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राजस्थान में राहुल का 'गोत्र दांव' !

    • आलोक रंजन
    • Updated: 28 नवम्बर, 2018 02:02 PM
  • 26 नवम्बर, 2018 11:04 PM
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राजस्थान के पुष्कर में राहुल गांधी का अपना गोत्र बताना इस बात की तरफ इशारा कर देता है कि उसने बीजेपी के उन आरोपों का तोड़ निकाल लिया है जिसपर भाजपा के लोग उसे घेरते थे.

राजस्थान में चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है. राजनीती के दिग्गज नेता अपनी-अपनी पार्टी को जिताने के लिए हर तिकड़म आजमाने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज राजस्थान दौरे पर थे. उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज़ के दर पर माथा टेक कर की. इसके बाद वे पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर गए. जहां उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की. इस पूजा के दौरान खास बात ये रही कि राहुल गांधी ने अपने गोत्र का नाम भी उजागर किया. उन्होंने पुष्कर में कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र के नाम से पूजा की.

पुष्कर में अपना गोत्र बताकर राहुल गांधी ने भाजपा को बेचैनी दे दी है

अब सवाल ये उठता है कि राहुल गांधी का अपना गोत्र उजागर करने के पीछे क्या मंशा थी? क्या कांग्रेस इस चुनाव में ब्राह्मण कार्ड द्वारा न केवल ब्राह्मणों बल्कि उच्च-जाति के लोगों का वोट अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है. सीपी जोशी के बयान के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है लेकिन राजस्थान के रण में कांग्रेस ने इस प्रकार ब्राह्मण कार्ड चला है कि पूरा विपक्ष आग-बबूला हो उठा है. पूरे परिदृश्य को देखकर ये कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि राहुल गांधी 'ब्राह्मण कार्ड' खेलकर बाहुबली बनने का प्रयास कर रहे हैं.

बीजेपी के निशाने में रहे हैं

राहुल गांधी 2017 में जब गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मंदिरों में पूजा अर्चना और दर्शन के लिए गए थे तब बहुत हाय-तौबा मची थी. उस समय बीजेपी ने ये आरोप लगाया था कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति कर रही है. उसके बाद चाहे वो कर्नाटक विधानसभा का चुनाव हो या हाल में मध्यप्रदेश के चुनावी दौरे. उन दौरों के दौरान उनका मंदिर में माथा-टेकने जाना हमेशा से बीजेपी के निशाने पर रहा है.

राहुल के...

राजस्थान में चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है. राजनीती के दिग्गज नेता अपनी-अपनी पार्टी को जिताने के लिए हर तिकड़म आजमाने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज राजस्थान दौरे पर थे. उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज़ के दर पर माथा टेक कर की. इसके बाद वे पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर गए. जहां उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की. इस पूजा के दौरान खास बात ये रही कि राहुल गांधी ने अपने गोत्र का नाम भी उजागर किया. उन्होंने पुष्कर में कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र के नाम से पूजा की.

पुष्कर में अपना गोत्र बताकर राहुल गांधी ने भाजपा को बेचैनी दे दी है

अब सवाल ये उठता है कि राहुल गांधी का अपना गोत्र उजागर करने के पीछे क्या मंशा थी? क्या कांग्रेस इस चुनाव में ब्राह्मण कार्ड द्वारा न केवल ब्राह्मणों बल्कि उच्च-जाति के लोगों का वोट अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है. सीपी जोशी के बयान के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है लेकिन राजस्थान के रण में कांग्रेस ने इस प्रकार ब्राह्मण कार्ड चला है कि पूरा विपक्ष आग-बबूला हो उठा है. पूरे परिदृश्य को देखकर ये कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि राहुल गांधी 'ब्राह्मण कार्ड' खेलकर बाहुबली बनने का प्रयास कर रहे हैं.

बीजेपी के निशाने में रहे हैं

राहुल गांधी 2017 में जब गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मंदिरों में पूजा अर्चना और दर्शन के लिए गए थे तब बहुत हाय-तौबा मची थी. उस समय बीजेपी ने ये आरोप लगाया था कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति कर रही है. उसके बाद चाहे वो कर्नाटक विधानसभा का चुनाव हो या हाल में मध्यप्रदेश के चुनावी दौरे. उन दौरों के दौरान उनका मंदिर में माथा-टेकने जाना हमेशा से बीजेपी के निशाने पर रहा है.

राहुल के मंदिर-मंदिर दर्शन के बाद से बीजेपी हमेशा आक्रामक तेवर अपनाते हुए राहुल से उनके जनेऊधारी होने का प्रमाण मांगती रही है और साथ ही साथ उनका गोत्र भी पूछने लगी थी. 29 अक्टूबर को राहुल गांधी ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. राहुल गांधी के मंदिर दौरे पर बीजेपी ने उन पर हमला बोला था.

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था - हम राहुल गांधी से पूछना चाहते हैं कि आप जनेऊधारी हैं? आप कैसे जनेऊधारी हैं, क्या गोत्र है आपका? उस समय तो राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया था पर आज जरूर दे दिया.

ब्राह्मणों पर दांव क्यों?

सितम्बर 2018 में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि कांग्रेस के डीएनए में ब्राह्मण समाज का खून है. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में रणदीप सुरजेवाला ने 'ब्राह्मण सम्मलेन' में ब्राह्मण समाज के लोगों को लुभाने के लिए सात सूत्रीय घोषणाएं की थी. उन्होंने वादा करते हुए कहा था कि कांग्रेस सरकार में आती है तो ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा.

ब्राह्मण मतदाता एक समय में कांग्रेस के सबसे मजबूत वोट बैंक माने जाते थे लेकिन वर्त्तमान समय में वे बीजेपी के साथ खड़े हैं. हाल के दिनों में कांग्रेस की रणनीति यही रही है कि कैसे उन्हें दोबारा कांग्रेस से जोड़ा जा सके. यूपी में विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन से पहले शीला दीक्षित को सीएम के तौर पर पेश किया गया था. गुजरात चुनाव के दौरान रणदीप सुरजेवाला ने राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू बताया था और उनकी जनेऊधारी वाली तस्वीरें भी जारी की थी.

यही नहीं खुद राहुल गांधी ने भी गुजरात चुनाव के दौरान अपने परिवार को शिवभक्त बताया था. कांग्रेस ने राजस्थान में इस बार विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण समाज के 20 लोगों को उम्मीदवार बनाया है, जबकि पिछले चुनाव में ब्राह्मण समुदाय को 17 टिकट दिए गए थे. राजस्थान में कांग्रेस के पास ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सीपी जोशी, गिरिजा व्यास और रघु शर्मा जैसे बड़े चेहरे हैं.

राज्य में तक़रीबन 8 फीसदी मतदाता ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और करीब 30 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण वोटरों की भूमिका काफी निर्णायक हैं. अब रिजल्ट ही बताएगा की राहुल का 'गोत्र दांव' राजस्थान में कांग्रेस के लिए सफलता ला पाता है या नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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