• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

राहुल गांधी खुल कर क्यों नहीं कहते - 'राम लला... मंदिर वहीं बनाएंगे' !

    • आईचौक
    • Updated: 29 सितम्बर, 2018 12:44 PM
  • 29 सितम्बर, 2018 12:44 PM
offline
राहुल गांधी को अब सॉफ्ट हिंदुत्व सूट नहीं करता. अब वो उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं जहां से डंके की चोट पर कह सकते हैं - 'हां, अयोध्या मामले में सबसे ज्यादा योगदान नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस का है और अब तो मंदिर भी वहीं बनाएंगे'.

सॉफ्ट हिंदुत्व का चोला ओढ़े राहुल गांधी लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं. गुजरात के मंदिरों और कर्नाटक के मठों के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटे राहुल गांधी जिस राह पर चल पड़े हैं, लगता है जल्द ही वो कट्टर हिंदुत्व के करीब नजर आएंगे. तब तक बीजेपी शायद सबका साथ और सबका विकास के बैनर तले खुद को राष्ट्रवादी धर्मनिरपेक्ष पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए जूझ रही होगी.

चुनाव नजदीक आते देख कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में 'राम वन गमन पथ यात्रा' शुरू की है - और राहुल गांधी इसकी शुरुआत के लिए ही चित्रकूट पहुंचे थे.

राम के बहाने बीजेपी पर वॉर का मौका

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चित्रकूट पहुंचने से पहले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तैयारियां पूरी कर ली थी, लेकिन अंदाज काफी बदला हुआ था. जगह जगह लगे पोस्टर बैनर देख कर समझ नहीं आया कैसे रातोंरात जनेऊधारी शिवभक्त राहुल गांधी राम भक्त के रूप में तब्दील हो गये.

पहले शिव भक्त, अब राम भक्त!

चित्रकूट में पितृपक्ष के दौरान पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि भगवान राम ने अपने पिता दशरथ के लिए चित्रकूट में ही श्राद्ध क्रम किया था. 14 साल के वनवास के दौरान भगवान राम का ज्यादातर वक्त चित्रकूट में ही गुजरा था और इस दौरान सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ रहे. राहुल गांधी के चित्रकूट दौरे और कामतानाथ मंदिर में पूजा पाठ का कार्यक्रम कितना सोच समझ कर तैयार किया गया लगता है.

वनवास के वक्त जहां जहां भगवान राम घूमे मध्य प्रदेश में उसे राम वन गमन पथ यात्रा कहा जाता है. चित्रकूट इसका शुरुआती पड़ाव है. कांग्रेस की ओर से राम वन गमन पथ यात्रा निकाली गयी है जो 15 दिन तक चलेगी.

दरअसल, राम वन गमन पथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कमजोर नस है - और कांग्रेस की इस...

सॉफ्ट हिंदुत्व का चोला ओढ़े राहुल गांधी लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं. गुजरात के मंदिरों और कर्नाटक के मठों के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटे राहुल गांधी जिस राह पर चल पड़े हैं, लगता है जल्द ही वो कट्टर हिंदुत्व के करीब नजर आएंगे. तब तक बीजेपी शायद सबका साथ और सबका विकास के बैनर तले खुद को राष्ट्रवादी धर्मनिरपेक्ष पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए जूझ रही होगी.

चुनाव नजदीक आते देख कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में 'राम वन गमन पथ यात्रा' शुरू की है - और राहुल गांधी इसकी शुरुआत के लिए ही चित्रकूट पहुंचे थे.

राम के बहाने बीजेपी पर वॉर का मौका

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चित्रकूट पहुंचने से पहले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तैयारियां पूरी कर ली थी, लेकिन अंदाज काफी बदला हुआ था. जगह जगह लगे पोस्टर बैनर देख कर समझ नहीं आया कैसे रातोंरात जनेऊधारी शिवभक्त राहुल गांधी राम भक्त के रूप में तब्दील हो गये.

पहले शिव भक्त, अब राम भक्त!

चित्रकूट में पितृपक्ष के दौरान पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि भगवान राम ने अपने पिता दशरथ के लिए चित्रकूट में ही श्राद्ध क्रम किया था. 14 साल के वनवास के दौरान भगवान राम का ज्यादातर वक्त चित्रकूट में ही गुजरा था और इस दौरान सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ रहे. राहुल गांधी के चित्रकूट दौरे और कामतानाथ मंदिर में पूजा पाठ का कार्यक्रम कितना सोच समझ कर तैयार किया गया लगता है.

वनवास के वक्त जहां जहां भगवान राम घूमे मध्य प्रदेश में उसे राम वन गमन पथ यात्रा कहा जाता है. चित्रकूट इसका शुरुआती पड़ाव है. कांग्रेस की ओर से राम वन गमन पथ यात्रा निकाली गयी है जो 15 दिन तक चलेगी.

दरअसल, राम वन गमन पथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कमजोर नस है - और कांग्रेस की इस यात्रा का मकसद राम के बहाने वोट बैंक साधना और शिवराज सिंह को कठघरे में खड़ा करना है. 2007 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राम वन गमन पथ बनाने की घोषणा की थी. 11 साल बीत जाने के बाद भी कोई काम नहीं हो पाया है.

सितंबर 2016 में राहुल गांधी यूपी में किसान यात्रा पर थे. उसी दौरान वो अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन किये - हालांकि, रामलला का दर्शन करने से बचते देखे गये. क्योंकि दर्शन के बाद उनका काफिला आगे बढ़ गया.

आखिर जब इतना कुछ कर ही रहे हैं तो राहुल गांधी अयोध्या मामले में आगे बढ़ कर दावा क्यों नहीं करते?

चाहें तो राहुल गांधी गर्व से कह सकते हैं - '...मंदिर वही बनाएंगे'

ये ठीक है कि राहुल गांधी कह चुके हैं कि गांधी परिवार के किसी सदस्य के हाथों में देश की बागडोर होती तो बाबरी मस्जिद कभी नहीं गिरती, लेकिन ये तो तब की बात है जब वो धर्म निरपेक्ष छवि को ढोये जा रहे थे. तब तो उनके दौरे भी मंदिरों और मठों में न होकर गरीबों और बेहाल किसानों के घरों के हुआ करते थे. अब तो वो बात रही नहीं. अब तो शिव भक्त राहुल गांधी को कांग्रेस राम भक्त जनेऊधारी ब्राह्मण बताते नहीं थक रही है.

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़...

राहुल के पास पूरा मौका है अयोध्या मामले में कांग्रेस के योगदान को लेकर दावा करने का. ये दावा भी राहुल गांधी को हवा में करने की जरूरत नहीं है. आयोध्या मामले की महत्वपूर्ण घटनाएं तभी हुईं जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी - मंदिर का ताला खुलवाने वाले तो खुद राहुल गांधी के पिता राजीवा गांधी ही थे.

1. चार सौ साल की यथास्थिति को दरकिनार कर, दिसंबर 1949 में जब अभिराम दास और उनके साथियों ने अयोध्या में राम लला की मूर्ति स्थापित की. ये वो दौर था जब देश को आजाद हुए महज दो साल हुए थे और देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे. जवाहरलाल नेहरू कोई और नहीं राहुल गांधी के नाना थे.

2. फरवरी, 1986 में राम मंदिर का ताला खुला जब भारी बहुमत से जीत कर सत्ता में राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे. राजीव गांधी कोई और नहीं राहलु गांधी के पिता थे.

3. दिसंबर, 1992 में जब अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दी उस वक्त देश की बागडोर पीवी नरसिम्हा राव के हाथों में थी. पीवी नरसिम्हा राव भी कोई और नहीं बल्कि राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री थे.

सवाल ये है कि मुंह में हिंदुत्व का राम-नाम और बगल में धर्मनिरपेक्षता की छुरी रखने की जरूरत क्यों है?

जिस तरह डंके की चोट पर राहुल गांधी सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा कानून और मनरेगा जैसे सौगातों को कांग्रेस शासन की देन होने का दावा करते हैं - वैसे ही क्यों नहीं कहते - 'हां भई हां... वो मेरे ही नाना थे जिन्होंने राम लला की मूर्ति रखवायी... बिलकुल ठीक समझे आप... वो मेरे पापा ही थे जिन्होंने मंदिर का ताला खुलवाया - और जब कारसेवकों ने अयोध्या में मस्जिद गिरायी तो केंद्र में हमारी कांग्रेस पार्टी के ही पीएम पीवी नरसिम्हा राव का शासन था...'

कांग्रेस की मुश्किल ये है कि बीजेपी ने उसे मुस्लिम पार्टी के तौर पर जोर शोर से प्रचारित कर दिया है - और राहुल गांधी उसी छवि से निकलने की लगातार कोशिश में लगे हुए हैं. बेहतर तो ये होता कि 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज कर रहे राहुल गांधी खुल कर शॉट खेलते डंके की चोट पर कहते - 'राम लला हम आएंगे... मंदिर वहीं बनाएंगे.'

इन्हें भी पढ़ें :

राहुल गांधी के लिए खतरनाक हो सकता है 'सॉफ्ट हिंदुत्व' से आगे का रास्ता

गुजरात के 'शिवभक्त-जनेऊधारी ब्राह्मण' राहुल कर्नाटक में सेक्युलर हो गए

प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी का चोर कहना तो मॉब लिंचिंग जैसा ही है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲