• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

'यूपी विधानसभा में विस्फोट हुआ है !' ये बात महसूस करने की है...

    • रमा सोलंकी
    • Updated: 15 जुलाई, 2017 07:31 PM
  • 15 जुलाई, 2017 07:31 PM
offline
कमरा नम्बर- 5 बिग बॉस का घर बना हुआ था, हॉट सीट पर योगी जी विराजे थे और बाकी... प्रमुख सचिव विधानसभा, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव सचिवालय, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, एडीजी सुरक्षा, एसएसपी विधानसभा सब अन्दर और सांसे बाहर

ये खबरों की दुनिया है और सियासत उसकी सबसे बड़ी थोक मंडी साहेब. अचानक से एक ख़बर आती है और भूचाल मचा देती है. टीवी स्क्रीन पर लाल पीली पट्टियों में ब्रेकिंग न्यूज़ बन सुर्खियां बन जाती हैं. और अगर बात यूपी की हो तो मोदी जी के बाद योगी जी ही टीआरपी देते हैं. हुआ यूं कि, गोली की तरह ख़बर आयी उत्तर प्रदेश विधानसभा में विस्फोटक पाउडर बिखरा मिला और "ठां" से ये खबर लग गई. किसी के दिमाग में, तो किसी के दिल में और फिर क्या था संतरी से मंत्री के माथे पर पसीना और चैनल्स, अख़बार की हेडलाइन और पंचलाइन चमचमाने लगी. 

खबरदार !! उत्तर प्रदेश की विधान सभा सुरक्षित नहीं !!

क्या कोई साजिश है या महज एक भद्दा मजाक? हजारो उंगलियां और लाखों शब्द खटखट करके चलने लगे. चलिए, फ्लैश बैक में जाकर जान लेते हैं कि आखिर हुआ क्या था? अचानक से सीएम सिक्युरिटी को पता चलता है कि विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के करीब 50- 60 मीटर की दूरी पर एक सफेद सा पाउडर बिखरा मिला है, जिसके PETN नाम के एक खतरनाक विस्फोटक होने की संभावना हैं. और यह ऐसा विनाशकारी तत्व है कि अगर आप इसको एक ज्वलनशील पदार्थ के साथ मिला दिया जाए, तो इसे जानलेवा विस्फोटक मे तब्दील कर सकते हैं.

ऐसा कैसे हो गया?

खैर खबर गंभीर थी. योगी जी के कानों तक आनन-फानन में पहुंचाई गई. मामले से हड़कंप न मचे इसलिए बहुत तरीके से सदन की छानबीन शुरू हुई. सदन का नज़ारा ये था साहेब कि, सदन में जासूसी और खोजी कुकुर अन्दर... मतलब विधायक बाहर और खोजी कुत्ते अन्दर. यह जानने की कोशिश की जाने लगी कि यह पाउडर कहीं और भी है कि बस इसका मतलब नेता प्रतिपक्ष के आसपास का दायरा ही था. या फिर बस उनकी ही जान का दुश्मन था ये कमब़ख्त. क्योंकि फॉरेंसिक लैब में वो पदार्थ जाँच के लिए जा चुका था...

ये खबरों की दुनिया है और सियासत उसकी सबसे बड़ी थोक मंडी साहेब. अचानक से एक ख़बर आती है और भूचाल मचा देती है. टीवी स्क्रीन पर लाल पीली पट्टियों में ब्रेकिंग न्यूज़ बन सुर्खियां बन जाती हैं. और अगर बात यूपी की हो तो मोदी जी के बाद योगी जी ही टीआरपी देते हैं. हुआ यूं कि, गोली की तरह ख़बर आयी उत्तर प्रदेश विधानसभा में विस्फोटक पाउडर बिखरा मिला और "ठां" से ये खबर लग गई. किसी के दिमाग में, तो किसी के दिल में और फिर क्या था संतरी से मंत्री के माथे पर पसीना और चैनल्स, अख़बार की हेडलाइन और पंचलाइन चमचमाने लगी. 

खबरदार !! उत्तर प्रदेश की विधान सभा सुरक्षित नहीं !!

क्या कोई साजिश है या महज एक भद्दा मजाक? हजारो उंगलियां और लाखों शब्द खटखट करके चलने लगे. चलिए, फ्लैश बैक में जाकर जान लेते हैं कि आखिर हुआ क्या था? अचानक से सीएम सिक्युरिटी को पता चलता है कि विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के करीब 50- 60 मीटर की दूरी पर एक सफेद सा पाउडर बिखरा मिला है, जिसके PETN नाम के एक खतरनाक विस्फोटक होने की संभावना हैं. और यह ऐसा विनाशकारी तत्व है कि अगर आप इसको एक ज्वलनशील पदार्थ के साथ मिला दिया जाए, तो इसे जानलेवा विस्फोटक मे तब्दील कर सकते हैं.

ऐसा कैसे हो गया?

खैर खबर गंभीर थी. योगी जी के कानों तक आनन-फानन में पहुंचाई गई. मामले से हड़कंप न मचे इसलिए बहुत तरीके से सदन की छानबीन शुरू हुई. सदन का नज़ारा ये था साहेब कि, सदन में जासूसी और खोजी कुकुर अन्दर... मतलब विधायक बाहर और खोजी कुत्ते अन्दर. यह जानने की कोशिश की जाने लगी कि यह पाउडर कहीं और भी है कि बस इसका मतलब नेता प्रतिपक्ष के आसपास का दायरा ही था. या फिर बस उनकी ही जान का दुश्मन था ये कमब़ख्त. क्योंकि फॉरेंसिक लैब में वो पदार्थ जाँच के लिए जा चुका था और बाकी की कार्रवाई उसके बाद ही होना संभव थी.कायदे से सब जगह छानबीन हुई और करीब रात के बारह बजे तक खौफ बनकर "उत्तर प्रदेश की विधानसभा जागती रही".

जहां लोग दिन में भी सोते हैं वहां रतजगा होता रहा.

कमाल है, शायद पहली बार नेतागण डरे होंगे और सब अपने-अपने ठिकानों पर और फोन पर, बस यही बतिया रहे होंगे कि हुआ क्या और हो क्या रहा है. और इन सब में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी जो, दिल-दिमाग के बड़े मजबूत और पुराने नेता हैं, मगर सबसे ज्यादा उन्हीं की सांसें सांय-सांय कर रही होगी, जिंदगी सबको प्यारी होती है, चाहे सांसे कितनी कम और ज्यादा क्यों न हो? चलिए ये विधानसभा बहुत कम मौकों पर आधी रात तक जागती है.

पाउडर नहीं मौत ये मालिक से नही पर हां किरायेदार से डरती है. मालिक तो बेवकूफ जनता है जो पांच साल में किराये का हिसाब-किताब करती है...फिर क्या घड़ी में समय की सुई इतना नहीं नाच रही थी. जितना सूबे के अधिकारी और योगी जी की उंगली.

कमरा नम्बर- 5 बिग बॉस का घर बना हुआ था, हॉट सीट पर योगी जी विराजे थे और बाकी... प्रमुख सचिव विधानसभा, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव सचिवालय, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, एडीजी सुरक्षा, एसएसपी विधानसभा सब अन्दर और सांसे बाहर, दिल दिमाग से लड़ रहा होगा. अधिकारी कौन आज घर से बाहर जाएगा और किसको लाईफलाइन मिलेगी, बस यही सवाल, हर सवाल से बड़ा था.

फटकार के शोर के बीच गूंगा मन जैसे फंस जाता हो.

अब बात गंभीर मुद्दे की आखिरकार ये हुआ कैसे;

पता नही आप में से कितने लोग उत्तर प्रदेश विधानसभा गए होंगे और उसकी सुरक्षा देखी होगी.

मैं आपको बताती हूं. विधानसभा में सुरक्षा के तमाम दायरों से होकर गुजरना पड़ता है. इतना आसान नही होता अन्दर तक जाना और पंहुचना. मेरा मतलब साफ है कि आम आदमी आसानी से कतई नहीं पहुंच सकता. और खास में भी नेताओं के जानकर और पत्रकार सदन के अन्दर तो जा सकते हैं. पर नेताओं की जगह तक कतई नही जा सकते. एक लॉबी और दीर्घा तक उनकी एंट्री है. सदन के अन्दर नहीं.

दूसरी बात: पत्रकारों की दीर्घा और अन्य दीर्घाओं की दूरी बहुत है. और बात बम की नहीं पाउडर की है तो इतना कलाकार पत्रकार या पृथ्वीराज चौहान कोई नहीं है कि कोई चन्द्रवर दाई छन्द पढ़े और पाउडर की पुड़िया सदन में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के पास बिखर जाए जैसे पृथ्वीराज चौहान का तीर एक दम निशाने पर.

ये सोचिए कौन अन्दर सदन तक रूतबे से फड़फड़ाता हुआ जा सकता है? जिसकी चैकिंग तक न हो. या तो वो कर्मचारी अधिकारी जिनको सदन शुरू होने से पहले यह अधिकार प्राप्त हो या फिर लोकतांत्रिक प्रणाली से चुनकर आने वाले वाले खादीधारी महामहिम लोग.  

मेरा सवाल इतना सा है साहब !! जब एयरपोर्ट पर सबकी चेकिंग होती है आम हो या खास, मंत्री हो या संतरी तो विधानसभा में कहां चूक हुई? - और ये सब करके किसको फायदा होगा और किसको नुकसान?

और एक बात बिल्कुल सपाट है. जो पाउडर मिला है वो PETN है. जानते हैं जब तक ये नाइट्रोजन से नहीं मिलता तब तक ये दिल की दवा है! अब ऐसा कौन विधायक था जिसके दिल को दवा के सहारे की जरूरत अचानक आन पड़ी, और वो मुंह में न जाकर जमीन पर चूरचूर होकर दम तोड़ गई और इतना बड़ा बवाल कर गई.- तमंचा तो अन्दर गया. न उसमें गोली थी न वो चलाया गया. खाली अंटे में दबाकर क्या साबित किया गया?इन सबके बीच जो बात बहुत परेशान करने वाली और खतरनाक है, जानते हैं आप PETN का प्रयोग सबसे ज्यादा कहां होता है? लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन, अलकायदा और हूजी में. योगी जी बात यहीं गंभीर है.

साजिश थी या घिनौना मजाक या फिर कोई मकसद

इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. और यह जरूर तय करना चाहिए कि सुरक्षा किसके लिए मायने रखती है. तो उससे ज्यादा तो महंगा खाकी कुर्ता और उसकी हनक नहीं हो सकती न.

बस दो तस्वीर और एक पिक्चर है साहब

जरा सी चूक से कितना बड़ा हादसा हो सकता था और अगर ये साजिश है तो योगी जी आपको सतर्क हो जाना चाहिए सुना तो होगा आपने-बद्द से बदनाम बुरा.

खेल खेल में ऐसे ही खेल हो जाता है.

ये भी पढ़ें-

योगी जी, जब आपकी विधान सभा ही नहीं सुरक्षित, तो हम प्रदेशवासियों का क्या

योगी का अखिलेश पर वार, कैसे होगी नैया पार!

योगी जी! जब यूपी में पुलिस ही महफूज नहीं तो मैं खुद को कैसे मानूं सुरक्षित

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲