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कल्याण सिंह की मौत पर हंसने वाले लोग कौन हैं?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 24 अगस्त, 2021 06:06 PM
  • 24 अगस्त, 2021 05:29 PM
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आप किसी का विरोध करते हैं बेशक कीजिए, लेकिन उसके दुनियां छोड़ के जाने के बाद उसकी मौत पर हंसने का कौन सा रिवाज है. किसी के निधन पर कैसे किसी को हंसी आती है. क्या किसी के मौत पर हंसने वाले को इंसान कहा जा सकता है? जैसे हंसने वाले लोग कभी मरेंगे नहीं...

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ बुलंदशहर जिले के नरौरा राजघाट पर हुआ. कल्याण सिंह भले ही बीजेपी के नेताओं के लिए बाबूजी के तौर पर सम्मानित थे, लेकिन उनके कद की वजह से विरोधी नेता मुलायम सिंह यादव और मायावती भी उनकी राजनीति के कायल थे और उनका लोहा माना. वहीं आज जब वे इस दुनियां में नहीं हैं तो कई लोग उनपर हंस रहे हैं. ये हरकत वाकई हैरान करती है.

आप किसी का विरोध करते हैं बेशक कीजिए, लेकिन उसके दुनियां छोड़ के जाने के बाद उसकी मौत पर हंसने का कौन सा रिवाज है. किसी के निधन पर कैसे किसी को हंसी आती है. क्या किसी के मौत पर हंसने वाले को इंसान कहा जा सकता है? जैसे हंसने वाले लोग कभी मरेंगे नहीं. क्या उन्होंने ये दुनियां अपने नाम कर ली है? सबको एक ना एक दिन ये दुनियां छोड़कर जाना ही है. सबकी तारीख तय है. दूसरों की मौत पर हंसने वाले इंसान इतना याद रखें कि वे हमेशा इस दुनिया में रहने वाले नहीं है.

वो कौन सा सुकून है जो किसी के मरने पर आपको हंस कर मिल जाता है

अगर कोई किसी से नफरत भी करता है तो उसकी मौत पर हंसता नहीं है, अफसोस जताता है कि क्या फायदा इतनी नफरत का जब वो इंसान ही नहीं रहा. खैर, किसी का विरोध करने में और राजनीति चमकाने में शायद बहुत फर्क है...सीखना है तो किसी आदर्श नेता का बड़प्पन सीखिए, आप राजनीति या अपनी नफरत की टीश निकालने के लिए उसकी मौत पर हंसकर इतनी छोटी हरकत पर क्यों उतर आते हैं. किसी इंसान में कमी होने का मतलब यह तो नहीं कि आप किसी इंसान के अंदर की अच्छाइयों को भूल जाओ.

आज उनके गुजर जाने के बाद उनकी उपलब्धियां और कमियां गिनी जा रही हैं. गिना जा रहा है कि उनका व्यवहार कैसा था. एक तरफ लोग जाने वाले के किस्से बता...

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ बुलंदशहर जिले के नरौरा राजघाट पर हुआ. कल्याण सिंह भले ही बीजेपी के नेताओं के लिए बाबूजी के तौर पर सम्मानित थे, लेकिन उनके कद की वजह से विरोधी नेता मुलायम सिंह यादव और मायावती भी उनकी राजनीति के कायल थे और उनका लोहा माना. वहीं आज जब वे इस दुनियां में नहीं हैं तो कई लोग उनपर हंस रहे हैं. ये हरकत वाकई हैरान करती है.

आप किसी का विरोध करते हैं बेशक कीजिए, लेकिन उसके दुनियां छोड़ के जाने के बाद उसकी मौत पर हंसने का कौन सा रिवाज है. किसी के निधन पर कैसे किसी को हंसी आती है. क्या किसी के मौत पर हंसने वाले को इंसान कहा जा सकता है? जैसे हंसने वाले लोग कभी मरेंगे नहीं. क्या उन्होंने ये दुनियां अपने नाम कर ली है? सबको एक ना एक दिन ये दुनियां छोड़कर जाना ही है. सबकी तारीख तय है. दूसरों की मौत पर हंसने वाले इंसान इतना याद रखें कि वे हमेशा इस दुनिया में रहने वाले नहीं है.

वो कौन सा सुकून है जो किसी के मरने पर आपको हंस कर मिल जाता है

अगर कोई किसी से नफरत भी करता है तो उसकी मौत पर हंसता नहीं है, अफसोस जताता है कि क्या फायदा इतनी नफरत का जब वो इंसान ही नहीं रहा. खैर, किसी का विरोध करने में और राजनीति चमकाने में शायद बहुत फर्क है...सीखना है तो किसी आदर्श नेता का बड़प्पन सीखिए, आप राजनीति या अपनी नफरत की टीश निकालने के लिए उसकी मौत पर हंसकर इतनी छोटी हरकत पर क्यों उतर आते हैं. किसी इंसान में कमी होने का मतलब यह तो नहीं कि आप किसी इंसान के अंदर की अच्छाइयों को भूल जाओ.

आज उनके गुजर जाने के बाद उनकी उपलब्धियां और कमियां गिनी जा रही हैं. गिना जा रहा है कि उनका व्यवहार कैसा था. एक तरफ लोग जाने वाले के किस्से बता रहे हैं, उन्हें नमन कर रहे हैं. उनकी विरोधी पार्टी के नेता भी उन्हें नमन कर रहे हैं फिर ये हंसने वाले कहां से आ गए...लोग उनकी नसीहतें याद कर रहे हैं, उनकी वो बातें याद कर रहे हैं जब उन्होंने कहा था कि बच्चों अच्छे से पढ़ना...लेकिन कुछ लोगों को आज सिर्फ उनमें बुराइयां दिख रही हैं.

जब इंसान जिंदा रहता है तो लोग कमियां निकालते हैं, उसका विरोध करते हैं ठीक है कीजिए, लेकिन किसी के जाने के बाद यह सब करने से क्या हांसिल हो जाता है, वो कौन सा सुकून है जो किसी के मरने पर आपको हंस कर मिल जाता है. ऐसा व्यवहार किसी के भी साथ नहीं होना चाहिए, चाहें वह किसी के पार्टी के नेता हों या कोई आम इंसान...दूसरों के बारे में ऐसा करने से पहले अपने आप को भी आइने में देख लेना चाहिए. बड़ा आसान काम है दुनियां से जा चुके इंसान को शांति से अलविदा कहना...कल्पना कीजिए जब आपकी मौत पर दुनियां हंसेगी...तो आपके अपनों को कितनी तकलीफ होगी? ऐसा किसी के साथ न हों, क्योंकि जाना तो यहां से सबको है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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