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कांग्रेस किस बूते अकेले लड़ेगी यूपी चुनाव, या अभी सिर्फ 2024 की तैयारी करनी है?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 15 नवम्बर, 2021 06:27 PM
  • 15 नवम्बर, 2021 06:27 PM
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यूपी चुनाव (UP Election 2022) की तस्वीर अब काफी साफ हो चुकी है. प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने भी ऐलान कर दिया है कि कांग्रेस किसी के साथ चुनावी गठबंधन (Congress for NO Alliances) नहीं करने जा रही है - आखिर कांग्रेस में ये आत्मविश्वास किस दम पर आया है?

कांग्रेस भी अब उत्तर प्रदेश में चुनाव अकेले ही लड़ेगी - ये बात अलग है कि अभी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसके दम पर ये ऐलान किया है. हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की हुई मौत से पहले लखीमपुर खीरी दौरे में ही प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने आने वाले यूपी चुनाव को लेकर गठबंधन की पहल की थी. ये तो है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद कांग्रेस को लोगों के बीच पहुंचने का मौका ज्यादा मिलने लगा है.

उत्तर प्रदेश (P Election 2022) में कांग्रेस दूसरी पार्टी है जिसने सभी 403 सीटों पर अपने दम पर चुनाव मैदान (Congress for NO Alliances) में उतरने का फैसला किया है. कांग्रेस से पहले साफ तौर पर ऐसी बात सिर्फ बीएसपी नेता मायावती ने की है. पूरे ब्राह्मण सम्मेलन के दौरान पार्टी महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ये बात लगातार बताते रहे हैं.

यहां तक कि बीजेपी ने भी चुनाव पूर्व गठबंधन कर रखा है - अनुप्रिया पटेल के अपना दल और निषाद पार्टी के साथ. समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव अब तक सिर्फ बड़े दलों के साथ गठबंधन से इनकार करते रहे हैं. ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव, ओम प्रकाश राजभर और आरएलडी नेता जयंत चौधरी के साथ गठबंधन करेंगे. 2019 के आम चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन के बीच अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को अपने हिस्से से कुछ सीटें दी थी.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि सिर्फ कांग्रेस ही अकेली पार्टी है जो बीजेपी के खिलाफ मोर्चे पर लड़ रही है - और ये भी बताया कि कांग्रेस के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारियां की जा चुकी है.

अब ये समझना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी वाड्रा की ताजा घोषणा की वजह सिर्फ महिला और मुस्लिम वोटों के भरोसे पार्टी...

कांग्रेस भी अब उत्तर प्रदेश में चुनाव अकेले ही लड़ेगी - ये बात अलग है कि अभी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसके दम पर ये ऐलान किया है. हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की हुई मौत से पहले लखीमपुर खीरी दौरे में ही प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने आने वाले यूपी चुनाव को लेकर गठबंधन की पहल की थी. ये तो है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद कांग्रेस को लोगों के बीच पहुंचने का मौका ज्यादा मिलने लगा है.

उत्तर प्रदेश (P Election 2022) में कांग्रेस दूसरी पार्टी है जिसने सभी 403 सीटों पर अपने दम पर चुनाव मैदान (Congress for NO Alliances) में उतरने का फैसला किया है. कांग्रेस से पहले साफ तौर पर ऐसी बात सिर्फ बीएसपी नेता मायावती ने की है. पूरे ब्राह्मण सम्मेलन के दौरान पार्टी महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ये बात लगातार बताते रहे हैं.

यहां तक कि बीजेपी ने भी चुनाव पूर्व गठबंधन कर रखा है - अनुप्रिया पटेल के अपना दल और निषाद पार्टी के साथ. समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव अब तक सिर्फ बड़े दलों के साथ गठबंधन से इनकार करते रहे हैं. ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव, ओम प्रकाश राजभर और आरएलडी नेता जयंत चौधरी के साथ गठबंधन करेंगे. 2019 के आम चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन के बीच अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को अपने हिस्से से कुछ सीटें दी थी.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि सिर्फ कांग्रेस ही अकेली पार्टी है जो बीजेपी के खिलाफ मोर्चे पर लड़ रही है - और ये भी बताया कि कांग्रेस के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारियां की जा चुकी है.

अब ये समझना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी वाड्रा की ताजा घोषणा की वजह सिर्फ महिला और मुस्लिम वोटों के भरोसे पार्टी को खड़ा करने की कोशिश ही है या कोई और भी वजह भी हो सकती है?

कांग्रेस को अकेले लड़ने की ताकत कहां से मिली?

बुलंदशहर के डीबीबीएस कॉलेज के मैदान में 14 जिलों के कांग्रेस पदाधिकारी जुटे थे - और जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहुंची तो दोपहर हो चुकी थी. लक्ष्य 2022 के बैनर तले आयोजित कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में प्रियंका गांधी के सामने पहला चैलेंज साथियों और सिपाहियों के मन में जोश भरना था. प्रियंका गांधी वाड्रा ने वहां जो भी बातें की, सुनने और समझने के बाद भी लगता तो ऐसा ही है.

कार्यकर्ताओं की बीच पहुंचने पर प्रियंका गांधी वाड्रा कोई न कोई ऐसी बात जरूर कहती हैं जो राजनीतिक तौर पर एनर्जी ड्रिंक का काम करे. जैसे 2019 के आम चुनाव के पहले बातों बातों में प्रियंका गांधी ने पूछ लिया था - बनारस से ही लड़ जायें तो कैसा रहेगा? फिर क्या था कई हफ्ते तक प्रियंका गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा होती रही - और आखिर तक ये चर्चा से आगे नहीं बढ़ी. बुलंदशहर में भी कार्यकर्ताओं के साथ प्रियंका गांधी ने उनकी हौसलाअफजाई में कोई कसर बाकी नहीं रखी है.

1. तैयारी पूरी है, फिक्र नहीं करने की: प्रियंका गांधी ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा भी वैसे ही की जैसे छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी देने का वादा किया था. कुछ ऐसे कि जो लोग चाहते हैं, कांग्रेस वही करने का प्रयास कर रही है.

कार्यकर्ताओं से बातचीत करते करते प्रियंका गांधी वाड्रा बोलीं, 'कई लोगों ने मुझसे कहा कि कुछ भी करिये इस बार गठबंधन मत करिये... मैं आप लोगों को आश्वासन देना चाहती हूं... हम सारी सीटों पर लड़ेंगे... अपने दम पर लड़ेंगे - हमने इसका प्लान भी तैयार कर लिया है.'

प्रियंका गांधी असल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पांच साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ किये गये चुनावी गठबंधन की याद दिला रही थीं. हाल ही में जब अखिलेश यादव के साथ एक फ्लाइट में प्रियंका गांधी के साथ मुलाकात की तस्वीर सामने आयी तो फिर से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन की बातें होने लगी थीं. प्रियंका गांधी ने अब ऐसी चर्चाओं को खत्म कर दिया है.

2. कांग्रेस के लड़ाई में होने का भ्रम कैसे: अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी की विजय यात्रा निकालने कुशीनगर पहुंचे थे और वहीं से कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए बोले - पिछली बार कांग्रेस हमारे साथ गठबंधन के चलते जीत गयी थी. इस बार हमें कांग्रेस को सबक सिखाना है.

अखिलेश यादव, दरअसल, कुशीनगर की तुमकुही में रैली कर रहे थे. 2017 में तुमकुही राज विधानसभा सीट गठबंधन के तहत कांग्रेस के हिस्से में पड़ी थी - और फिलहाल इस सीट से अजय कुमार लल्लू विधायक हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा ने अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस की कमान सौंपी हुई है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि जिस दिन अखिलेश यादव ने कांग्रेस को सबक सिखाने की बात की है, प्रियंका गांधी ने भी एक अन्य शहर में कांग्रेस के बगैर गठबंधन के चुनाव लड़ने की जानकारी दी है. जैसे समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में जगह जगह से विजय रथयात्रा निकाल रहे हैं, प्रियंका गांधी वाड्रा प्रतिज्ञा यात्रा कर रही हैं.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने ये भी दावा किया कि ये कांग्रेस पार्टी ही है जो बीजेपी के खिलाफ हर जगह खड़ी हुई है. प्रियंका गांधी के मुताबिक, यूपी के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी ने तो बीजेपी के सामने जैसे सरेंडर ही कर दिया है.

प्रियंका गांधी ने कहा कि चूंकि बीजेपी से सिर्फ कांग्रेस ही लड़ रही है, इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ता निशाने पर हैं. प्रियंका गांधी ने बताया कि पिछले डेढ़ साल में बीजेपी से लड़ाई के चलते ही कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को जेल जाना पड़ा है.

3. महिला वोट पर कांग्रेस को ज्यादा भरोसा: महिला वोट को लेकर प्रियंका गांधी को ज्यादा भरोसा लगता है, तभी तो कांग्रेस की तैयारियों के बारे में बताते हुए भी बार बार महिलाओं को उम्मीदवार बनाने के फैसले की याद दिलाना नहीं भूल रही हैं.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने बताया कि यूपी की सभी 403 सीटों के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और उसमें भी 40 फीसदी सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए पहले से ही रिजर्व कर दी गई है. हर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों से एप्लीकेशन जमा कराये जा रहे हैं.

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस दावे पर कि अब उत्तर प्रदेश में 16 साल की लड़की भी गहने पहनकर रात को 12 बजे सड़क पर निकल सकती है, सोशल मीडिया पर जबरदस्त रिएक्शन देखने को मिला था. एक व्यक्ति का कहना था, अपनी ही सरकार पर ऐसा व्यंग्य कौन करता है?

प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मीडिया रिपोर्ट की क्लिप शेयर करते हुए यूपी की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया था. प्रियंका गांधी का कहना रहा कि देश के गृह मंत्री जी 'गहने लादकर निकलने' वाला जुमला देते हैं, लेकिन ये तो उत्तर प्रदेश की महिलाओं को ही पता है कि रोज उनको किस तरह की चीजों से जूझना पड़ता है.

अपने चुनावी स्लोगन 'लड़की हूं... लड़ सकती हूं' को लेकर प्रियंका गांधी ने बताया कि राजनीति में और सुरक्षा से जुड़ी नीतियां बनाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़े इसके लिए ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं. हालांकि, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रियंका गांधी के स्लोगन का ये कह कर मजाक उड़ाया था कि घर में लड़का तो है, लेकिन लड़ नहीं सकता.

4. वोटो के ध्रुवीकरण की भी कोई उम्मीद है क्या: यूपी चुनाव में 40 फीसदी सीटों पर महिलाओं को उम्मीदवार बनाने को लेकर कांग्रेस चर्चा में तो पहले से ही रही है, अब तो हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर सुर्खियों में भी ऊपर जगह बनाये हुए है.

यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस के मैनिफेस्टो प्रभारी बनाये गये सलमान खुर्शीद की किताब में हिंदुत्व पर टिप्पणी के साथ ही राहुल गांधी और राशिद अल्वी के बयानों को लेकर भी यूपी के राजनीतिक मैदान में अलग ही बवाल मचा हुआ है.

सलमान खुर्शीद की किताब में कट्टर हिंदुत्व की जहां जिहादी मुस्लिम संगठनों ISIS और बोको हराम जैसा बताने पर विवाद चल रहा है, वहीं राहुल गांधी ने ये कह कर मामला आगे बढ़ा दिया है कि हिंदुत्व और हिंदू धर्म अलग नहीं होते तो दो नाम देने की जरूरत क्यों पड़ती.

आग में घी तो डाला है कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने - राशिद अल्वी ने संभल के एक कार्यक्रम में यहां तक कह दिया कि 'जय श्रीराम' राक्षस बोलते हैं.

ऐसा करके क्या कांग्रेस हिंदु जनमानस के खिलाफ मुस्लिम समुदाय को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है - और क्या प्रियंका गांधी के अकेले चुनाव लड़ने को लेकर फैसले लेने में हिंदू-मुस्लिम पॉलिटिक्स का भी कोई रोल हो सकता है.

ये तो सिर्फ 2024 की तैयारी लगती है

कांग्रेस यूपी विधानसभा चुनाव अकेले चुनाव लड़ने का एक फायदा तो लगता ही है कि इसी बहाने वो अगले आम चुनाव 2024 की तैयारी भी शुरू कर लेगी - अगर एक भी प्रयोग चल गया और यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मौजूदा सात सीटों से आगे पहुंच गयी तो भी सौदा तो फायदे का ही है.

1. कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा: किसी भी राजनीतिक दल के लिए मैदान में बने रहने के लिए कार्यकर्ताओं का सक्रिय रहना बेहद जरूरी होता है. राहुल गांधी जिस तरीके से किसी कार्यक्रम में पहुंच कर भाषण देते और फिर गायब हो जाते, कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हो जाते. प्रियंका गांधी कार्यकर्ताओं के बीच बनी हुई हैं और जमीन पर भले ही कुछ ज्यादा न हो पाये, लेकिन अगर कार्यकर्ताओं के मन में पार्टी को लेकर कुछ कुछ होने लगे तो भी बड़ी बात है - प्रियंका गांधी की भी तात्कालिक कोशिश यही है कि कैसे कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाया जा सकता है.

2. संगठन भी मजबूत होगा ही: यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान अलग अलग कार्यक्रमों के जरिये लोगों को कांग्रेस से जोड़ने के लिए अभियान चलाया गया था. कांग्रेस की कोशिश है कि जमीनी स्तर पर लोग कांग्रेस से जुड़ेंगे और उनके बीच से कांग्रेस के लिए काम करने के इरादे से कार्यकर्ता जुड़ते हैं तो संगठन का विस्तार किया जा सकता है.

3. कांग्रेस की मौजूदगी दर्ज हो जाएगी: जैसे लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद प्रियंका गांधी लगातार लोगों के बीच बनी रह रही हैं, अगर पूरे चुनाव ऐसे ही चलता रहा तो लोगों के बीच कांग्रेस की मौजूदगी तो दर्ज होगी ही.

अब तक जो लोग कांग्रेस को आस पास कहीं नही पाते थे, कम से कम चुनावी माहौल और हिंदू-मुस्लिम विवाद के चलते कांग्रेस से जुड़ी खबरों पर थोड़ी बहुत बात तो करने ही लगे हैं - ये भी कांग्रेस के लिए कम तो नहीं ही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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