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टपकती बूंद ही नहीं एक फॉन्ट भी कर सकता है सबकुछ चौपट

    • अनुराग तिवारी
    • Updated: 29 जुलाई, 2017 10:14 AM
  • 29 जुलाई, 2017 10:14 AM
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नवाज शरीफ की बिटिया अगर लालू जी के पुत्र तेजस्वी यादव से सलाह लेतीं तो शायद उनका कुछ भला हो जाता. कितनी सफाई से उन्होंने करप्शन की योग्यता को मूंछों से जोड़ दिया. उन्होंने तो करप्शन के आरोपों को दलितों और गरीबों के मसीहा पर हमला बता दिया.

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बेहद शरीफ नवाज को ताजिंदगी पीएम की पोस्ट के लिए अयोग्य करार दे दिया है. कहा जा रहा है उनकी इस बर्बादी के पीछे एक फॉन्ट है, जिसने उनका बना बनाया खेल बिगाड़ दिया. इससे कुछ याद आता है, एक विज्ञापन, जिसमें कलियुगी पुत्र का जोड़-तोड़ का खेल एक टपकती बूंद खराब कर देती है.

वैसे टपकती बूंदों के किस्से तो बहुत मिलेंगे, जहां एक से एक बूंद से घड़ा भर जाता है तो कहीं ज़रा सी देरी से एक बूंद कुनबा बढ़ा देती है. बहरहाल, यहां तो किस्सा एक फॉन्ट का है, जिसने शरीफ कुनबे की ऐसी की तैसी कर दी.

माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में पाए जाने वाले कैलिबरी नाम के फॉन्ट का कैलिबर देखिये, इसने एक देश की सरकार का तख्ता पलट दिया. विज्ञापन के चालाक कलयुगी पुत्र की तरह नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज भी कुछ जयादा ही चतुर निकलीं कि उन्होंने 2007 में रीलिज हुए फॉन्ट में दस्तावेज टाइप कर दिए. यही नहीं उन्हें 2006 का बता एसआईटी के सामने पेश कर दिया.

माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के एक फॉण्ट ने नवाज को संकट में डाल दिया

इस एसआईटी में भी कोई इतना पढ़ा-लिखा निकला जिसने इस फॉन्ट का चरित्र पहचान, नवाज शरीफ के करैक्टर को चार्टर प्लेन से दुबई या ब्रिटेन भेजने की तैयारी कर दी है. वैसे भी पाकिस्तान नॉन-रेजिडेंट प्राइम मिनिस्टर और प्रेसिडेंट चुने जाने की परम्परा बहुत पुरानी है.

नवाज शरीफ की बिटिया अगर लालू जी के पुत्र तेजस्वी यादव से सलाह लेतीं तो शायद उनका कुछ भला हो जाता. कितनी सफाई से उन्होंने करप्शन की योग्यता को मूंछों से जोड़ दिया. उन्होंने तो करप्शन के आरोपों को दलितों और गरीबों के मसीहा पर हमला बता दिया. इस तर्क से तो नवाज शरीफ भी करप्शन कर ही नहीं सकते क्योंकि उन्होंने तो कभी अपनी मूंछों को बाहर निकलने ही नही दिया.

मरियम भी चाहतीं तो उसे अपने...

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बेहद शरीफ नवाज को ताजिंदगी पीएम की पोस्ट के लिए अयोग्य करार दे दिया है. कहा जा रहा है उनकी इस बर्बादी के पीछे एक फॉन्ट है, जिसने उनका बना बनाया खेल बिगाड़ दिया. इससे कुछ याद आता है, एक विज्ञापन, जिसमें कलियुगी पुत्र का जोड़-तोड़ का खेल एक टपकती बूंद खराब कर देती है.

वैसे टपकती बूंदों के किस्से तो बहुत मिलेंगे, जहां एक से एक बूंद से घड़ा भर जाता है तो कहीं ज़रा सी देरी से एक बूंद कुनबा बढ़ा देती है. बहरहाल, यहां तो किस्सा एक फॉन्ट का है, जिसने शरीफ कुनबे की ऐसी की तैसी कर दी.

माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में पाए जाने वाले कैलिबरी नाम के फॉन्ट का कैलिबर देखिये, इसने एक देश की सरकार का तख्ता पलट दिया. विज्ञापन के चालाक कलयुगी पुत्र की तरह नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज भी कुछ जयादा ही चतुर निकलीं कि उन्होंने 2007 में रीलिज हुए फॉन्ट में दस्तावेज टाइप कर दिए. यही नहीं उन्हें 2006 का बता एसआईटी के सामने पेश कर दिया.

माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के एक फॉण्ट ने नवाज को संकट में डाल दिया

इस एसआईटी में भी कोई इतना पढ़ा-लिखा निकला जिसने इस फॉन्ट का चरित्र पहचान, नवाज शरीफ के करैक्टर को चार्टर प्लेन से दुबई या ब्रिटेन भेजने की तैयारी कर दी है. वैसे भी पाकिस्तान नॉन-रेजिडेंट प्राइम मिनिस्टर और प्रेसिडेंट चुने जाने की परम्परा बहुत पुरानी है.

नवाज शरीफ की बिटिया अगर लालू जी के पुत्र तेजस्वी यादव से सलाह लेतीं तो शायद उनका कुछ भला हो जाता. कितनी सफाई से उन्होंने करप्शन की योग्यता को मूंछों से जोड़ दिया. उन्होंने तो करप्शन के आरोपों को दलितों और गरीबों के मसीहा पर हमला बता दिया. इस तर्क से तो नवाज शरीफ भी करप्शन कर ही नहीं सकते क्योंकि उन्होंने तो कभी अपनी मूंछों को बाहर निकलने ही नही दिया.

मरियम भी चाहतीं तो उसे अपने अब्बू के कारनामों को मोदी जी को खिलाई हुई उस बिरयानी से जोड़ सकती थीं, जिसे उन्होंने शाकाहारी होने के चलते कभी खाया ही नहीं. मरियम और नवाज को कहना चाहिए था कि मोदी को बिरयानी खिलाने के चलते उनके परिवार को निशाना बनाया गया. ऐसे लोग हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बीच दोस्ताना संबंध नहीं चाहते इसलिए उन्हें निशाना बना रहे हैं.

इस मामले में मरियम को लालू के पुत्रों से सलाह लेनी चाहिए थी

नवाज शरीफ साहब को भी चाहिए कि वो लालू जी से सम्पर्क कर इस बात की ट्यूशन ले लें कि किस तरह गद्दी से बेदखल होकर सत्ता में बना रहा जा सकता है. लालू की का ट्रैक रिकॉर्ड जग जाहिर है, पहले उन्होंने अपनी बेगम को गद्दी सौंपी और फिर अगली पीढ़ी को. मूंछ विहीन शरीफ ने अगर बिना मूंछों वाले लालू से सलाह ली होती, तो उनकी अदृश्य मूंछे एक फॉन्ट के चलते इस तरह न झुकी होतीं.

फिलहाल, हमारी आपको बस इतनी सलाह है कि एक ‘टपकती बूंद’ और और अपने लेप्पी के ‘फॉन्ट’ का ख्याल रखें. न जाने कब एक बूंद आपकी जिम्मेदारियां बढ़ा दे तो एक न रिलीज़ हुआ फॉन्ट आपको जिम्मेदारियों से हमेशा के लिए मुक्त कर दे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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