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चिराग भले खुद को हनुमान बतायें, लेकिन वो भस्मासुर-मार्ग पर बढ़ रहे हैं

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 19 अक्टूबर, 2020 10:51 AM
  • 19 अक्टूबर, 2020 10:49 AM
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नीतीश कुमार (Nitish Kuma) लगता है मान कर चल रहे हैं कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) के जरिये बीजेपी ने अपना काम कर लिया है - और यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के हनुमान को अब भस्मासुर की भूमिका में ले जाकर अपने नुकसान की भरपायी करना चाहते हैं.

चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kuma) की राजनीति रंग दिखाने लगी है. ये नीतीश कुमार का ही असर है जो बीजेपी की तरफ से ताबड़तोड़ सफाई दी जाने लगी है. अब तो अमित शाह को भी खुल कर बोलना पड़ा है. नतीजा ये हुआ है कि चिराग पासवान भी हथियार डालते नजर आ रहे हैं.

चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का हनुमान बताया है, लेकिन त्रिकोणीय राजनीति का असर ये हुआ है कि धीरे धीरे वो भस्मासुर मार्ग की तरफ बढ़ने लगे हैं - मतलब, ये कि वो मार्ग बहुत ही खतरनाक मोड़ से गुजरता है. ठीक वैसे ही जैसे सड़कों पर लिखा होता है - दुर्घटना संभावित क्षेत्र. बिहार में एनडीए की अंदरूनी राजनीति को अगर इस परिप्रेक्ष्य में देंखे तो लगता है कि बीजेपी और चिराग पासवान दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ये तो मान कर चलना होगा कि चिराग पासवान ने बीजेपी के लिए हनुमान का किरदार बहुत ही कारगर ढंग से निभाया है. बीजेपी को जिसे मैसेज देना था दे दिया. मैसेस अपने लक्ष्य तक पहुंच भी गया. नीतीश कुमार को भी समझ आ गया है कि जो नुकसान होना है वो तो हो ही चुका है. लेकिन अब नीतीश कुमार जो चाह रहे हैं वो हनुमान के बाद चिराग पासवान को भस्मासुर वाली भूमिका में देखना चाहते हैं.

बीजेपी के पल्ला झाड़ने पर पीछे हटे चिराग पासवान

बीजेपी नेताओं के वोटकटवा कहने पर चिराग पासवान ने सख्त ऐतराज जताया है, 'ये कहना गलत है. ये मेरे पिता का अपमान है.'

एलजेपी नेता का कहना है कि बीजेपी नेताओं की बातें सुनते तो पापा खुश नहीं होते. पापा के बारे में इतनी अच्छी अच्छी बातें कर रहे हैं, लेकिन जो कुछ दिन पहले तक बीजेपी के सहयोगी थे, वे अब वोटकटवा कैसे हो गये. चिराग पासवान ने अपने पिता की बातों का जिक्र करते हुए कहा है कि वो खुद को परखने की कोशिश कर रहे हैं. कहते हैं - पापा बोलते थे अगर शेर का बच्चा होगा तो जंगल चीर कर निकलेगा. अगर गीदड़ होगा तो मारा जाएगा... मैं भी अब खुद को परखने निकला हूं... शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर...

चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kuma) की राजनीति रंग दिखाने लगी है. ये नीतीश कुमार का ही असर है जो बीजेपी की तरफ से ताबड़तोड़ सफाई दी जाने लगी है. अब तो अमित शाह को भी खुल कर बोलना पड़ा है. नतीजा ये हुआ है कि चिराग पासवान भी हथियार डालते नजर आ रहे हैं.

चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का हनुमान बताया है, लेकिन त्रिकोणीय राजनीति का असर ये हुआ है कि धीरे धीरे वो भस्मासुर मार्ग की तरफ बढ़ने लगे हैं - मतलब, ये कि वो मार्ग बहुत ही खतरनाक मोड़ से गुजरता है. ठीक वैसे ही जैसे सड़कों पर लिखा होता है - दुर्घटना संभावित क्षेत्र. बिहार में एनडीए की अंदरूनी राजनीति को अगर इस परिप्रेक्ष्य में देंखे तो लगता है कि बीजेपी और चिराग पासवान दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ये तो मान कर चलना होगा कि चिराग पासवान ने बीजेपी के लिए हनुमान का किरदार बहुत ही कारगर ढंग से निभाया है. बीजेपी को जिसे मैसेज देना था दे दिया. मैसेस अपने लक्ष्य तक पहुंच भी गया. नीतीश कुमार को भी समझ आ गया है कि जो नुकसान होना है वो तो हो ही चुका है. लेकिन अब नीतीश कुमार जो चाह रहे हैं वो हनुमान के बाद चिराग पासवान को भस्मासुर वाली भूमिका में देखना चाहते हैं.

बीजेपी के पल्ला झाड़ने पर पीछे हटे चिराग पासवान

बीजेपी नेताओं के वोटकटवा कहने पर चिराग पासवान ने सख्त ऐतराज जताया है, 'ये कहना गलत है. ये मेरे पिता का अपमान है.'

एलजेपी नेता का कहना है कि बीजेपी नेताओं की बातें सुनते तो पापा खुश नहीं होते. पापा के बारे में इतनी अच्छी अच्छी बातें कर रहे हैं, लेकिन जो कुछ दिन पहले तक बीजेपी के सहयोगी थे, वे अब वोटकटवा कैसे हो गये. चिराग पासवान ने अपने पिता की बातों का जिक्र करते हुए कहा है कि वो खुद को परखने की कोशिश कर रहे हैं. कहते हैं - पापा बोलते थे अगर शेर का बच्चा होगा तो जंगल चीर कर निकलेगा. अगर गीदड़ होगा तो मारा जाएगा... मैं भी अब खुद को परखने निकला हूं... शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा, नहीं तो वहीं मारा जाउंगा.

नीतीश कुमार को लेकर तो चिराग पासवान के तेवर वैसे ही बने हुए हैं ही, बीजेपी के प्रति भी जबान बदलने लगी है. चिराग पासवान का दावा है कि नीतीश कुमार इस चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाएंगे. वैसे हाल ही में हुए एक सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि चुनाव में एलजेपी को पांच सीटें मिल सकती हैं.

चिराग पासवान का ताजा आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी और उनकी पार्टी एलजेपी के बीच दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री को तो बीजेपी नेताओं को रोजाना धन्यवाद कहना चाहिये - क्योंकि इस मुश्किल दौर में भी वे साथ छोड़ कर पीछे नहीं हट रहे हैं.

असली वजह जो भी हो, लेकिन अब लगने लगा है कि चिराग पासवान ने भी कदम पीछे खींचने का फैसला कर लिया है - आखिर हनुमान कैसे चाहेंगे कि उनके राम धर्मसंकट में पड़ें. चिराग पासवान ने नीतीश कुमार और बीजेपी को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं - और भरोसा दिलाया है कि लोक जनशक्ति पार्टी गठबंधन धर्म का पालन करेगी और अपनी तरफ से अपनी तरफ से पूरा ख्याल रखेगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किसी तरह की आंच न आने पाये.

चिराग पासवान फिलहाल पिता के निधन के बाद होने वाले कर्मकांड में व्यस्त हैं - और कहा है कि 21 अक्टूबर से वो लोगों के बीच मौजूद रहेंगे

चिराग पासवान के मुताबिक बीजेपी की तरफ से जो कुछ भी हो रहा है वो नीतीश कुमार को खुश करने की कोशिश है - साथ ही, साफ शब्दों में कह दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन धर्म निभायें और नीतीश कुमार को खुश करने के लिए मेरे खिलाफ जो कुछ भी कहना हो - वो बेझिझक कहें.

नीतीश के दबाव में आई बीजेपी

बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों से पहले बीजेपी की तरफ से वो सारे उपाय आजमाये जा चुके हैं जो चिराग पासवान को लेकर नीतीश कुमार को भरोसा दिला सकें. सबसे पहले सुशील मोदी आगे आये और बताया कि एनडीए में कौन कौन है और उसके अलावा अगर कोई प्रधानमंत्री की तस्वीर का इस्तेमाल करता है तो पार्टी चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराएगी. फिर बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दोहराया कि एनडीए में बीजेपी के साथ सिर्फ जेडीयू, VIP और जीतनराम मांझी हैं - और उस एनडीए के नेता नीतीश कुमार ही हैं.

नीतीश कुमार बीजेपी की मंशा और बयानबाजी दोनों पर गौर फरमा रहे थे और उनको वे विरोधाभासी लग रहे थे, लिहाजा बीजेपी नेतृत्व को संदेश पहुंचाया गया कि ये तौर तरीके गठबंधन के लिए ठीक नहीं हैं. जेडीयू में भी धीरे धीरे बातचीत शुरू हो गयी कि परदे के पीछे जो चल रहा है उन परिस्थितियों में जेडीयू के बीजेपी के साथ गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह गया है.

जब लगा कि मामला बेहद गंभीर हो चला है तो अमित शाह को खुद आगे आना पड़ा और वैसे ही स्पष्ट शब्दों में बयान देना पड़ा जैसे काफी पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाये जाने को लेकर अमित शाह को बीजेपी का स्टैंड साफ करना पड़ा था.

एक टीवी इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, 'जब से बिहार में नीतीश कुमार के साथ हमारी सरकार बनी है तभी से बीजेपी ने तय किया था कि बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे. जो कोई भी भ्रांतियां फैलाना चाह रहे हैं - मैं उस पर फुल स्टॉप लगा रहा हूं.'

फिर सवाल उठा कि अगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलीं तो क्या होगा? असल में 2015 में भी ऐसा ही हुआ था. महागठबंधन में आरजेडी की सीटें ज्यादा आयी थीं और जेडीयू की कम, फिर भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने और खुद लालू यादव के अलावा तेजस्वी यादव अब भी आरजेडी के वादे का पक्का बताने के लिए यही मिसाल देते हैं. हाल फिलहाल चर्चा रही कि बीजेपी की कोशिश है कि जैसे भी संभव हो जब नतीजे आयें तो जेडीयू की सीटें कम आयें. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी नीतीश कुमार पर दबाव बनाकर अपनी बातें मनवा सकेगी - और आगे चल कर कोई ऐसी वैसी बात हुई तो नीतीश कुमार को किनारे लगाने की कोशिश भी करेगी.

बहरहाल, अमित शाह ने अब साफ साफ बोल दिया है कि बीजेपी ने नीतीश कुमार को एनडीए का नेता बनाया है तो उससे पीछे नहीं हटेगी - "एनडीए को दो तिहाई बहुमत मिलने जा रहा है - और नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे." बिहार संवाद कार्यक्रम के तहत 8 जून को भी अमित शाह ने अपनी डिजिटल रैली में यही बात कही थी. मुद्दे की बात ये है कि जो नीतीश कुमार बीजेपी नेतृत्व के मुंह से सुनना चाहते हैं, अभी तक किसी ने भी वो बात नहीं कही है. यहां तक कि प्रकाश जावड़ेकर से लेकर भूपेंद्र यादव तक कह चुके हैं कि चिराग पासवान वोटकटवा हैं और ये भी जताने की कोशिश की है कि चिराग पासवान जो भी दावे कर रहे हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है.

सवालों के जवाब में अमित शाह ने भी बस इतना ही बताया, 'भाजपा और जदयू की ओर से लोजपा को उचित सीटों की पेशकश की गई थी. सबको अपनी-अपनी सीटें कम करनी थी लेकिन वो हो नहीं पाया, इसलिए हमें अलग होना पड़ा.'

अमित शाह की बातों से अब ये तो साफ हो जाता है कि बिहार में बीजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी अलग हो चुके हैं, लेकिन दिल्ली में चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा हैं या नहीं ये चीज नहीं मालूम हो पा रही है. जेडीयू के भीतर इस बात को लेकर भारी नाराजगी है - और नेताओं को लग रहा है कि बीजेपी बिहार में डबल गेम खेल रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब जेडीयू में एक मांग उठ रही है कि अगर चिराग पासवान एनडीए से अलग है तो रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्य सभा की सीट एलजेपी को देने की कोई जरूरत नहीं है.

सिर्फ राज्य सभा सीट ही क्यों, रिपोर्ट के मुताबिक, अगर चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा नहीं हैं तो आगे होने वाली कैबिनेट फेरबदल में रामविलास पासवान वाली जगह एलजेपी को क्यों मिलनी चाहिये?

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि जेडीयू नेताओं की राय बन रही है कि अगर चिराग पासवान ने एनडीए उम्मीदवारों के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो क्यों ने अगले लोक सभा चुनाव में चिराग पासवान के खिलाफ भी जेडीयू को अपना उम्मीदवार खड़े करना चाहिये?

हालांकि, जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में नीतीश कुमार के लिए ही वोट मांगेंगे. चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू होने से पहले के कार्यक्रमों में तो प्रधानमंत्री मोदी कह ही चुके हैं कि वो चाहते हैं कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनें ताकि बिहार का ठीक से विकास हो सके. ये बात अलग है कि बीजेपी नेतृत्व ऐसा रामविलास पासवान के सपनों को लेकर भी कह चुका है - और रघुवंश प्रसाद सिंह के अधूरे कामों को लेकर भी. वैसे तो अब रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे जेडीयू में शामिल हो ही चुके हैं.

बाकी बातें अपनी जगह हैं और तमाम बयानबाजी के बीच चिराग पासवान ने जो सबसे बड़ी बात कही है, वो है - अगर नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने तो वो पूरी तरह एनडीए छोड़ देंगे. अब देखना ये होगा कि बीजेपी ऐसा मौका चिराग पासवान को भी देती है या नहीं? अब तक तो शिवसेना हो या शिरोमणि अकाली दल सभी खुद ही एनडीए छोड़ कर जाते रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार जिस तरह का दबाव बना रहे हैं - बीजेपी का अगला कदम देखना दिलचस्प होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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