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नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता फिर शीर्ष पर! 'ब्रांड मोदी' के लिए दे रहे ये 5 संकेत

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 19 जून, 2021 01:26 PM
  • 19 जून, 2021 01:26 PM
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आने वाले समय में अगर पीएम मोदी कोरोना काल के दौरान जनता से किए गए वादों को निभाने में सफल साबित होते हैं, तो उनकी लोकप्रियता में और सुधार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान अव्यवस्थाओं के बाद आलोचनाओं में घिरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में सुधार होना शुरू हो गया है. नरेंद्र मोदी 66 फीसदी अप्रूवल के साथ अमेरिकी डेटा इंटेलिजेंस फर्म मॉर्निंग कंसल्ट के सर्वे में ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग में शीर्ष पर पहुंच गए हैं. दरअसल, कोरोनाकाल के दौरान विश्व के सभी बड़े नेताओं की अप्रूवल रेटिंग में गिरावट दर्ज की गई है. इस लिहाज से नरेंद्र मोदी का शीर्ष पर बने रहना 2022 में उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए राहत भरी खबर हो सकती है. इससे इतर भारतीय सर्वे एजेंसी Ormax Media के अनुसार, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 50 फीसदी पर ही टिकी हुई है. माना जा रहा है कि बीती 7 जून को दिए गए राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद से नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में सुधार आया है. इसमें जनता में व्याप्त नाराजगी को दूर करने के लिए पीएम मोदी ने दो अहम फैसले लिए थे. 80 करोड़ लोगों को दिवाली तक मुफ्त अनाज और टीकाकरण की जिम्मेदारी भारत सरकार द्वारा निभाए जाने के फैसलों ने इसमें काफी अंतर पहुंचाया है.

आने वाले समय में अगर पीएम मोदी कोरोनाकाल के दौरान जनता से किए गए वादों को निभाने में सफल साबित होते हैं, तो उनकी लोकप्रियता में और सुधार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ पूरी तरह से उनके वादों पर टिका हुआ है. बीते साल जनवरी महीने में मोदी की अप्रूवल रेटिंग 80 फीसदी थी. जो मई महीने में 84 फीसदी तक पहुंच गई थी. वहीं, 2021 के जनवरी महीने में यह 77 फीसदी पर थी. जिसके बाद यह कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तेजी से गिरी थी. पीएम मोदी के हालिया राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद अप्रूवल रैंकिंग सुधार दर्ज किया गया है. इस आधार पर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में मोदी सरकार के फैसलों के साथ इसमें उतार-चढ़ाव सामने आ सकते हैं. वहीं, लोकप्रियता के मामले में नरेंद्र मोदी के शीर्ष पर पहुंचने से 'ब्रांड मोदी' को ये 5 'शुभ संकेत' मिल सकते हैं. आइए जानते हैं ये क्या हैं?

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान अव्यवस्थाओं के बाद आलोचनाओं में घिरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में सुधार होना शुरू हो गया है. नरेंद्र मोदी 66 फीसदी अप्रूवल के साथ अमेरिकी डेटा इंटेलिजेंस फर्म मॉर्निंग कंसल्ट के सर्वे में ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग में शीर्ष पर पहुंच गए हैं. दरअसल, कोरोनाकाल के दौरान विश्व के सभी बड़े नेताओं की अप्रूवल रेटिंग में गिरावट दर्ज की गई है. इस लिहाज से नरेंद्र मोदी का शीर्ष पर बने रहना 2022 में उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए राहत भरी खबर हो सकती है. इससे इतर भारतीय सर्वे एजेंसी Ormax Media के अनुसार, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 50 फीसदी पर ही टिकी हुई है. माना जा रहा है कि बीती 7 जून को दिए गए राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद से नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में सुधार आया है. इसमें जनता में व्याप्त नाराजगी को दूर करने के लिए पीएम मोदी ने दो अहम फैसले लिए थे. 80 करोड़ लोगों को दिवाली तक मुफ्त अनाज और टीकाकरण की जिम्मेदारी भारत सरकार द्वारा निभाए जाने के फैसलों ने इसमें काफी अंतर पहुंचाया है.

आने वाले समय में अगर पीएम मोदी कोरोनाकाल के दौरान जनता से किए गए वादों को निभाने में सफल साबित होते हैं, तो उनकी लोकप्रियता में और सुधार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ पूरी तरह से उनके वादों पर टिका हुआ है. बीते साल जनवरी महीने में मोदी की अप्रूवल रेटिंग 80 फीसदी थी. जो मई महीने में 84 फीसदी तक पहुंच गई थी. वहीं, 2021 के जनवरी महीने में यह 77 फीसदी पर थी. जिसके बाद यह कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तेजी से गिरी थी. पीएम मोदी के हालिया राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद अप्रूवल रैंकिंग सुधार दर्ज किया गया है. इस आधार पर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में मोदी सरकार के फैसलों के साथ इसमें उतार-चढ़ाव सामने आ सकते हैं. वहीं, लोकप्रियता के मामले में नरेंद्र मोदी के शीर्ष पर पहुंचने से 'ब्रांड मोदी' को ये 5 'शुभ संकेत' मिल सकते हैं. आइए जानते हैं ये क्या हैं?

ब्रांड मोदी की स्वीकार्यता बढ़ने से आगामी विधानसभा में भाजपा को फायदा मिलने की पूरी संभावना है.

1. विधानसभा चुनावों में जाने से पहले इमेज मेकओवर

पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार सुधारने की दिशा में कदम उठाने और साल के अंत तक सभी का वैक्सीनेशन जैसे फैसले किए हैं. 2022 मे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ये चुनाव अगले साल की पहली तिमाही में होंगे, तो कहा जा सकता है कि लोगों की नाराजगी को खत्म करने के लिए पीएम मोदी के पास करीब 6 महीने का वक्त है. इस दौरान अगर मोदी अब तक किए हुए अपने वादों को ही पूरा कर लेते हैं, तो लोगों के बीच उनकी अप्रूवल रेटिंग में सुधार और बढ़ सकता है. ब्रांड मोदी की स्वीकार्यता बढ़ने से आगामी विधानसभा में भाजपा को फायदा मिलने की पूरी संभावना है. वहीं, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को लेकर भाजपा शायद ही हीला-हवाली करने की मंशा रखेगी. केंद्र की सत्ता की चाभी कहे जाने वाले इस राज्य को लेकर बीते दिनों हुई ताबड़तोड़ बैठकों को देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है. कहा जा सकता है कि मोदी सरकार अपने वादों को पूरा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी. यूपी विधानसभा चुनाव मोदी सरकार के लिए सत्ता का सेमीफाइनल ही माना जाना चाहिए. वैसे 2022 के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इन चुनावों के साथ निकट भविष्य के सभी चुनावों पर यूपी के नतीजों का सीधा प्रभाव पड़ेगा. इस स्थिति में 'ब्रांड मोदी' जितना मजबूत होगा, भाजपा को चुनाव में उतनी ही आसानी होगी.

2. किसानों को साधने से कृषि कानूनों का विरोध होगा ठंडा

कोरोनाकाल के दौरान मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर लंबे समय से किसान आंदोलन चल रहा है. इसे नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी आने का एक अहम फैक्टर कहा जा सकता है. हालांकि, अब किसान आंदोलन दो राज्य में सिमटता नजर आ रहा है. दरअसल, बीते कुछ समय से मोदी सरकार की ओर से लगातार कोशिश की जा रही है कि किसानों के बीच फैली नाराजगी को कम किया जाए. कुछ समय पहले ही किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी 500 रुपये से बढ़ाकर 1200 रुपये कर दिया था. वहीं, मोदी सरकार ने धान सहित कई खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ा दिया है. किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार की ओर से जो फैसले लिए जा रहे हैं. वे भविष्य में पीएम मोदी की इमेज पर असर डाल सकते हैं. साथ ही किसान आंदोलन को भी अप्रत्यक्ष तौर पर कमजोर करेंगे. हालांकि, किसान आंदोलन के केंद्र बने पंजाब और हरियाणा के किसानों को भी इन फैसलों से फायदा मिलेगा. लेकिन, इन दो राज्यों को छोड़ दिया जाए, तो देश के अन्य राज्यों के किसानों के लिए ये फैसले काफी मायने रखते हैं. वहीं, मोदी सरकार आगामी खरीफ (गर्मी) की फसल में तिलहन के उत्पादन के लिए किसानों को बीज बांटने जैसी सुविधाएं भी देने वाली है. तिलहन का समर्थन मूल्य भी 452 रुपये बढ़ाया गया है.

3. कमजोर पड़ सकते हैं विपक्ष के आरोप

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान फैली अव्यवस्थाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्ष काफी हमलावर रहा है. वैक्सीनेशन से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक विपक्ष ने हर मौके पर पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा करने में कोताही नहीं बरती है. वहीं, नरेंद्र मोदी ने इस बार चतुराई दिखाते हुए वैक्सीनेशन से लेकर लॉकडाउन लगाने तक के फैसलों को राज्य सरकार पर छोड़ दिया था. वहीं, वैक्सीन को लेकर गैर भाजपा शासित राज्यों के हाथ खड़े कर देने के बाद अब फिर से मोदी सरकार ने वैक्सीनेशन की बागडोर अपने हाथ में ले ली है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भाजपा की ओर से इस बात पर जोर दिया जाता रहा कि चिकित्सा और स्वास्थ्य राज्य सरकारों का विषय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने ऊपर लग रहे आरोपों का ठीकरा राज्य सरकारों पर फोड़ चुके हैं. वहीं, वैक्सीनेशन पर केंद्र सरकार दावा कर ही चुकी है कि दिसंबर के अंत तक सभी लोगों का टीकाकरण हो जाएगा. 8 वैक्सीन के विकल्पों का रोडमैप मोदी सरकार की ओर से जारी किया जा चुका है. अगर ये पूरा हो जाता है, तो मोदी की अप्रूवल रेटिंग में और सुधार हो सकता है.

4. कोरोना के चलते बढ़ी नाराजगी हो सकती है कम

नरेंद्र मोदी ने कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों और घर के कमाऊ सदस्य को खोने वाले परिवारों के लिए नरेंद्र मोदी ने सहायता राशि और पेंशन उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. इस दौरान मोदी सरकार ने बीमा कंपनियों को इंश्योरेंस से जुड़े कई नियम बदलने का भी फैसला किया, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को आर्थिक सहायता मिल सके. आने वाले समय में मोदी सरकार की ओर से ऐसी और घोषणाएं हो सकती हैं. जो इस रैंकिग को सुधारने में मदद करेंगी. वहीं, राष्ट्र के नाम संबोधन में भी नरेंद्र मोदी का पूरा जोर 'डैमेज कंट्रोल' की ओर रहा था. राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी कोरोना महामारी को बीते 100 वर्षों में आई सबसे बड़ी महामारी बता ही चुके हैं. मोदी ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है. भारत भी इस लड़ाई के दौरान बड़ी पीड़ा से गुजरा है. कई लोगों ने अपने परिजनों को, परिचितों को खोया है. ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी संवेदना है.

5. कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के गिरने में सबसे बड़ा हाथ कोरोना महामारी का रहा है. वहीं, विशेषज्ञों की ओर से लगातार कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा जताया जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में आलोचनाओं का शिकार हुई मोदी सरकार अब फूंक-फूंककर कदम रख रही है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान फैली स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं से बचने के लिए देश में पीएम केयर्स फंड से सुविधाओं को सुधारने की कवायद शुरू हो चुकी है. इसके जरिये बड़ी संख्या में ऑक्सीजन प्लांट, अस्थायी कोविड अस्पताल, वेंटिलेटर्स, 1 लाख नए हेल्थ वर्कर्स को तैयार करने जैसे फैसले लिए जा रहे हैं. भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को पहले ही ताकीद कर रखी है कि लोगों के बीच जाकर मोदी सरकार के आपदा प्रबंधन के बारे में फीडबैक लेते रहना है. अगर सारी चीजें इसी तरह चलती रहीं, तो मोदी सरकार के साथ ही भाजपा के लिए कई चीजें आसान हो जाएंगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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