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कल्पना कीजिये, प्रियंका-तौकीर रजा की जगह मोदी-नरसिंहानंद की मुलाकात हुई होती!

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 19 जनवरी, 2022 03:24 PM
  • 19 जनवरी, 2022 03:09 PM
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यूपी चुनाव 2022 (UP Election 2022) में मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka gandhi) ने मौलाना तौकीर रजा खान (Taiqeer Raza Khan) से मुलाकात की है. ये वही मौलाना है, जिन्‍होंने भरी सभा में धमकी दी थी कि 'यदि मुसलमान युवाओं ने कानून अपने हाथ में ले लिया, तो हिंदुओं को कहीं पनाह नहीं मिलेगी.'

'कल्पना' कीजिये, हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में गिरफ्तार हुए यति नरसिंहानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की होती, तो क्या होता? इस एक मुलाकात से देश का सामाजिक तानाबाना छिन्न-भिन्न होने की बातों से लेकर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश तक की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया होता. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी को देश का सबसे 'जहरीला नेता' घोषित कर दिया होता. क्योंकि, एक दशक पहले तो खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही पीएम मोदी को 'मौत का सौदागर' बता चुकी हैं. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पर कथित लिबरलों और मुसलमानों का एक हुजूम दिखाई पड़ता, जो केवल इस बात पर ही छाती पीट रहा होता कि एक संवैधानिक पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी आखिर ऐसे व्यक्ति से क्यों मिले, जो मुसलमानों के खिलाफ खुलकर जहर उगलता हो. 

मुस्लिम वोटबैंक को साधने के लिए प्रियंका गांधी को तौकीर रजा खान से मुलाकात करने में भी परहेज नही है.

लेकिन, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से जरूर एक मुलाकात की तस्वीर साझा की गई. जिसके साथ लिखा गया है कि 'बीते दिनों आला हजरत बरेली शरीफ के मौलाना तौकीर रजा खां साहब (राष्ट्रीय अध्यक्ष इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल) की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकत हुई थी. मौलाना तौकीर रजा खां जी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी से चुनाव ना लड़ाने का फैसला करते हुए उन्होंने अपनी पार्टी का पूरा समर्थन कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को दिया है. पांचों राज्य में हो रहे चुनाव में भी उन्होंने अपने समर्थकों को कांग्रेस के समर्थन के लिए कहा है.' 

'कल्पना' कीजिये, हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में गिरफ्तार हुए यति नरसिंहानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की होती, तो क्या होता? इस एक मुलाकात से देश का सामाजिक तानाबाना छिन्न-भिन्न होने की बातों से लेकर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश तक की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया होता. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी को देश का सबसे 'जहरीला नेता' घोषित कर दिया होता. क्योंकि, एक दशक पहले तो खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही पीएम मोदी को 'मौत का सौदागर' बता चुकी हैं. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पर कथित लिबरलों और मुसलमानों का एक हुजूम दिखाई पड़ता, जो केवल इस बात पर ही छाती पीट रहा होता कि एक संवैधानिक पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी आखिर ऐसे व्यक्ति से क्यों मिले, जो मुसलमानों के खिलाफ खुलकर जहर उगलता हो. 

मुस्लिम वोटबैंक को साधने के लिए प्रियंका गांधी को तौकीर रजा खान से मुलाकात करने में भी परहेज नही है.

लेकिन, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से जरूर एक मुलाकात की तस्वीर साझा की गई. जिसके साथ लिखा गया है कि 'बीते दिनों आला हजरत बरेली शरीफ के मौलाना तौकीर रजा खां साहब (राष्ट्रीय अध्यक्ष इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल) की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकत हुई थी. मौलाना तौकीर रजा खां जी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी से चुनाव ना लड़ाने का फैसला करते हुए उन्होंने अपनी पार्टी का पूरा समर्थन कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को दिया है. पांचों राज्य में हो रहे चुनाव में भी उन्होंने अपने समर्थकों को कांग्रेस के समर्थन के लिए कहा है.' 

कौन है मौलाना तौकीर रजा खान

कांग्रेस की ओर से जारी की गई तस्वीर में प्रियंका गांधी के साथ नजर आने वाले मौलाना तौकीर रजा खान से शायद लोग परिचित होंगे. अगर परिचित नही हैं, तो बता देते हैं कि कुछ ही दिनों पहले मौलाना तौकीर रजा खान बरेली में एक जनसभा के दौरान मुस्लिम समाज के सैकड़ों -हजारों लोगों के बीच खुलेआम हिंदुओं के नरसंहार की धमकी दे रहे थे कि 'जिस दिन मेरा नौजवान (मुसलमान) कानून को अपने हाथ में लेने को मजबूर होगा, तो तुम्हें (हिंदुओं) हिंदुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी.' इतना ही नहीं, तौकीर रजा खान ने पुरजोर तालियों के बीच ये भी दावा किया था कि 'हिंदुस्तान का नक्शा बदल जाएगा. हम पैदाइशी लड़ाके हैं. अलहमदुलिल्लाह.' और, इसी के साथ तौकीर रजा खान की इस तकरीर पर एक बार फिर से हजारों तालियों का शोर सुनाई देने लगता है. तालियां कौन बजा रहा है और क्यों बजा रहा है, ये तमाम सवाल प्रियंका गांधी के साथ तस्वीर में नजर आने वाले तौकीर रजा खान के आगे बहुत छोटे हैं. सवाल ये है कि यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी की मांग करने वाले तमाम लोग इस तस्वीर पर चुप्पी क्यों साधे बैठे हैं? 

प्रियंका गांधी और तौकीर रजा खान की मुलाकात वाली इस तस्वीर को लेकर क्या किसी कथित लिबरल और कथित बुद्धिजीवी ने आवाज उठाई है कि ये मुलाकात नहीं होनी चाहिए थी? क्या अब तक मुस्लिम धर्मगुरुओं की ओर से तौकीर रजा खान के बयान का खंडन या इसके खिलाफ कोई फतवा निकाला गया है? क्या मुस्लिम समाज की ओर से इस मुलाकात को लेकर कांग्रेस की निंदा की गई है? वैसे, इस तस्वीर को देखने के बाद ऐसे ही सवालों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार की जा सकती है. जिनका जवाब सिर्फ और सिर्फ 'नही' में ही आएगा.

लेकिन, बात यहां किसी पर सवाल खड़े करने की है ही नहीं. बात केवल इतनी सी है कि कांग्रेस जैसे सियासी दल अपने राजनीतिक हितों के साधने के लिए एक ऐसे शख्स से मुलाकात करने में भी नहीं कतराते हैं, जो खुलेआम हिंदुओं को हिंदुस्तान में पनाह मांगने की धमकी देता है. वहीं, इसी जगह अगर भाजपा हिंदुओं से जुड़ी भावनाओं को लेकर भी कुछ काम करती है, तो उसे सांप्रदायिक पार्टी का तमगा दे दिया जाता है. इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि भारत की राजनीति में अल्पसंख्यकों की बात करना प्रोग्रेसिव माना जाता है. लेकिन, हिंदुओं की बात करने को सांप्रदायिक मान लिया जाता है.

2014 में मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाई थी. जिसके बाद देश के कई कथित बुद्धिजीवियों और कथित लिबरलों, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए 'असहिष्णुता' नाम की एक चिंगारी जलाई थी. इस असहिष्णुता के साथ हर छोटी-बड़ी घटना को धार्मिक रंग देते हुए बहुसंख्यक आबादी यानी हिंदुओं को कठघरे में खड़ा किया जाने लगा था. पीएम मोदी के खिलाफ अपनी कुंठा से ग्रस्त इन तमाम लोगों ने हिंदुओं को धार्मिक उन्मादी साबित करना शुरू कर दिया था. लेकिन, इन तमाम आरोपों के बावजूद शायद ही हिंदुओं ने कभी हिंदुस्तान का नक्शा बदल देने की बात की हो.

हालांकि, इस दौरान इन तमाम लोगों ने देश की बहुसंख्यक हिंदू आबादी को भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन में जरूर खड़ा कर दिया. क्योंकि, एक ओर प्रियंका गांधी की तौकीर रजा खान से मुलाकात होती है. तो, दूसरी ओर उनके भाई राहुल गांधी लोगों को हिंदू और हिंदुत्व पर ज्ञान बांटते हैं. ये ज्ञान ठीक वैसा ही है, जो आजादी के बाद से कश्मीर और कश्मीरियत के नाम पर लोगों के दिमाग में भर दिया गया. और, इसे भाषा, धर्म, जाति, पंथ समेत अन्य चीजों के नाम पर अन्य राज्यों में फैलाया गया. खैर, कांग्रेस की ओर से इस 'हवन' में समिधाएं डालने में कोई कमी नहीं की जा रही है. क्योंकि, इस हवन से चाहे कोई भी जले, सत्ता बहुत जरूरी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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