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तालिबान के समर्थन में कितना गिड़गिड़ाएंगे इमरान खान ?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 26 सितम्बर, 2021 05:48 PM
  • 26 सितम्बर, 2021 05:48 PM
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एक तरफ जब आए दिन अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कहर की खबरें सामने आ रही हों, तब पाकिस्तानी पीएम इमरान खान (Imran Khan) आतंकियों से भरी हुई तालिबानी सरकार (Taliban Government) के लिए बैटिंग करते दिख रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल आमतौर पर दुनिया के सभी देश अपनी उपलब्धियों, वैश्विक शांति के उपायों, वैश्विक समस्याओं के निदान या वैश्विक भलाई के कामों जैसी बातों को लेकर करते रहे हैं. लेकिन, इसे एक विडंबना ही कहा जा सकता है कि दुनिया के 190 से ज्यादा देशों में से केवल पाकिस्तान ही है, जो संयुक्त राष्ट्र के इस मंच का इस्तेमाल हमेशा भारत पर आरोप लगाने के लिए करता है. वैसे, इस बात की खैर मनाई जा सकती है कि संयुक्त राष्ट्र के मंच के इस गलत इस्तेमाल से पाकिस्तान की चरमपंथी और कट्टर इस्लामिक सोच भी लोगों के सामने आ ही जाती है. संयुक्त राष्ट्र के 76वें सत्र में भी कुछ ऐसा ही हुआ और पाकिस्तान के चेहरे से उसका 'आतंकवाद से पीड़ित' होने वाले नकाब उतर गया. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में अपना भाषण दिया. जिसमें वे अफगानिस्तान की जनता के नाम दुनियाभर के देशों से आतंकवादियों से भरी हुई तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए गिड़गिड़ाते नजर आए.

यह अपने आप में चौंकाने वाली बात कही जा सकती है कि जब आए दिन अफगानिस्तान में तालिबान के कहर की खबरें सामने आ रही हों, तब पाकिस्तानी पीएम इमरान खान आतंकियों से भरी हुई तालिबानी सरकार के लिए बैटिंग करते दिख रहे हैं. वैसे, इमरान खान की तालिबान के लिए की जा रही इस बैटिंग को गलत भी नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, अफगानिस्तान में अमेरिका की एंट्री के बाद भागने वाले तालिबान ने पाकिस्तान में ही शरण ली थी. दुनियाभर के आतंकियों के लिए सबसे बड़ी शरणस्थली बन चुका पाकिस्तान जब विश्व के सबसे बड़े आतंकी ओसामा बिन लादेन को पनाह दे सकता है, तो तालिबान को शरण देना उसके लिए कोई बड़ी बात नजर नहीं आती है. वैसे, जिस संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबान सरकार के लिए समर्थन जुटा रहे थे, उसी सरकार में यूएन की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों की एक लंबी फेहरिस्त है.

संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल आमतौर पर दुनिया के सभी देश अपनी उपलब्धियों, वैश्विक शांति के उपायों, वैश्विक समस्याओं के निदान या वैश्विक भलाई के कामों जैसी बातों को लेकर करते रहे हैं. लेकिन, इसे एक विडंबना ही कहा जा सकता है कि दुनिया के 190 से ज्यादा देशों में से केवल पाकिस्तान ही है, जो संयुक्त राष्ट्र के इस मंच का इस्तेमाल हमेशा भारत पर आरोप लगाने के लिए करता है. वैसे, इस बात की खैर मनाई जा सकती है कि संयुक्त राष्ट्र के मंच के इस गलत इस्तेमाल से पाकिस्तान की चरमपंथी और कट्टर इस्लामिक सोच भी लोगों के सामने आ ही जाती है. संयुक्त राष्ट्र के 76वें सत्र में भी कुछ ऐसा ही हुआ और पाकिस्तान के चेहरे से उसका 'आतंकवाद से पीड़ित' होने वाले नकाब उतर गया. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में अपना भाषण दिया. जिसमें वे अफगानिस्तान की जनता के नाम दुनियाभर के देशों से आतंकवादियों से भरी हुई तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए गिड़गिड़ाते नजर आए.

यह अपने आप में चौंकाने वाली बात कही जा सकती है कि जब आए दिन अफगानिस्तान में तालिबान के कहर की खबरें सामने आ रही हों, तब पाकिस्तानी पीएम इमरान खान आतंकियों से भरी हुई तालिबानी सरकार के लिए बैटिंग करते दिख रहे हैं. वैसे, इमरान खान की तालिबान के लिए की जा रही इस बैटिंग को गलत भी नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, अफगानिस्तान में अमेरिका की एंट्री के बाद भागने वाले तालिबान ने पाकिस्तान में ही शरण ली थी. दुनियाभर के आतंकियों के लिए सबसे बड़ी शरणस्थली बन चुका पाकिस्तान जब विश्व के सबसे बड़े आतंकी ओसामा बिन लादेन को पनाह दे सकता है, तो तालिबान को शरण देना उसके लिए कोई बड़ी बात नजर नहीं आती है. वैसे, जिस संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबान सरकार के लिए समर्थन जुटा रहे थे, उसी सरकार में यूएन की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों की एक लंबी फेहरिस्त है.

अफगानिस्तान में तालिबान का कहर बरस रहा है और इमरान खान कह रहे हैं- वे आतंकी नही हैं.

अफगानिस्तान बन जाएगा टेरर हब

संयुक्त राष्ट्र महासभा में इमरान खान ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार किया. तालिबान को पाकिस्तान में पनाह देने वाले इमरान खान ने इसके लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों को दोष दिया. इमरान खान ने तालिबान की तरफदारी करते हुए कहा कि अफगानिस्तानी सेना ने तालिबान के आगे बिना लड़े हथियार डाल दिये, जिस दिन दुनिया इसके पीछे की वजह जान जाएगी, वो तालिबान को समझ जाएंगे. वहीं, उन्होंने एक बार फिर से खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताया और तालिबान के समर्थन में कहा कि अफगानिस्तान में एक स्थिर और मजबूत सरकार ही उसे फिर से एक स्थापित देश बना सकती है.

इमरान खान ने तालिबानी आतंकियों से भरी सरकार का पक्ष लेने के लिए अफगानिस्तान के लोगों की दुहाई दी. उन्होंने दुनियाभर के देशों के सामने गिड़गिड़ाते हुए तालिबान सरकार को मान्यता देने की अपील की. इमरान खान ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को लेकर तुरंत फैसला नहीं किया गया, तो अगले एक साल में वहां भुखमरी के हालात पैदा हो जाएंगे. अफगानिस्तान एक बड़े मानवीय संकट के मुहाने पर खड़ा हुआ है. इसका असर केवल अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर होगा.

वैसे, अगर इमरान खान मानवीय संकट की बात कह कर रुक जाते, तब भी हो सकता था कि संयुक्त राष्ट्र के इस मंच से उन्हें कुछ हासिल हो जाता. लेकिन, अपनी ही तालिबानी धुन में मगन इमरान खान बोलते चले गए कि अगर वैश्विक समुदाय ने अफगानिस्तान को लेकर कोई फैसला नहीं लिया, तो वहां की अस्थिरता का फायदा उठाया जाएगा. अफगानिस्तान फिर से आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन जाएगा.

इमरान खान की बेशर्मी पर शर्म आती है

मतलब इस बात को सोचकर ही हंसी आती है कि जिस तालिबान सरकार में करोड़ों के ईनामी आतंकी हों, हाथ-पैर काटने की सजा देने वाले न्याय मंत्री हों, नशे का व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग एक्सपर्ट वित्त मंत्री हों, उसे लेकर इमरान खान समर्थन पाने की उम्मीद कर रहे हैं. आसान शब्दों में कहें, तो इमरान खान एक ऐसी सरकार को मान्यता देने की बात कर रहे हैं, जो पहले से ही आतंकियों से भरी पड़ी है. और, दुनिया को डर ये दिखा रहे हैं कि अगर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी, तो अफगानिस्तान टेरर हब बन जाएगा. अफगानिस्तान पर वैश्विक आतंकियों में शामिल आतंकवादियों ने पहले से ही कब्जा कर लिया है. इस स्थिति में शायद ही कोई देश तालिबान सरकार को मान्यता देने के बारे में सोचेगा.

इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को मान्यता देना ही आखिरी विकल्प है. इसके लिए उन्होंने फिर से बेशर्मी के साथ अफगानिस्तान की जनता को आगे रखते हुए दुनियाभर के देशों से कहा कि तालिबान ने अमेरिका के साथ किए गए मानवाधिकारों का रक्षा करने, समावेशी सरकार बनाने, आतंकवाद के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल न होने देने और आम माफी के चारों वादों को पूरा किया है, इमरान खान ने अफगानिस्तान से रोजाना सामने आ रही तालिबानी बर्बरता की खबरों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए पूरी बेशर्मी से तालिबान को मान्यता दिलाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि अगर तालिबान सरकार को मान्यता दे दी जाती है, तो ये सभी के लिए एक जीत की स्थिति होगी. क्योंकि, सभी वादे पूरे किये जा रहे हैं.

बताना जरूरी है कि हाल ही में तालिबान संस्थापकों में से एक मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने खुलेआम फांसी और हाथ-पैर काटने जैसी सजाओं की वकालत की है. इनका मानना है कि इससे लोगों में बुरी चीजों के खिलाफ डर पैदा होगा. वैसे, तालिबान सरकार को मान्यता दिलाने की जी-जान से कोशिश कर रहे पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के लिए एक शायर का शेर लिखकर अपनी बात को विराम देंगे कि...

जलते घर को देखने वालों फूस का छप्पर आपका है

आपके पीछे तेज हवा है आगे मुकद्दर आपका है

उस के कत्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया

मेरे कत्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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