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स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में हैं कई खास बातें

    • आईचौक
    • Updated: 25 फरवरी, 2019 02:08 PM
  • 25 फरवरी, 2019 02:02 PM
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इस स्मारक के लिए सेना ने करीब 57 सालों तक संघर्ष किया, जिसके बाद इसे बनाने की मंजूरी मिली. जो भी पार्टी सत्ता में आती थी, सेना उससे इसे लेकर बात करती थी, लेकिन कामयाबी तब जाकर मिली जब मोदी सरकार सत्ता में आई.

जहां एक ओर इन दिनों पुलवामा आतंकी हमले के बाद देशभर के लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश और सेना के जवानों के लिए गर्व है. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन करने जा रहे हैं, जो शहीद जवानों की याद में बनाया गया है. इस स्मारक को उन 25942 जवानों की याद में बनाया गया है जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए लड़ते हुए अपनी जान दी है. इसके जरिए तीनों सेनाओं (जल, थल और वायु) के जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है.

दिल्ली में इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में बने इस स्मारक के लिए सेना ने करीब 57 सालों तक संघर्ष किया, जिसके बाद इसे बनाने की मंजूरी मिली. जो भी पार्टी सत्ता में आती थी, सेना उससे इसे लेकर बात करती थी, लेकिन कामयाबी तब जाकर मिली जब मोदी सरकार सत्ता में आई. करीब दो साल पहले इसे बनाने की मंजूरी मिल गई थी. आपको बता दें कि इसे बनाने में करीब 176 करोड़ रुपए की लागत आई है. आइए जानते हैं क्या होगी इस स्मारक की खासियत.

इस युद्ध स्मारक को उन 25,942 जवानों की याद में बनाया गया है, जो आजादी के बाद शहीद हुए.

पीएम मोदी द्वारा इसके उद्घाटन से पहले पीएमओ ने ट्विटर पर इसकी बहुत सारी तस्वीरें भी शेयर की हैं.

इंडिया गेट तो पहले से ही है, फिर ये स्मारक क्यों?

सेना के जवानों की याद में ही इंडिया गेट बना है, जहां पर अमर जवान ज्योति शहीद सैनिकों की याद दिलाती है. कई मौकों पर तीनों सेनाओं के सेनाध्याक्ष और खुद प्रधानमंत्री वहां जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, तो फिर इस स्मारक में खास क्या होगा? दरअसल, इंडिया गेट को ब्रिटिश हुकूमत ने उन भारतीय जवानों की याद...

जहां एक ओर इन दिनों पुलवामा आतंकी हमले के बाद देशभर के लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश और सेना के जवानों के लिए गर्व है. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन करने जा रहे हैं, जो शहीद जवानों की याद में बनाया गया है. इस स्मारक को उन 25942 जवानों की याद में बनाया गया है जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए लड़ते हुए अपनी जान दी है. इसके जरिए तीनों सेनाओं (जल, थल और वायु) के जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है.

दिल्ली में इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में बने इस स्मारक के लिए सेना ने करीब 57 सालों तक संघर्ष किया, जिसके बाद इसे बनाने की मंजूरी मिली. जो भी पार्टी सत्ता में आती थी, सेना उससे इसे लेकर बात करती थी, लेकिन कामयाबी तब जाकर मिली जब मोदी सरकार सत्ता में आई. करीब दो साल पहले इसे बनाने की मंजूरी मिल गई थी. आपको बता दें कि इसे बनाने में करीब 176 करोड़ रुपए की लागत आई है. आइए जानते हैं क्या होगी इस स्मारक की खासियत.

इस युद्ध स्मारक को उन 25,942 जवानों की याद में बनाया गया है, जो आजादी के बाद शहीद हुए.

पीएम मोदी द्वारा इसके उद्घाटन से पहले पीएमओ ने ट्विटर पर इसकी बहुत सारी तस्वीरें भी शेयर की हैं.

इंडिया गेट तो पहले से ही है, फिर ये स्मारक क्यों?

सेना के जवानों की याद में ही इंडिया गेट बना है, जहां पर अमर जवान ज्योति शहीद सैनिकों की याद दिलाती है. कई मौकों पर तीनों सेनाओं के सेनाध्याक्ष और खुद प्रधानमंत्री वहां जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, तो फिर इस स्मारक में खास क्या होगा? दरअसल, इंडिया गेट को ब्रिटिश हुकूमत ने उन भारतीय जवानों की याद में बनवाया था, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और अफगान कैंपेन के दौरान अपनी जान गंवाई थी. इसकी नींव 1921 में रखी गई थी जो 12 फरवरी 1931 को बनकर तैयार हो गया था. इंडिया गेट 70,000 शहीद सैनिकों की याद में बनवाया गया था, जिस पर करीब 13,300 शहीदों के नाम भी लिखे हैं. वहीं दूसरी ओर, इस युद्ध स्मारक को उन 25942 जवानों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है. इस पर भी शहीद जवानों के नाम अंकित हैं.

कौन हैं ये 25942 जवान?

जिन 25942 जवानों की याद में युद्ध स्मारक बनाया जा रहा है, उन्होंने देश के लिए अलग-अलग मौकों पर अपनी जान दाव पर लगाई है. आइए आपको बताते हैं इन जवानों ने कब-कब हमारे लिए अपनी जान कुर्बान की है.

1,104- जम्मू-कश्मीर ऑपरेशन्स (1947-48)

3,250- चीन से युद्ध (1962)

3,264- पाकिस्तान से युद्ध (1965)

3,843- बांग्लादेश लिबरेशन वॉर (1971)

1,157- IPKF श्रीलंका में ऑपरेशन पवन (1987)

522- कारगिल युद्ध (1999)

950- 1984 के ऑपरेशन मेघदूत और सियाचिन में अब तक शहीद जवान

4,800- आतंकवाद से लड़ने के लिए किए गए ऑपरेशन, जैसे ऑपरेशन रक्षक

क्या होगा इस स्मारक में?

इसमें भारत की सेना के इतिहास से जुड़ी चीजों को रखा गया है. जैसे इसमें 1965 के युद्ध में इस्तेमाल हुई उस जीप को भी रखा गया है, जिस पर RCL गन लगी हुई थी. इसी गन का इस्तेमाल करके हवलदार अब्दुल हामिद ने पाकिस्तान के 3 टैंकों को तबाह कर दिया था. यह स्मारक रिटेनिंग वॉल्स (retaining walls) का होगा, जिस पर शहीदों के नाम गुदे हैं.

इसी जीप पर लगी गन से हवलदार अब्दुल हामिद ने 3 पाकिस्तानी टैंकों को तबाह किया था.

यूं तो सेना के पास करीब 120 युद्ध स्मारक हैं, लेकिन ये सब अलग-अलग जगहों पर हैं. भारत के पास अभी तक अपना कोई एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं था, जिसके चलते भी सेना बार-बार इसे बनाने की मांग कर रही थी. इस स्मारक के बनने का बाद भारत के पास उन जवानों की याद में एक स्मारक हो जाएगा, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए अपनी जान दी. साथ ही, लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मोदी सरकार इस स्मारक को अपने कामों की लिस्ट में शामिल कर लेगी. यानी सेना के जवानों की शहादत को एक नाम तो मिलेगा ही, मोदी सरकार की राजनीति भी चमकेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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