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खतरा इतना है कि मोदी के मंत्री भी भरोसेमंद नहीं !

    • गिरिजेश वशिष्ठ
    • Updated: 27 जून, 2018 06:38 PM
  • 27 जून, 2018 06:38 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के लिए एसपीजी ने एक नई गाइडलाइन जारी की है. ये गाइडलाइन बताती है कि मोदी कितने बड़े खतरे में हैं.

क्या प्रधानमंत्री मोदी को अपने ही किसी मंत्री या नज़दीकी से खतरा है? क्या मोदी का कोई मंत्री भी उनकी जान के लिए खतरनाक हो सकता है? हालात ये हैं कि बाकायदा पीएम मोदी की सुरक्षा को बदला गया है और नये बदलावों में ध्यान आसपास के लोगों पर है. इनपुट्स इतने खतरनाक हैं कि एसपीजी ने मोदी के नज़दीक बिना इजाजत मंत्रियों के आने पर भी रोक लगा दी है. कोई भी मंत्री या सहयोगी अगर मोदी के नज़दीक जाता है तो एसपीजी से इजाजत लेनी होगी.

इससे पहले अक्टूबर 2016 में मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठकों में सुरेश प्रभु, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह समेत सभी मंत्रियों की बैठक में मोबाइल या अन्य इलैक्ट्रॉनिक सामान लाने पर रोक लगा दी थी. सरकार ने तर्क दिया था कि मंत्रियों के मोबाइल हैक हो सकते हैं और जासूसी हो सकती है, इसलिए ये रोक लगाई जा रही है.

आपको बता दें कि इस तरह के फैसले तुर्मरशाही में पीएम की मर्जी या किसी अन्य सहयोगी की मर्जी से नहीं लिए जाते. इनके पीछे सूचनाओं का बड़ा जाल होता है. रॉ, आईबी, स्टेट इंटेलीजेंस और डिफेंस इंटेलीजेंस की कई सूचनाएं गृहमंत्रालय के पास लगातार पहुंचती है. मंत्रालय इन सूचनाओं की पुष्टि करता है और इसी आधार पर सुरक्षा की योजना बनाता है. जब फोन अंदर ले जाने पर रोक का फैसला सामने आया था तो भी लोग चौंके थे क्योंकि ये अभूतपूर्व था. इससे पहले मंत्रियों को माबाइल फोन लाने की अनुमति थी, हालांकि, उसे स्विच ऑफ करने या साइलेंट मोड पर रखना होता था.

मंत्रियों की सुरक्षा का खतरा अलग बात है 2019 से पहले मोदी की सुरक्षा को लेकर जबरदस्त हिफाजत की जा रही है. आप उन सूचनाओं की कल्पना कर सकते हैं जिनके आधार पर प्रधानमंत्री को मंत्रियों से भी सुरक्षित रखने की कोशिश हो रही है.

मामला इतना संगीन है कि बाकायदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ गृहमंत्री ने बैठक की...

क्या प्रधानमंत्री मोदी को अपने ही किसी मंत्री या नज़दीकी से खतरा है? क्या मोदी का कोई मंत्री भी उनकी जान के लिए खतरनाक हो सकता है? हालात ये हैं कि बाकायदा पीएम मोदी की सुरक्षा को बदला गया है और नये बदलावों में ध्यान आसपास के लोगों पर है. इनपुट्स इतने खतरनाक हैं कि एसपीजी ने मोदी के नज़दीक बिना इजाजत मंत्रियों के आने पर भी रोक लगा दी है. कोई भी मंत्री या सहयोगी अगर मोदी के नज़दीक जाता है तो एसपीजी से इजाजत लेनी होगी.

इससे पहले अक्टूबर 2016 में मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठकों में सुरेश प्रभु, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह समेत सभी मंत्रियों की बैठक में मोबाइल या अन्य इलैक्ट्रॉनिक सामान लाने पर रोक लगा दी थी. सरकार ने तर्क दिया था कि मंत्रियों के मोबाइल हैक हो सकते हैं और जासूसी हो सकती है, इसलिए ये रोक लगाई जा रही है.

आपको बता दें कि इस तरह के फैसले तुर्मरशाही में पीएम की मर्जी या किसी अन्य सहयोगी की मर्जी से नहीं लिए जाते. इनके पीछे सूचनाओं का बड़ा जाल होता है. रॉ, आईबी, स्टेट इंटेलीजेंस और डिफेंस इंटेलीजेंस की कई सूचनाएं गृहमंत्रालय के पास लगातार पहुंचती है. मंत्रालय इन सूचनाओं की पुष्टि करता है और इसी आधार पर सुरक्षा की योजना बनाता है. जब फोन अंदर ले जाने पर रोक का फैसला सामने आया था तो भी लोग चौंके थे क्योंकि ये अभूतपूर्व था. इससे पहले मंत्रियों को माबाइल फोन लाने की अनुमति थी, हालांकि, उसे स्विच ऑफ करने या साइलेंट मोड पर रखना होता था.

मंत्रियों की सुरक्षा का खतरा अलग बात है 2019 से पहले मोदी की सुरक्षा को लेकर जबरदस्त हिफाजत की जा रही है. आप उन सूचनाओं की कल्पना कर सकते हैं जिनके आधार पर प्रधानमंत्री को मंत्रियों से भी सुरक्षित रखने की कोशिश हो रही है.

मामला इतना संगीन है कि बाकायदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ गृहमंत्री ने बैठक की और सुरक्षा की योजना बनाई. पीएम की सुरक्षा के लिए उनके रोड शो बंद करने की भी सलाह दी गई है. समीक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, खुफिया ब्यूरो के प्रमुख राजीव के साथ बाकायदा इस मामले पर बैठक की. बैठक में गृहमंत्री ने निर्देश दिया था कि प्रधानमंत्री के सुरक्षा इंतजाम में उपयुक्त मजबूती लाने के लिए अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर सभी जरूरी कदम उठाए जाएं.

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त चौकस रहने के लिए जिन राज्यों की पुलिस को सूचना दी गई है और जिन राज्यों में खास खतरा है उनकी सूची भी गौर करने वाली है. अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ज्यादा खतरा बताया गया है. इन राज्यों के पुलिस प्रमुखों को उनके राज्यों में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान अतिरिक्त चौकसी बरतने को कहा गया है.

इन इंतज़ामों से उन अजीबो गरीब कल्पनाओं को भी बल मिल रहा है जिनमें कहा जा रहा था कि की पीएम मोदी पर हमले को 2019 चुनाव में सहानुभूति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन मोदी की ज़िंदगी से बड़ा चुनाव हो सकता है ये सोचना भी अजीब है. बहरहाल इंतजाम चौकस हैं और मोदी जिन्हें सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री कहकर प्रचारित किया जा रहा है, अपनी कैबिनेट में भी ऐसा लगता है कि कुछ लोगों को प्रिय नहीं हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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