• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Nitish Kumar खुशकिस्मत हैं - लालू यादव ने तेजस्वी को विरासत ही सौंपी, अपना करिश्मा नहीं

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 16 जून, 2020 03:58 PM
  • 16 जून, 2020 03:58 PM
offline
ऐसा लगता है, 2020 में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की चुनावी राह लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) फैक्टर ही आसान बनाने वाला है, जैसे 2015 में खुद आरजेडी नेता एक छोर पर डटे रहे. बाकी बची खुची कसर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पूरी कर देंगे - तात्कालिक तेवर देख कर तो यही ही लगता है.

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 15 साल पहले लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का नाम लेकर ही बिहार के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे. पांच साल पहले लालू यादव से हाथ मिलाकर ही नीतीश कुमार अपनी जिंदगी का सबसे मुश्किल चुनाव जीत पाये - और अब एक बार फिर नीतीश कुमार की राह इसीलिए आसान नजर आ रही है क्योंकि लालू प्रसाद यादव बिहार में नहीं हैं.

बिहार में चुनाव का माहौल तो बनने ही लगा था, अमित शाह की डिजिटल रैली के बाद से उसमें काफी तेजी आ गयी है. अमित शाह की तरह नीतीश कुमार भी वर्चुअल संवाद कर चुके हैं और जेडीयू नेताओं-कार्यकर्ताओं को समझा चुके हैं कि कैसे लालू का नाम लेकर चुनावी जंग जीती जा सकती है.

जैसे बीजेपी को बिहार चुनाव में आरक्षण को फिर से मुद्दा बनाये जाने को लेकर कोई फिक्र नहीं है, वैसे ही नीतीश कुमार विरोधियों की हर हरकत से बेफिक्र हैं - चाहे सामने से तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) तीर छोड़ रहे हों या फिर उनके पुराने साथी प्रशांत किशोर. जिनमें लालू जैसा कोई नहीं है.

सवाल सटीक हों तभी असरदार होते हैं

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब से दिल्ली से पटना लौटे हैं, नीतीश कुमार के खिलाफ हमले जारी रखे हुए हैं और प्रशांत किशोर भी कोरोना वायरस को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं - फिर भी नीतीश कुमार को कोई चिंता नहीं है क्योंकि किसी में भी लालू प्रसाद जैसा दमखम नहीं है.

प्रशांत किशोर का आरोप है कि नीतीश सरकार कोरोना की बजाये चुनाव पर चर्चा करने में लगी हुई. प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर बिहार में कोरोना को लेकर कम टेस्टिंग का मुद्दा उठाया है और संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद चुनावों की चर्चा पर हैरानी जतायी है.

प्रशांत किशोर ने घर से न निकलने को लेकर नीतीश कुमार पर जो हमला बोला है, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी कई दिनों से इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लालू...

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 15 साल पहले लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का नाम लेकर ही बिहार के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे. पांच साल पहले लालू यादव से हाथ मिलाकर ही नीतीश कुमार अपनी जिंदगी का सबसे मुश्किल चुनाव जीत पाये - और अब एक बार फिर नीतीश कुमार की राह इसीलिए आसान नजर आ रही है क्योंकि लालू प्रसाद यादव बिहार में नहीं हैं.

बिहार में चुनाव का माहौल तो बनने ही लगा था, अमित शाह की डिजिटल रैली के बाद से उसमें काफी तेजी आ गयी है. अमित शाह की तरह नीतीश कुमार भी वर्चुअल संवाद कर चुके हैं और जेडीयू नेताओं-कार्यकर्ताओं को समझा चुके हैं कि कैसे लालू का नाम लेकर चुनावी जंग जीती जा सकती है.

जैसे बीजेपी को बिहार चुनाव में आरक्षण को फिर से मुद्दा बनाये जाने को लेकर कोई फिक्र नहीं है, वैसे ही नीतीश कुमार विरोधियों की हर हरकत से बेफिक्र हैं - चाहे सामने से तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) तीर छोड़ रहे हों या फिर उनके पुराने साथी प्रशांत किशोर. जिनमें लालू जैसा कोई नहीं है.

सवाल सटीक हों तभी असरदार होते हैं

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जब से दिल्ली से पटना लौटे हैं, नीतीश कुमार के खिलाफ हमले जारी रखे हुए हैं और प्रशांत किशोर भी कोरोना वायरस को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं - फिर भी नीतीश कुमार को कोई चिंता नहीं है क्योंकि किसी में भी लालू प्रसाद जैसा दमखम नहीं है.

प्रशांत किशोर का आरोप है कि नीतीश सरकार कोरोना की बजाये चुनाव पर चर्चा करने में लगी हुई. प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर बिहार में कोरोना को लेकर कम टेस्टिंग का मुद्दा उठाया है और संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद चुनावों की चर्चा पर हैरानी जतायी है.

प्रशांत किशोर ने घर से न निकलने को लेकर नीतीश कुमार पर जो हमला बोला है, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी कई दिनों से इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लालू यादव के जेल में होने के चलते उनका ट्विटर हैंडल उनका दफ्तर चलाता और वहां भी नीतीश कुमार के घर से न निकलने को लेकर लगातार कई ट्वीट किये गये हैं. तेजस्वी यादव के साथ साथ राबड़ी देवी के ट्विटर हैंडल से भी ये मुद्दा उछाला जा रहा है.

तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर कहा है कि नीतीश कुमार देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जो 90 दिन से चारदीवारी से बाहर नहीं निकले हैं. प्रशांत किशोर की ही तरह तेजस्वी यादव का भी आरोप है कि सरकार का ध्यान तेजी से फैल रही कोरोना बीमारी की ओर नहीं है - सरकार का ध्यान अब चुनाव की तिथि को देखने में लगा हुआ है.

अपने आरोपों को लेकर तेजस्वी यादव ने एक पोस्टर जारी किया है, जिस पर नारा लिखा है - पूछ रहा सारा बिहार, कहां छिपे हो नीतीश कुमार? स्लोगन के साथ आरजेडी के पोस्टर में 90 दिनों में कितने घंटे और सेकंड होते हैं ये भी बड़े बड़े अक्षरों में समझाया गया है.

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद तेजस्वी यादव कैसे सोच रहे हैं कि ये सवाल चुनावों में मददगार साबित होगा?

तेजस्वी यादव ने कहा कि 90 दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाहर नहीं निकलने के विरोध में ये पोस्टर पूरे राज्य के हर जिला मुख्यालयों और ब्लॉक में लगाने का फैसला किया गया है. तेजस्वी यादव ने ये भी कहा कि अगर 100 पूरे हो गये तो आरजेडी के लोग पूरे राज्य में ढोल बजाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. याद रहे, अमित शाह की डिजिटल रैली के विरोध में भी तेजस्वी यादव ने मां राबड़ी देवी और भाई तेज प्रताप सहित आरजेडी कार्यकर्ताओं के साथ थाली बजाकर विरोध जताया था.

कोरोना टेस्टिंग का सवाल तो ठीक है, लेकिन तेजस्वी यादव आखिर नीतीश कुमार के घर से न निकलने को मुद्दा क्यों बना रहे हैं?

जब कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान हर किसी को घर में रहने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की सलाह दी जाती रही तो नीतीश कुमार के ऐसा करने पर तेजस्वी यादव को दिक्कत क्यों हो रही है. आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तो 83 दिन बाद बाहर निकले थे जब उनको अम्फान तूफान प्रभावित पश्चिम बंगाल और ओडिशा का दौरा करना था. नीतीश कुमार भी 84 दिन बाद कैबिनेट की बैठक के लिए 1, अणे मार्ग से निकल कर अपने दफ्तर गये ही थे.

क्या तेजस्वी यादव ये सवाल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के दौरान खुद उनके बिहार से बाहर दिल्ली से सोशल मीडिया के जरिये राजनीति करने पर जेडीयू नेता सवाल उठा रहे थे? तब तो जेडीयू नेताओें का ये भी आरोप रहा कि तेजस्वी यादव जब भी बिहार के लोग मुश्किल में होते हैं गायब हो जाते हैं - जब पटना में बाढ़ आयी थी तब भी और जब बिहार में चमकी बुखार का प्रकोप रहा तब भी.

जो पोस्टर तेजस्वी यादव अभी जारी कर रहे हैं, अच्छा होता पटना में आयी बाढ़ के दौरान किये होते या चमकी बुखार के वक्त. नीतीश कुमार की तो तब इसे लेकर खूब आलोचना हो रही थी, लेकिन तेजस्वी यादव जब खुद होते सवाल भी तो तभी पूछते.

सवालों का असर भी तभी होता है जब वे सटीक हों - और कोरोना के टाइम नीतीश कुमार से तेजस्वी के सवाल इस पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं.

तेजस्वी के विरोध में दम क्यों नहीं

नीतीश सरकार के खिलाफ हाल ही में तेजस्वी यादव के हाथ एक जोरदार मुद्दा हाथ लगा भी था, लेकिन नीतीश कुमार का इशारा पाते ही बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने उसकी हवा ही निकाल दी. दरअसल, पुलिस मुख्यालय की तरफ से जिले के पुलिस कप्तानों को एक पत्र भेजा गया था कि वे बाहर से लौट रहे प्रवासी मजदूरों पर नजर रखें क्योंकि वे आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.

तेजस्वी यादव ने इसके विरोध में आवाज भी उठायी और पुलिस के फरमान को गरीब और मजदूरों का अपमान बताया. तभी डीजीपी ने एरर ऑफ जजमेंट बताते हुए आदेश वापस लेने की घोषणा कर दी. बाद में कई मीडिया रिपोर्ट में जिलों के पुलिस अफसर भी मान रहे थे कि आदेश तो ठीक ही था लेकिन राजनीतिक वजहों से उसे हटा दिया गया.

बिहार के डीजीपी का बयान आते ही तेजस्वी यादव को चुप हो जाना पड़ा. ऊपर से जब अमित शाह ने रैली की तो नीतीश कुमार के विरोधियों पर ही गरीब और मजदूरों को अपमानित करने को लेकर कठघरे में खड़ा कर डाले.

तेजस्वी यादव के पोस्टर जारी करने से पहले ही नीतीश कुमार उनके सवालों का जवाब दे चुके हैं, 'जब एकबार लॉकडाउन लागू कर दिया गया तो सबसे कहा गया है कि बिना मतलब घर से बाहर से नहीं निकलना है. ऐसे में हम बाहर निकलेंगे तो लोग क्या सोचेंगे. कुछ लोगों का दिमाग ही ऐसा होता है, जितनी भी जगह पर विवाद करने की कोशिश हुई है, उसके बारे में हमने एक-एक करके रिपोर्ट ली है.’

विपक्ष की तरफ से खुद को टारगेट किये जाने को नीतीश कुमार महज बयानबाजी की आदत मान रहे हैं, 'हमको कहते हैं कि बाहर नहीं निकले हैं... लॉकडाउन में भी हम लोग का कर रहे हैं. प्रतिदिन एक-एक चीज की समीक्षा, सारा काम कर रहे हैं... खुद कहां रहते हैं, इसका कोई ठिकाना नहीं है... पार्टी के लोगों को भी पता नहीं है - लोगों की आदत है बयानबाजी करने की.'

जरा 2015 के विधानसभा चुनाव को याद कीजिये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए नीतीश कुमार के डीएनए में खोट बता दिया, देखते ही देखते वो सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया - और लोग बिहार का अपमान मान बैठे. लोगों में डीएनए सैंपल दिल्ली भेजने की होड़ मच गयी. बेशक इस बात को मुद्दा बनाने में नीतीश कुमार की भी भूमिका रही, लेकिन ये लालू यादव का करिश्मा था जो पलक झपकते ही वायरल कर दिया.

एक और मिसाल. लालू यादव अपने एक बयान पर अफसोस जाहिर करते हुए अपने समर्थकों को समझा रहे थे कि मालूम नहीं कैसे उनकी जबान पर शैतान बैठा था और उनके मुंह से वो बात निकल गयी. बाद में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ इतना ही पूछा था कि शैतान को भी वही मिले थे?

फिर क्या था, लालू यादव ने शोर मचाना शुरू किया - 'ई हमको शैतान बोला.'

किसी का ध्यान इस बात पर नहीं गया कि मोदी ने जो बोला था वो लालू के बयान पर रिएक्शन था. आरक्षण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को भी लालू यादव ने यूं ही एक झटके में मुद्दा बना दिया कि आरक्षण की समीक्षा मतलब समझो 'आरक्षण खत्म रे भाई!'

लालू यादव ने अपनी विरासत भले ही तेजस्वी यादव को सौंप दी हो, लेकिन अपने करिश्मे का अंश मात्र भी नहीं ट्रांसफर कर पाये हैं. बिहार से दूर रांची के जेल में रह रहे लालू प्रसाद के एक ट्वीट से बिहार में आरक्षण चुनावी मुद्दा बनते नजर आने लगता है, लेकिन तेजस्वी यादव के पटना में मौजूद रहने के बावजूद बीजेपी नेताओं या नीतीश कुमार को नहीं लगता कि लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी में आरजेडी इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बना पाएगी.

इन्हें भी पढ़ें :

Bihar Election 2020 में आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी 'लालू प्रसाद के भरोसे' बेफिक्र

Lalu Yadav birthday: लालू को याद करने में RJD से आगे हैं बीजेपी-जेडीयू

Amit Shah Rally चुनावी नहीं थी लेकिन दावा यही हुआ कि नीतीश दो-तिहाई बहुमत से जीतेंगे!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲