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Rafale Jets: देश की सबसे उन्नत स्क्वाड्रन को पहली महिला पायलट मिलना गुंजन मूमेंट है!

    • शिव अरूर
    • Updated: 21 सितम्बर, 2020 09:58 PM
  • 21 सितम्बर, 2020 09:57 PM
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अंबाला हवाई अड्डे (Ambala air base) पर तैनात राफेल जेट (Rafale jets) के 17 स्क्वाड्रन को जल्द ही अपनी पहली महिला फाइटर पायलट (First woman fighter pilot) मिल जाएगी. भारतीय वायु सेना के पायलट अपनी ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं और जल्द ही अपने कर्तव्यों की शुरुआत करेंगे.

अंबाला (Ambala) स्थित भारतीय वायु सेना के ऑल मेल राफेल (Rafale) स्क्वाड्रन को अपनी पहली महिला फाइटर पायलट (first woman fighter pilot) जल्द ही मिल जाएगी. इंडिया टुडे को जानकारी मिली है कि IAF की 10 वर्तमान सक्रिय महिला फाइटर पायलट प्रशिक्षण से गुजर रही हैं जो जल्द ही 17 स्क्वाड्रन के साथ राफेल जेट उड़ाने की शुरुआत करेंगी. भारतीय वायुसेना के पहले 5 राफेल सेनानियों को 10 सितंबर को अंबाला में गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था. अगस्त के अंत में, जेट विमानों ने लद्दाख (Ladakh) के ऊपर उड़ान भरी थी जिन्हें परिचालन कार्यों के अंतर्गत लेह (Leh) में उतारा भी गया था. बता दें कि अक्टूबर और दिसंबर में अधिक राफेल विमानों का आगमन होगा, और 2021 के अंत तक सभी 36 विमानों को भारतीय बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा.

भारत में अब तक दस राफेल जेट वितरित किए जा चुके हैं. सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 के अंत तक पूरी होने वाली है.

महिला पायलट, IAF की संवेदनशीलता के कारण जिनकी पहचान इंडिया टुडे ने नहीं की है, अब तक लड़ाकू विमानों का पूर्व प्रशिक्षण हासिल कर चुकी हैं और मिग-21 पर पहले से ही काम कर रही हैं. गौरतलब है कि महिला फाइटर पायलट अपने पुरुष समकक्षों के रूप में एक समान प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं.

जब वे लड़ाकू विमान चलाने में पारंगत हो जाती हैं तो उन्हें रूपांतरण प्रशिक्षण से होकर गुजरना पड़ता है, यह पाठ्यक्रम पायलटों को लेना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि वे एक विमान से दूसरे विमान में जाते हैं. इस मामले में, महिला पायलट मिग -21 बाइसन से राफेल में परिवर्तित हो जाएगी, जो सभी मामलों में एक अलग और अधिक आधुनिक जेट है.

भारतीय वायुसेना के 10...

अंबाला (Ambala) स्थित भारतीय वायु सेना के ऑल मेल राफेल (Rafale) स्क्वाड्रन को अपनी पहली महिला फाइटर पायलट (first woman fighter pilot) जल्द ही मिल जाएगी. इंडिया टुडे को जानकारी मिली है कि IAF की 10 वर्तमान सक्रिय महिला फाइटर पायलट प्रशिक्षण से गुजर रही हैं जो जल्द ही 17 स्क्वाड्रन के साथ राफेल जेट उड़ाने की शुरुआत करेंगी. भारतीय वायुसेना के पहले 5 राफेल सेनानियों को 10 सितंबर को अंबाला में गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था. अगस्त के अंत में, जेट विमानों ने लद्दाख (Ladakh) के ऊपर उड़ान भरी थी जिन्हें परिचालन कार्यों के अंतर्गत लेह (Leh) में उतारा भी गया था. बता दें कि अक्टूबर और दिसंबर में अधिक राफेल विमानों का आगमन होगा, और 2021 के अंत तक सभी 36 विमानों को भारतीय बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा.

भारत में अब तक दस राफेल जेट वितरित किए जा चुके हैं. सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 के अंत तक पूरी होने वाली है.

महिला पायलट, IAF की संवेदनशीलता के कारण जिनकी पहचान इंडिया टुडे ने नहीं की है, अब तक लड़ाकू विमानों का पूर्व प्रशिक्षण हासिल कर चुकी हैं और मिग-21 पर पहले से ही काम कर रही हैं. गौरतलब है कि महिला फाइटर पायलट अपने पुरुष समकक्षों के रूप में एक समान प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं.

जब वे लड़ाकू विमान चलाने में पारंगत हो जाती हैं तो उन्हें रूपांतरण प्रशिक्षण से होकर गुजरना पड़ता है, यह पाठ्यक्रम पायलटों को लेना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि वे एक विमान से दूसरे विमान में जाते हैं. इस मामले में, महिला पायलट मिग -21 बाइसन से राफेल में परिवर्तित हो जाएगी, जो सभी मामलों में एक अलग और अधिक आधुनिक जेट है.

भारतीय वायुसेना के 10 महिला पायलटों ने अब तक कई प्रकार के जेट उड़ाए हैं, जिनमें Su-30 MKI और MiG-29 PG शामिल हैं. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनि चतुर्वेदी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट भवन्ना कंठ और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह 2016 में पहली महिला फाइटर पायलट बनीं हैं.

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनि चतुर्वेदी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट भवन्ना कंठ और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह

सरकार ने 2016 में फाइटर फ्लाइंग के लिए महिलाओं को मंजूरी दी थी. अब तक 10 महिला फाइटर पायलटों को कमीशन दिया जा चुका है. भारत के रक्षा राज्य मंत्री ने पिछले सप्ताह संसद में कहा था कि, 'महिला लड़ाकू पायलटों को रणनीतिक जरूरतों और परिचालन नीतियों के अनुसार IAF में शामिल और तैनात किया जाता है, जिसकी समय-समय पर समीक्षा की जाती है.'

4,231 की आवश्यक या स्वीकृत पायलट शक्ति के साथ, भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में 300 से अधिक पायलट की कमी है. यह संख्या लड़ाकू विमानों, परिवहन विमानों और हेलीकाप्टरों में फैली हुई है. जबकि सेवा में प्रवेश करने वाली महिला लड़ाकू पायलटों की संख्या अभी भी मामूली है, इसे एक स्वस्थ शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है जो आने वाले वर्षों में अधिक संख्या में अवश्य ही विकसित होगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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