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PFI पर बैन लगाने से होगा क्या? ये तो 'रक्तबीज' है जो फिर से उठ खड़ा होगा

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 27 सितम्बर, 2022 08:27 PM
  • 27 सितम्बर, 2022 08:27 PM
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एनआईए (NIA) ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर एक बार फिर से कार्रवाई करते हुए करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया है. इससे पहले भी एनआईए ने पीएफआई के कुछ बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया था. इसी के साथ पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. लेकिन, सवाल ये है कि PFI पर प्रतिबंध लगाने से होगा क्या?

एनआईए (NIA) ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर एक बार फिर से कार्रवाई करते हुए करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया है. इससे पहले भी एनआईए ने पीएफआई के कुछ बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया था. बताया जा रहा है कि पीएफआई पर दोबारा छापेमारी इन्हीं नेताओं से हुई पूछताछ के बाद सामने आई जानकारी पर की गई है. बता दें कि एनआईए की कार्रवाई के दौरान केरल और तमिलनाडु में पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने आगजनी और तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया था. पीएफआई पर एनआईए की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद इस संगठन पर बैन लगाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. पीएफआई पर छापेमारी को बैन लगाने से पहले की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसा क्या हुआ, जो बैन की नौबत आई? पीएफआई आखिर है क्या? क्या पीएफआई पर बैन लगने वाला है?

सिमी पर प्रतिबंध के बाद पीएफआई बना. और, पीएफआई पर प्रतिबंध से किसी और संगठन का जन्म हो जाएगा.

बैन की नौबत क्यों आई?

बात दिल्ली के शाहीनबाग में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन की हो या कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद की. बात सीएए विरोधी दंगों की हो या पैगंबर टिप्पणी विवाद की. बात 'सिर तन से जुदा' के नारे की हो या रैली में हिंदुओं के खात्मे का नारा. इन तमाम मामलों को एक-दूसरे से जोड़ने वाली जो कड़ी है, वो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ही है. आसान शब्दों में कहें, तो कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई का एजेंडा देश में शरिया कानून लागू कराने से शुरू होकर गजवा-ए-हिंद तक जाता है. 'मिशन 2047' के एक प्रिंट डॉक्यूमेंट जरिये पीएफआई ने बाकायदा इसका रोडमैप बनाया है. जो कुछ समय पहले बिहार में हुई छापेमारी के दौरान सामने आया था.

पीएफआई पर धर्मांतरण के लिए मुस्लिम युवकों को पैसा,...

एनआईए (NIA) ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर एक बार फिर से कार्रवाई करते हुए करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया है. इससे पहले भी एनआईए ने पीएफआई के कुछ बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया था. बताया जा रहा है कि पीएफआई पर दोबारा छापेमारी इन्हीं नेताओं से हुई पूछताछ के बाद सामने आई जानकारी पर की गई है. बता दें कि एनआईए की कार्रवाई के दौरान केरल और तमिलनाडु में पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने आगजनी और तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया था. पीएफआई पर एनआईए की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद इस संगठन पर बैन लगाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. पीएफआई पर छापेमारी को बैन लगाने से पहले की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसा क्या हुआ, जो बैन की नौबत आई? पीएफआई आखिर है क्या? क्या पीएफआई पर बैन लगने वाला है?

सिमी पर प्रतिबंध के बाद पीएफआई बना. और, पीएफआई पर प्रतिबंध से किसी और संगठन का जन्म हो जाएगा.

बैन की नौबत क्यों आई?

बात दिल्ली के शाहीनबाग में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन की हो या कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद की. बात सीएए विरोधी दंगों की हो या पैगंबर टिप्पणी विवाद की. बात 'सिर तन से जुदा' के नारे की हो या रैली में हिंदुओं के खात्मे का नारा. इन तमाम मामलों को एक-दूसरे से जोड़ने वाली जो कड़ी है, वो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ही है. आसान शब्दों में कहें, तो कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई का एजेंडा देश में शरिया कानून लागू कराने से शुरू होकर गजवा-ए-हिंद तक जाता है. 'मिशन 2047' के एक प्रिंट डॉक्यूमेंट जरिये पीएफआई ने बाकायदा इसका रोडमैप बनाया है. जो कुछ समय पहले बिहार में हुई छापेमारी के दौरान सामने आया था.

पीएफआई पर धर्मांतरण के लिए मुस्लिम युवकों को पैसा, आवास, रोजगार भी उपलब्ध कराने की बातें भी सामने आई हैं. लव जिहाद करने के लिए मुस्लिम युवकों को बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती थी कि हिंदू युवतियों से वो किस तरह से अपनी पहचान छिपाएं? वैसे, एनआईए की हाल में की गई छापेमारी में पीएफआई नेताओं के ऑफिस और आवासों से बड़ी मात्रा में कैश, डिजिटल डिवाइस, देश विरोधी-आपत्तिजनक-भड़काऊ दस्तावेज और हथियार भी बरामद किए गए हैं. इस कार्रवाई में ये बात भी सामने आई है कि पीएफआई के निशाने पर भाजपा और आरएसएस के कई नेता थे. पीएफआई पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए कैंप लगाने के भी आरोप हैं.

पीएफआई की केरल इकाई से जुड़े कुछ लोगों के इस्लामिक आतंकी संगठन ISIS में भी शामिल होने के मामले भी सामने आए थे. खुद को एक गैर-सरकारी संगठन बताने वाला पीएफआई धर्मांतरण से लेकर मुस्लिमों में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने समेत कई गैर-कानून गतिविधियों में शामिल रहा है. पीएफआई पर जिहादी आतंकियों से संबंध होने और इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे हैं.

पीएफआई है क्या?

कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु में एमएनपी और केरल में एनडीएफ के तौर पर पीएफआई का जन्म हुआ था. पहले ये सभी संगठन अलग-अलग काम करते थे. ये तमाम संगठन देश के दक्षिणी इलाकों में मुस्लिमों के बीच इस्लाम को लेकर 'जागरुकता' फैलाते थे. लेकिन, 2006 में केरल, तमिलनाडु और अन्य राज्यों के कई संगठनों को मिलाकर पीएफआई बना दिया गया. पीएफआई का एकसूत्रीय एजेंडा भारत में इस्लामिक राज की स्थापना है. और, इसके बीच में जो भी आता है. ये उसका विरोध करते हैं. उदाहरण के तौर पर केरल के कासरगौड़, कन्नूर जैसे हिस्सों में पीएफआई के निशाने पर सीपीआई और कांग्रेस के सदस्य रहते हैं. तो, कर्नाटक के तटीय क्षेत्र मंगलुरु के कई इलाकों में आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप पीएफआई पर लगते हैं.

दरअसल, पीएफआई संगठन को बनाने वालों में से काफी संख्या में आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी के सदस्य रहे हैं. और, सिमी के अनुसार, भारत की तमाम समस्याओं का समाधान सिर्फ इस्लाम ही था. आसान शब्दों में कहें, तो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को किनारे लगाकर इस्लामिक राष्ट्र बनाकर ही देश को बचाया जा सकता था. और, जब 2001 में सिमी पर बैन लगा. तो, इसी के तमाम सदस्यों ने कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु में एमएनपी और केरल में एनडीएफ के तौर पर छद्म संगठनों को बनाया. और, इसका केंद्र केरल को बनाया गया. वैसे, सिमी पर प्रतिबंध लगाए जाने का कारण इस संगठन की आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता थी.

फिलहाल पीएफआई संगठन का प्रभाव देश के कई राज्यों में फैल चुका है. और, मुस्लिमों के बीच गहरी पैठ रखता है. खासकर शाहीन बाग जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में इस संगठन की मजबूत पकड़ है. वैसे, पीएफआई का दावा है कि ये संगठन मुस्लिमों के हितों और भलाई के लिए काम करता है. लेकिन, कर्नाटक के हिजाब विवाद में पीएफआई के स्टूडेंट विंग की संलिप्तता के बाद आसानी से समझा जा सकता है कि इसका एजेंडा क्या है?

क्या पीएफआई पर बैन लगने वाला है?

माना जा रहा है कि पीएफआई के खिलाफ एनआईए की ये कार्रवाई संगठन पर बैन लगाने की कोशिश की ओर ही इशारा कर रही है. दावा किया जा रहा है कि पीएफआई पर बैन लगाने से पहले एनआईए और ईडी आतंकी कनेक्शन से लेकर टेरर फंडिंग तक की जांच कर रही हैं. धीरे-धीरे ही सही ईडी ने पीएफआई की रीढ़ की हड्डी यानी आर्थिक फंडिंग पर चोट की है. लेकिन, इसका आतंकी या देश विरोधी घटनाओं से संबंध नहीं खोजा जा पा रहा था. दावा किया जा रहा है कि इस कार्रवाई में एनआईए को बड़ी सफलता मिली है. वैसे, पीएफआई पर बैन लगाने से कुछ हासिल होता भी नहीं दिख रहा है. क्योंकि, जिस तरह से सिमी पर बैन के बाद इसके सदस्यों ने पीएफआई जैसा संगठन बना लिया था. उसी तरह पीएफआई पर बैन के बाद कोई और छद्म संगठन बना लिया जाएगा. जबकि, सबसे जरूरी है कि कट्टरपंथी इस्लामिक सोच रखने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई. और, यूएपीए कानून के तहत इसे अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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