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इबोबी से कांग्रेस तो क्या राहुल गांधी को भी सीखना चाहिए

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 10 मार्च, 2017 12:54 PM
  • 10 मार्च, 2017 12:54 PM
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मणिपुर की जनता पिछले 15 सालों से ओकराम इबोबी पर भरोसा जमाए हुए है. बाकी राज्यों में एक-एक सीट के लिए संघर्ष कर रही पार्टी के लिए ये सीख लेने की बात है.

मणिपुर में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी के नेतृत्व में पिछले 15 सालों से कांग्रेस की सरकार चल रही है. इबोबी एक ऐसे नेता है जिनपर लगातार मणिपुर की जनता ने भरोसा बनाए रखा है. मणिपुर में पिछले दिनों महिला आरक्षण के विरोध में कई विरोध प्रदर्शन हुए साथ ही आगजनी से लेकर हिंसा तक प्रदर्शन जा पहुंचा. मगर इन सबके बावजूद लोग इबोबी से खुश हैं. इबोबी का कहना है कि उन्होंने विकास किया है. और इसी विकास पर वो जनता के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं.

मगर बीजेपी भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन के वादे के साथ इस बार मणिपुर में एक पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही है. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं. मगर यहां का फंडा थोड़ा अलग है. यहां की राजनीति अलग है. अगर आप ये सोचते है कि यहां भी किसी भी प्रदेश की तरह वही आम मुद्दे होंगे, यानी जिस तरह से अखिलेष यादव जो एक्सप्रेस का काम जनता के बीच ले जाकर वोट मांगते होंगे तो आप गलत हैं. यहां की 60 सीटों में से 20 सीट पहाड़ी इलाकों में हैं. वहीं 40 सीट घाटी वाले इलाकों में हैं.

पहाड़ों में नागा लोग बसते हैं. वहीं घाटी में मेतई समुदाय बसता है. मणिपुर की जनसंख्या की अगर बात की जाए तो यहां 31 लाख के करीब लोग बसते हैं. मगर इस 31 लाख में लगभग 60 फीसदी हिस्से में मेतई समुदाय के लोग रहते हैं. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से ही आते हैं. पहाड़ों में बसे नागा लोगों का हमेशा से ही विरोध रहता है, कि राज्य सरकार हम लोगों पर उतना ध्यान नहीं देती जितना वो मेतई समुदाय का रखती है. शायद ये भी एक कारण है कि कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार नहीं बदला. कांग्रेस को भरोसा है इबोबी सिंह पर, और मेतई समाज को भी. शायद ये भी एक कारण है हर पार्टी यहां घाटी में बसे लोगों पर ही फोकस करती है.

2012 में मणिपुर में कांग्रेस ने 42 सीटें जीती...

मणिपुर में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी के नेतृत्व में पिछले 15 सालों से कांग्रेस की सरकार चल रही है. इबोबी एक ऐसे नेता है जिनपर लगातार मणिपुर की जनता ने भरोसा बनाए रखा है. मणिपुर में पिछले दिनों महिला आरक्षण के विरोध में कई विरोध प्रदर्शन हुए साथ ही आगजनी से लेकर हिंसा तक प्रदर्शन जा पहुंचा. मगर इन सबके बावजूद लोग इबोबी से खुश हैं. इबोबी का कहना है कि उन्होंने विकास किया है. और इसी विकास पर वो जनता के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं.

मगर बीजेपी भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन के वादे के साथ इस बार मणिपुर में एक पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही है. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं. मगर यहां का फंडा थोड़ा अलग है. यहां की राजनीति अलग है. अगर आप ये सोचते है कि यहां भी किसी भी प्रदेश की तरह वही आम मुद्दे होंगे, यानी जिस तरह से अखिलेष यादव जो एक्सप्रेस का काम जनता के बीच ले जाकर वोट मांगते होंगे तो आप गलत हैं. यहां की 60 सीटों में से 20 सीट पहाड़ी इलाकों में हैं. वहीं 40 सीट घाटी वाले इलाकों में हैं.

पहाड़ों में नागा लोग बसते हैं. वहीं घाटी में मेतई समुदाय बसता है. मणिपुर की जनसंख्या की अगर बात की जाए तो यहां 31 लाख के करीब लोग बसते हैं. मगर इस 31 लाख में लगभग 60 फीसदी हिस्से में मेतई समुदाय के लोग रहते हैं. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से ही आते हैं. पहाड़ों में बसे नागा लोगों का हमेशा से ही विरोध रहता है, कि राज्य सरकार हम लोगों पर उतना ध्यान नहीं देती जितना वो मेतई समुदाय का रखती है. शायद ये भी एक कारण है कि कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार नहीं बदला. कांग्रेस को भरोसा है इबोबी सिंह पर, और मेतई समाज को भी. शायद ये भी एक कारण है हर पार्टी यहां घाटी में बसे लोगों पर ही फोकस करती है.

2012 में मणिपुर में कांग्रेस ने 42 सीटें जीती थीं

मणिपुर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. आरके रजंन कहते है कि कांग्रेस ने पहाड़ी लोगों के लिए कोई काम नहीं किया है. बीजेपी ये जताने की कोशिश में थी कि कांग्रेस ने ही पहाड़ी और घाटी के लोगों के बीच संबंधों को बेकार किया है. मगर इबोबी का लगातार 15 सालों से विकास राहुल गांधी को भी सोचने पर मजबूर करता है. जहां पर राहुल गांधी की कोई रैली का भी कोई मतलब नहीं रह जाता है, ऐसे में राहुल भी जानते हैं कि लोगों का भरोसा इबोबी पर है. इंडिया टुडे और सर्वे एजेंसी एक्सिस के मुताबिक कांग्रेस को 30 से 36, भाजपा को 16-22 और एनपीएफ को 3-5 सीटें मिलने की संभावना है. सर्वे में बताया गया है कि अन्य को 3-6 सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में अगर एक बार फिर इबोबी मुख्यमंत्री बनते हैं तो ये कांग्रेस के लिये सबसे अहम होगा. ऐसे दौर में जब कांग्रेस हर प्रदेश में एक-एक सीट के लिये संघर्ष कर रही है ऐसे में कांग्रेस की एक प्रदेश में सरकार बनना, वाकई कांग्रेस के लिए एक सीख लेने की बात है.

तो कुछ बातें कांग्रेस नेतृत्‍व के लिए समझ लेने की हैं:

- देश में कांग्रेसियों के लिए उम्‍मीद का माहौल उत्‍तर पूर्व में ही है.

- इबोबी कांग्रेस के लिए ध्रुव तारे की तरह हैं, जो एक ही जगह खड़ा रहकर अलग से चमक रहा है.

- कांग्रेस के लिए इतने नकारात्‍मक माहौल के बावजूद मुद्दों को कैसे अपने पक्ष में मोड़ना कोई इबोबी से सीखें.

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मणिपुर एग्जिट पोल: खूनखराबे और कर्फ्यू के बीच कांग्रेस को बहुमत

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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