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बुरे फंसे इमरान खान, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग के फैसले को बताया- 'गलत'

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 07 अप्रिल, 2022 08:57 PM
  • 07 अप्रिल, 2022 08:57 PM
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पाकिस्तान (Pakistan) में इमरान खान सरकार (Imran Khan) के खिलाफ पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करते हुए संसद भंग कर देने के मामले पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट (Pakistan Supreme Court) ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान की सरकार के खिलाफ कई कड़ी टिप्पणियां की हैं.

पाकिस्तान में जारी सियासी संकट के बीच पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के संसद भंग करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट आज यानी 7 अप्रैल की देर शाम तक इस पर अपना फैसला सुना सकता है. संसद भंग मामले की सुनवाई करते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'डिप्टी स्पीकर के कासिम खान सूरी द्वारा इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रद्द कर संसद भंग करने का फैसला त्रुटिपूर्ण है.' साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने विपक्षी दल पीएमएल-एन और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल से आगे बढ़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट को राह दिखाने की बात कहकर इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बंदियाल ने कहा है कि 'हमें राष्ट्रहित के बारे में सोचना होगा.' आइए जानते हैं कि संसद भंग मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा...

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

-पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान सरकार और डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है. चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा कि जिस अविश्वास प्रस्ताव को संवैधानिक समर्थन था और जो सफल माना जा रहा था, उसे आखिरी समय में विफल कर दिया गया था.

- पांच सदस्यीय बेंच के सामने सिंध हाईकोर्ट बार एसोशिएसन की ओर से जिरह करते हुए वकील अहमद ने जर्मन असेंबली में हुई 1993 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को देशद्रोही साबित करने के लिए स्पीकर ने एक संविधान संशोधन को मंजूर कर लिया था. जिससे हिटलर और उसकी कैबिनेट को बिना जर्मन संसद की मंजूरी के कोई भी कानून लाने की ताकत मिल गई थी. जिसने जर्मनी में फासीवाद को जन्म दिया.

पाकिस्तान में जारी सियासी संकट के बीच पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के संसद भंग करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट आज यानी 7 अप्रैल की देर शाम तक इस पर अपना फैसला सुना सकता है. संसद भंग मामले की सुनवाई करते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'डिप्टी स्पीकर के कासिम खान सूरी द्वारा इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रद्द कर संसद भंग करने का फैसला त्रुटिपूर्ण है.' साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने विपक्षी दल पीएमएल-एन और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल से आगे बढ़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट को राह दिखाने की बात कहकर इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बंदियाल ने कहा है कि 'हमें राष्ट्रहित के बारे में सोचना होगा.' आइए जानते हैं कि संसद भंग मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा...

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

-पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान सरकार और डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है. चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा कि जिस अविश्वास प्रस्ताव को संवैधानिक समर्थन था और जो सफल माना जा रहा था, उसे आखिरी समय में विफल कर दिया गया था.

- पांच सदस्यीय बेंच के सामने सिंध हाईकोर्ट बार एसोशिएसन की ओर से जिरह करते हुए वकील अहमद ने जर्मन असेंबली में हुई 1993 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को देशद्रोही साबित करने के लिए स्पीकर ने एक संविधान संशोधन को मंजूर कर लिया था. जिससे हिटलर और उसकी कैबिनेट को बिना जर्मन संसद की मंजूरी के कोई भी कानून लाने की ताकत मिल गई थी. जिसने जर्मनी में फासीवाद को जन्म दिया.

इमरान खान के प्रस्ताव को मानते हुए राष्ट्रपति अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.

 

-चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान बंदियाल ने इमरान खान की ओर से पेश हुए वकील की आपत्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर सिस्टम काम नहीं कर रहा था, तो संवैधानिक पदाधिकारियों को नेशनल असेंबली हॉल की जगह बाग-ए-जिन्ना में भी सत्र आयोजित करने का अधिकार था.

-पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों के पीएम कैंडिडेट शहबाज शरीफ को भी मौका दिया गया. शहबाज शरीफ ने कोर्ट से नेशनल असेंबली को फिर से बहाल करने की अपील की.

-जस्टिस जमाल खान मंडोखेल ने इमरान खान सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि जब राजनीतिक दलों का मानना ​​​​था कि अविश्वास प्रस्ताव द्वेषपूर्ण था. और, सभी राजनीतिक दलों को अतीत में ऐसा नुकसान हुआ था. तो, उन्हें उन कमजोरियों की खोजना चाहिए था, जो सदस्यों को वफादारी बदलने के लिए बढ़ावा देती हैं. और, संस्था बनाते हुए इसका कोई हल खोजना चाहिए था.

-राष्ट्रपति की ओर से पेश हुए वकील ने जिरह करते हुए तर्क दिया कि संसद को भंग करने का फैसला राष्ट्रपति द्वारा स्वतंत्र तरीके से आर्टिकल 48(5) के तहत लिया गया था. जिसे आर्टिकल 58 के साथ पढ़ा जाए. उस दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव लंबित नहीं था. जिसके चलते संसद भंग करने के फैसले को आर्टिकल 48(4) के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती है.

-जस्टिस जमाल खान ने कहा कि इस मामले में अदालत देशहित में फैसला करेगी, जो सभी के लिए बाध्यकारी होगा. उन्होंने चौंकते हुए कहा कि सरकार को हटाने के लिए एक विदेशी राज्य के साथ साठगांठ करने वालों के बारे में जांच करने के बजाय पूरी संसद को क्यों बाहर कर दिया गया.

-सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने का फैसला किया. लेकिन, इस पर हस्ताक्षर स्पीकर असद कैसर के हैं. जिस पर बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने 'असली' कागज न पेश किए गए हों.

-पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि नेशनल असेंबली की कार्यवाही न्यायालय के न्यायाधिकार में नहीं आती है. उन्होंने अपनी बात को मजबूती देने के लिए कहा कि विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर के सेशन पर आपत्ति नहीं जताई थी.

-सीजेपी बंदियाल ने श्रीलंका के हालातों का जिक्र करते हुए कहा कि देश में इलेक्ट्रिसिटी और अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. आज हमारे रुपये (पाकिस्तानी करेंसी) की वैल्यू डॉलर के मुकाबले 190 पहुंच गई है. हमें एक मजबूत सरकार चाहिए. यह विपक्ष के नेता के लिए बहुत मुश्किल काम होगा. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डिप्टी स्पीकर के संसद भंग करने के मामले में आज यानी 7 अप्रैल को ही फैसला सुनाया जाएगा.

-इमरान खान सरकार में कानून मंत्री रहे फवाद चौधरी, जिन्होंने अविश्वास मत को खारिज करने का प्रस्ताव किया था, अब सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सुनकर आगबबूला हो गए हैं. उन्होंने ट्वीट करके कहा कि जजों के पास वे तथ्य होने चाहिए, जिनके आधार पर डिप्टी स्पीकर ने रूलिंग दी थी. दस्तावेजों और सबूतों की पड़ताल किए बिना जज रूलिंग को सही या गलत कहने का फैसला कैसे ले सकते हैं? सबूतों को इन-कैमरा देखा जाना चाहिए, वरना हमें आजादी के आंदोलन का सफर 1940 से शुरू करना पड़ेगा.

-पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नेशनल असेंबली में पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से खारिज कर दिया गया था. नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने पाकिस्तानी संविधान के आर्टिकल 5 का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक बताकर खारिज कर दिया था.

-इसके बाद पीएम इमरान खान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी को संसद भंग करने के सिफारिश की थी. इमरान खान के इस प्रस्ताव को मानते हुए राष्ट्रपति अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था. राष्ट्रपति की ओर से बताया गया था कि 'पाकिस्तानी संसद को भंग करने का फैसला पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 58 (1) और 48 (1) के तहत लिया गया है.' 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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