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कांग्रेस की हार पर प्रियंका गांधी का विश्लेषण: 'हम नहीं सुधरेंगे'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 14 जून, 2019 01:41 PM
  • 14 जून, 2019 01:41 PM
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मां सोनिया गांधी के साथ रायबरेली पहुंची प्रियंका गांधी ने भले ही कार्यकर्ताओं पर सारा दोष डाल कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली हो मगर उन्हें ये सोचना चाहिए कि यदि कार्यकर्ता लापरवाह हुए हैं तो इसकी एक बड़ी वजह खुद इन लोगों का रवैया रहा है.

2019 के आम चुनावों में मिली शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी में न सिर्फ हार के कारणों पर विचार विमर्श शुरू हुआ है. बल्कि दूसरों पर ठीकरे फोड़े जा रहे हैं और आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. एक तरफ जहां पार्टी अध्यक्ष Rahul Gandhi ने इस हार का जिम्मेदार अपने नेतृत्व को ठहराया है और अपने इस्तीफे की पेशकश की है. तो वहीं Priyanka Gandhi का मानना है कि इस हार की सबसे बड़ी वजह काडर का लापरवाह होना है. बात समझने के लिए हम उत्तर प्रदेश के रायबरेली(Raebareli) का रुख कर सकते हैं.

संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ 'थैंक्स गिविंग' के तहत रायबरेली आई प्रियंका ने हार का सारा दोष कार्यकर्ताओं पर मढ़कर अपनी जिम्मेदारी से हाथ धो लिए. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पहली बार सोनिया के साथ रायबरेली पहुंची प्रियंका, पार्टी की परफॉरमेंस से खासी नाराज दिखीं. अपने भाषण के दौरान न सिर्फ प्रियंका ने भाजपा की तीखी आलोचना की बल्कि कार्यकर्ताओं की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाकर उन्होंने बता दिया कि यदि पार्टी ने इतनी खराब परफॉरमेंस दी है तो इसकी एक बड़ी वजह कार्यकर्ताओं का लचर रवैया है.

खराब परिणामों से आहत प्रियंका गांधी ने रायबरेली में कार्यकर्ताओं को डांटकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है

जनता विशेषकर कार्यकर्ताओं को संबोधित अपने भाषण में प्रियंका ने कहा कि, मैं बोलना नहीं चाहती थी, लेकिन मुझे बोलना पड़ रहा है कि सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर जीत पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं, बल्कि मतदाताओं के प्रयास की वजह से हुई. अपने भाषण में प्रियंका ने साफ लहजे में इस बात को कहा कि, 'इस चुनाव में रायबरेली की जनता ने सोनिया गांधी को जिताया है. सच्चाई कड़वी लगेगी लेकिन सच्चाई ये है कि ये चुनाव सोनिया गांधी ने और जनता ने जिताया है....

2019 के आम चुनावों में मिली शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी में न सिर्फ हार के कारणों पर विचार विमर्श शुरू हुआ है. बल्कि दूसरों पर ठीकरे फोड़े जा रहे हैं और आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. एक तरफ जहां पार्टी अध्यक्ष Rahul Gandhi ने इस हार का जिम्मेदार अपने नेतृत्व को ठहराया है और अपने इस्तीफे की पेशकश की है. तो वहीं Priyanka Gandhi का मानना है कि इस हार की सबसे बड़ी वजह काडर का लापरवाह होना है. बात समझने के लिए हम उत्तर प्रदेश के रायबरेली(Raebareli) का रुख कर सकते हैं.

संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ 'थैंक्स गिविंग' के तहत रायबरेली आई प्रियंका ने हार का सारा दोष कार्यकर्ताओं पर मढ़कर अपनी जिम्मेदारी से हाथ धो लिए. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पहली बार सोनिया के साथ रायबरेली पहुंची प्रियंका, पार्टी की परफॉरमेंस से खासी नाराज दिखीं. अपने भाषण के दौरान न सिर्फ प्रियंका ने भाजपा की तीखी आलोचना की बल्कि कार्यकर्ताओं की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाकर उन्होंने बता दिया कि यदि पार्टी ने इतनी खराब परफॉरमेंस दी है तो इसकी एक बड़ी वजह कार्यकर्ताओं का लचर रवैया है.

खराब परिणामों से आहत प्रियंका गांधी ने रायबरेली में कार्यकर्ताओं को डांटकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है

जनता विशेषकर कार्यकर्ताओं को संबोधित अपने भाषण में प्रियंका ने कहा कि, मैं बोलना नहीं चाहती थी, लेकिन मुझे बोलना पड़ रहा है कि सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर जीत पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं, बल्कि मतदाताओं के प्रयास की वजह से हुई. अपने भाषण में प्रियंका ने साफ लहजे में इस बात को कहा कि, 'इस चुनाव में रायबरेली की जनता ने सोनिया गांधी को जिताया है. सच्चाई कड़वी लगेगी लेकिन सच्चाई ये है कि ये चुनाव सोनिया गांधी ने और जनता ने जिताया है. सच्चाई ये है कि आप सब में से जिसने दिल से काम किया है उसकी जानकारी आपको है और जिसने नहीं किया है उसकी जानकारी मैं करूंगी.'

इसके अलावा प्रियंका ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रभारी समेत कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी कि.'वह उन लोगों के बारे में पता लगाए, जिन्होंने पार्टी के पक्ष में काम नहीं किया'. प्रियंका की बात सही है और हम इस बात का पूरा समर्थन करते हैं कि, कोई भी चुनाव हो,एक नेता तब तक चुनाव नहीं जीत सकता जब तक काडर उसके साथ न हो. ऐसे में जो बातें प्रियंका ने कहीं हैं उसने इस बात की तरफ इशारा कर दिया है कि कमियां स्वयं पार्टी के अन्दर हैं. कह सकते हैं कि कांग्रेस की पस्ताहाली का एक अहम कारण कार्यकर्ताओं के बीच आपसे तालमेल न होना है साथ ही संचार भी यहां एक प्रमुख समस्या के रूप में देखा जा सकता है.

पार्टी की स्थिति कैसी है? इसे हम कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठकों से भी आसानी से समझ सकते हैं. राफेल के मुद्दे पर राहुल गांधी उपस्थित लोगों से हाथ खड़े करवाते हैं और पूछते हैं कि उनके राफेल मुद्दे पर इतना सब कुछ बोलने के बाद इन लोगों ने उस विषय पर क्या? कितनी बात की? सवाल होगा कि एक पार्टी अध्यक्ष का अपनी पार्टी के लोगों से ऐसे सवाल करने का क्या औचित्य है? प्रश्न का जवाब भी प्रश्न में ही छिपा है और जवाब बस ये है कि कांग्रेस में दिक्कत चैनल ऑफ कमांड की है. यहां किसको बोला जाता है? कौन सुनता है किसी को कुछ नहीं पता.

उपरोक्त बातों को एक उदाहरण के जरिये भी समझा जा सकता है. मान लीजिये कि किसी सभा के दौरान राहुल गांधी कुछ कह रहे हैं. या फिर प्रियंका और सोनिया कुछ जरूरी निर्देश दे रही हैं तो उसे तत्कालीन अधीनस्थों द्वारा चाटुकारिता के तहत सुन तो लिया जाएगा मगर जब बात उसपर अमली जमा पहनाने की आएगी या फिर उसे नीचे तक प्रचारित और प्रसारित करने की होगी वो सन्देश नीचे नहीं जाएगा. लोग ऊपर ऊपर तो हां में हां मिलाएंगे मगर अपनी अपनी लापरवाही के चलते चैनल ऑफ कमांड को सिरे से खारिज कर देंगे.

कह सकते हैं कि यदि वाकई कांग्रेस को अपनी स्थिति सुधारनी है तो न सिर्फ पार्टी से जुड़े लोगों को चैनल ऑफ कमांड के विषय में गंभीर होना पड़ेगा बल्कि ये तक निश्चित करना होगा कि जो सन्देश ऊपर तक आ रहा है वो नीचे काडर तक जाए. सन्देश नीचे पहुंचना कितना जरूरी है इसे हम भाजपा और उसकी कार्यप्रणाली से समझ सकते हैं. आज चाहे कांग्रेस हो या फिर सपा बसपा या फिर कोई अन्य दल. भाजपा की लाख आलोचनाएं हों मगर इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि संदेशों और आदेशों को लेकर जो ट्रांसपेरेंसी भाजपा में है वो किसी अन्य दल में नहीं है. भाजपा में ऊपर से नीचे तक सभी को पता है कि उसे क्या औरत कितना करना है.

आज भले ही प्रियंका पार्टी की करारी शिकस्त का जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को ठहरा रही हों और उन्हें कोस रही हों मगर उन्हें याद रखना चाहिए कि पार्टी वही काट रही है जो पूर्व में बोया गया है. पार्टी  तब तक सुचारू ढंग से काम नहीं कर सकती जब तक उसमें ये सलाहियत न पैदा हो जाए कि वो चाटुकारिता छोड़ वाकई सबके साथ और सबके विकास पर ध्यान दे.

बहरहाल, इस बात में कोई शक नहीं है कि पार्टी हारी है और बुरी तरह हारी है मगर जिस तरह उन्होंने सारा ठीकरा कार्यकर्ताओं पर फोड़ा है वो कहीं न कहें उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता दर्शा रहा है. प्रियंका या फिर खुद राहुल गांधी यदि वाकई कांग्रेस के प्रचार प्रसार के प्रति गंभीर है तो सबसे पहले उन्हें कुछ ऐसे प्रबंध करने चाहिए जिससे न सिर्फ उनके मातहत उनके द्वारा कही बात सुनें बल्कि उस बात को कार्यकर्ताओं तक जमीन पर भी ले जाएं.

यदि कांग्रेस ऐसा कर ले गई तो अच्छी बात है अन्यथा उसके बुरे दिन शुरू हो ही चुके हैं. कांग्रेस 52 सीटों पर आ गई है बेहतर है वो अपनी पिछली गलतियों से सीख ले और उनपर काम करे यूं किसी पर इल्जाम लगाना और कुछ नहीं बस पार्टी की छवि को और खराब करता नजर आ रहा है.     

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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