• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Rahul Gandhi तो Lockdown पर सवाल उठा कर अपने ही बुने जाल में उलझ गये!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 16 अप्रिल, 2020 08:56 PM
  • 16 अप्रिल, 2020 08:56 PM
offline
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लॉकडाउन (Lockdown) सवाल उठा कर खुद ही उलझ गये लगते हैं. ऐसा लगता है जैसे सवाल पूछने के चक्कर में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया हो - और उसकी आंच सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) तक पहुंच रही है.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जूम ऐप के जरिये जब मीडिया के सामने प्रकट हुए तो उनके पास बोलने के लिए काफी कंटेंट था - और लॉकडाउन (Lockdown) पर नया रिसर्च भी. एक और खास बात वो वायनाड मॉडल का जिक्र कर रहे थे, भीलवाड़ा का तो बिलकुल भी नहीं.

अब तक जिस लॉकडाउन को लेकर गैर-बीजेपी सरकारों के मुख्यमंत्री केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से आगे बढ़ने के लिए होड़ लगाये हुए थे, राहुल गांधी को वो सब बेकार की कवायद लग रही है - अब राहुल गांधी का जोर कोरोना वायरस को लेकर लगातार टेस्टिंग किये जाने पर शिफ्ट हो गया है.

राहुल गांधी ने बार बार यही समझाने की कोशिश की कि लॉकडाउन से बात नहीं बनने वाली, सिर्फ मामला टल सकता है - और सही तरीके से तैयारी नहीं हुई तो लॉकडाउन हटाने के बाद हालात बेकाबू हो सकते हैं.

अब तक राहुल गांधी यही समझाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन बगैर जरूरी इंतजामों के लागू कर दिया, लेकिन लॉकडाउन को कभी ऐसे खारिज नहीं किया था जैसे अब कर रहे हैं - सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि राहुल गांधी का लॉकडाउन से अचानक मोहभंग हो गया है? ऐसा करके राहुल गांधी ने कांग्रेस के ही मुख्यमंत्रियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है और आंच सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) तक पहुंचने लगी है.

लॉकडाउन पर राहुल गांधी का रिसर्च पेपर

लॉकडाउन पर राहुल गांधी का स्पष्ट बयान पहली बार सामने आया है. अब तक लॉकडाउन का मोर्चा कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ही संभालते रहे हैं. 24 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी तो भी रिएक्शन चिदंबरम का ही आया था. एकबारगी तो चिदंबरम ने लॉकडाउन का फैसला देर से लिये जाने पर निराशा ही जतायी थी, लेकिन दुरूस्त कदम भी बताया था - क्योंकि उससे ठीक पहले चिदंबरम लॉकडाउन की ही मांग करते रहे. राहुल गांधी ने लॉकडाउन की मांग तो नहीं की थी, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे पर ध्यान न देने के लिए मोदी सरकार की आलोचना जरूर की थी.

प्रधानमंत्री मोदी के...

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जूम ऐप के जरिये जब मीडिया के सामने प्रकट हुए तो उनके पास बोलने के लिए काफी कंटेंट था - और लॉकडाउन (Lockdown) पर नया रिसर्च भी. एक और खास बात वो वायनाड मॉडल का जिक्र कर रहे थे, भीलवाड़ा का तो बिलकुल भी नहीं.

अब तक जिस लॉकडाउन को लेकर गैर-बीजेपी सरकारों के मुख्यमंत्री केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से आगे बढ़ने के लिए होड़ लगाये हुए थे, राहुल गांधी को वो सब बेकार की कवायद लग रही है - अब राहुल गांधी का जोर कोरोना वायरस को लेकर लगातार टेस्टिंग किये जाने पर शिफ्ट हो गया है.

राहुल गांधी ने बार बार यही समझाने की कोशिश की कि लॉकडाउन से बात नहीं बनने वाली, सिर्फ मामला टल सकता है - और सही तरीके से तैयारी नहीं हुई तो लॉकडाउन हटाने के बाद हालात बेकाबू हो सकते हैं.

अब तक राहुल गांधी यही समझाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन बगैर जरूरी इंतजामों के लागू कर दिया, लेकिन लॉकडाउन को कभी ऐसे खारिज नहीं किया था जैसे अब कर रहे हैं - सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि राहुल गांधी का लॉकडाउन से अचानक मोहभंग हो गया है? ऐसा करके राहुल गांधी ने कांग्रेस के ही मुख्यमंत्रियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है और आंच सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) तक पहुंचने लगी है.

लॉकडाउन पर राहुल गांधी का रिसर्च पेपर

लॉकडाउन पर राहुल गांधी का स्पष्ट बयान पहली बार सामने आया है. अब तक लॉकडाउन का मोर्चा कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ही संभालते रहे हैं. 24 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी तो भी रिएक्शन चिदंबरम का ही आया था. एकबारगी तो चिदंबरम ने लॉकडाउन का फैसला देर से लिये जाने पर निराशा ही जतायी थी, लेकिन दुरूस्त कदम भी बताया था - क्योंकि उससे ठीक पहले चिदंबरम लॉकडाउन की ही मांग करते रहे. राहुल गांधी ने लॉकडाउन की मांग तो नहीं की थी, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे पर ध्यान न देने के लिए मोदी सरकार की आलोचना जरूर की थी.

प्रधानमंत्री मोदी के संपूर्ण लॉकडाउन के ऐलान से ठीक पहले राहुल गांधी ने लोगों से अपील की थी कि वो सोशल आइसोलेशन का सख्ती से पालन करें ताकि कोरोना वायरस के फैलने की स्थिति का मुकाबला किया जा सके. द हिंदू अखबार के मुताबिक, राहुल गांधी ने ये भी अपील की थी कि कोशिश की जानी चाहिये कि लोग आपस में एक दूसरे से दूरी बनाकर रहे और कम से कम मुलाकात की कोशिश करें.

लॉकडाउन पर राहुल गांधी ने यूटर्न नहीं लिया, बल्कि एक ही जगह गोल-गोल घूम रहे हैं

तब राहुल गांधी ने आने वाले तीन-चार हफ्तों को बेहद नाजुक बताया था - और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के हवाले से आशंका जतायी थी कि भारत में कंटेनमेंट के उपाय न किये जाने की स्थिति में कोरोना वायरस तेजी से फैल सकता है.

राहुल गांधी लॉकडाउन नाम से भले ही परहेज कर रहे हों - लेकिन कंटेनमेंट, आइसोलेशन और सोशल डिस्टैंसिंग जैसे उपाय आखिर क्या हैं? आखिर लॉकडाउन की स्थिति में भी तो ये तौर तरीके ही तो अपनाये जाते हैं.

संपूर्ण लॉकडाउन लागू किये जाने पर चिदंबरम ने तो खुल कर बयान दिया ही था, सोनिया गांधी ने भी सरकार को सपोर्ट की बात कही थी - और पत्र लिख कर कुछ सुझाव भी दिये थे. लेकिन फिर बाद में तीनों कांग्रेस नेता - सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पी. चिदंबरम लॉकडाउन को लेकर सरकार की आलोचना भी करने लगे.

समझने और गौर करने वाली बात ये रही कि तीनों में से किसी ने लॉकडाउन पर सवाल नहीं उठाया, बल्कि लागू करने की हड़बड़ी को लेकर. बगैर तैयारियों के लागू किये जाने को लेकर - लेकिन अब राहुल गांधी लॉकडाउन को निहायत ही गैर जरूरी साबित करने की कोशिश में लगते हैं.

16 अप्रैल की प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने लॉकडाउन को लेकर मुख्य तौर पर तीन बातें बतायी -

1. कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार टेस्ट है. टेस्ट से ये जान सकते हैं कि वायरस कहां घूम रहा है और उसे अलग करके कैसे लड़ा जा सकता है.

2. लॉकडाउन सिर्फ समय देता है. ताकि टेस्ट किया जा सके. अस्पताल बढ़ाये जा सकें और वेंटिलेटर का इंतजाम किया जा सके - एक गलत धारणा है जिसे मैं साफ करना चाहता हू्ं कि किसी भी तरह से लॉकडाउन वायरस को हराता नहीं है.

3. लॉकडाउन एक पॉज बटन की तरह है - ये किसी भी तरह कोरोना वायरस का समाधान नहीं है और जब हम लॉकडाउन से बाहर आते हैं ये फिर से अपने काम पर लग जाता है.

लॉकडाउन करने में कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों आगे क्यों रहे?

अगर राहुल गांधी को लॉकडाउन से इतनी ही परहेज है तो प्रधानमंत्री मोदी से पहले तो उनको अशोक गहलोत और कैप्टन अमरिंदर सिंह को कठघरे में खड़ा कर सवाल पूछना चाहिये - वो चाहें तो उनके साथ सख्ती से पेश भी आ सकते हैं.

लॉकडाउन को खारिज करने से पहले राहुल गांधी को कम से कम इन तीन सवालों के स्पष्ट जवाब तो देने ही चाहिये -

1. अगर राहुल गांधी की नजर में लॉकडाउन से कुछ भी नहीं होने वाला तो सबसे पहले राजस्थान में अशोक गहलोत ने लॉकडाउन क्यों लागू किया. फिर अशोक गहलोत के ठीक बाद पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लॉकडाउन क्यों लागू किया?

2. अगर लॉकडाउन से वाकई कोई फायदा नहीं मिल रहा तो 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी की लॉकडाउन 2.0 की घोषणा से पहले ही राजस्थान और पंजाब में लॉकडाउन की मियाद दो हफ्ते के लिये क्यों बढायी गयी?

3. अगर लॉकडाउन से कोई फायदा नहीं हुआ तो सोनिया गांधी ने कांग्रेस के राज्य प्रमुखों की मीटिंग में भीलवाड़ा मॉडल का खास तौर पर जिक्र कर राहुल गांधी को कामयाबी का क्रेडिट क्यों दिया?

क्या राहुल गांधी ये बताना चाह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन लागू नहीं करना चाहिये था?

ऐसा राहुल गांधी शायद इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अगर लॉकडाउन लागू न हुआ होता तो दिल्ली सहित देश भर में लोगों का पलायन न हुआ होता - और लॉकडाउन की मियाद दो हफ्ते के लिए और नहीं बढ़ायी गयी होती तो बांद्रा में पूर्वांचल के लोगों की भीड़ जमा नहीं हुई होती.

राहुल गांधी ये तो देख ही रहे होंगे कि कैसे लॉकडाउन लागू किये जाने के बावजदू लोग क्वारंटीन तोड़ कर भाग जा रहे हैं. बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर की हरकतें भी तो याद ही होंगी कि कैसे लंदन से लौटने के बाद प्रोटोकॉल की परवाह न करते हुए वो लगातार पार्टियां करती रहीं और लोगों को खतरे में डालती रहीं. खतरा इतना कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक उसकी जद में आ चुके थे.

जिस देश में लोग इलाज के वक्त डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर थूक रहे हों. जिस देश में लोग कोरोना टेस्ट करने जा रहे डॉक्टरों पर धावा बोल दे रहे हों. जिस देश में लोग क्वारंटीन के लिए गये डॉक्टर को एंबुलेंस से खींच कर पीटने लग रहे हों, पुलिस टीम पर पथराव करने लग रहे हों - वहां लॉकडाउन किसी को फालतू की कवायद लगे तो उसकी समझ पर तरस आती है. चाहे वो कितना बड़ा नेता ही क्यों न हो. अपनी राजनीतिक जमीन बचाये रखने के लिए कुछ भी? कुछ भी?

प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी से एक सवाल ये भी पूछा गया - कोरोना की जंग में आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहां कमी रह गयी? राहुल गांधी का जवाब रहा - 'जिस दिन कोविड-19 को हिंदुस्तान ने हरा दिया, उस दिन बताऊंगा कि कमी कहां रह गई. आज मैं कंस्ट्रक्टिव सजेशन देना चाहता हूं - तू-तू-मैं-मैं नहीं करना चाहता.'

इन्हें भी पढ़ें :

Coronavirus: राहुल गांधी से भीलवाड़ा मॉडल का क्रेडिट तो राजस्थान के बाकी जिलों ने छीन लिया

Lockdown 2 की गाइडलाइंस से मोदी-शाह ने किया विपक्ष पर प्रहार

Coronavirus epidemic में भी विपक्ष की Lockdown पॉलिटिक्स चालू है!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲