• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

प्रशांत किशोर आखिर चाहते क्या हैं, खासकर राहुल गांधी से?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 29 अक्टूबर, 2021 04:12 PM
  • 29 अक्टूबर, 2021 04:12 PM
offline
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) मुख्यधारा की राजनीति आने की कोशिश में जुटे हैं ये तो सबको बता चुके हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नाम पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को डरा कर आखिर हासिल क्या करना चाहते हैं - अभी ये नहीं समझ में आ रहा है!

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने देश की राजनीति में ऐसी जगह बना ली है, जहां से वो कुछ भी बोलते हैं तो उसे चुनावी सर्वे की तरह लिया जाता है. चुनावी सर्वे और एग्जिट पोल तो गलत भी साबित हो जाते रहे हैं, लेकिन प्रशांत किशोर के आकलन ज्यादातर सही ही पाये गये हैं. आखिर अपने आकलन के आधार पर ही तो वो अपने क्लाइंट के लिए स्ट्रैटेजी तैयार करते हैं और फिर जीत सुनिश्चित करते हैं.

पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर के दावे पर कम ही लोग ऐसे रहे होंगे जिनको पहली बार में ही यकीन हो गया होगा - लेकिन नतीजे आये तो सबको मानना पड़ा कि बीजेपी को 100 सीटें भी नहीं मिल पाने की उनकी भविष्यवाणी सही रही - अब वही प्रशांत किशोर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक तरीके से आने वाले कई साल तक अजेय बताने की कोशिश कर रहे हैं.

एक वीडियो के जरिये प्रशांत किशोर की जो बातें सामने आयी हैं, उनमें कुछ कुछ विरोधाभास तो लग ही रहा है - नयी बातें प्रशांत किशोर के पिछले बयान के पूरी तरह उलट है कि बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में हराना कोई असंभव बात नहीं है - ये बात भी प्रशांत किशोर ने तब कही थी जब दिल्ली में विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिशें चल रही थीं और उसी दौरान ममता बनर्जी ने भी दिल्ली का दौरा किया था.

एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने नया दावा किया था कि बीजेपी को जैसा समझा जा रहा है, वो उतनी ताकतवर राजनीतिक दल नहीं है. बड़े सहज भाव से प्रशांत किशोर ने कहा था कि 2014 में जो कांग्रेस के साथ हुआ वैसा ही 2024 में बीजेपी के साथ भी हो सकता है.

लेकिन अब अचानक क्या हुआ कि प्रशांत किशोर समझाने लगे कि बीजेपी की ये ताकत कई दशकों तक बनी रहेगी - भले ही मोदी की ताकत भी क्यों न कम हो जाये?

राहुल गांधी (Rahul...

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने देश की राजनीति में ऐसी जगह बना ली है, जहां से वो कुछ भी बोलते हैं तो उसे चुनावी सर्वे की तरह लिया जाता है. चुनावी सर्वे और एग्जिट पोल तो गलत भी साबित हो जाते रहे हैं, लेकिन प्रशांत किशोर के आकलन ज्यादातर सही ही पाये गये हैं. आखिर अपने आकलन के आधार पर ही तो वो अपने क्लाइंट के लिए स्ट्रैटेजी तैयार करते हैं और फिर जीत सुनिश्चित करते हैं.

पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर के दावे पर कम ही लोग ऐसे रहे होंगे जिनको पहली बार में ही यकीन हो गया होगा - लेकिन नतीजे आये तो सबको मानना पड़ा कि बीजेपी को 100 सीटें भी नहीं मिल पाने की उनकी भविष्यवाणी सही रही - अब वही प्रशांत किशोर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक तरीके से आने वाले कई साल तक अजेय बताने की कोशिश कर रहे हैं.

एक वीडियो के जरिये प्रशांत किशोर की जो बातें सामने आयी हैं, उनमें कुछ कुछ विरोधाभास तो लग ही रहा है - नयी बातें प्रशांत किशोर के पिछले बयान के पूरी तरह उलट है कि बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में हराना कोई असंभव बात नहीं है - ये बात भी प्रशांत किशोर ने तब कही थी जब दिल्ली में विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिशें चल रही थीं और उसी दौरान ममता बनर्जी ने भी दिल्ली का दौरा किया था.

एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने नया दावा किया था कि बीजेपी को जैसा समझा जा रहा है, वो उतनी ताकतवर राजनीतिक दल नहीं है. बड़े सहज भाव से प्रशांत किशोर ने कहा था कि 2014 में जो कांग्रेस के साथ हुआ वैसा ही 2024 में बीजेपी के साथ भी हो सकता है.

लेकिन अब अचानक क्या हुआ कि प्रशांत किशोर समझाने लगे कि बीजेपी की ये ताकत कई दशकों तक बनी रहेगी - भले ही मोदी की ताकत भी क्यों न कम हो जाये?

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर भी प्रशांत किशोर ऐसी राय दे रहे हैं कि बीजेपी और मोदी को लेकर वो बहुत बड़ी गलतफहमी के शिकार हैं और उससे उबरने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं. अब ये समझ में नहीं आ रहा है कि राजनीति की मुख्यधारा में आने के लिए कांग्रेस की दहलीज तक पहुंच चुके प्रशांत किशोर उर्फ पीके अचानक ऐसी बातें क्यों करने लगे हैं - आखिर प्रशांत किशोर चाहते क्या हैं?

PK के नये वीडियो में क्या है

जैसे पश्चिम बंगाल चुनाव के वक्त प्रशांत किशोर का क्लबहाउस का ऑडियो चैट सामने आया था, वैसे ही अब एक वीडियो वायरल हो रहा है. ये वीडियो गोवा के किसी कार्यक्रम का बताया जा रहा है - वीडियो में प्रशांत किशोर बीजेपी और कांग्रेस की राजनीतिक ताकत को लेकर अपनी राय बता रहे हैं. ऑडियो चैट तो बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने शेयर किया था, वीडियो दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता अजय सेहरावत ने साझा किया है.

मोदी के बहाने प्रशांत किशोर कोई मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं - क्या राहुल गांधी समझ पा रहे हैं?

बीजेपी प्रवक्ता अजय शहरावत ने ये वीडियो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा है, प्रशांत किशोर ने भी मान ही लिया कि बीजेपी आने वाले दशकों तक भारतीय राजनीति में एक ताकत के रूप में बनी रहेगी.' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए अजय सहरावत कहते हैं कि ये बात वो पहले ही बता चुके हैं.

प्रशांत किशोर की बातों को समझें तो बीजेपी के आने वाले कई साल तक ताकतवर बने रहने की सबसे बड़ी वजह वो उसका वोट शेयर मानते हैं - और पीके के नजरिये को समझें तो ये जल्दी बदलने वाला नहीं है -

1. प्रशांत किशोर के मुताबिक, बीजेपी चाहे जीते चाहे हारे, लेकिन देश की राजनीति के केंद्र में वो बनी रहेगी - ठीक वैसे ही जैसे 40 साल तक कांग्रेस के आगे कोई टिक नहीं सका.

2. प्रशांत किशोर ये भी मानते हैं, हो सकता है लोग मोदी को हटा दें, लेकिन बीजेपी फिर भी कहीं नहीं जाने वाली है - अगले कई दशकों तक वो मुख्यधारा में बनी रहेगी.

3. प्रशांत किशोर का मानना है कि मोदी को चैलेंज करने के लिए पहले उनकी ताकत को समझना होगा - और जब तक कोई ऐसा नहीं कर पाता फेस कर ही नहीं सकता. कोई इस मुगालते में न रहे कि लोग गुस्सा हो रहे हैं और वो मोदी को उखाड़ फेकेंगे.

4. प्रशांत किशोर बीजेपी की ताकत उसके वोट शेयर में देखते हैं. कहते हैं, एक बार आप देश में 30 फीसदी वोट पा लेते हैं तो आप इतनी जल्दी कहीं नहीं जा रहे.

5. प्रशांत किशोर समझाते हैं कि वोटर एक तिहाई और दो तिहाई में बंटा हुआ है - एक तिहाई सत्ता सौंप दे रहा है, लेकिन दो तिहाई वोट यानी करीब 65 फीसदी वोट बंट जाने के कारण ही कांग्रेस नीचे चली जा रही है.

क्या चाहिये जो PK को नहीं मिल रहा है

वायरल वीडियो के जरिये प्रशांत किशोर का ये दूसरा बयान है जिसमें कांग्रेस नेतृत्व निशाने पर लग रहा है. यूपी चुनाव से पहले लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर कांग्रेस में भाई-बहन के रूप में उभरे नये नेतृत्व को लेकर भी प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट किया था.

तब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस का नाम न लेकर देश की सबसे पुरानी पार्टी बताते हुए समझाने की कोशिश की थी कि जो लोग लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर फटाफट फायदा की उम्मीद कर रहे हैं वो निराश हो सकते हैं - और साथ में ये भी जोड़ दिया कि पार्टी जिन समस्याओं से लंबे अरसे से जूझ रही है और जो कमजोरियां घर कर गयी हैं - कोई त्वरित समाधान हो, ऐसा नहीं लगता.

प्रशांत किशोर का आकलन अपनी जगह है, लेकिन लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की राजनीति को जो रास्ता पकड़ाया है उसका कोई नतीजा भले न निकले, लेकिन फिलहाल जो उसे चाहिये वो तो मिल ही रहा है.

प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने मिल कर जिस तरीके से बीजेपी को घेरा है, ऐसा मौका भला उसे क्यों गवां देना चाहिये? जब केंद्र की बीजेपी सरकार के मंत्री का बेटा प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचल कर मार डालने का आरोपी हो, भला कांग्रेस को क्यों चुपचाप बैठ जाना चाहिये?

आखिर उसी लखीमपुर खीरी हिंसा के बल पर ही तो प्रियंका गांधी बनारस तक जा धमकीं और अब रैली करने गोरखपुर जा रही हैं - पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इलाके में और अब 31 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में. आखिर ये सब लखीमपुर खीरी की लड़ाई को आगे बढ़ाने के नाम पर ही तो संभव हो पा रहा है.

लखीमपुर खीरी की घटना के बहाने प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार फील्ड में बनी हुई हैं - और कभी महिलाओं के बीच तो कभी छात्राओं के बीच पहुंच जा रही हैं और हर जगह समझा रही हैं कि बीजेपी के शासन में आम लोगों को न्याय नहीं मिल पाता - और मोदी का एक मंत्री है जिसके बेटे के जेल जाने के बाद भी हटाया नहीं जा रहा है.

क्या प्रियंका गांधी के ऐसे आरोपों का काउंटर करने का बीजेपी के पास कोई मजबूत दलील है - वो तो बस ऐसे ही इधर उधर भटकाने की कोशिश चल रही है.

अगर लखीमपुर खीरी की घटना से माइलेज नहीं मिलता तो क्या कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्रा और फिर प्रतिज्ञा रैली या 7 प्रतिज्ञा लोगों तो मौजूदा रूप में पहुंच पाती - कांग्रेस तो दिसंबर, 2020 में अपने स्थापना दिवस प्रोग्राम के बाद से ही यूपी में गांव गांव तक तिरंगा यात्रा कर रही है, लेकिन कुछ खास हासिल हुआ हो ऐसा तो नहीं लगता.

फिर प्रशांत किशोर के कांग्रेस नेतृत्व को लेकर बार बार ऐसी टिप्पणी करने की क्या वजह हो सकती है - कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस के भीतर का विरोध भारी पड़ा है और प्रशांत किशोर के ज्वाइन करने की बात होल्ड हो गयी है?

खबर तो यही आयी थी कि प्रशांत किशोर के लिए कांग्रेस में जिम्मेदारी और पद दोनों तय किये जा चुके हैं, लेकिन ये सब फाइनल हो जाने के बाद क्या वास्तव में प्रशांत किशोर कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर ऐसी बातें सार्वजनिक तौर पर कह पाते?

इन्हें भी पढ़ें :

मोदी-राहुल की तुलना कर प्रशांत किशोर कौन सी राजनीतिक खिचड़ी पका रहे हैं?

प्रशांत किशोर किसी पार्टी में जाएं, एंट्री से पहले विरोध होना तय क्यों रहता है

राहुल-सोनिया की कार्यशैली में PK मिसफिट हैं - कैंपेन संभालें या फिर ज्वाइन करें


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲