• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Delhi election में सत्ता की चाबी पूर्वांचलियों के हाथ

    • आईचौक
    • Updated: 07 फरवरी, 2020 03:48 PM
  • 07 फरवरी, 2020 02:34 PM
offline
40 प्रतिशत होने के कारण दिल्ली विधासभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में पूर्वांचल (Purvanchal) के वोटर्स ने हमेशा ही निर्णायक भूमिका अदा की है. ऐसे में आप (AAP) से लेकर भाजपा(BJP) और कांग्रेस (Congress) तीनों ही दल अपने अपने तरीके से इन्हें साध रहे हैं और काडरों को यूपी बिहार (UP-Bihar) के अलावा विदेशों तक से इनके लिए बुलाया गया है.

दिल्ली में विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) होने हैं. ऐसे में हम पूर्वांचली वोटर्स (Purvanchal Voters) की भूमिका को नकार नहीं सकते. दिल्ली (Delhi) के वोटर्स में इनकी कुल हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है. तो चाहे आम आमदी पार्टी (Aam Aadmi Party) हो या फिर कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) सभी प्रमुख दलों का उद्देश्य यही होता है कि किसी भी सूरत में इन्हें साध लिया जाए ताकि जब चुनाव हों, तो इनके दम पर सरकार बना ली जाए. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) औ कांग्रेस (Congress) की नजर इन वोटर्स पर है. दोनों ही प्रमुख दलों ने उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) और बिहार (Bihar) से अपने काडरों को दिल्ली बुलाया है. पार्टियां चाहती हैं कि यूपी और बिहार से दिल्ली लाए गए ये काडर पूर्वांचल के इन वोटर्स को पार्टियों द्वारा उनके हित में किये जा रहे कामों के बारे में बताएं. ध्यान रहे कि दिल्ली में पूरब के वोटर मेजॉरिटी में हैं. भाजपा पूर्वांचल के इन वोटर्स के प्रति बहुत गंभीर है. पार्टी प्रवक्ता राहुल त्रिवेदी कि मानें तो भाजपा, स्टार प्रचारक के तौर पर दिल्ली में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (Bihar Deputy CM Sushil Modi) और दिनेश लाल यादव (निरहुआ) (Dinesh Lal Yadav Nirahua) को लाई है. बताया जा रहा है कि जो स्थानीय नेता हैं उन्हें इन काडरों के रुकने, रहने और खाने की जिम्मेदारी दी गई है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बोलबाला पूर्वांचल के वोटर्स का है तो सभी प्रमुख sal इन्हें अपने अपने तरीके से साध रहे हैं

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजली, पानी, स्कूल, शाहीनबाग के अलावा अनधिकृत कॉलोनियां एक बड़ा मुद्दा हैं. इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के अलावा भाजपा बहुत गंभीर नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि भाजपा अनाधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के बारे में...

दिल्ली में विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) होने हैं. ऐसे में हम पूर्वांचली वोटर्स (Purvanchal Voters) की भूमिका को नकार नहीं सकते. दिल्ली (Delhi) के वोटर्स में इनकी कुल हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है. तो चाहे आम आमदी पार्टी (Aam Aadmi Party) हो या फिर कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) सभी प्रमुख दलों का उद्देश्य यही होता है कि किसी भी सूरत में इन्हें साध लिया जाए ताकि जब चुनाव हों, तो इनके दम पर सरकार बना ली जाए. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) औ कांग्रेस (Congress) की नजर इन वोटर्स पर है. दोनों ही प्रमुख दलों ने उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) और बिहार (Bihar) से अपने काडरों को दिल्ली बुलाया है. पार्टियां चाहती हैं कि यूपी और बिहार से दिल्ली लाए गए ये काडर पूर्वांचल के इन वोटर्स को पार्टियों द्वारा उनके हित में किये जा रहे कामों के बारे में बताएं. ध्यान रहे कि दिल्ली में पूरब के वोटर मेजॉरिटी में हैं. भाजपा पूर्वांचल के इन वोटर्स के प्रति बहुत गंभीर है. पार्टी प्रवक्ता राहुल त्रिवेदी कि मानें तो भाजपा, स्टार प्रचारक के तौर पर दिल्ली में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (Bihar Deputy CM Sushil Modi) और दिनेश लाल यादव (निरहुआ) (Dinesh Lal Yadav Nirahua) को लाई है. बताया जा रहा है कि जो स्थानीय नेता हैं उन्हें इन काडरों के रुकने, रहने और खाने की जिम्मेदारी दी गई है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बोलबाला पूर्वांचल के वोटर्स का है तो सभी प्रमुख sal इन्हें अपने अपने तरीके से साध रहे हैं

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजली, पानी, स्कूल, शाहीनबाग के अलावा अनधिकृत कॉलोनियां एक बड़ा मुद्दा हैं. इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के अलावा भाजपा बहुत गंभीर नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि भाजपा अनाधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बैठकें आयोजित कर रही है. ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश और बिहार के ज्यादातर लोग इन्हीं कॉलोनियों में रहते हैं इसलिए भाजपा की यही कोशिश है कि वो यहां ज्यादा से ज्यादा पहुंचे और यहां रहने वाले लोगों को अपनी बातों से प्रभावित करे.

बिहार में पार्टी (भाजपा) की पंचायती राज विंग के संयोजक ओम प्रकाश भुवन ने अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए बताया है कि लोगों से ये मुलाकातें ज्यादातर भोजपुरी का इस्तेमाल करते हुए हो रही हैं. सवाल होगा कि अपनी इन मुलाकातों में भाजपा क्यों भोजपुरी का इस्तेमाल कर रही है? तो कारण बस इतना है कि भाजपा अपने वोटर्स विशेषकर पूर्वांचल से आए लोगों को इस बात का एहसास कराना चाह रही है कि उसे उनकी परवाह है बाकी भाषा की राजनीति कर भाजपा ने विरोधियों को एक अलग तरह का सन्देश देने का प्रयास किया है.

भाजपा के अलावा हमने कांग्रेस का भी जिक्र किया है तो बता दें कि कांग्रेस सने भी इस दिशा में कमर कस रखी है. कांग्रेस शायद इस बात को समझ रही है कि बिना पूर्वांचल के वोटर को साथ लिए मोदी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती. कांग्रेस ने भी अपने काडरों को दिल्ली के उन स्थानों पर भेजा है जहां पूर्वांचल के लोगों की एक बड़ी संख्या रहती है. दिलचस्प बात ये है कि पार्टी की बिहार इकाई से ताल्लुख रखने वाले मदन मोहन झा पिछले एक महीने से दिल्ली में हैं और पूर्वांचल के वोटर्स को कैसे साधा जाए इसपर अपनी रणनीति बना रहे हैं.

दिल्ली चुनाव में पूर्वांचल के वोटर्स को साधने की होड़ कुछ ऐसी है कि मंगोलपुरी जैसे दिल्ली के हिस्सों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को डोर टू डोर कैम्पेन करते बड़ी ही आसानी के साथ देखा जा सकता है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी से जुड़े और किसी ज़माने में बिहार के पूर्णिया में रहकर कांग्रेस के लिए काम करने वाले मसूद ज़फर की मानें तो हम उन स्थानों पर मीटिंग का आयोजन कर रहे हैं जहां पूर्वांचल के लोग रहते हैं. साथ ही हम उन्हें ये भी बता रहे हैं कि कैसे पिछले 5 सालों में उन्हें विकास से दूर किया गया. इन मीटिंग्स की सबसे खास बात ये हैं कि बहुत छोटे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस मैथली और भोजपुरी का इस्तेमाल कर रही है.

ज़फर का मानना है की पूर्वांचल के लोग दिल्ली की रीढ़ हैं जिन्हें अलग अलग दलों ने हमेशा ही नकारा है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि दिल्ली चुनाव ने पूर्वांचल के इन लोगों को मौका दिया है कि ये लोग अपने हक के लिए कांग्रेस को वोट करें और उसे सत्ता में लेकर आएं.

पूर्वांचल के वोटर्स को साधने के मामले में आम आदमी पार्टी भी किसी से पीछे नहीं है और उसने विदेश तक से कार्यकर्ता बुलवा लिए हैं. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी घर घर जाकर लोगों को ये बता रहे हैं कि आखिर उन्हें क्यों आम आदमी पार्टी को मौका देकर तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. अपने घोषणा पत्र में आम आदमी पार्टी पहले ही भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने की कोशिश करने का वादा कर चुकी है.

दिल्ली की सत्ता अरविंद केजरीवाल के हाथ से फिसलती है. या वो उसे बचाने में कामयाब होते हैं? दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा का क्या भविष्य होगा सारे सवालों के जवाब वक़्त देगा. मगर जो वर्तमान है, वो इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि फिलहाल दिल्ली चुनावों में ईश्वर की भूमिका में पूर्वांचल के वोटर हैं और तीनों ही प्रमुख दल यही जुगत भिड़ा रहे हैं कि ऐसा क्या करें कि वो खुश हो जाएं और उन्हें मन मुताबिक फायदा मिले. 

ये भी पढ़ें -

Delhi election campaign: बीजेपी बनाम टुकड़े-टुकड़े गैंग

Kejriwal की देशभक्ति और हनुमान भक्ति का दिल्‍ली चुनाव से रिश्‍ता क्‍या?

Delhi election में 'राहुल गांधी' बन गए हैं अरविंद केजरीवाल

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲