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सिद्धू के सलाहकारों की टीम किसके लिए बैटिंग कर रही है?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 23 अगस्त, 2021 08:06 PM
  • 23 अगस्त, 2021 08:06 PM
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कैप्टन बनाम सिद्धू की जंग में जीतने के बाद नवजोत सिंह पूरी तरह से 'बेलगाम घोड़े' की तरह व्यवहार करते नजर आ रहे हैं. सब कुछ रौंदने पर आमादा सिद्धू की इस बेलगाम दौड़ का असर उनके सलाहकारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है.

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान किसी भी तरह की चूक से बचने की लगातार कोशिश कर रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही सियासी खींचतान पर तात्कालिक ब्रेक को इसी नजरिये से देखा भी जा रहा था. वो अलग बात है कि नवजोत सिंह सिद्धू की सीएम अमरिंदर सिंह के साथ अदावत अभी तक खत्म नहीं हुई है. और, सिद्धू किसी न किसी बहाने अमरिंदर सिंह को कटघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. लेकिन, अचानक से सिद्धू का एक दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है. दरअसल, पंजाब कांग्रेस के नए प्रधान ने खुद को मजबूत करने के लिए नए सलाहकारों की नियुक्ति का फरमान जारी किया था. इन सलाहकारों की नियुक्ति अब नवजोत सिंह सिद्धू के लिए गले की फांस बनती दिख रही है.

कैप्टन बनाम सिद्धू की जंग में जीतने के बाद नवजोत सिंह पूरी तरह से 'बेलगाम घोड़े' की तरह व्यवहार करते नजर आ रहे हैं. सब कुछ रौंदने पर आमादा सिद्धू की इस बेलगाम दौड़ का असर उनके सलाहकारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है. दरअसल, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर हालिया बयानबाजी के चलते प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में कई लोगों की त्योरियां चढ़ गई हैं. मालविंदर सिंह माली और डॉ. प्यारे लाल गर्ग की हालिया बयानबाजी से पंजाब का सियासी पारा एक बार फिर से चढ़ गया है. मालविंदर सिह माली ने एक पोस्ट के जरिये जम्मू-कश्मीर को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. माली ने इस पोस्ट में कश्मीर को अलग देश बताते हुए भारत और पाकिस्तान के इस पर जबरन कब्जा करने की बात कही थी. मालविंदर सिंह ने इस पोस्ट में धारा 370 हटाने पर भी सवाल उठाए थे.

वहीं, मालविंदर सिंह माली ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक आपत्तिजनक स्केच पोस्ट कर विवादों को नया तूल दे दिया है. माली ने एक पंजाबी पत्रिका का कवर पेज शेयर किया है. जिसमें इंदिरा गांधी इंसानी खोपड़ियों के ढेर पर खड़ी दिख रही हैं. स्केच में उनके हाथ में एक बंदूक है,...

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान किसी भी तरह की चूक से बचने की लगातार कोशिश कर रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही सियासी खींचतान पर तात्कालिक ब्रेक को इसी नजरिये से देखा भी जा रहा था. वो अलग बात है कि नवजोत सिंह सिद्धू की सीएम अमरिंदर सिंह के साथ अदावत अभी तक खत्म नहीं हुई है. और, सिद्धू किसी न किसी बहाने अमरिंदर सिंह को कटघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. लेकिन, अचानक से सिद्धू का एक दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है. दरअसल, पंजाब कांग्रेस के नए प्रधान ने खुद को मजबूत करने के लिए नए सलाहकारों की नियुक्ति का फरमान जारी किया था. इन सलाहकारों की नियुक्ति अब नवजोत सिंह सिद्धू के लिए गले की फांस बनती दिख रही है.

कैप्टन बनाम सिद्धू की जंग में जीतने के बाद नवजोत सिंह पूरी तरह से 'बेलगाम घोड़े' की तरह व्यवहार करते नजर आ रहे हैं. सब कुछ रौंदने पर आमादा सिद्धू की इस बेलगाम दौड़ का असर उनके सलाहकारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है. दरअसल, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर हालिया बयानबाजी के चलते प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में कई लोगों की त्योरियां चढ़ गई हैं. मालविंदर सिंह माली और डॉ. प्यारे लाल गर्ग की हालिया बयानबाजी से पंजाब का सियासी पारा एक बार फिर से चढ़ गया है. मालविंदर सिह माली ने एक पोस्ट के जरिये जम्मू-कश्मीर को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. माली ने इस पोस्ट में कश्मीर को अलग देश बताते हुए भारत और पाकिस्तान के इस पर जबरन कब्जा करने की बात कही थी. मालविंदर सिंह ने इस पोस्ट में धारा 370 हटाने पर भी सवाल उठाए थे.

वहीं, मालविंदर सिंह माली ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक आपत्तिजनक स्केच पोस्ट कर विवादों को नया तूल दे दिया है. माली ने एक पंजाबी पत्रिका का कवर पेज शेयर किया है. जिसमें इंदिरा गांधी इंसानी खोपड़ियों के ढेर पर खड़ी दिख रही हैं. स्केच में उनके हाथ में एक बंदूक है, जिस पर भी एक खोपड़ी लटक रही है. इस स्केच के साथ लिखा हुआ है कि हर जबर दी यही कहानी, करना जबर‌ ते‌ मुंह दी खानी यानी हर जुल्म करने वाले कि यही कहानी है. आखिर में उसे मुंह की खानी पड़ती है. सिद्धू के दूसरे सलाहकार डॉ. प्यारे लाल गर्ग की बात करें, तो उन्होंने सीएम अमरिंदर सिंह द्वारा पाकिस्तान की आलोचना करने पर सवाल उठाए थे. कुल मिलाकर नवजोत सिंह सिद्धू के दोनों सलाहकारों ने विपक्षी दलों को बैठे-बिठाए कांग्रेस को कमजोर करने वाले मुद्दे दे दिए हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सिद्धू के सलाहकार किसके लिए बैटिंग कर रहे हैं?

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में हुए कत्लेआम को लेकर सिख समुदाय हमेशा से ही कांग्रेस को दोषी मानता रहा है.

माली की 'चोट' आतंकवाद पर या गांधी परिवार

मालविंदर सिंह माली ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जो स्केच पोस्ट किया है, उसे देखने से साफ नजर आता है कि माली ने खालिस्तान समर्थकों के हश्र की बात की है. लेकिन, खालिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए जुल्मों का अंत दिखाने के चक्कर में माली ने इंदिरा गांधी की जो तस्वीर पेश उसकी वजह से ही वो तमाम कांग्रेस नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. सिख समुदाय खालिस्तानी आतंकियों की समस्या के लिए इंदिरा गांधी को जिम्मेदार मानता है. वहीं, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में हुए कत्लेआम को लेकर सिख समुदाय हमेशा से ही कांग्रेस को दोषी मानता रहा है. ये इकलौता ऐसा बड़ा मुद्दा है, जिस पर ऐसी प्रतिक्रियाओं के सामने आने से चुटकियों में माहौल बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. पंजाब में फिलहाल कांग्रेस किसी तरह का खतरा मोल लेना नहीं चाह रही है. यही वजह रही कि कैप्टन और सिद्धू के बीच सुलह के बाद नवजोत सिंह के अमरिंदर सिंह पर किए जा रहे सियासी हमलों पर उन्हें कांग्रेस आलकमान से 'संयम बरतने' का निर्देश मिल चुका है. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान का ये संदेश नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों तक अभी नहीं पहुंचा है.

पंजाब की राजनीति में कश्मीर और पाकिस्तान

कांग्रेस आलाकमान के साथ अपनी नजदीकी को दर्शाने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू आमतौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ अपनी तस्वीरों को शेयर करते रहते हैं. नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों की ओर से कश्मीर और पाकिस्तान जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर इस तरह की बयानबाजी से ये इन मामलों पर कांग्रेस की विचारधारा को इंगित करेगा. बीते कुछ समय से राहुल गांधी भी जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. इस स्थिति में सिद्धू के सलाहकारों का ये बयान कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला हो सकता है. भारतीय सेना में एक बड़ा हिस्सा सिख समुदाय से भी आता है, कश्मीर और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर इस तरह की बेबाक राय से कांग्रेस के सामने 'सांप-छछूंदर' वाली स्थिति पैदा हो सकती है.

सिद्धू की मुश्किलों में चार चांद

कांग्रेस आलाकमान की ओर से मिले फ्री हैंड को देखकर माना जा रहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में 'अपराजेय' हो चुके हैं. इस संभावना पर भी विचार किया जाने लगा था कि अगर पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी बात पर अड़ते हैं, तो सिद्धू को कांग्रेस विधायकों को एकजुट करने के लिए आगे किया जा सकता है. लेकिन, कश्मीर और पाकिस्तान जैसे राष्ट्रीय मुद्दों के साथ इंदिरा गांधी का स्केच सीधे तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू के लिए झटका है, क्योंकि उन्होंने ही मालविंदर सिंह माली और डॉ. प्यारे लाल गर्ग को अपना सलाहकार नियुक्त किया था. अब अगर माली या प्यारे लाल पर किसी तरह की कार्रवाई होती है, तो ये सिद्धू के लिए बैकफुट पर जाने की स्थिति बन जाएगी.

कमजोर 'कैप्टन' को मिली बढ़त

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के मुख्य सलाहकार पद से इस्तीफे और नवजोत सिंह सिद्धू को विरोध के बावजूद पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह कमजोर नजर आ रहे थे. लेकिन, कश्मीर, पाकिस्तान जैसे मुद्दों को छेड़कर नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों ने अमरिंदर सिंह को एक बार फिर से हावी होने का मौका दे दिया है. दरअसल, कैप्टन की ओर से सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा पर पाक सेना प्रमुख बाजवा को गले लगाने वाले मामले पर उन्हें लताड़ लगाई जाती रही है. नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयान साफ तौर पर देश विरोधी नजर आते हैं. इस स्थिति में अमरिंदर सिंह के पास सिद्धू पर बढ़त बनाने का मौका है. लेकिन, ये तमाम बयानबाजी कांग्रेस के लिए भी खतरे से खाली नहीं है. अगर पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर होती है, तो अमरिंदर सिंह समेत तमाम कांग्रेस नेता यही कहते नजर आएंगे कि नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से की गई बयानबाजी का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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