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Delhi coronavirus cases: 'कम्यूनिटी ट्रांसमिशन' पर दिल्ली और केंद्र की असहमति में कुछ सवाल भी हैं

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 12 जून, 2020 06:56 PM
  • 12 जून, 2020 06:56 PM
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आईसीएमआर (ICMR) के जिस सर्वे के आधार पर दिल्ली में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (Community transmission in Delhi) का मामला केंद्र की तरफ से खारिज किया गया है, उसके बाद से हालात काफी बदल चुके हैं - अरविंद केजरीवाल बनाम मोदी सरकार (Arvind Kejriwal VS Modi Sarkar) की असहमति अपनी जगह है, लेकिन हकीकत से मुंह कैसे मोड़ सकते हैं.

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच असहमति (Arvind Kejriwal VS Modi Sarkar) का नया टॉपिक बना है - राजधानी में कोरोना वायरस का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (Community transmission in Delhi). दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है, लेकिन केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने सिर्फ दिल्ली ही नहीं पूरे देश में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की आशंका से साफ तौर पर इंकार किया है. आईसीएमआर (ICMR) के सर्वे के आंकड़े बड़ी राहत देने वाले हैं, लेकिन वही सर्वे कुछ सवाल भी छोड़ रहा है जिनके जवाब जानने जरूरी हो गये हैं.

ये ठीक है कि आईसीएमआर के पास दिल्ली सरकार के दावों को खारिज करने के तकनीकी आधार हैं, लेकिन सर्वे और वस्तुस्थिति के बीच की खाई दावों पर सवाल जरूर खड़े कर रही है.

दिल्ली सरकार का दावा और दलील

आईसीएमआर ने सर्वे के आधार पर ही दिल्ली सरकार की आशंका को बेबुनियाद बताया है - लेकिन सर्वे के बीच से ही कुछ सवाल भी निकल रहे हैं, जिससे लगता है कि दिल्ली सरकार का दावा इतना कमजोर भी नहीं लग रहा है.

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने तो साफ साफ कह दिया था कि दिल्ली में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है - और इसके लिए वो आंकड़े भी पेश किये थे. हालांकि, आखिर में सत्येंद्र जैन ने ये भी कह दिया था कि इस पर आगे केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ही बताएगी - क्योंकि ये प्रोटोकॉल का मामला है.

सत्येंद्र जैन ने कहा, 'कम्यूनिटी में ट्रांसमिशन हो रहा है - लेकिन ये कम्यूनिटी ट्रांसमिशन है या नहीं, इसका ऐलान सिर्फ केंद्र कर सकता है... ये एक टेक्निकल टर्म है.'

सत्येंद्र जैन ने अपने दावे के सपोर्ट में AIIMS के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का हवाला दिये, जिनका कहना है कि कंटेनमेंट जोन में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है. रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली के साथ साथ मुंबई में...

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच असहमति (Arvind Kejriwal VS Modi Sarkar) का नया टॉपिक बना है - राजधानी में कोरोना वायरस का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (Community transmission in Delhi). दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है, लेकिन केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने सिर्फ दिल्ली ही नहीं पूरे देश में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की आशंका से साफ तौर पर इंकार किया है. आईसीएमआर (ICMR) के सर्वे के आंकड़े बड़ी राहत देने वाले हैं, लेकिन वही सर्वे कुछ सवाल भी छोड़ रहा है जिनके जवाब जानने जरूरी हो गये हैं.

ये ठीक है कि आईसीएमआर के पास दिल्ली सरकार के दावों को खारिज करने के तकनीकी आधार हैं, लेकिन सर्वे और वस्तुस्थिति के बीच की खाई दावों पर सवाल जरूर खड़े कर रही है.

दिल्ली सरकार का दावा और दलील

आईसीएमआर ने सर्वे के आधार पर ही दिल्ली सरकार की आशंका को बेबुनियाद बताया है - लेकिन सर्वे के बीच से ही कुछ सवाल भी निकल रहे हैं, जिससे लगता है कि दिल्ली सरकार का दावा इतना कमजोर भी नहीं लग रहा है.

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने तो साफ साफ कह दिया था कि दिल्ली में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है - और इसके लिए वो आंकड़े भी पेश किये थे. हालांकि, आखिर में सत्येंद्र जैन ने ये भी कह दिया था कि इस पर आगे केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ही बताएगी - क्योंकि ये प्रोटोकॉल का मामला है.

सत्येंद्र जैन ने कहा, 'कम्यूनिटी में ट्रांसमिशन हो रहा है - लेकिन ये कम्यूनिटी ट्रांसमिशन है या नहीं, इसका ऐलान सिर्फ केंद्र कर सकता है... ये एक टेक्निकल टर्म है.'

सत्येंद्र जैन ने अपने दावे के सपोर्ट में AIIMS के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का हवाला दिये, जिनका कहना है कि कंटेनमेंट जोन में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है. रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली के साथ साथ मुंबई में भी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की आशंका जता रखी है. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक जिस तरीके से दिल्ली में 12-15 दिन में मामले डबल होते जा रहे हैं, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की ही आशंका लगती है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया है कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हुए मरीजों की संख्या एक्टिव केस से ज्यादा हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना का रिकवरी रेट 49.2 फीसदी हो गया है.

ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव के मुताबिक प्रति लाख के हिसाब से देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बाकी देशों की तुलना में काफी कम हैं और भारत में मृत्यु दर भी कम है.

दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की हालत भले न हो, लेकिन हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं

आईसीएमआर ये सब एक सर्वे के आधार पर कहा है जो देश के 83 जिलों में 24 हजार लोगों पर किया गया. सर्वे के मुताबिक भारत में एक फीसदी से भी कम आबादी कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित हुई है.

आईसीएमआर भी मानता है कि शहरों में गांवों की तुलना में ज्यादा केस पाये जा रहे हैं - और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी राजधानी का मामला अलग बता रहे हैं. सत्येंद्र जैन का कहना है कि करीब आधे वायरस संक्रमण किस स्रोत से हो रहा है, इस बात का पता नहीं चल पा रहा है. सत्येंद्र जैन कहते हैं पहले एक केस में कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग 600 लोगों तक पहुंच जाती थी. कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग के जरिये पता किया जाता है कि मरीज के संपर्क में कितने लोग आये होंगे. सत्येंद्र जैन की दलील है - अब अगर 1,500 केस को 600 से गुण कर दें तो कुल 9 लाख लोंगों तक पहुंचना होगा.

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी सत्येंद्र जैन की बातों का समर्थन किया है. स्टेट डिजॉस्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की बैठक के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा - केंद्र सरकार मानती है फिलहाल दिल्ली में कम्यूनिटी ट्रांसमिशमन नहीं हो रहा है, जबकि दिल्ली सरकार को लगता है कि ऐसा शुरू हो चुका है. ये मीटिंग मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुलायी थी, लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर जब वो आइसोलेशन में चले गये थे तो मनीष सिसोदिया को जिम्मेदारी दे दी. मीटिंग में दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल भी शामिल हुए थे.

सर्वे के आधार पर बलराम भार्गव लॉकडाउन को कामयाब बता रहे हैं - और सत्येंद्र जैन भी मानते हैं कि लॉकडाउन से काफी सीख मिली है, लेकिन धारणाएं भी अलग अलग बनी हैं. सत्येंद्र जैमन याद दिलाते हैं कुछ लोगों को लगता था कि वायरस एक-दो महीने में खत्म हो जाएगा, जबिक कुछ मानते थे कि वायरस तापमान बढ़ने से खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

सत्येंद्र जैन जोर देकर कहते हैं, 'हमें वायरस के साथ जीना सीखना होगा क्योंकि ये अभी दो-तीन साल तक कहीं नहीं जाने वाला.'

और एक अपील, सत्येंद्र जैन की तरफ से ही - 'मैं लोगों से तीन बातों की अपील करता हूं - पहला, लोग बाहर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं, दूसरा - सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें और तीसरा, हाथ बार-बार धोने की आदत न छोड़ें.'

रही बात कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की तो ICMR का कहना है कि इस शब्द पर लंबी बहस चल रही है. WHO ने भी कोई परिभाषा निर्धारित नहीं की है. और आखिरी बात, ICMR महानिदेशक बलराम भार्गव बड़े ही साफ शब्दों में कहते हैं - "फिलहाल भारत कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति में नहीं है."

एक सर्वे और कुछ सवाल!

कोई भी सर्वे किसी खास अवधि में, किन्हीं खास जगहों पर - और कुछ लोगों के बीच किया जाता है. फिर सर्वे का विश्लेषण किया जाता है - और नतीजे सामने आते आते थोड़ा वक्त भी लग जाता है.

कोरोना वायरस संक्रमण पर ICMR के सर्वे से बहुत सारी बातों का पता चला है, लेकिन उसमें एक ही खामी नजर आ रही है - सर्वे में सिर्फ 30 अप्रैल तक की स्थिति की जानकारी होना. सर्वे में सबसे बड़ी राहत वाली बात है आबादी के हिसाब से भारत में संक्रमण की स्थिति - 0.73 फीसदी.

1. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 1 अप्रैल को देश में 1,897 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे - और 30 अप्रैल तक ये आंकड़ा बढ़कर 33,050 पहुंच चुका था. पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन के बावजूद हर रोज एक हजार से ज्यादा संक्रमण दर्ज किये गये.

2. सर्वे 30 अप्रैल तक का है यानी तब तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें नहीं चली थीं. जैसे ही 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलनी शुरू हुई, रोजाना नये संक्रमण के केस बढ़ने लगे. 1 मई को कोरोना संक्रमितों की संख्या 35 हजार बतायी गयी थी और 31 मई को 24 घंटे में पाये जाने वाले नये मामलों की संख्या 8380 रही.

3. अनलॉक 1.0 की शुरुआत 1 जून को हुई और 8392 नये मामले सामने आये और 10 जून को रोजाना के मामले 9985 दर्ज किये गये - यानी अब हर रोज 10 हजार नये केस.

समझने वाली बात ये है कि सर्वे संपूर्ण लॉकडाउन की स्थिति में कराया गया - और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका 9 जून को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक के बाद जतायी है. तब से हालात काफी बदल चुके हैं - अब सिर्श शराब की दुकानें ही नहीं, बहुत कुछ खुल चुका है. सर्वे की बातें 30 अप्रैल तक की हालत के लिए सही हो सकती हैं, लेकिन उसके बाद जिस तरीके से मरीजों की संख्या में विस्फोट हो रहा है - भला कैसे सब कुछ आंख मूंद कर मान लिया जाये?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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