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PM Modi-Chief Minister meeting: जब शवों की बेकद्री होने लगे तो बात सिर्फ लॉकडाउन तक न रुके

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 13 जून, 2020 06:15 PM
  • 13 जून, 2020 06:15 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) देश के मुख्यमंत्रियों (Chief Ministers Meet) के साथ ऐसे वक्त मीटिंग कर रहे हैं जब कोरोना वायरस (Coronavirus) से हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं - हर कोई यही जानना चाहता है कि अनलॉक रहेगा या लॉकडाउन फिर से लागू होगा - जो भी हो परिस्थितियों की समीक्षा जरूरी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों (PM Modi-Chief Ministers Meet) के साथ एक और बैठक होने की खबर ऐसे दौर में आयी है जब कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus outbreak) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस के ये रूप दिखाने का अंदाजा तो पहले से ही रहा क्योंकि कई एक्सपर्ट पहले ही इसे लेकर आगाह कर चुके थे.

लॉकडाउन के चार चरण के बाद अनलॉक 1.0 में एक जनरल गाइडलाइन के अलावा बाकी चीजें तय करने का अधिकार केंद्र सरकार ने राज्यों को दे दिया था - और सभी राज्य अपने अपने तरीके से जरूरत के हिसाब से फैसले ले रहे हैं. जब से अनलॉक शुरू हुआ है आने जाने पर पाबंदी तो खत्म हो ही चुकी है, बाजार, दफ्तर और धार्मिक स्थलों को खोलने के साथ साथ कई सामूहिक गतिविधियों की छूट दी जा चुकी है.

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्रियों की मीटिंग की खबर आने के पहले से ही एक चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि लॉकडाउन का दौर फिर से तो नहीं लौटने वाला. जब ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र सरकार ने तो इसे अफवाह बताया और दूसरे कई राज्यों ने ऐसे संकेत दिये कि वे फिर से ऐसा करने के पक्ष में नहीं हैं.

लेकिन जिस तरीके से दिल्ली और मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, हर किसी की दिलचस्पी ये जानने में बढ़ गयी है कि मुख्यमंत्रियो के साथ मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री मोदी क्या फैसला लेते हैं - अनलॉक या लॉकडाउन फिर से?

क्या क्या होगा मीटिंग में

देश में कोरोना संक्रमण की संख्या 3 लाख को पार कर चुकी है और 1 लाख तो इसमें महाराष्ट्र से ही हैं. पूरे देश में दिल्ली और महाराष्ट्र में ही कोरोना वायरस के संक्रमण में सबसे ज्यादा तेजी से इजाफा हो रहा है. वैसे महाराष्ट्र के बाद कोरोना मरीजों की संख्या के मामले में नंबर तमिलनाडु का है और दिल्ली के बाद गुजरात का.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ फिर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मुखातिब होंगे तब तक आधा जून बीत चुका होगा - और तब तक ये संख्या और भी बढ़ चुकी...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों (PM Modi-Chief Ministers Meet) के साथ एक और बैठक होने की खबर ऐसे दौर में आयी है जब कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus outbreak) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस के ये रूप दिखाने का अंदाजा तो पहले से ही रहा क्योंकि कई एक्सपर्ट पहले ही इसे लेकर आगाह कर चुके थे.

लॉकडाउन के चार चरण के बाद अनलॉक 1.0 में एक जनरल गाइडलाइन के अलावा बाकी चीजें तय करने का अधिकार केंद्र सरकार ने राज्यों को दे दिया था - और सभी राज्य अपने अपने तरीके से जरूरत के हिसाब से फैसले ले रहे हैं. जब से अनलॉक शुरू हुआ है आने जाने पर पाबंदी तो खत्म हो ही चुकी है, बाजार, दफ्तर और धार्मिक स्थलों को खोलने के साथ साथ कई सामूहिक गतिविधियों की छूट दी जा चुकी है.

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्रियों की मीटिंग की खबर आने के पहले से ही एक चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि लॉकडाउन का दौर फिर से तो नहीं लौटने वाला. जब ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र सरकार ने तो इसे अफवाह बताया और दूसरे कई राज्यों ने ऐसे संकेत दिये कि वे फिर से ऐसा करने के पक्ष में नहीं हैं.

लेकिन जिस तरीके से दिल्ली और मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, हर किसी की दिलचस्पी ये जानने में बढ़ गयी है कि मुख्यमंत्रियो के साथ मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री मोदी क्या फैसला लेते हैं - अनलॉक या लॉकडाउन फिर से?

क्या क्या होगा मीटिंग में

देश में कोरोना संक्रमण की संख्या 3 लाख को पार कर चुकी है और 1 लाख तो इसमें महाराष्ट्र से ही हैं. पूरे देश में दिल्ली और महाराष्ट्र में ही कोरोना वायरस के संक्रमण में सबसे ज्यादा तेजी से इजाफा हो रहा है. वैसे महाराष्ट्र के बाद कोरोना मरीजों की संख्या के मामले में नंबर तमिलनाडु का है और दिल्ली के बाद गुजरात का.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ फिर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मुखातिब होंगे तब तक आधा जून बीत चुका होगा - और तब तक ये संख्या और भी बढ़ चुकी होगी.

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की मीटिंग इस बार दो दिनों तक चलने वाली है. जिस हिसाब से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्रियों की मीटिंग का कार्यक्रम बनाया गया है, ऐसा लगता है इस बार विस्तृत चर्चा होने वाली है. इससे पहले 11 मई को भी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग काफी लंबी चली थी. उस मीटिंग में भी सभी को बोलने का मौका दिया गया था क्योंकि उससे पहले वाली बैठक में सभी को बोलने का मौका न मिलने से कुछ मुख्यमंत्री नाराज हो गये थे. केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने तो अपने मुख्य सचिव को ही भेज दिया था कि जब बोलना ही नहीं तो मीटिंग में शामिल होने से फायदा क्या. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो मीटिंग खत्म होने के बाद बेहद गुस्से में नजर आयी थीं.

मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को कोरोना पर काबू पाने का तरीका खोजना होगा

वैसे तो 30 जून तक सिर्फ कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन लागू रखा गया है, लेकिन तीन राज्यों ने तो साफ तौर पर बोल दिया है कि लॉकडाउन नहीं होगा. दिल्ली सरकार तो आगे से लॉकडाउन की संभावना को तो खारिज कर ही दिया है, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने भी अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील करते हुए कहा है कि राज्य में 15 जून से लॉकडाउन का कोई प्लान नहीं है. ऐसे ही तमिलनाडु सरकार ने भी मद्रास हाई कोर्ट को बताया है कि चेन्नई या राज्य के किसी और हिस्से में पूरा लॉकडाउन करने की कोई योजना नहीं है.

पंजाब सरकार ने जरूर लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ा दिया है. पंजाब में इंटरस्टेट बस सर्विस बंद की जा रही है और बॉर्डर सील किये जा रहे हैं. पंजाब की ही तरह पश्चिम बंगाल 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ा दिया है और मिजोरम ने ऐसा 22 जून तक किया है. राजस्थान ने लॉकडाउन तो नहीं बढ़ाया है लेकिन 10 जून से एक हफ्ते के लिए राज्य की सीमाएं जरूर सील कर दी हैं. 25 मार्च को संपूर्ण लॉकडाउन लागू होने से पहले से ही पंजाब और राजस्थान एक्टिव देखे गये हैं और बाकियों से दो कदम आगे ही नजर आये हैं.

दिल्ली में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं

भारत पूरी दुनिया में कोरोना मरीजों की संख्या को लेकर चौथे स्थान पर पहुंच चुका है. दिल्ली में जैसे हालात और बदइंतजामी की खबरें आ रही हैं, आशंका तो ऐसी हो रही है कि कहीं राजधानी, तमिलनाडु और महाराष्ट्र को छोड़कर मरीजों के मामले में पहली पायदान पर न पहुंच जाये.

मुश्किल तो ये है कि कोरोना संकट के बीचों बीच दिल्ली और केंद्र सरकार का तकरार खत्म ही नहीं हो रहा है और खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं. कोरोना के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का मामला हो या फिर कोरोना वायरस के टेस्टिंग का हर मामले में राजनीति आड़े आ जा रही है.

दिल्ली में टेस्टिंग कम होने को लेकर सवाल उठने पर AAP के राज्य सभा सांसद संजय सिंह केंद्र सरकार से टेस्टिंग को लेकर ICMR की गाइडलाइंस बदलने की मांग कर रहे हैं और साथ में अपील भी कि बीमारी का सरकारीकरण बंद हो. संजय सिंह का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को कोरोना जांच कराने की छूट होनी चाहिये और राज्यों को अधिक से अधिक टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई जाये - देश भर में लैब को जांच के लाइसेंस दिए जायें.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी संजय सिंह की बात कर रहे हैं, टेस्टिंग को लेकर पूछे जाने पर कहते हैं - केंद्र सरकार और ICMR से कह दीजिये कि सभी लोगों के लिए टेस्ट ओपन कर दें ताकि जो टेस्ट करवाना चाहे वो करवा ले.

लगे हाथ सत्येंद्र जैन नयी मुश्किल को लेकर चेता भी रहे हैं - ओपन टेस्ट कराने से एक दिक्कत ये भी होगी कि बीमार लोग कम टेस्ट कराएंगे और सशंकित लोग ज्यादा आ जाएंगे. हो सकता है एक दिन में 1 लाख लोग टेस्ट कराने पहुंच जाएं, फिर तो ऐसे में आपका नंबर एक महीने बाद ही आएगा.

12 जून को एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार जिस तरह से मरीजों का अस्पतालों में इलाज कर रही है और शवों के साथ जैसा व्यवहार हो रहा है - जो स्थिति है वो भयानक और डरावनी है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि अस्पतालों में शब रखे हुए हैं और वहीं लोगों का इलाज चल रहा है.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोरोना मरीज की मौत के बाद उनके परिजनों को सूचना देने की भी जहमत नहीं उठाई जा रही है. कई मामले तो ऐसे भी दिखे हैं जिनमें लोग अपनों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो पाये हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है, खास तौर पर एलएनजेपी अस्पताल की स्थिति को गंभीरता से लिया है. एलएनजेपी अस्पताल का एक वीडियो सामने आया था जहां गलियारे में एक के ऊपर एक शव रखे गये थे.

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड 19 के मामले में दिल्ली के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तामिलनाडु को भी नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इन राज्यों के चीफ सेक्रेटरी से कहा है कि वे मरीजों के प्रबंधन को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. अगली सुनवाई 17 जून को होनी है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन सारी जिम्मेदारी एमसीडी पर डाल रहे हैं कहते हैं कि अंतिम संस्कार का काम एमसीडी के पास है. दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी अब अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा मांग रहे हैं. मनोज तिवारी का आरोप है कि दिल्ली में मरीजों के साथ जानवरों से भी बदतर सुलूक हो रहा है - जो लोग कोरोना पॉजिटिव हो गये उनके परिवार वालों के भी टेस्ट नहीं हो रहे हैं.

अब लॉकडाउन न लगाने को लेकर तस्वीर भले ही सिर्फ तीन राज्यों ने ही साफ की है, लेकिन ज्यादातर राज्य आर्थिक नुकसान को देखते हुए फिर से लॉकडाउन लागू करने के पक्ष में नहीं नजर आ रहे हैं. हाल ही में कैबिनेट सचिवों की एक बैठक हुई थी जिसमें सभी राज्यों ने केंद्र सरकार को भरोसा दिलाया कि वे हालात को संभाल लेंगे और लॉकडाउन की कोई जरूरत नहीं लगती.

अब लॉकडाउन लौटेगा या अनलॉक की ही स्थिति बनी रहेगी, ये तो सभी मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बैठक के बाद ही तय होगा, लेकिन ये तो तय है कि 1 जून से अनलॉक 1.0 के बाद के माहौल की समीक्षा तो होगी ही.

दिल्ली की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी शवों को लेकर कुछ वैसा ही हाल देखने को मिल रहा है. कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को लेकर तो पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पहले भी विवादों में रही है, शवों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने तो ट्विटर पर लिखा है ये सब देख कर उनको गहरा धक्का लगा है.

दिल्ली में कोरोना वायरस टेस्टिंग को लेकर भी सवाल उठा है. टेस्टिंग घटाने को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगायी है, जबकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन कह रहे हैं कि दिल्ली टेस्टिंग तो ICMR की गाइडलाइन के अनुसार ही हो रहा है. अगर टेस्टिंग बढ़ानी है तो आईसीएमआर की गाइ़डलाइन में ही बदलावा करना होगा.

जाहिर है ऐसे तमाम मुद्दे हैं जिन पर गौर किया जाना जरूरी है और मुख्यमंत्रियों की बैठक में इन पर विस्तार से चर्चा भी होगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि अब निश्चित से प्रधानमंत्री मोदी को मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग में हालात की समीक्षा और सुधार के वे इंतजाम करने होंगे जो कोरोना वायरस के फैलने पर काबू पाने कारगर हों - क्योंकि अनलॉक जारी रखने या लॉकडाउन लागू करने से कहीं ज्यादा अब वही बात महत्वपूर्ण है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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