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राहुल गांधी 'शिव भक्त' हो सकते हैं तो प्रियंका चतुर्वेदी 'शिव-सैनिक' क्‍यों नहीं?

    • आईचौक
    • Updated: 19 अप्रिल, 2019 07:19 PM
  • 19 अप्रिल, 2019 07:19 PM
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कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी के शिवसेना में शामिल होने पर ट्विटर पर लोग उन्हें शाबाशी दे रहे हैं कि उन्होंने अपने आत्मसम्मान के लिए कांग्रेस को छोड़ा, तो कोई उनपर तंज कस रहा है. तो कोई इसके लिए कांग्रेस को कसूरवार ठहरा रहा है.

कांग्रेस पार्टी में जो कुछ कांग्रेस की प्रवक्त रहीं प्रियंका चतुर्वेदी के साथ हुआ उसके बाद दो बातें साफ थीं. पहली या तो कांग्रेस पार्टी प्रियंका चतुर्वेदी के मामले को सुलझाती या फिर प्रियंका कांग्रेस से रिश्ता खत्म कर लेतीं. कांग्रेस ने उनके साथ न्याय नहीं किया और प्रियंका शिवसेना में शामिल हो गईं. जाहिर है कांग्रेस के लिए प्रियंका का शिवसेना ज्वाइन करना उतना शॉकिंग नहीं रहा होगा जितना कि कांग्रेस पार्टी छोड़ना. ये कांग्रेस के लिए ब़ड़ा झटका था.

हालांकि प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि वहां एक महिला का सम्मान नहीं किया गया. कांग्रेस ने उन लोगों को अहमियत दी जिन्होंने प्रियंका का अपमान किया था. और अगर वो खुद के लिए खड़ी नहीं होतीं तो इसमें महिला शक्ति की हार होती. वो कांग्रेस से निराश थीं क्योंकि उनके मामले में कांग्रेस ने कोई स्टैंड नहीं लिया. इसलिए अपने आत्म सम्मान के लिए ये कदम उठाया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रियंका ने साफ कहा कि अब ट्विटर पर लोग उनकी पुरानी ट्वीट्स उठाकर उन्हें ट्रोल करेंगे, शिवसेना के खिलाफ की गई बातों के लिए ट्रोल करेंगे, फिर भी वो सब सोच विचार कर ही शिवसेना में शामिल हो रही हैं. जाहिर है इस मामले पर सोशल मीडिया में कई रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं. कोई उन्हें शाबाशी दे रहा है कि उन्होंने अपने आत्मसम्मान के लिए कांग्रेस को छोड़ा. कोई उन्हें शिवसेना ज्वाइन करने के लिए तंज कस रहा है. तो कोई इसके लिए कांग्रेस को कसूरवार ठहरा रहा है.

कुछ लोगों के लिए प्रियंका का शिवसेना में शामिल होना जरा भी शॉकिंग नहीं था क्योंकि इससे पहले वो मुलायाम और मायावती को एकसाथ स्टेज पर खड़ा देख चुके थे.

जिस बात को लेकर प्रियंका कांग्रेस से खफा थीं वो बात उनके आत्म सम्मान की थी. जिसके लिए उन्होंने उस पार्टी को छोड़ दिया जिसके लिए उन्होंने...

कांग्रेस पार्टी में जो कुछ कांग्रेस की प्रवक्त रहीं प्रियंका चतुर्वेदी के साथ हुआ उसके बाद दो बातें साफ थीं. पहली या तो कांग्रेस पार्टी प्रियंका चतुर्वेदी के मामले को सुलझाती या फिर प्रियंका कांग्रेस से रिश्ता खत्म कर लेतीं. कांग्रेस ने उनके साथ न्याय नहीं किया और प्रियंका शिवसेना में शामिल हो गईं. जाहिर है कांग्रेस के लिए प्रियंका का शिवसेना ज्वाइन करना उतना शॉकिंग नहीं रहा होगा जितना कि कांग्रेस पार्टी छोड़ना. ये कांग्रेस के लिए ब़ड़ा झटका था.

हालांकि प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि वहां एक महिला का सम्मान नहीं किया गया. कांग्रेस ने उन लोगों को अहमियत दी जिन्होंने प्रियंका का अपमान किया था. और अगर वो खुद के लिए खड़ी नहीं होतीं तो इसमें महिला शक्ति की हार होती. वो कांग्रेस से निराश थीं क्योंकि उनके मामले में कांग्रेस ने कोई स्टैंड नहीं लिया. इसलिए अपने आत्म सम्मान के लिए ये कदम उठाया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रियंका ने साफ कहा कि अब ट्विटर पर लोग उनकी पुरानी ट्वीट्स उठाकर उन्हें ट्रोल करेंगे, शिवसेना के खिलाफ की गई बातों के लिए ट्रोल करेंगे, फिर भी वो सब सोच विचार कर ही शिवसेना में शामिल हो रही हैं. जाहिर है इस मामले पर सोशल मीडिया में कई रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं. कोई उन्हें शाबाशी दे रहा है कि उन्होंने अपने आत्मसम्मान के लिए कांग्रेस को छोड़ा. कोई उन्हें शिवसेना ज्वाइन करने के लिए तंज कस रहा है. तो कोई इसके लिए कांग्रेस को कसूरवार ठहरा रहा है.

कुछ लोगों के लिए प्रियंका का शिवसेना में शामिल होना जरा भी शॉकिंग नहीं था क्योंकि इससे पहले वो मुलायाम और मायावती को एकसाथ स्टेज पर खड़ा देख चुके थे.

जिस बात को लेकर प्रियंका कांग्रेस से खफा थीं वो बात उनके आत्म सम्मान की थी. जिसके लिए उन्होंने उस पार्टी को छोड़ दिया जिसके लिए उन्होंने इतने साल मेहनत की थी. महिलाएं उनके इस फैसले से बहुत खुश हैं. और इसके लिए उनकी तारीफ कर रही हैं.

शिवसेना में जाने को लेकर भाजपा के समर्थक भी खुश दिखाई दिए. उन्होंने प्रियंका का स्वागत किया. लोगों ने कहा कि शिवसेना में जाना यानी इनडायरेक्टली भाजपा में शामिल होना ही है. और प्रियंका का पुराना ट्वीट दिखाकर इस बात को बताया भी कि उन्होंने 2015 में यही कहा था.

हालांकि बहुत से ऐसे थे जो प्रियंका के इस कदम पर चुटियां ले रहे थे. जाहिर है इस वक्त प्रियंका के उस गाने को खूब दोहराया गया जो उन्होंने स्मृति ईरानी के लिए गाया था... रिश्तों के भी रूप बदलते हैं...

आत्मसम्मान की खातिर थोड़ी कांग्रेस

प्रियंका के कांग्रेस छोड़ने पर लोगों ने इसे कांग्रेस की हार बताया और कहा कि ये कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा घाटा है. कांग्रेस अगर चाहती तो मामले को थोड़ा समझदारी से संभाल सकती थी.

पर कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस पूरे मामले को किसी और ही रंग देने में जुटे थे. लोगों का कहना था कि महिला सम्मान तो बस एक बहाना थाउन्हें तो मौका चाहिए था पार्टी छोड़ने का क्योंकि कांग्रेस ने उन्हें मथुरा से टिकिट नहीं दी थी.

खैर प्रियंका ने अगर अपने आत्म सम्मान के लिए कांग्रेस छोड़ी तो उनके लिए तालियां. लेकिन अगर इसके पीछे राजनीति है तो भी उनके लिए तालियां क्योंकि राजनीति ही उनका करियर है और अपने करियर में आगे बढ़ना कौन नहीं चाहता. हम ग्रोथ के लिए नौकरियां भी तो बदलते हैं, उन्होंने पार्टी बदल ली. खैर प्रियंका चौधरी के बयान हो सकता है अब बदल जाएं, अपनी विचारधारा भी शायद उन्हें बदलनी पड़े लेकिन उम्मीद है वो महिला सम्मान पर इसी स्टैंड पर टिकी रहेंगी, पार्टी चाहे कोई भी हो. उनके भविष्य के लिए हम शुभकामनाएं ही दे सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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