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पतंजलि कोरोनिल किट के विवाद से ज्यादा बड़ा निकला रामदेव पर भरोसा

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 03 नवम्बर, 2020 12:01 PM
  • 03 नवम्बर, 2020 11:17 AM
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बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और उनकी कंपनी ने कोरोना वायरस (Coronavirus) की दवा के नाम पर इम्यूनिटी बूस्टर बेच डाला है- कोरोनिल किट. और इससे लाखों नहीं करोड़ों की कमाई की है. क्या यह कोरोना का डर है या फिर बाब रामदेव (Baba Ramdev)की पतंजलि (Patanjali) पर लोगों का भरोसा?

कोरोना वायरस (Coronavirus) जब शिद्दत के साथ लोगों को डरा रहा था और उसका ख़तरा हर भारतीय के सिर पर मंडरा रहा था तो जो काम बड़े बड़े वैज्ञानिक नहीं कर सके थे वह काम करने का दावा बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और उनकी कंपनी पतंजलि (Patanjali) ने कर दिया था. कंपनी ने दावा करते हुए कहा था कि उसने कोरोना वायरस से निजात पाने की दवाई ढ़ूंढ़ डाली है, यह पूरी तरह से देसी है और कोरोना से लड़ने में कारगर है. इस दवा का नाम रखा गया था कोरोनिल (Coronil). पतंजलि ने ये ऐलान किया था जून की 23 तारीख को. इस ऐलान के बाद ही केंद्र सरकार से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक के हर अधिकारी चौंक पड़े थे. आयूष मंत्रालय (Ayush Ministry) द्वारा आनन फानन में कोरोनिल किट को लेकर मंथन किया गया और इस दवा के विज्ञापन पर फौरन ही रोक लगा दी गई. जब पतंजलि ने खुद को घिरता पाया तो फौरन ही आयूष मंत्रालय से कह डाला कि यह तो इम्यूनिटी बूस्टर है, कोरोना की दवाई नहीं है. तब मंत्रालय की ओर से पतंजलि को कहा गया कि वह इम्यून बूस्टर के तौर पर इस किट को बेच सकते हैं इसको कोरोना किट कहा जाना ठीक नहीं होगा. क्योंकि यह दवा कोरोना से लड़ने में मददगार है यह स्पष्ट नहीं है. यह एक इम्यून बूस्टर है जिसे इम्यून बूस्टर के नाम से ही बेचा जा सकता है.

उम्मीद जताई जा रही थी कि कोरोनिल के जरिये बाबा रामदेव और पतंजलि को बड़ा फायदा होगा

आयूष मंत्रालय से मिली राहत के बाद पतंजलि ने देश-विदेश सभी जगह इस दवा को पहुंचा डाला और इसका पूरा फायदा भी कंपनी को हासिल हुआ. बिना किसी प्रचार के कंपनी ने 4 महीने में ही 250 करोड़ रूपये की कोरोनिल किट बेच डाली है. कंपनी के डाटा के अनुसार कंपनी ने 18 अक्टूबर तक 25 लाख कोरोनिल किट बेच दिए थे. जिसकी कुल रकम 250 करोड़ रुपये हुई. कंपनी ने इस किट में सिर्फ देसी सामानों का...

कोरोना वायरस (Coronavirus) जब शिद्दत के साथ लोगों को डरा रहा था और उसका ख़तरा हर भारतीय के सिर पर मंडरा रहा था तो जो काम बड़े बड़े वैज्ञानिक नहीं कर सके थे वह काम करने का दावा बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और उनकी कंपनी पतंजलि (Patanjali) ने कर दिया था. कंपनी ने दावा करते हुए कहा था कि उसने कोरोना वायरस से निजात पाने की दवाई ढ़ूंढ़ डाली है, यह पूरी तरह से देसी है और कोरोना से लड़ने में कारगर है. इस दवा का नाम रखा गया था कोरोनिल (Coronil). पतंजलि ने ये ऐलान किया था जून की 23 तारीख को. इस ऐलान के बाद ही केंद्र सरकार से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक के हर अधिकारी चौंक पड़े थे. आयूष मंत्रालय (Ayush Ministry) द्वारा आनन फानन में कोरोनिल किट को लेकर मंथन किया गया और इस दवा के विज्ञापन पर फौरन ही रोक लगा दी गई. जब पतंजलि ने खुद को घिरता पाया तो फौरन ही आयूष मंत्रालय से कह डाला कि यह तो इम्यूनिटी बूस्टर है, कोरोना की दवाई नहीं है. तब मंत्रालय की ओर से पतंजलि को कहा गया कि वह इम्यून बूस्टर के तौर पर इस किट को बेच सकते हैं इसको कोरोना किट कहा जाना ठीक नहीं होगा. क्योंकि यह दवा कोरोना से लड़ने में मददगार है यह स्पष्ट नहीं है. यह एक इम्यून बूस्टर है जिसे इम्यून बूस्टर के नाम से ही बेचा जा सकता है.

उम्मीद जताई जा रही थी कि कोरोनिल के जरिये बाबा रामदेव और पतंजलि को बड़ा फायदा होगा

आयूष मंत्रालय से मिली राहत के बाद पतंजलि ने देश-विदेश सभी जगह इस दवा को पहुंचा डाला और इसका पूरा फायदा भी कंपनी को हासिल हुआ. बिना किसी प्रचार के कंपनी ने 4 महीने में ही 250 करोड़ रूपये की कोरोनिल किट बेच डाली है. कंपनी के डाटा के अनुसार कंपनी ने 18 अक्टूबर तक 25 लाख कोरोनिल किट बेच दिए थे. जिसकी कुल रकम 250 करोड़ रुपये हुई. कंपनी ने इस किट में सिर्फ देसी सामानों का इस्तेमाल किया था.

बाबा रामदेव और उनकी कंपनी ने बड़े ही धूमधाम के साथ इस किट को लांच किया था. जिसे खूब मीडिया कवरेज भी प्राप्त हुआ था. कोरोना वायरस के कहर के बीच इतने बड़े ऐलान से होहल्ला तो होना ही था. एक तरफ कंपनी पर स्वास्थ्य विभाग से लेकर सरकार तक की नज़र टिक गई तो दूसरी ओर देश के कोने कोने में इस किट की चर्चाएं होने लगी. आयूष मंत्रालय ने विज्ञापन पर रोक तो लगाई लेकिन कंपनी ने पहले ही ऐलान करके अपना विज्ञापन कर डाला था.

जिसका नतीजा ये हुआ कि पतंजलि स्टोर से लेकर आनलाइन बिक्री और सामान्य बाजारों तक कोरोनिल किट के पहुंचते ही लोगो ने इस किट को खरीद डाला और कंपनी बिना किसी विज्ञापन के चुपचाप इसे बेचती चली गई और अब बड़े मुनाफे में है. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्धारा बनाए गए इस कोरोनिल किट की बिक्री इतने बड़े स्तर पर होने की दो ही प्रमुख वजहें हैं.

पहला कोरोना वायरस से लोगों का डर और दूसरा खुद कंपनी के प्रोडक्ट का भरोसा. जिससे लोग इस दवा को खरीदते चले गए और बिना स्पष्टता के इसे इस्तेमाल भी करने लगे. पतंजलि की अधिकतर दवाएं देसी सामग्री से ही बनकर तैयार होती है. जिसमें कई तरह की जड़ी बूटियों का इस्तेमाल होता है. जड़ी बूटियों से तैयार होने वाली दवाओं में साइड इफेक्ट की भी कम ही संभावनाएं रहती है यही वजह है कि कोरोनिल ने अच्छा खासा कारोबार कर डाला है.

बाबा रामदेव ने दावा किया था कि इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ा जा सकता है उनकी कंपनी ने इसकी जांच भी की है लेकिन यह जांच और परीक्षण कब, कहां और किसपर हुआ कंपनी इस पर जवाब देने से हमेशा बचती ही रही है. अब इस दवा के ज़रिए करोड़ों का कारोबार हो चुका है तो कंपनी अब इस झंझट में कूदना भी नहीं चाहती है और सीधे इसे इम्यून बूस्टर के नाम पर बेचती हुई नज़र आ रही है.

यानी कंपनी ने शुरुआत में ही लोगों को चौंका कर इसका अच्छा खासा विज्ञापन कर डाला था जिससे यह किट आसानी के साथ लोगों के दिमाग में बस गई थी. कोरोनिल किट कोरोना से लड़े न लड़े लेकिन पतंजलि अपने मकसद में ज़रूर कामयाब हो गई है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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