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पुलवामा हमला: मोदी सरकार की पाकिस्तान पर पहली 'स्‍ट्राइक' तो हवा-हवाई निकली!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 15 फरवरी, 2019 07:53 PM
  • 15 फरवरी, 2019 07:53 PM
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पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा तो छीन लिया गया है, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे देश को ये दर्जा दिया ही क्यों, जो आतंक का पनाहगार है? सवाल ये भी कि इससे पाकिस्तान पर कोई असर भी होगा या नहीं?

पुलवामा हमले में 37 जवानों के शहीद होने के बाद कड़ी कार्रवाई का पहला कदम उठाते हुए भारत ने पाकिस्तान से 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा छीन लिया है. मोस्‍ट फेवर्ड नेशन स्‍टेटस के तहत पाकिस्‍तान के व्‍यापारियों को वो सभी रियायतें मिल रहीं थी, जो भारत WTO के अन्य सदस्य देशों को देता है. यानी एक ओर तो पाकिस्तान भारतीय सीमा पर सीजफायर उल्लंघन करता है, वहीं दूसरी ओर उसी पाकिस्तान को भारत की ओर से व्यापार में मदद मिलती है. एक ओर पाकिस्तान में पनाह पाया हुआ आतंकवाद आए दिन भारत में धमाके करता है, वहीं दूसरी ओर, जरूरतें पूरी करने के लिए मोस्‍ट फेवर्ड नेशन होने की वजह से भारत से मदद भी पाता है.

अब पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा तो छीन लिया गया है, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे देश को ये दर्जा दिया ही क्यों, जो आतंक का पनाहगार है. एक-दो बार नहीं, बल्कि बार-बार पाकिस्तान ने भारत को धोखा ही दिया है. खैर, अभी तो सिर्फ मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीना है. सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सख्त कदम उठाने वाली सरकार आगे क्या करती है ये देखना दिलचस्प होगा. यहां सबसे जरूरी ये समझना है कि मोस्ट फेवर्ड नेशन के मायने क्या होते हैं? अगर पाकिस्तान से ये दर्जा वापस ले लिया है तो क्या इससे पाकिस्तान को कोई नुकसान होगा या नहीं?

भारत ने पाकिस्तान से 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा छीन लिया है.

'मोस्ट फेवर्ड नेशन' के मायने

जिस देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया जाता है, उस देश को व्यापार में अधिक प्राथमिकता दी जाती है. इसके अलावा उसे कई तरह की छूट भी दी जाती हैं. साथ ही, उस देश के साथ व्यापार उसी टैरिफ पर व्यापार करना होता है, जिस टैरिफ पर WTO के अन्य सदस्य देशों के साथ किया जाता है. यानी बिना किसी भेदभाव के व्यापार करना...

पुलवामा हमले में 37 जवानों के शहीद होने के बाद कड़ी कार्रवाई का पहला कदम उठाते हुए भारत ने पाकिस्तान से 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा छीन लिया है. मोस्‍ट फेवर्ड नेशन स्‍टेटस के तहत पाकिस्‍तान के व्‍यापारियों को वो सभी रियायतें मिल रहीं थी, जो भारत WTO के अन्य सदस्य देशों को देता है. यानी एक ओर तो पाकिस्तान भारतीय सीमा पर सीजफायर उल्लंघन करता है, वहीं दूसरी ओर उसी पाकिस्तान को भारत की ओर से व्यापार में मदद मिलती है. एक ओर पाकिस्तान में पनाह पाया हुआ आतंकवाद आए दिन भारत में धमाके करता है, वहीं दूसरी ओर, जरूरतें पूरी करने के लिए मोस्‍ट फेवर्ड नेशन होने की वजह से भारत से मदद भी पाता है.

अब पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा तो छीन लिया गया है, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे देश को ये दर्जा दिया ही क्यों, जो आतंक का पनाहगार है. एक-दो बार नहीं, बल्कि बार-बार पाकिस्तान ने भारत को धोखा ही दिया है. खैर, अभी तो सिर्फ मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीना है. सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सख्त कदम उठाने वाली सरकार आगे क्या करती है ये देखना दिलचस्प होगा. यहां सबसे जरूरी ये समझना है कि मोस्ट फेवर्ड नेशन के मायने क्या होते हैं? अगर पाकिस्तान से ये दर्जा वापस ले लिया है तो क्या इससे पाकिस्तान को कोई नुकसान होगा या नहीं?

भारत ने पाकिस्तान से 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा छीन लिया है.

'मोस्ट फेवर्ड नेशन' के मायने

जिस देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया जाता है, उस देश को व्यापार में अधिक प्राथमिकता दी जाती है. इसके अलावा उसे कई तरह की छूट भी दी जाती हैं. साथ ही, उस देश के साथ व्यापार उसी टैरिफ पर व्यापार करना होता है, जिस टैरिफ पर WTO के अन्य सदस्य देशों के साथ किया जाता है. यानी बिना किसी भेदभाव के व्यापार करना होता है. विकासशील देशों को इससे सबसे अधिक फायदा होता है क्योंकि उन्हें एक बड़ा बाजार मिल जाता है, जिससे उनके देश की अर्थव्यवस्था सुधरती है. इसके तहत भारत-पाक के बीच कई चीजों का बिना किसी शुल्क के व्यापार होता है.

कब छीना जा सकता है ये दर्जा?

भारत ने पाकिस्तान को 1996 में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था, लेकिन अब उसे छीन लिया है. अगर दो देशों के बीच सुरक्षा से जुड़ी कोई समस्या हो जाती है तो WTO के आर्टिकल 21बी(iii) के तहत ये दर्जा छीना जा सकता है. हाल ही में हुए पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में पनाह पाए आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. इससे ये तो साफ हो जाता है कि पाकिस्तान भी उन 37 जवानों की मौत का कसूरवार है, इसलिए भारत ने पाकिस्तान से ये दर्जा छीन लिया है.

पाकिस्तान जैसे देश को भारत ने ये दर्जा दिया ही क्यों?

ये आज की बात नहीं है कि पाकिस्तान पीठ में छुरा घोंपने का काम करता है. 1965 और 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध किया, बावजूद इसके 1996 में भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे दिया. इतना ही नहीं, 1999 में तो करगिल युद्ध भी हुआ, लेकिन तब भी पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा क्यों नहीं छीना गया? संसद पर हमला, देश के अलग-अलग शहरों में बम धमाके और सबसे ऊपर 26/11 मुंबई अटैक. 2016 में हुए उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक तो की, लेकिन MFN का दर्जा सलामत रहा. हालांकि, तभी से ये दर्जा वापस लेने की कवायद चल पड़ी थी. जो देश आतंकवाद के लिए पनाहगार बना हुआ है, उसे किसी भी तरह की मदद नहीं देनी चाहिए. बावजूद इसके पहले तो भारत ने लाख खराब संबंधों के बावजूद पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा बरकरार रखा और इतना सब हो जाने के बाद उसे छीना. इतनी देर क्यों?

पाकिस्तान पर इसका क्या फर्क पड़ेगा?

एसोचैम के अनुसार पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने से दोनों देशों के बीच कारोबार पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था. भारत-पाक के बीच काफी कम कारोबार होता है. 2015-16 में भारत का कुल व्यापार सिर्फ 641 अरब डॉलर रहा था, जबकि पाकिस्तान के साथ सिर्फ 2.67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. भारत ने पाकिस्तान को सिर्फ 2.17 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो भारत के कुल निर्यात का सिर्फ 0.83 फीसदी है. वहीं दूसरी ओर भारत का आयात 50 करोड़ ड़लर से भी कम है, जो भारत के कुल आयात का सिर्फ 0.13 फीसदी है. यानी ये दर्जा तो सिर्फ औपचारिकता भर बनकर रह गया था, जो दोनों में से किसी भी देश के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं हुआ.

भारत-पाक के बीच होता है इन चीजों का व्यापार

भारत की ओर से पाकिस्तान को चीनी, चाय, ऑयल केक, पेट्रोलियम ऑयल, कॉटन, टायर, रबड़ समेत करीब 14 चीजों का निर्यात किया जाता है. वहीं दूसरी ओर, भारत अमरूद, आम, अनानास, फ्रेबिक कॉटन, साइक्लिक हाइड्रोकॉर्बन, पेट्रोलियम गैस, पोर्टलैंड सीमेंट, कॉपर वेस्‍ट और स्‍क्रैप, कॉटन यॉर्न समेत करीब 19 चीजों का पाकिस्तान से आयात करता है. पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिए जाने के बाद अब विशेषज्ञ मान रहे हैं कि पाक से आने वाले ड्यूटी फ्री सीमेंट के आयात पर असर पड़ सकता है. हालांकि, दोनों देशों के बीच व्यापार बेहद कम है, ऐसे में न तो भारत पर कोई खास फर्क पड़ेगा ना पाकिस्तान पर.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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