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ना इंदिरा गांधी 'हिटलर' थीं ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'औरंगजेब' हैं

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 27 जून, 2018 11:13 AM
  • 27 जून, 2018 11:13 AM
offline
25 जून 1975 की आधी रात को इमरजेंसी की घोषणा की गई थी, जो 21 मार्च 1977 तक जारी रही थी. लेकिन क्या इसकी आड़ में देश के किसी भी प्रधानमंत्री की हिटलर या औरंगजेब से तुलना करना सही है?

देश में इमरजेंसी के 43 साल पूरे होने के मौके पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर से करते हुए कहा कि दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का इस्तेमाल किया था.

अपने फेसबुक पोस्ट पर अरुण जेटली ने लिखा- 'हिटलर और गांधी, दोनों ने कभी भी संविधान को रद्द नहीं किया. उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए एक गणतंत्र के संविधान का उपयोग किया'. हिटलर ने संसद के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करवा दिया था और अपनी अल्पमत की सरकार को संसद में दो तिहाई का साबित कर दिया था.

आइए जानते हैं कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जर्मन तानाशाह हिटलर नहीं थीं-

- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1977 में लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान किया.

- इन चुनावों में कांग्रेस को मात्र 154 सीटों पर ही जीत मिली और अपनी हार भी स्वीकार की और जनतांत्रिक नेता की तरह सत्ता छोड़ दी.

- फिर से इंदिरा गांधी जनता के बीच जाकर उनका विश्वास हासिल किया और फिर से चुनाव जीता.        

- साल 1980 के लोकसभा चुनावों में 353 सीटें जीती और पुनः प्रधानमंत्री बनीं.

ठीक इसके विपरीत अडोल्फ हिटलर एक तानाशाह था और लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखता था. उसके अनुसार अधिकांश व्यक्ति मंदबुद्धि, मूर्ख, कायर और निकम्मे होते हैं जो अपना हित नहीं सोच सकते हैं. ऐसे लोगों का शासन कुछ भद्र लोगों द्वारा ही चलाया जाना चाहिए. इस तरह कहीं से भी दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना अडोल्फ हिटलर से नहीं की जा सकती.

देश में इमरजेंसी के 43 साल पूरे होने के मौके पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर से करते हुए कहा कि दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का इस्तेमाल किया था.

अपने फेसबुक पोस्ट पर अरुण जेटली ने लिखा- 'हिटलर और गांधी, दोनों ने कभी भी संविधान को रद्द नहीं किया. उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए एक गणतंत्र के संविधान का उपयोग किया'. हिटलर ने संसद के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करवा दिया था और अपनी अल्पमत की सरकार को संसद में दो तिहाई का साबित कर दिया था.

आइए जानते हैं कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जर्मन तानाशाह हिटलर नहीं थीं-

- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1977 में लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान किया.

- इन चुनावों में कांग्रेस को मात्र 154 सीटों पर ही जीत मिली और अपनी हार भी स्वीकार की और जनतांत्रिक नेता की तरह सत्ता छोड़ दी.

- फिर से इंदिरा गांधी जनता के बीच जाकर उनका विश्वास हासिल किया और फिर से चुनाव जीता.        

- साल 1980 के लोकसभा चुनावों में 353 सीटें जीती और पुनः प्रधानमंत्री बनीं.

ठीक इसके विपरीत अडोल्फ हिटलर एक तानाशाह था और लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखता था. उसके अनुसार अधिकांश व्यक्ति मंदबुद्धि, मूर्ख, कायर और निकम्मे होते हैं जो अपना हित नहीं सोच सकते हैं. ऐसे लोगों का शासन कुछ भद्र लोगों द्वारा ही चलाया जाना चाहिए. इस तरह कहीं से भी दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना अडोल्फ हिटलर से नहीं की जा सकती.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों नहीं हो सकते 'औरंगजेब'

कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला अरुण जेटली के 'हिटलर' का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना 'औरंगजेब' से कर दी. उनके अनुसार-  'दिल्ली सलतनत के 'औरंगजेब' से भी क्रूर बादशाह, मोदी जी ने आज देश के 43 साल पुराने आपातकाल का पाठ पढ़ाया! औरंगजेब ने तो सिर्फ पिता को बंधक बनाया था पर 49 महीनों के अघोषित आपातकाल में मोदी जी ने तो स्वयं की पार्टी सहित पूरे प्रजातंत्र को बंधक बना रखा है".

तो क्या वाक़ई हमारे प्रधानमंत्री 'औरंगजेब' हैं? ये फैसला आपको लेना है... क्योंकि

- औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने सगे भाईयों का कत्ल किया था.

- गैर मुस्लिमों के ऊपर जजिया कर लगाया था.

- बहुत सारे मंदिरों को तोड़ डाला था.

- हिंदुओं और सिखों का जबरन धर्मपरिवर्तन कराया था.

इन सारे विवादों की जड़ है इमरजेंसी. 25 जून 1975 की आधी रात को इमरजेंसी की घोषणा की गई थी, जो 21 मार्च 1977 तक जारी रही थी. लेकिन क्या इसकी आड़ में देश के किसी भी प्रधानमंत्री की "हिटलर" या "औरंगजेब" से तुलना करना सही है? शायद नहीं. ये हमारे देश के लोकतंत्र के लिए स्वस्थ परम्परा नहीं है.

ये भी पढ़ें-

1975 की इमरजेंसी के मैसेज मोदी और उनके विरोधी दोनों के लिए है

इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल हो आपातकाल


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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