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नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के राष्ट्रवादी-मॉडल हैं और कैप्टन-सरकार निकम्मी थी!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 02 अक्टूबर, 2021 03:36 PM
  • 02 अक्टूबर, 2021 03:36 PM
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कांग्रेस (Congress) नेतृत्व ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को राष्ट्रवादी और कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) की सरकार को निकम्मी बता कर डबल जोखिम उठाया है. चुनाव में सवाल तो उठेंगे ही - ये समझाना भी मुश्किल होगा कि लोग कांग्रेस को वोट क्यों दें?

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अब कांग्रेस के राष्ट्रवादी मॉडल के तौर पर पेश किये जा रहे हैं. जाहिर है कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने ये जानकारी राहुल गांधी और सोनिया गांधी की मंजूरी के बाद ही सार्वजनिक की होगी.

इमरान खान से अपनी दोस्ती और पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलने को लेकर लगातार निशाने पर रहे नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस की तरफ से ऐसा बयान पहली बार सामने आया है. सिद्धू के स्टैंड को राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सभी का सपोर्ट शुरू से ही रहा है, लेकिन ऐसा दावा सार्वजनिक तौर पर पहली बार किया गया है. हरीश रावत का कहना है कि किसी को भी किसी पर निजी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, सिद्धू के राष्ट्रवादी होने को लेकर किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है - सिद्धू ने देश और पंजाब की सेवा की है.

पाकिस्तान को लेकर सिद्धू के स्टैंड के साथ खुलेआम खड़ा होना तो कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने का ही असर लगता है. कन्हैया कुमार के खिलाफ अदालत में देशद्रोह के केस का ट्रायल चल रहा है - बीजेपी तो कन्हैया कुमार को एंटी-नेशनल और टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बनाकर टारगेट तो करती ही रही है, काफी दिनों को लटकाये रखने के बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने भी चुनावी माहौल के मद्देनजर कन्हैया कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.

चूंकि कांग्रेस (Congress) नेतृत्व को मालूम है कि कन्हैया कुमार की ही तरह सिद्धू भी बीजेपी और बाकी राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहेंगे ही, लिहाजा पहले से ही बचाव की रणनीति तैयार कर ली गयी है. पुलवामा आतंकी हमले के बाद 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी...

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अब कांग्रेस के राष्ट्रवादी मॉडल के तौर पर पेश किये जा रहे हैं. जाहिर है कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने ये जानकारी राहुल गांधी और सोनिया गांधी की मंजूरी के बाद ही सार्वजनिक की होगी.

इमरान खान से अपनी दोस्ती और पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलने को लेकर लगातार निशाने पर रहे नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस की तरफ से ऐसा बयान पहली बार सामने आया है. सिद्धू के स्टैंड को राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सभी का सपोर्ट शुरू से ही रहा है, लेकिन ऐसा दावा सार्वजनिक तौर पर पहली बार किया गया है. हरीश रावत का कहना है कि किसी को भी किसी पर निजी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, सिद्धू के राष्ट्रवादी होने को लेकर किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है - सिद्धू ने देश और पंजाब की सेवा की है.

पाकिस्तान को लेकर सिद्धू के स्टैंड के साथ खुलेआम खड़ा होना तो कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने का ही असर लगता है. कन्हैया कुमार के खिलाफ अदालत में देशद्रोह के केस का ट्रायल चल रहा है - बीजेपी तो कन्हैया कुमार को एंटी-नेशनल और टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बनाकर टारगेट तो करती ही रही है, काफी दिनों को लटकाये रखने के बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने भी चुनावी माहौल के मद्देनजर कन्हैया कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.

चूंकि कांग्रेस (Congress) नेतृत्व को मालूम है कि कन्हैया कुमार की ही तरह सिद्धू भी बीजेपी और बाकी राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहेंगे ही, लिहाजा पहले से ही बचाव की रणनीति तैयार कर ली गयी है. पुलवामा आतंकी हमले के बाद 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी पाकिस्तान परस्त राजनीति करने के रूप में प्रोजक्ट करती रही - और चुनाव नतीजे तो यही बताते हैं कि लोगों ने बीजेपी के दावों को ही सही माना.

सिद्धू के बचाव के साथ ही कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) के खिलाफ आक्रामक रवैया अख्तियार कर लिया है - और वो भी काफी जोखिमभरा लगता है. ये विडंबना नहीं तो और क्या है कि कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत साढ़े चार साल तक रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह के शासन को निकम्मी सरकार के तौर पर पेश करने लगे हैं - क्या आने वाले विधानसभा चुनावों में लोग कांग्रेस नेताओं से ये नहीं पूछेंगे कि अगर सरकार काम नहीं कर रही थी तो कांग्रेस नेतृत्व ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को पहले ही क्यों नहीं बदल दिया?

कैप्टन के खिलाफ चार्जशीट के दायरे में गहलोत भी

कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने की सार्वजनिक घोषणा के बाद हरीश रावत ने पार्टी आलाकमान की तरफ से उनके खिलाफ लंबी चौड़ी चार्जशीट पेश की है. एक ही सांस में नवजोत सिंह सिद्धू की तारीफ के साथ साथ हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर चुनावी वादे न पूरे करने का भी इल्जाम लगा डाला.

देहरादून में पत्रकारों से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि दो-तीन दिन में आये कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान सुन कर लगता जैसे वो किसी तरह के दबाव में हों. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की तरफ इशारा करते हुए हरीश रावत ने ये आरोप भी लगाया है कि बीजेपी कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुखौटे के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती है.

हरीश रावत की बातों को सुन कर लगता है जैसे वो कैप्टन अमरिंदर सिंह का बॉयो डाटा बांच रहे हों - और फिर आखिर में दावा पेश कर रहे हों कि कैप्टन की जीवन में जो भी उपलब्धियां हैं वो कांग्रेस की देन हैं और कांग्रेस की ही बदौलत हैं - हां, बस यही नहीं बताया कि सेना में भी कैप्टन को कांग्रेस ने ही भेजा था.

कैप्टन अमरिंदर सिंह को गलत और नवजोत सिंह सिद्धू को सही ठहराने के चक्कर में कांग्रेस नेतृत्व डबल रिस्क उठा रहा है!

हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सलाह दी कि उनको किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिये - और ऐसी मुश्किल घड़ी में सोनिया गांधी के साथ खड़ा होना चाहिये क्योंकि आज देश में लोकतंत्र बचाने का सवाल है. बोले, 'मैं फिर से कहना चाहता हूं कि अभी तक कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जो बातें कहीं हैं... फिर से विचार करें और बीजेपी जैसी किसान विरोधी, पंजाब विरोधी पार्टी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से मदद न पहुंचायें.

देखा जाये तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बीजेपी न ज्वाइन करने की घोषणा सचिन पायलट की ही तरह की है, लेकिन एक कदम आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस छोड़ देने का भी ऐलान कर दिया है - और हरीश रावत भी कैप्टन अमरिंदर सिंह पर वैसे ही आरोप लगा रहे हैं जैसे सचिन पायलट के आरोप अशोक गहलोत के खिलाफ रहे हैं. बीजेपी नेता वसुंधरा राजे की मदद करने का. हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर बादल परिवार की मदद करने का इल्जाम लगाया है.

हरीश रावत का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बेअदबी मामले में ठीक से पैरवी नहीं की. हरीश रावत का कहना है कि ऐसा करके कैप्टन ने अकाली दल वाले बादल परिवार को मदद पहुंचाने की कोशिश की है. हरीश रावत के बयान से कांग्रेस की जो रणनीति समझ में आ रही वो तो ऐसी ही लगती है कि जब भी राजस्थान को लेकर कांग्रेस नेतृत्व का रुख सामने आएगा, एक्शन ऐसे ही मिलते जुलते देखे जा सकते हैं. ये अशोक गहलोत के लिए बहुत बड़ा अलर्ट है. हालांकि, सचिन पायलट के लिए ये कोई अच्छे दिनों की गारंटी नहीं है क्योंकि वो अभी तक राहुल गांधी के निडर नेताओं के पैरामीटर पर खरे नहीं उतरे हैं.

ये तो ऐसा ही लगता है जैसे अब तक जिन बातों को लेकर कैप्टन को सिद्धू टारगेट करते रहे हैं, अब हरीश रावत ने भी वे ही बातें गिनानी शुरू कर दी है. हो सकता है सिद्धू को राष्ट्रवादी साबित करने का हरीश रावत का अपना तरीका हो या फिर कांग्रेस आलाकमान की तरफ से ऐसे ही दिशानिर्देश भी मिले हो सकते हैं.

वादे पूरी न करने वाली पंजाब की कांग्रेस सरकार!

हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर सरासर इल्जाम लगाया है कि कैप्टन अमर‍िंदर स‍िंह को दो बार - 2002-2007 और 2017-2021 तक कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया. मुख्य्मंत्री के रूप में काम करने की पूरी तरह से छूट दी. बावजूद इसके कैप्टन अमरिंदर ड्रग्स के मामलों और बिजली सहित कई महत्वपूर्ण वादे पूरे करने में नाकाम रहे - पंजाब के लोगों के बीच ऐसी धारणा बनने लगी कि कैप्टन और बादल एक दूसरे की मदद कर रहे - और उनके बीच एक सीक्रेट-अंडरस्टैंडिंग बनी रही.

हरीश रावत कहते हैं, 'मैं हमेशा विनम्रतापूर्वक उनको चुनावी वादों पर एक्शन शुरू करने का सुझाव देता था... कम से कम पांच बार मैंने कैप्टन साहब से इन मुद्दों पर चर्चा की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला... बरगदी के पूरे मामले को कैप्टन के भरोसेमंद साथियों ने गलत तरीके से हैंडल किया...'

हरीश रावत के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाला एक पैनल भी बनाया और 150 से ज्यादा नेताओं को सुना गया. सभी के सुझाव तैयार किये गये 18 बिंदुओं को लागू करने के लिए सहमति जतायी गयी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

चुनावी वादे पूरे न करने के आरोप पर कैप्टन हरीश रावत को उनके पुराने बयान की याद दिलाते हैं - और पूछते हैं कि उनको अंधेरे में क्यों रखा गया. कैप्टन का दावा है कि अपने कार्यकाल में वो 90 फीसदी चुनावी वादे पूरे कर चुके हैं - और हरीश रावत बिना किसी तथ्य के उन पर आरोप लगा रहे हैं.

कैप्टन याद दिलाने की कोशिश करते हैं कि हरीश रावत ने खुद कहा था कि वो कैप्टन सरकार से पूरी तरह संतुष्ट थे. कैप्टन कहते हैं, एक सितंबर को यहां तक कहा था कि पंजाब का चुनाव मेरे चेहरे पर लड़ा जाएगा. अब वही हरीश रावत कैसे कह सकते हैं कि कांग्रेस उनके काम से खुश नहीं थी - और फिर पूछते हैं, 'मेरा सवाल है कि रावत ने मुझे इतने लंबे समय तक अंधेरे में क्यों रखा.'

कैप्टन का दावा है कि वो तो तीन महीने पहले ही इस्तीफा देने का मन बना चुके थे - और सोनिया गांधी को ये बता भी दिये थे, लेकिन सोनिया गांधी ने उनको पद पर बने रहने के लिए कहा था. उसी वजह से वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे रहे और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहे.

कैप्टन इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस में अपने अपमान की बात करते रहे हैं, लेकिन हरीश रावत का दावा है कि कैप्टन का कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सम्मान किया है. कैप्टन ने याद दिलाया है कि विधायक दल की मीटिंग से पहले इस्तीफा देना पड़ गया था, अब इसे अपमान नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे. कैप्टन रावत से कहा है कि एक बार वो उनकी जगह खड़े होकर देखें तब उनको ये महसूस होगा.

कैप्टन का कहना है कि पंजाब में कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर आ चुकी है क्योंकि वो अभी सिर्फ सिद्धू के इशारों पर चल रही है. मीडिया से बातचीत के दौरान कैप्टन कई बार हरीश रावत को झूठा बता रहे थे.

चुनावों में सिद्धू को राष्ट्रवादी के तौर पर पेश करना ही नहीं, कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये भी होगी कि वो कैसे समझाएगी कि वो साढ़े चार साल तक वैसे नेता को मुख्यमंत्री बनाये रखी जो चुनावी वादे ही पूरे न कर सका - भला लोग कैसे यकीन करेंगे कि कांग्रेस का अगला मुख्यमंत्री चुनावी वादे पूरे करेगा ही!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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