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मोदी-योगी ने छुट्टी नहीं ली तो ये अच्‍छी बात नहीं है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 13 सितम्बर, 2021 08:34 PM
  • 13 सितम्बर, 2021 08:34 PM
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अब तक तो हमें यह पता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ 3 से 4 घंटे ही सोते हैं. अब यह जानकारी सामने आई है कि उन्होंने सात सालों के कार्यकाल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है. वहीं पीएम के नक्शेकदम पर चलते हुए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी पिछले साढ़े चार सालों से लगातार काम कर रहे हैं.

अब तक तो हमें यह पता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ 3 से 4 घंटे ही सोते हैं. अब यह जानकारी सामने आई है कि उन्होंने सात सालों के कार्यकाल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है. वहीं पीएम के नक्शेकदम पर चलते हुए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी पिछले साढ़े चार सालों से लगातार काम कर रहे हैं. कई लोगों को यह शायद यह सुनकर बहुत अच्छा लगा होगा लेकिन आराम न करना एक तरह से हमारी जिंदगी को नुकसान पहुंचाना है.

जब हम स्वस्थ रहेंगे तभी तो अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा पाएंगे. ये क्या बात हुई कि काम करने में इतना डूब जाओ कि खुद की सेहत की परवाह ही ना रहे. अब अगर कोई आपको पीएम मोदी और सीएम योगी के नाम पर यह ताना दे कि तुम्हें छुट्टी की पड़ी रहती है, देखो हमारे पीएम और सीएम को...तो याद रखिए एक तो आपको देश और प्रदेश नहीं संभालना दूसरा उनकी और आपकी लाइफस्टाइल में बहुत अंतर है.

पीएम मोदी और सीएम योगी ने छुट्टी न लेने का बनाया रिकॉर्ड

असल में यह दावा यूपी के डेप्‍युटी सीएम दिनेश शर्मा का है. ग्रेटर नोएडा में 'प्रबुद्ध सम्‍मेलन' को संबोधित करते हुए शर्मा ने यह दावा किया कि 'सच्‍चा देशभक्‍त वो है जो अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए काम करे.' उन्‍होंने कहा कि ऐसा व्‍यक्ति बदलाव ला सकता है.

आपने भी यह लाइन सुनी होगी कि ‘आराम हराम है’ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बिना छुट्टी लिए लगातार काम करते रहें. जब हम पूरी मेहनत और इमानदारी के साथ काम करते हैं तो फिर छुट्टी लेने में संकोच क्यों? छुट्टी लेकर आराम करने के बाद तो इंसान का दिमाग और अच्छी तरह से काम करता है इसलिए वह पहले की अपेक्षा बेहतर काम कर पाता है. बिना रूके हर रोज लगातार काम करने का तब क्या फायदा जब मेहनत करने का...

अब तक तो हमें यह पता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ 3 से 4 घंटे ही सोते हैं. अब यह जानकारी सामने आई है कि उन्होंने सात सालों के कार्यकाल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है. वहीं पीएम के नक्शेकदम पर चलते हुए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी पिछले साढ़े चार सालों से लगातार काम कर रहे हैं. कई लोगों को यह शायद यह सुनकर बहुत अच्छा लगा होगा लेकिन आराम न करना एक तरह से हमारी जिंदगी को नुकसान पहुंचाना है.

जब हम स्वस्थ रहेंगे तभी तो अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा पाएंगे. ये क्या बात हुई कि काम करने में इतना डूब जाओ कि खुद की सेहत की परवाह ही ना रहे. अब अगर कोई आपको पीएम मोदी और सीएम योगी के नाम पर यह ताना दे कि तुम्हें छुट्टी की पड़ी रहती है, देखो हमारे पीएम और सीएम को...तो याद रखिए एक तो आपको देश और प्रदेश नहीं संभालना दूसरा उनकी और आपकी लाइफस्टाइल में बहुत अंतर है.

पीएम मोदी और सीएम योगी ने छुट्टी न लेने का बनाया रिकॉर्ड

असल में यह दावा यूपी के डेप्‍युटी सीएम दिनेश शर्मा का है. ग्रेटर नोएडा में 'प्रबुद्ध सम्‍मेलन' को संबोधित करते हुए शर्मा ने यह दावा किया कि 'सच्‍चा देशभक्‍त वो है जो अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए काम करे.' उन्‍होंने कहा कि ऐसा व्‍यक्ति बदलाव ला सकता है.

आपने भी यह लाइन सुनी होगी कि ‘आराम हराम है’ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बिना छुट्टी लिए लगातार काम करते रहें. जब हम पूरी मेहनत और इमानदारी के साथ काम करते हैं तो फिर छुट्टी लेने में संकोच क्यों? छुट्टी लेकर आराम करने के बाद तो इंसान का दिमाग और अच्छी तरह से काम करता है इसलिए वह पहले की अपेक्षा बेहतर काम कर पाता है. बिना रूके हर रोज लगातार काम करने का तब क्या फायदा जब मेहनत करने का नतीजा उल्टा हो जाए.

जब कोई हमसे कोई कहता है कि वह तो एक भी दिन छुट्टी नहीं लेता, ऑफिस का काम खत्म होने के बाद भी घंटों लैपटॉप पर काम करता रहता है तो हम उसे बहुत महान समझते हैं, लेकिन एक बात समझ नहीं आती जब कंपनियों ने खुद काम के घंटे तय किए हैं, साप्ताहिक अवकाश तय किए हैं, छुट्टियों के दिन तय किए हैं तो आपको छुट्टी लेने में क्या दिक्कत आती है?

क्या आपकी जिंदगी में काम के सिवा और कुछ नहीं? आपका परिवार, पत्नी और बच्चे नहीं? कोई और जिम्मेदारी नहीं? क्या आराम करना, घूमना-फिरना जरूरी नहीं? माफ कीजिए अगर आप बिना छुट्टी लिए लगातार काम कर रहे हैं तो इसमें कोई वाहवाही वाली बात नहीं है, क्योंकि आप लगातार काम करके अपनी सेहत को बिगाड़ रहे हैं. इसके अलावा आप जिंदगी जी कहां रहे हैं.

लंबी उम्र चाहिए तो इन नियमों का करें पालन

आज के समय में वैसे भी लोग सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही जिंदगी जीते हैं वरना पांच दिन कब सुबह हुई औऱ कब रात भागदौड़ में पता भी नहीं चलता. जब आप वो दो दिन भी अपने लिए ना लेकर काम ही करते रहेंगे तो आपका शरीर कब तक साथ देगा? नींद की कमी, आंखों के नीचे काले घेरे, शरीर में थकान, चिड़चिड़ापन सब यहीं से तो शुरु होता है. सारी जिम्मेदारियों में इंसान इतना पिस जाता है कि खुद को भूल ही जाता है.

आराम ना करने से और दिन भर काम करने से तनाव होता है. लोग इसलिए तो मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं, डिप्रेशन में जा रहे हैं और दुनियांभर की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. हो सकता है कि ऑफिस से समय पर घर आने वक्त आपको हॉफ डे के ताने दिए जाते हों और कुछ लोग ओवर टाइम के टक्कर में ऑफिस में ही 12 घंटे बिताते हों लेकिन याद रखिए अगले दिन और बेहतर काम करने के लिए आपका आज समय पर घर जाना जरूरा है.

चलिए जानते हैं कि इस बारे में रिसर्च का क्या कहना है

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के रिसर्च में देखा गया घंटों बैठे रहने से मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है. पूर्व में हुए अध्ययनों में भी कहा गया है कि नियमित रूप से लंबे समय तक बैठे रहने से दिल की बीमारियों, डायबिटीज और कई तरह के कैंसर का खतरा होता है.

लगातार बैठकर काम करते हैं तो आप में पल्मोनरी एम्बोलिज्म यानी लंग में खून के थक्के जमने की आशंका दोगुनी हो जाती है. इसका असर दिल पर भी पड़ता है.

मेदांता हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. रजनीश कपूर कहते हैं, ''घंटों एक ही पोजिशन में बैठकर काम करते रहना हार्ट और स्पाइन के लिए खतरनाक हो सकता है.”

साल 2007 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, रिलैक्सेशन या आराम को गंभीरता से लेने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा 24 प्रतिशत तक कम हो जाता है. ऐसे लोगों का शरीर किसी संकट या आपात स्थिति में उपजे तनाव का सामना करने में भी ज्यादा सक्षम होता है.

नींद हमारी जिंदगी का इतना अहम अंग है कि अमेरिका में नेशनल स्लीप फाउंडेशन नाम की एक संस्था ही बन गई, जिसका काम अपने देश के नागरिकों की नींद पर रिसर्च करना और वे तरीके ईजाद करना है, जिससे लोगों की नींद को बेहतर किया जा सके.

तो अब अगर कोई आपको ताना मारे कि कितनी छुट्टी लेते हो यार, या फिर आज तो जल्दी ही घर जा रहे हो तो उनको बोलना कि काम जरूरी है लेकिन आराम भी जरूरी है. मन से काम करने में और कुर्सी से चिपके रहने में अंतर होता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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