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मुजफ्फरपुर रेप कांड : नियम-शर्तों के साथ तेजस्वी का नीतीश पर हमला

    • आईचौक
    • Updated: 04 अगस्त, 2018 06:55 PM
  • 04 अगस्त, 2018 06:55 PM
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तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर कांड की आवाज पटना से दिल्ली पहुंचा दी है. खास बात तेजस्वी की मार्मिक अपील है जिसे वो गैर राजनीतिक बताते हुए खुद को पारिवारिक सामाजिक रिश्तों से बंधा एक सामाजिक कार्यकर्ता बता रहे हैं.

मुजफ्फरपुर के हॉस्टल में उठी लड़कियों की चीख पटना से दिल्ली पहुंचाने का बीड़ा तेजस्वी यादव ने उठा लिया है. सुशासन के नाम पर सत्ता में बने रहने वाले नीतीश कुमार फिलहाल बुरी तरह घिरे हुए हैं. तेजस्वी जहां सियासी तौर पर नीतीश पर टूट पड़े हैं, बीजेपी भी शिकंजा कसने की तैयारी में जुटी होगी. बीजेपी तो चाहती ही है कि नीतीश इतने कमजोर हो जायें कि वो सभी राजनीतिक चालें निशाने पर चल सके.

तेजस्वी की ताजा पहल के पीछे उनकी मार्मिक अपील है जिसे वो गैर राजनीतिक बताते हुए खुद को पारिवारिक सामाजिक रिश्तों की डोर से बंधा एक जिम्मेदार सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पेश कर रहे हैं. तेजस्वी के लिए फायदे की बात ये है कि विपक्षी नेताओं का साथ भी उन्हें मिल रहा है.

शर्मिंदा होने में देर नहीं, बहुत बहुत देर कर दी

कठुआ-उन्नाव रेप और मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर विपक्ष हमलावर रहा, ठीक वैसे ही मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस में बच्चियों के शोषण पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तो प्रण ही कर डाला था कि वो मुख्यंमत्री नीतीश कुमार की चुप्पी तुड़वा कर ही दम लेंगे.

महागठबंधन छोड़ कर बीजेपी से हाथ मिलाने पर सफाई देने के अलावा नीतीश कुमार की ऐसी फजीहत कम ही मौकों पर हुई है. गया में रोड रेज की घटना और बाहुबली आरजेडी नेता शहाबुद्दीन की जमानत को लेकर ऐसे कुछ वाकये जरूर हुए हैं. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप कांड को लेकर नीतीश को सरेआम इकबालिया बयान दर्ज कराना पड़ा है - ''मुजफ्फरपुर में ऐसी घटना घट गई कि हम लोग शर्मसार हैं. इतनी तकलीफ है. हम लोग अब आत्मग्लानि के शिकार हो गए हैं.''

मुजफ्फरपुर के हॉस्टल में उठी लड़कियों की चीख पटना से दिल्ली पहुंचाने का बीड़ा तेजस्वी यादव ने उठा लिया है. सुशासन के नाम पर सत्ता में बने रहने वाले नीतीश कुमार फिलहाल बुरी तरह घिरे हुए हैं. तेजस्वी जहां सियासी तौर पर नीतीश पर टूट पड़े हैं, बीजेपी भी शिकंजा कसने की तैयारी में जुटी होगी. बीजेपी तो चाहती ही है कि नीतीश इतने कमजोर हो जायें कि वो सभी राजनीतिक चालें निशाने पर चल सके.

तेजस्वी की ताजा पहल के पीछे उनकी मार्मिक अपील है जिसे वो गैर राजनीतिक बताते हुए खुद को पारिवारिक सामाजिक रिश्तों की डोर से बंधा एक जिम्मेदार सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पेश कर रहे हैं. तेजस्वी के लिए फायदे की बात ये है कि विपक्षी नेताओं का साथ भी उन्हें मिल रहा है.

शर्मिंदा होने में देर नहीं, बहुत बहुत देर कर दी

कठुआ-उन्नाव रेप और मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर विपक्ष हमलावर रहा, ठीक वैसे ही मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस में बच्चियों के शोषण पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तो प्रण ही कर डाला था कि वो मुख्यंमत्री नीतीश कुमार की चुप्पी तुड़वा कर ही दम लेंगे.

महागठबंधन छोड़ कर बीजेपी से हाथ मिलाने पर सफाई देने के अलावा नीतीश कुमार की ऐसी फजीहत कम ही मौकों पर हुई है. गया में रोड रेज की घटना और बाहुबली आरजेडी नेता शहाबुद्दीन की जमानत को लेकर ऐसे कुछ वाकये जरूर हुए हैं. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप कांड को लेकर नीतीश को सरेआम इकबालिया बयान दर्ज कराना पड़ा है - ''मुजफ्फरपुर में ऐसी घटना घट गई कि हम लोग शर्मसार हैं. इतनी तकलीफ है. हम लोग अब आत्मग्लानि के शिकार हो गए हैं.''

"हम शर्मसार हैं..."

हालांकि, शर्मसार होने और आत्मग्लानि महसूस करने में मुख्यमंत्री ने बहुत देर कर दी और चुप्पी पटना में कन्या उत्थान योजना का शुभारंभ करने के बाद तोड़ी. इस मामले में शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित 9 लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं. शेल्टर होम में 44 लड़कियां रहती थीं और उनमें से ज्यादातर ने यौन शोषण की शिकार होने की बात कही है. फिलहाल उन्हें पटना, मोकामा और मधुबनी में रखा गया है.

मालूम हुआ है कि बिहार बाल अधिकार आयोग ने तो साल भर पहले ही शेल्टर होम को खाली करने की सिफारिश की थी. आयोग की अध्यक डॉ. हरपाल कौर का कहना है कि 2017 में उन्होंने शेल्टर होम का निरीक्षण किया था तो देखा कि लड़कियों को कमरे में बंद करके रखा गया है. आयोग की अध्यक्ष का कहना है कि उनके सामने कुछ लड़कियां रोने जरूर लगी थीं, लेकिन पुचकार कर पूछने पर भी कुछ नहीं बताया. शायद उन्हें काफी डरा धमका कर रखा गया था.

सवाल तो उठता है कि बाल आयोग के अध्यक्ष की सिफारिश पर भी एक्शन क्यों नहीं हुआ? अगर एक्शन लिया जाता तो बहुत पहले लड़कियों को उस नर्क से निकाला जा सकता था. जब बाल आयोग की सिफारिश का कोई मतलब ही नहीं तो उसकी जरूरत क्या है. बंद कर दिया जाता तो कुछ खर्च ही बचता.

डिस्क्लेमर के साथ तेजस्वी का इमोशनल वार

मुजफ्फरपुर को लेकर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को एक ओपन लेटर भी लिखा था. पूरे डिस्क्लेमर वाले अंदाज में तेजस्वी यादव ने ओपन लेटर के 'विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक पत्र' होने का दावा भी किया था. तेजस्वी ने कहा कि ये पत्र वो एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर लिख रहे हैं. ऐसा क्यों, तेजस्वी ने इसकी बड़ी ही भावनात्मक वजह भी बतायी, "यह विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक पत्र है, क्योंकि एक समाजिक कार्यकर्ता होने से पहले मैं सात बहनों का भाई, एक मां का बेटा और कई बेटियों व भगिनी का चाचा और मामा हूं. बच्चियों के साथ हुई इस अमानवीय घटना से मैं सो नहीं पाया हूं.”

विपक्ष को लामबंद करता हुआ जंतर मंतर पर धरना

लालू प्रसाद की राजनीति के जेल चले जाने के बाद तेजस्वी काफी सूझ बूझ के साथ आगे बढ़ रहे हैं. अपनी राजनीतिक मौजूदगी दर्ज कराने के लिए तेजस्वी हर मौके पर खासे तत्पर नजर आते हैं. साथ ही साथ, तेजस्वी की कोशिश पटना और दिल्ली की दूरी पाटने की भी होती है.

मुजफ्फरपुर से दिल्ली पहुंची लड़कियों की चीख

तेजस्वी को ये फिक्र भी रहती है कि बिहार की पॉलिटिक्स में उलझ कर राष्ट्रीय राजनीति में लालू की विरासत हाथ से न निकल जाये. यही वजह है कि वो राहुल गांधी के साथ लंच करने के बाद फोटो ट्वीट भी करते हैं और कर्नाटक में बीजेपी के सरकार बनाने के दावे के विरोध में बिहार के राज्यपाल से मिलने का वक्त भी लेते हैं. याद कीजिए जब कर्नाटक में बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया तो गोवा कांग्रेस के नेता के साथ साथ तेजस्वी ने भी बिहार में सरकार बनाने का दावा पेश करने की बात कही थी. यही वजह है कि मुजफ्फरपुर कांड को तेजस्वी यादव पटना से दिल्ली ले जा रहे हैं - और बड़ी ही समझदारी से गैर-राजनीतिक होने का डिस्क्लेमर जोड़ दे रहे हैं ताकि अपील ज्यादा वजनदार लगे.

2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के मामले में इन दिनों विपक्षी नेताओं में जबरदस्त होड़ मची हुई है. ममता बनर्जी के ताबड़तोड़ दिल्ली दौरे, अरविंद केजरीवाल का दिल्ली के एलजी दफ्तर में धरना और राहुल गांधी का संसद में प्रधानमंत्री मोदी के गले लगना - सबके पीछे एक ही मकसद, सोच, रणनीति और राजनीति है.

मुजफ्फरपुर को लेकर तेजस्वी यादव का धरना इसी राजनीति का हिस्सा है. इसकी खास वजह ये है कि प्रधानमंत्री का नाम बाद में तो तय होगा ही, लोक सभा में जीती गयी सीटों के हिसाब से हक और हिस्सेदारी भी मिलेगी - और इसकी तैयारी तो अभी से ही करनी पड़ेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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