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NTPC के भयंकर हादसे में राख हुईं उम्मीदें!

    • रमेश ठाकुर
    • Updated: 02 नवम्बर, 2017 02:23 PM
  • 02 नवम्बर, 2017 02:23 PM
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रायबरेली में जुबानी और कागजी, जो भी कुछ किया जाना है उसे फिलहाल किया जाएगा. लेकिन इस सबके बीच उनका क्या, जो इस हादसे में अपनी जान गवां चुके हैं?

बीआरडी अस्पताल हादसे से अभी प्रदेश उबरा भी नहीं था कि एक और बड़ा हादसा हो गया. सियासी हलचल को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला उत्तर प्रदेश का महत्पूर्ण जिला रायबरेली, बुधवार को भीषण हादसे में तब्दील हो गया. रायबरेली-एनटीपीसी हादसे की सबसे बड़ी खामी बाहर निकलकर सामने आई है. दरअसल जिस नए थर्मल पावर से भंयकर हादसा हुआ उसे हाल में स्थापित किया गया था. उसका ट्रायल नहीं किया गया था. दूसरी खामी, निपुण विशेषज्ञों की राय के बिना ही प्लांट को लगाकार सीधे काम के लिए चालू कर दिया गया था.

एक और बड़ी गलती जो सामने आई है कि ब्वायलर के नीचे जलने वाली आग की राख पाइप से छनकर नीचे गिरती है. लेकिन उसका पटला खोला ही नहीं गया. जब गरम राख ज्यादा एकत्र हो गई तो दबाव के चलते भयंकर ब्लास्ट हो गया. ब्लास्ट इस कदर था कि आसमान में अस्सी फीट ऊपर तक अंगारे उड़ने लगे. जब आग के गोले फटकर नीचे गिरे तो भंयकर हादसे में तब्दील हो गए.

घटना की मुख्य जगह पर एनडीआरएफ की टीम राहत-बचाव में लगी है. टीम के सदस्यों को संदेह है कि अभी भी राख में कई शव दबे हैं. जब हादसा हुआ उस दौरान पूरे प्लांन में करीब चार सौ कर्मचारी थे. ये कंपनी के बताए आंकड़े हैं. संख्या ज्यादा भी हो सकती है. ओएनजीसी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा खुद मानते हैं कि किसी भी प्लांट का डमी-ट्रायल किया जाता है. लेकिन रायबरेली स्थित अपनी छठी यूनिट में एनटीपीसी ने ये क्यों नहीं किया, इससे कई सवाल खड़े होते हैं. हादसे का भयावह दृश्य देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. आग में बुरी तरह जलकर शव दीवारों से टंगे थे.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब आधे घंटे तक आसमान से आग के गोले गिरते रहे. उन गोलों के चपेट में जो कर्मचारी आता गया वह मौत के काल में समाता गया. हादसा इतना भंयकर बताया जा रहा है कि मरने वालों की चीखें तक नहीं निकली. मरने वालों का शुरूआती आंकड़ा करीब दो दर्जन के आसपास बताया गया है लेकिन यह संख्या निश्चित तौर पर बढ़ेगी. डेढ़ सौ से ज्यादा घायलों को रायबरेली व उसके आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया...

बीआरडी अस्पताल हादसे से अभी प्रदेश उबरा भी नहीं था कि एक और बड़ा हादसा हो गया. सियासी हलचल को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला उत्तर प्रदेश का महत्पूर्ण जिला रायबरेली, बुधवार को भीषण हादसे में तब्दील हो गया. रायबरेली-एनटीपीसी हादसे की सबसे बड़ी खामी बाहर निकलकर सामने आई है. दरअसल जिस नए थर्मल पावर से भंयकर हादसा हुआ उसे हाल में स्थापित किया गया था. उसका ट्रायल नहीं किया गया था. दूसरी खामी, निपुण विशेषज्ञों की राय के बिना ही प्लांट को लगाकार सीधे काम के लिए चालू कर दिया गया था.

एक और बड़ी गलती जो सामने आई है कि ब्वायलर के नीचे जलने वाली आग की राख पाइप से छनकर नीचे गिरती है. लेकिन उसका पटला खोला ही नहीं गया. जब गरम राख ज्यादा एकत्र हो गई तो दबाव के चलते भयंकर ब्लास्ट हो गया. ब्लास्ट इस कदर था कि आसमान में अस्सी फीट ऊपर तक अंगारे उड़ने लगे. जब आग के गोले फटकर नीचे गिरे तो भंयकर हादसे में तब्दील हो गए.

घटना की मुख्य जगह पर एनडीआरएफ की टीम राहत-बचाव में लगी है. टीम के सदस्यों को संदेह है कि अभी भी राख में कई शव दबे हैं. जब हादसा हुआ उस दौरान पूरे प्लांन में करीब चार सौ कर्मचारी थे. ये कंपनी के बताए आंकड़े हैं. संख्या ज्यादा भी हो सकती है. ओएनजीसी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा खुद मानते हैं कि किसी भी प्लांट का डमी-ट्रायल किया जाता है. लेकिन रायबरेली स्थित अपनी छठी यूनिट में एनटीपीसी ने ये क्यों नहीं किया, इससे कई सवाल खड़े होते हैं. हादसे का भयावह दृश्य देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. आग में बुरी तरह जलकर शव दीवारों से टंगे थे.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब आधे घंटे तक आसमान से आग के गोले गिरते रहे. उन गोलों के चपेट में जो कर्मचारी आता गया वह मौत के काल में समाता गया. हादसा इतना भंयकर बताया जा रहा है कि मरने वालों की चीखें तक नहीं निकली. मरने वालों का शुरूआती आंकड़ा करीब दो दर्जन के आसपास बताया गया है लेकिन यह संख्या निश्चित तौर पर बढ़ेगी. डेढ़ सौ से ज्यादा घायलों को रायबरेली व उसके आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इसके अलावा ज्यादा गंभीर मरीजों को लखनऊ रेफर कराया गया.

भारतीयों को भूलने की आदत है इस हादसे को भी भूल जाएंगे

रायबरेली के ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की बिजली उत्पादन इकाई का जो ब्वॉयलर फटा है वह हाल ही में स्थापित किया गया था. हादसा कैसे हुआ इसकी जांच की जा रही है. लेकिन शुरूआती तौर पर कुछ खामियां निकल कर सामने आ रही हैं, वह चिंतित करने वाली हैं. सवाल उठता है कि प्लांट को लगाने में तकनीकी विशेषज्ञों की राय क्यों नहीं ली गई?

उत्तर प्रदेश पिछले कुछ समय से लगातार हादसों का शिकार हो रहा है. देश में इस समय चुनावी माहौल बना हुआ है. इस हादसे पर भी राजनीति शुरू हो जाएगी. पहली बेहूदा और बेशर्म प्रतिक्रिया जनता दल यूनाइटेट के निलंबित राज्यसभा सांसद अली अनवर की तरफ से आई है. उन्होंने रायबरेली के एनटीपीसी में हुई दुर्घटना में असंवेदनशील बयान दिया है. अनवर कहते हैं कि- "अगर सरकार ने ब्वॉयलर पर गेरुआ रंग चढ़ा दिया होता तो शायद दुर्घटना नहीं होती."

इनको शर्म आनी चाहिए कि ऐसे मौकों पर तो कुछ ख्याल रखें. हादसे पर दुख जाहिर करने के लिए खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी रायबरेली पहुंचे. राहुल गांधी इस समय गुजरात में चल रही अपनी नवसर्जन यात्रा में लगे हैं. लेकिन यात्रा को विराम देकर वो रायबरेली आए. राहुल एनटीपीसी ऊर्जा संयंत्र में हुए विस्फोट के मृतकों और घायलों के परिजनों से मिलें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जाहिर किया है. सोनिया गांधी भी दुखी हैं. यूपी सीएम ने मुआवजे के एलान के साथ उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये. गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये. और मामूली रूप से घायल हुए लोगों को 25-25 हजार रुपये देने की घोषणा की है.

मतलब जुबानी और कागजी, जो भी कुछ किया जाना है उसे फिलहाल किया जाएगा. लेकिन इस सबके बीच उनका क्या, जो इस हादसे में अपनी जान गवां चुके हैं? किसी का भाई बिछड़ गया, किसी का सुहाग उजड़ गया. बच्चे अनाथ हो गए. उनका दर्द शायद ही कोई महसूस कर सके. हमेशा से यही होता है आया है कि कंपनी प्रशासन की कमियों की वजह से अनगिनत लोगों की मौत हो जाती है. हादसे के बाद कुछ दिन जांच होती है और जैसे-जैसे समय गुजरता है, यादें भी धुंधली पड़ जाती हैं. यही इस हादसे पर भी होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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