर राहुल गांधी ने 'रेप इन इंडिया' दोहरा दिया है

    • आईचौक
    • Updated: 15 दिसम्बर, 2019 02:26 PM
  • 15 दिसम्बर, 2019 02:26 PM
offline
वीर सावरकर (Veer Savarkar) का नाम लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने डबल मुसीबत मोल ली है. एक तो ये बयान भी 'रेप इन इंडिया' (Rape In India) की तरह ही लिया जा रहा है, दूसरे महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं को भी मुश्किल में डाल दिया है.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तो संसद में मचे बवाल के तत्काल बाद ही माफी मांगने से इंकार कर दिया था. रामलीला मैदान की रैली में तो बस बहस को आगे बढ़ा रहे थे - लेकिन वीर सावरकर (Veer Savarkar) का नाम लेते ही वो फिर से बैकफायर हो गया है. करीब 24 घंटे पहले ही संसद में राहुल गांधी के झारखंड की रैली में मेक इन इंडिया और रेप इन इंडिया (Rape In India) की तुकबंदी करने को लेकर दंडित करने की मांग उठी थी. तभी बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी से माफी की मांग की थी.

दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की भारत बचाओ रैली में राहुल गांधी ने खुद को केंद्र में रख कर बीजेपी को हमले का बड़ा मौका दे दिया - मुश्किल तो ये हुई कि महाराष्ट्र में गठबंधन साथी शिवसेना को भी बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आम चुनाव के बाद ये पहला मौका रहा जब एक ही मंच से राहुल गांधी के अलावा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर एक साथ बड़ा हमला बोला हो. आम चुनाव के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद अब झारखंड में भी चुनाव हो रहे हैं, लेकिन सोनिया और प्रियंका में से किसी ने भी कोई रैली नहीं की.

राहुल गांधी ने सावरकर का नाम क्यों लिया?

दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की भारत बचाओ रैली में राहुल गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं को देखते ही उछल पड़े. राहुल गांधी ने मैदान में मौजूद कार्यकर्ताओं को बब्बर शेर और शेरनियां कहकर संबोधित किया और बोले, 'कांग्रेस का कार्यकर्ता किसी ने नहीं डरता.'

फिर रेप इन इंडिया बोलने पर बीजेपी की माफी का जिक्र छेड़ा और शुरू हो गयै, 'ये लोग कहते हैं माफी मांगो... मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है... राहुल गांधी है... मैं सच बात बोलने के लिए कभी माफी नहीं मांगूंगा... मर जाऊंगा, लेकिन माफी नहीं मांगूंगा.'

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तो संसद में मचे बवाल के तत्काल बाद ही माफी मांगने से इंकार कर दिया था. रामलीला मैदान की रैली में तो बस बहस को आगे बढ़ा रहे थे - लेकिन वीर सावरकर (Veer Savarkar) का नाम लेते ही वो फिर से बैकफायर हो गया है. करीब 24 घंटे पहले ही संसद में राहुल गांधी के झारखंड की रैली में मेक इन इंडिया और रेप इन इंडिया (Rape In India) की तुकबंदी करने को लेकर दंडित करने की मांग उठी थी. तभी बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी से माफी की मांग की थी.

दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की भारत बचाओ रैली में राहुल गांधी ने खुद को केंद्र में रख कर बीजेपी को हमले का बड़ा मौका दे दिया - मुश्किल तो ये हुई कि महाराष्ट्र में गठबंधन साथी शिवसेना को भी बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आम चुनाव के बाद ये पहला मौका रहा जब एक ही मंच से राहुल गांधी के अलावा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर एक साथ बड़ा हमला बोला हो. आम चुनाव के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद अब झारखंड में भी चुनाव हो रहे हैं, लेकिन सोनिया और प्रियंका में से किसी ने भी कोई रैली नहीं की.

राहुल गांधी ने सावरकर का नाम क्यों लिया?

दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की भारत बचाओ रैली में राहुल गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं को देखते ही उछल पड़े. राहुल गांधी ने मैदान में मौजूद कार्यकर्ताओं को बब्बर शेर और शेरनियां कहकर संबोधित किया और बोले, 'कांग्रेस का कार्यकर्ता किसी ने नहीं डरता.'

फिर रेप इन इंडिया बोलने पर बीजेपी की माफी का जिक्र छेड़ा और शुरू हो गयै, 'ये लोग कहते हैं माफी मांगो... मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है... राहुल गांधी है... मैं सच बात बोलने के लिए कभी माफी नहीं मांगूंगा... मर जाऊंगा, लेकिन माफी नहीं मांगूंगा.'

पूरा गांधी परिवार रामलीला मैदान में आम चुनाव के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर जुटा

राहुल गांधी को बीजेपी की माफी की मांग पर बहस को आगे बढ़ाना था. मुमकिन है राहुल गांधी के सलाहकारों को इसके लिए किसी किरदार की जरूरत समझ आयी होगी - और तत्काल प्रभाव से विनायक दामोदर सावरकर का नाम सूझा होगा. बीजेपी के हमलों के जवाब में कांग्रेस नेताओं के पास एक ही ब्रह्मास्त्र होता है - 'सावरकर की माफी'. फिर क्या था बात चला दी. बात चली तो दूर तलक निकल भी गयी और मुख्य मुद्दा पीछे छूट गया. राहुल गांधी से माफी के नाम पर सावरकर का नाम लेकर अपना पक्ष यूं ही कमजोर कर लिया है.

माफी मांगने के मुद्दे को विनायक दामोदर सावरकर जोड़ देने की सलाहियत के पीछे भी वही लॉजिक है - जो मेक इन इंडिया के जिक्र के साथ रेप इन इंडिया की तुलना और तुकबंदी में है. फिर तो इसमें भी कोई शक नहीं होना चाहिये कि दोनों भाषण लिखने वाला शख्स भी एक ही है. जैसे रेप जैसे सबसे बड़े मुद्दे को महिलाओं के अपमान की दिशा में मोड़ दिया था, सावरकर पर बहस को भी वैसा ही टर्न दे दिया.

स्थिति ये हो गयी कि शिवसेना नेता संजय राउत को भी मैदान में कूदना पड़ा और नसीहत देने लगे कि नेहरू-गांधी की तरह सावरकर भी देश के गौरव हैं - उनका अपमान नहीं होना चाहिये. समझने वाली बात ये है कि संजय राउत अक्सर शेरो-शायरी हिंदी में करते रहते हैं लेकिन सावरकर पर दो ट्वीट किये और दोनों ही मराठी में. संजय राउत ने ट्विटर पर लिखा, 'वीर सावरकर सिर्फ महाराष्ट्र के ही नहीं, देश के देवता हैं, सावरकर नाम में राष्ट्र अभिमान और स्वाभिमान है. नेहरू-गांधी की तरह सावरकर ने भी देश की आजादी के लिए जीवन समर्पित किया. इस देवता का सम्मान करना चाहिये. उसमें कोई भी समझौता नहीं होगा. जय हिंद.'

संजय राउत ने तो थोड़ा बैलेंस करते हुए रिएक्ट किया है. अपने ट्वीट में संजय राउत ने महाविकास अघाड़ी का भी पूरा ख्याल रखा है - और सावरकर के साथ नेहरू-गांधी को भी जोड़ रखा है. मगर, बीजेपी को तो बस मौका चाहिये था - और राहुल गांधी बीजेपी को बहुत निराश भी नहीं करते. बीजेपी तो जैसे बरस ही पड़ी है - और कह डाला है कि 'राहुल जिन्ना' नाम ठीक रहेगा.

अब महाराष्ट्र में भी बैकफुट पर होगी कांग्रेस

सावरकर का नाम लेकर तो राहुल गांधी ने जैसे मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है. सबसे बड़ी फजीहत तो अब कांग्रेस की महाराष्ट्र में होनी है. सावरकर का नाम लेकर राहुल गांधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को भी मुश्किल में डाल दिया है - उनकी तो बोलती बंद हो जानी है.

जिस सावरकर को बीजेपी ने भारत रत्न देने का चुनावी वादा किया था, जिसे शिवसेना भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में रखना चाह रही थी - उसी सावकर का ऐसे मुद्दे से जोड़ कर राहुल गांधी को नाम लेने की सलाह देने वाला कांग्रेस का दुश्मन ही है. वो कांग्रेस का शुभचिंतक तो हो नहीं सकता.

कांग्रेस ने दबाव बनाकर न सिर्फ सावरकर को भारत रत्न देने की बात से शिवसेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया, बल्कि सेक्युलर थीम को सबसे ऊपर डलवा दिया है.

अब तक कांग्रेस शिवसेना के ऊपर बात बात पर दबाव बनाये हुए थी. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शिवसेना के स्टैंड को लेकर कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से मैसेज पर मैसेज भिजवाये जा रहे थे. महागठबंधन सरकार पर असर पड़ जाने तक की धमकी दी जा रही थी.

अब शिवसेना को भी पूरा मौका मिल गया है. सावरकर के नाम पर तो महाराष्ट्र में सार्वजनिक तौर पर शिवसेना का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता - अब तो कांग्रेस को डर इस बात का होना चाहिये कि अगर कहीं सरकार से हटने का फैसला किया तो दो तिहाई विधायक शिवसेना में शामिल होने को तैयार न हो जायें.

इन्हें भी पढ़ें :

वीर सावरकर पर कांग्रेस का धारा 370 वाला यू-टर्न!

सावरकर हीरो या विलेन? तय करने से पहले पढ़ लीजिए...

सावरकर न रोकते तो संगीत छोड़ ही चुकी थीं लता मंगेशकर!



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲