• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

'आंदोलनजीवी' और 'FDI', पीएम मोदी के तरकश से निकले शब्द-बाण!

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 08 फरवरी, 2021 07:40 PM
  • 08 फरवरी, 2021 07:08 PM
offline
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जवाब में आंदोलनजीवी की परजीवी की तुलना की. परजीवी शब्द से आप भली-भांति परिचित होंगे, ऐसे में इस शब्द के मायने काफी बदल जाते हैं. पीएम मोदी ने कहा, 'इन दिनों देश में एक नई जमात पैदा हो गई है और वो है आंदोलनजीवी.' पीएम मोदी ने इस एक शब्द आंदोलनजीवी से कई निशाने साधे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके चुटीले और तीखे तंज कसने के अंदाज के लिए जाना जाता है. पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान पहले की तरह ही पीएम मोदी ने कई बार विपक्ष को निशाने पर लिया. इसी के साथ उन्होंने किसानों के हितों की बात भी की. प्रधानमंत्री मोदी के जवाब का काफी हिस्सा किसानों से जुड़ा हुआ था. मोदी ने अपने जवाब में कुछ नए शब्दों का प्रयोग तंज के रूप में भी किया. 'आंदोलनजीवी' और नया 'FDI' शब्दों का प्रयोग करने के बाद से ही हर आमोखास में इसकी चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. पीएम मोदी के ये तंज कई लोगों को बहुत ज्यादा चुभने वाले हैं. पीएम मोदी ने अपने जवाब में 'आंदोलनजीवी' और नया 'FDI' शब्दों को समझाने की कोशिश की. आइए जानते हैं कि इन शब्दों के पीछे के मायने क्या हैं?

एक तीर से कई निशाने है 'आंदोलनजीवी'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जवाब में आंदोलनजीवी की परजीवी की तुलना की. परजीवी शब्द से आप भली-भांति परिचित होंगे, ऐसे में इस शब्द के मायने काफी बदल जाते हैं. पीएम मोदी ने कहा, 'इन दिनों देश में एक नई जमात पैदा हो गई है और वो है आंदोलनजीवी.' पीएम मोदी ने इस एक शब्द आंदोलनजीवी से कई निशाने साधे हैं. उन्होंने आंदोलनजीवियों की टोली द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश भर में आंदोलन के नाम पर फैलाई जाने वाली अराजकता को लेकर भी जनता को बड़ा संदेश दिया है. मोदी ने कहा, 'ये आंदोलनजीवी जमात वकीलों के, छात्रों के, मजदूरों के आंदोलन के साथ नजर आने लगते हैं.' छुपे शब्दों में पीएम मोदी का इशारा भाजपा सरकार आने के बाद से लगातार हो रहे आंदोलनों और प्रदर्शनों में एक खास वर्ग के लोगों के जुड़ाव को जाहिर कर रहा था. पीएम मोदी ने कहा, 'ये आंदोलनजीवी कभी पर्दे के आगे, कभी पर्दे के पीछे नजर आते हैं.' अवॉर्ड वापसी हो, शाहीन बाग का प्रदर्शन हो या किसान आंदोलन पीएम मोदी ने बातों ही बातों में एक तीर से कई निशाने लगा दिये. उन्होंने राज्यसभा में कहा, 'ये लोग आंदोलन में जाकर एक वैचारिक रुख (Ideological Stand) दे देते हैं. गुमराह कर देते हैं. नए-नए तरीके बता देते हैं' इसे किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो कृषि कानूनों में उचित बदलाव को लेकर सरकार तैयार है. लेकिन, किसान आंदोलन कर रहे...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके चुटीले और तीखे तंज कसने के अंदाज के लिए जाना जाता है. पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान पहले की तरह ही पीएम मोदी ने कई बार विपक्ष को निशाने पर लिया. इसी के साथ उन्होंने किसानों के हितों की बात भी की. प्रधानमंत्री मोदी के जवाब का काफी हिस्सा किसानों से जुड़ा हुआ था. मोदी ने अपने जवाब में कुछ नए शब्दों का प्रयोग तंज के रूप में भी किया. 'आंदोलनजीवी' और नया 'FDI' शब्दों का प्रयोग करने के बाद से ही हर आमोखास में इसकी चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. पीएम मोदी के ये तंज कई लोगों को बहुत ज्यादा चुभने वाले हैं. पीएम मोदी ने अपने जवाब में 'आंदोलनजीवी' और नया 'FDI' शब्दों को समझाने की कोशिश की. आइए जानते हैं कि इन शब्दों के पीछे के मायने क्या हैं?

एक तीर से कई निशाने है 'आंदोलनजीवी'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जवाब में आंदोलनजीवी की परजीवी की तुलना की. परजीवी शब्द से आप भली-भांति परिचित होंगे, ऐसे में इस शब्द के मायने काफी बदल जाते हैं. पीएम मोदी ने कहा, 'इन दिनों देश में एक नई जमात पैदा हो गई है और वो है आंदोलनजीवी.' पीएम मोदी ने इस एक शब्द आंदोलनजीवी से कई निशाने साधे हैं. उन्होंने आंदोलनजीवियों की टोली द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश भर में आंदोलन के नाम पर फैलाई जाने वाली अराजकता को लेकर भी जनता को बड़ा संदेश दिया है. मोदी ने कहा, 'ये आंदोलनजीवी जमात वकीलों के, छात्रों के, मजदूरों के आंदोलन के साथ नजर आने लगते हैं.' छुपे शब्दों में पीएम मोदी का इशारा भाजपा सरकार आने के बाद से लगातार हो रहे आंदोलनों और प्रदर्शनों में एक खास वर्ग के लोगों के जुड़ाव को जाहिर कर रहा था. पीएम मोदी ने कहा, 'ये आंदोलनजीवी कभी पर्दे के आगे, कभी पर्दे के पीछे नजर आते हैं.' अवॉर्ड वापसी हो, शाहीन बाग का प्रदर्शन हो या किसान आंदोलन पीएम मोदी ने बातों ही बातों में एक तीर से कई निशाने लगा दिये. उन्होंने राज्यसभा में कहा, 'ये लोग आंदोलन में जाकर एक वैचारिक रुख (Ideological Stand) दे देते हैं. गुमराह कर देते हैं. नए-नए तरीके बता देते हैं' इसे किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो कृषि कानूनों में उचित बदलाव को लेकर सरकार तैयार है. लेकिन, किसान आंदोलन कर रहे किसान संगठन के नेता, कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. पीएम मोदी ने कहा, 'ये उनकी ताकत है. उनका क्या है, वे खुद कोई आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते, तो दूसरों के आंदोलन में पहुंच जाते हैं.' शाहीन बाग प्रदर्शन हो या किसान आंदोलन इन दोनों पर ही अर्बन नक्सल, खालिस्तानी और टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसी विचारधाराओं की संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं.

इस टूलकिट के तार खालिस्तानी संगठनों से जुड़े होने की आशंका है.

अंतरराष्ट्रीय साजिश पर नए 'FDI' का तंज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही साजिश को भी बेनकाब करने का प्रयास किया. बीते दिनों जलवायु परिवर्तन को लेकर काम करने वाली ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया था. उनके साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने इस मुद्दे को उठाया था. हालांकि, इसी दौरान ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से एक 'टूलकिट' शेयर कर दी थी. जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया था. ग्रेटा थनबर्ग की इस गूगल डॉक्यूमेंट फाइल में किसान आंदोलन को कैसे और कब समर्थन देना है, इस सोशल मीडिया कैंपेन का पूरा शेड्यूल बताया गया था. इस 'टूलकिट' में भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना भी साझा की गई थी. इस गूगल डॉक्यूमेंट में देश की भाजपा सरकार को फासीवादी कहा गया था. पीएम मोदी ने इस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देश प्रगति कर रहा है. हम फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) की बात कर रहे हैं. लेकिन इन दिनों एक नया FDI भारत में आया है. FDI जरूरी है. लेकिन, इस नए FDI, जो फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी (Foreign destructive ideology) है. इससे देश को बचाने की जरूरत है.' दरअसल, इस टूलकिट के तार खालिस्तानी संगठनों से जुड़े होने की आशंका है. देश को तोड़ने वालों की इस साजिश पर इसे एक कड़े प्रहार के तौर पर देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर करना चाहते हैं, ऐसे में हमें सतर्क रहना चाहिए.

पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण की खास बातें

1. पीएम मोदी ने कहा कि हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है. ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है. प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है. पीएम ने कहा कि देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है. भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है, न आक्रामक है. ये सत्यम, शिवम, सुंदरम मूलों से प्रेरित है. ये वक्तव्य आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी का है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है, जाने-अनजाने में हमने नेताजी की भावना को, उनके आदर्शों को भुला दिया है. उसका परिणाम है कि आज हम ही, खुद को कोसने लगे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि ये देश लोकतंत्र की जननी है. हमें ये बात नई पीढ़ी को सिखानी है.

2. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1971 में 1 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों की संख्या 51 फीसदी थी, जो आज बढ़कर 68 फीसदी हो गई है. उन किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिनके पास बहुत कम जमीन है. आज देश में 86 फीसदी ऐसे किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है, ऐसे 12 करोड़ किसान हैं. क्या इनके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हमेशा किसानों के सेंसस का जिक्र करते थे, जिसमें यह बात सामने आई थी कि देश में 33 फीसदी किसानों के पास 2 बीघा से कम जमीन है और 18 फीसदी के पास 2 से 4 बीघा जमीन है. चौधरी चरण सिंह मानते थे कि इससे इन किसानों का गुजारा नहीं हो सकता है.

3. पीएम मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए हमने कदम उठाया है. हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है. उन्होंने कहा कि मैं दावा नहीं कर सकता कि हम सबसे अच्छा सोच सकते हैं. आगे नई सोच आ सकती है. इसको कोई रोक नहीं सकता. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसानों को भारत में एक बाजार देने की बात कही थी, आप लोगों को गर्व करना चाहिए कि जो बात सिंह साहब ने कही थी, वो मोदी कर रहा है. किसानों से कृषि मंत्री लगातार बात कर रहे हैं. किसानों से कोई तनाव नहीं है, हम साफ कर रहे हैं एमएसपी थी, एमसीपी है और आगे भी रहेगी.

4. पीएम मोदी ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है. ज्यादा से ज्यादा समय जो बात बताई गईं, वो आंदोलन के संबंध में बताई गई. किस बात को लेकर आंदोलन है, उस पर सब मौन रहे. उन्होंने कहा कि जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती. किसान आंदोलन पर राजनीति हो रही है. चुनौतियां तो हैं लेकिन हमें तय करना है कि हम समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या समाधान का माध्यम बनना चाहते हैं.

5. पीएम मोदी ने कहा कि भारत में कोरोना को नियंत्रण करने की तारीफ पूरी दुनिया ने की है. कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है. उन्होंने कहा कि विरोध करने के लिए कितने मुद्दे हैं और करना भी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए कि देश का मनोबल टूटे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲